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Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

अमेरिका के लिए पाकिस्तान का महत्व:1

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अमेरिका के लिए पाकिस्तान का महत्व पाकिस्तान के निर्माण के साथ ही आरंभ हो चुका थााााा भू राजनैतिक के अनुसार पाकििस्तान की सीमा पूर्व में एक और भारत और चीन के साथ दूसरी ओर उत्ततर में अफगानिस्तान के साथ और पश्चिम में ईरान के साथ जुड़ती है गिरगिट की हवाई अड्डे से लगभग 15 सेे ज्यादा देशों की हवाई निगरानी की जा सकती है सन 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के फौजी दखल के साथ ही अमेरिका ब्रिटेन सऊदी अरब और अन्यय देश सक्रिय होो गए सन 1979 में एक और बड़ी घटना घटी बड़ी घटना घटी और वह घटना ईरान के राजा रजा शाह पहलवी का सत्ता पलट था और इसा तख्ता पलट के साथ आयतुल्लाह कुमाऊनी की हुकूमत नए सिरे से पावर में आ चुकी थी रजा शाह पहलवी की हुकूमत का पलटना अमेरिका केेेे लिए बहुत बड़ा झटका था यह झटका ईरानी तेल से अमेरिका की पहुंच को खत्म करना भी बताया गया है ईरान को घेरनेे के लिए अमेरिका नेे जो देश तूने थे उसमें तीन देशों कीी सीमा ईरान से लगती थी पहली सीमा इराक से जोड़ती है अफगानिस्तान से जुड़तीी है पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से जोड़ती है इराक से ईरान की जंग को कराना आरंभ कर दिया गया था और दूसरी ओर सो

तीसरा विश्व युद्ध और रूस:3

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इन सबके साथ अमेरिका सीधा रूस से नहीं लड़ पड़ा उसने यूक्रेन की धरती से एक बार फिर वैसा ही आतंकवाद की शुरुआत शुरू कर दिया जैसा उसने अफगानिस्तान में किया था मार्च 2021 में वार शिप के माध्यम से यूक्रेन में बड़े पैमाने पर असलहा अमेरिका द्वारााा यूक्रेन पहुंचाया गया अमेरिका का साथ देतेेे हुए नाटो ने भी रुस को कड़ी चेतावनीीी दी और रूस नेे भी नैटो को कडी चेतावनी दी। खबरो के अनुसार रूस ने युक्रेन के क्षेत्रों मे बडे पैमानो पर मिलेटरी डिप्लायमेन्ट बढाना शुरु कर दिया, अमेरिका रूस को अभी कई टुकड़ों मे बाटना चाहता है अमेरिका की आकार्यवाहीयों और आतंकवाद का समर्थन युक्रेन पर बहुत भारी पड़ेगा। शीघ्र ही जिस तरह से नाटो युक्रेन के समर्थन मे खड़ा हो गया है उससे युक्रेन को बहुत बड़ी कीमत चुकाना होगी। ऐसा भी महसूस किया जा सकता है कि अमेरिका में जिस तरह तुर्की के एन सर्किल हवाई अड्डे में परमाणु हथियार रखे हुए थे सोवियत संघ को सबक सिखाने के लिए उसी तरह अमेरिका ने यूक्रेन में परमाणु हथियार पहुंचा दिया हो यूक्रेन और नाटो द्वारा रूस को चेतावनी देना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि अमेरि

तीसरा विश्व युद्ध और रुस:2

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अमेरिका और उस पीछेलगगू देश जो आतंकवादी संगठन के जनक और समर्थक हैं जिस तरह अफगानिस्तान में आतंकवाद के माध्यम से सोवियत संघ को टुकड़ों में बांट दिया और सोवियत संघ की ताकत को कमजोर किया उसके बाद सेेे रूस की निगाह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दिलचस्पी बढ़ती गई और यह दििलचस्पी केवल तमाशबीन जीी नहीं थी बल्कि मिलिट्री विकल्पों पर विचाार करते हुए अमेरिका को पटकनी दी गई इसके कुछ उदाहरण है। 1. लीबिया में रूस का हस्तक्षेप और अमेरिका को पटकनी देना 2.सीरिया में अमेरिका और उसके पिछलग्गू देशों द्वारा गठित किया गया आतंकवादी संगठन आई.एस.आई.एस.को को रूस द्वारा नेस्तनाबूद करना! 3.ईरान के न्यूकिलयर डील जिसमें अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस रूस चीन और जर्मनी के मध्य हुआ मेरिका इस समझौता से 2018 में बाहर हो गया इससे अमेरिका अलग थलग पड गया। 4.ukraine मे रूस समर्थित राष्ट्रपति का तख़्तापलट कराना और अमेरिका समर्थित राष्ट्रपति को के साथ ही सन 2014 मे क्रीमिया को कब्जा मे रूस ने ले लिया और युक्रेन के पूर्वी क्षेत्रों लुहान्सक और डोनेस्तक को कब्जा कर लिया ।

