Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

धर्म निरपेक्षता और मुसलमान

अंग्रेजों के बनाए हुए सेकुलरिज्म धर्मनिरपेक्षता को समझने में मुस्लिम अक्षम/ काशीर रहे हैं मुस्लिमों को उनके दीन इस्लाम से दूर रखने के लिए या उन्हें एक आधा अधूरा मुसलमान बनाने का भरसक प्रयास किया गया मुस्लिम अगर अपने दीन के काम के अनुसार कार्य करें तो उसे कट्टरपंथी कहा जाता है मदरसों का पढा हुआ गैर मोहज़्ज़ब और दिमागी परेशान करने के लिए ना जाने क्या क्या कहा जाता है कभी दुनिया के अन्य देशों पर भी गौर करें जैसे भारत Myanmar वियतनाम इंग्लैंड अमेरिका सिरोंज फ्रांस ब्रिटेन रूस और अन्य देशों के पार्लियामेंट और अन्य संस्थाओं के बारे में अमेरिका का राष्ट्रपति रूस का राष्ट्रपति फ्रांस का राष्ट्रपति इंग्लैंड का प्रधानमंत्री यदि सेकलर होते हुए भी बाइबल की शपथ लेकर राष्ट्रपति बना रहे तो secular aur secularism पर कोई नुकसान नहीं भारत के रक्षा मंत्री नारियल तोड़े हिंदू धर्म के विधि विधान से सरकारी यज्ञ करें सरकारी खरीद फरोख्त पर ओम लिखें नींबू मिर्ची चढ़ाएं तो भी सेकलर हैं और उनके सेकुलर होने में ना ब्रिटेन को कोई ऐतराज है ब्रिटेन को कोई एतराज है ना अमेरिका को कोई एतराज है ना फ्रांस को कोई एतराज है ना रूस को कोई ऐतराज है और ना इन देशों के द्वारा सदम धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाया जाता है अब इस छद्म धर्मनिरपेक्षता पर सवाल तब उठता है जब मसला खासकर मुस्लिम देशों से संबंधित हो जैसे तुर्की के राष्ट्रपति कोई बात बोल दे तो उन्हें जलील व ख्वार करने के लिए करने के लिए उन्हें मुस्लिम देशों का खलीफा कट्टरपंथी कहा जाने लगता है ईरान के राष्ट्रपति कोई बात बोल दे तो वह कट्टरपंथ या इस्लामी कट्टरपंथ कहलाता है जिसका प्रचार व प्रसार पूरी दुनिया में इस तरह किया जाता है गोया पूरी इंसानियत को खतरा पैदा हो गया है इस तरह मुस्लिमों को सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सेकुलर मुसलमान बनकर कहीं वह अपने को मुनाफिक या पाखंडी तो नहीं बना रहे

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