Hostilities between America and Russian federation

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hostiles are old between United States of America and Russian federation. This hostilities continued contemporary uUnited States of America and union of Soviet socialist republic of Russia. This hostilities became increase after Afghanistan war and defeated Russia as a result of which USSR became split and 15 more nation came into existence. Russia is too much afraid with America because of more independent movement are running in Russia like dagistan Chechnya. The main important role is playing by the America and his allies. This efforts is cut from the Russia to sea of Azov and black sea. So that Russian access to Europe may have cut. But all the tricks and conspiracy became fail when Russia captured Crimea and eastern part of Ukraine .after this america and his allies showed himself as coward before Russia.

तीसरा विश्व युद्ध और रुस:1

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विश्व में होने वाली घटनाओं और उसमें अक्सर महाशक्तिशालीी देशों के आपस में टकराव की आशंका से लोग तीसरे विश्वयुद्ध की कल्पनाा करने लगते हैं यह घटनाा कभी लीबिया में संघर्ष में लोग देखते हैं कभी इजरायल और ईरान के तनाव केेे बीच युद्ध की आशंका और विश्व युद्ध कीी कल्पना की जानेे लगती हे अमेरिका समर्थित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस पर जब रूस ने जबरदस्त मुंबई की तो ऐसा लगने लगा कि अमेरिका आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के समर्थन में रूसे टकराव लेगा मगर अमेरिकाा समर्थित आतंकवादियों की जबर्दस्त हार केेे बाद भी अमेरिका का और उसके पिछलगगू देशो को जैसे सांप सूंघ गया हो घिग्घी बंद हो गई और रूस के खिलाफ सैन्य कार्यवाही करने की किसी देश मे हिम्मत नहीं हुई।

जिन्ना भारत मे विलेन और पाकिस्तान मे हीरो क्यों है:2

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जिन्ना को इण्डिया मे विलेन इसलिए समझा जाता है कि उन्होने भारत का बटवारा मजहब के आधार पर किया इसके बाद मुस्लिम बाहुल्य जम्मू और कश्मीर जिसके हिन्दू राजा हरि सिंह पर आक्रमण करके उसका बहुत बड़ा क्षेत्रफल कब्जा कर लिया इस प्रकार जिन्ना की कश्मीर पर आक्रमण करने से एक ओर जमीनी सीमा जो अफगानिस्तान से लगती थी उसको भारत से अलग कर दिया अब अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया मे पहुँचने के लिए 3 रूट है एक रूट जमीनी और हवाई पाकिस्तान से होकर जाता है दूसरा रूट चाइना के सिंकियांग प्रांत से होकर जाता है तीसरा रूट समुद्र से ईरान के रास्ते जिसे चाबाहर पोर्ट कहते है,के मार्ग से अफगानिस्तान पहुंचा जा सकता है,कश्मीर पर इस आक्रमण से जहां पाकिस्तान की सीमा आज़ादी के समय पूरब मे भारत से मिलती थी अब वो सीमा चीन से मिल चुकी है इस प्रकार जिन्ना ने 15 अगस्त 1947 से अपनी मौत अर्थात 11 सितम्बर 1948 मात्र 13 माह मे भारत को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाकर दुनिया से अलविदा हो गए।

जिन्ना भारत मे विलेन और पाकिस्तान मे हीरो क्यों है: 1

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मोहम्मद अली जिन्ना काँग्रेस मे लीडर रह चुके है, सन 1906 मे गठित मुस्लिम लीग जिसका जिन्ना ने गठन का विरोध किया था,सन 1913 मे मुस्लिम लीग मे सम्मिलित हो गए,और वहाँ अपना LEADERSHIP का रोल अदा किया ,ब्रिटिश भारत के दो टुकड़े कराने मे मुख्य भूमिका निभाई इंडियन पारटिशन एक्ट 1947 मे यूनाइटेड किंगडम की संसद मे पारित किया गया। इस बटवारे मे दो आज़ाद देश भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ पश्चिमी पाकिस्तान जो वर्तमान मे पाकिस्तान है और बंगाल का विभाजन जो सन 1905 मे अंग्रेज़ो द्वारा किया गया था,उसे पूर्वी पाकिस्तान जो 1971 मे पाकिस्तान से आज़ाद होकर बांग्लादेश के नाम से स्वतन्त्र देश बना। जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने जबकि इण्डिया का प्रथम गवर्नर जनरल कोई भारतीय न होकर अन्तिम अंग्रेज़ वाइस रॉय लॉर्ड माउन्ट बेटेन को बनाया गया।जिन्ना ने बटवारा कराया और TRANSFER आबादी की मांग रखा था जिसे अंग्रेज़ो के द्वारा ठुकरा दिया गया था ,मुस्लिमो की ट्रान्सफर आबादी की मांग को ठुकरा दिया , इसके कई कारण थे इससे जिन्ना ब्रिटिश इण्डिया के बहुत बड़े भाग को पाकिस्तान बनाना चाहते थे इसके अलावा बहुत बड़ी संख्या मे मुस

जेहाद और लव जेहाद:2

हद तो तब हो गयी जब उत्तर प्रदेश के डासना मे मन्दिर के मशहूर सन्त यति नरसिंहानन्द सरस्वती ने अपने एक बयान जिसका विडियो वाइरल हो चुका है उसने इण्डिया के माथे पर धब्बा लगाने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी,जिसने इण्डिया को मिसाइलो से पाट दिया ,एरोस्पेस मे बड़ा योगदान दिया ,पोखरण 2 मे अटॉमिक विस्फोट मे बड़ा योगदान दिया ,उन्हेयति नरसिंहानन्द सरस्वती ने आतंकी जेहादी करार दिया, ये जेहादी का टाइटल उन्हे मुसलमान होने की बिना पर दिया गया है,इससे उनकी मानसिकता का पता चलता है कि एक मुसलमान देश के लिए कुछ भी कर दे कितनी बड़ी पोस्ट पर हो राष्ट्रपति ही क्यों न रहा हो मगर मुसलमान होने के नाते उनको सम्मान जो दिया जाता है वह विश्व समुदाय को ध्यान मे रखकर और राजनीतिज्ञ उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है,वरना हक़ीक़त दिल की बाहर आ चुकी है इस तरह हम सब लोग देखते है कि मुसलमान और इस्लाम को निशाना बनाने मे न केवल राजनीतिज्ञ बल्कि धार्मिक लोग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है यानी मुस्लिमो की मुक़द्दस किताब कुरान मजीद मे दिये गए जेहाद को बदनाम करने और निशाना बनाने के लिए प्रत्येक वस्तु के साथ जेहाद जोड़ देना और मुसलमानो क

जेहाद और लव जेहाद: 1

जेहाद क्या है इसका प्रयोग इस्लाम मे हुआ है जेहाद का मतलब संघर्ष है,इस्लाम मे जेहाद का अर्थ है ज़ालिम और अत्याचारी लोगो के विरुद्ध संघर्ष करना लेकिन इण्डिया के सूबे/state उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार जहां भारतीय जनता पार्टी जो राष्ट्रीय स्वमसेवक संघ या आर.एस.एस. की पॉलिटिकल विंग है,की सरकार है , ने जेहाद का अलग ही अर्थ बताया गया है इसमे इस्लाम धर्म और उसके मानने वाले लोगो अर्थात मुस्लिमो को निशाना बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुस्लिम लड़के द्वारा किसी अन्य धर्म की लड़की से शादी करने पर और लड़की के परिवार के द्वारा विरोध करने पर उसके खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज़ कराया जा सकता है इसको ही लव जेहाद कहा गया है। इसमे मुस्लिम लड़की द्वारा किसी गैर मुस्लिम लड़के से शादी/विवाह करने पर लव जेहाद नहीं होगा धर्मयुद्ध का शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया,क्योंकि धर्मयुद्ध का इस्तेमाल से हिन्दू धर्म की ओर इंगित करता है crusade/ सलीबी युद्ध /मसीही युद्ध नहीं लिखा गया या कहा गया ,यहाँ पर मसीही द्वारा हिन्दू धर्म मे विवाह करके मसीही बनाते है और धर्म परिवर्तन कराकर क्रिश्चियन/ ईसाई बनाते है। यहाँ प

इस्लाम को ऐसे भी त्यागा जा सकता है: 3

आइये इन शब्दो के अर्थ को जानते है: मोमिन: मोमिन वह होता है जो अल्लाह के नूर से देखता है। मुस्लिम: मुस्लिम वह होता है जिसे उसने देखा नहीं है पर उस पर यकीन के साथ ईमान रखता है जैसे अल्लाह , फरिश्ते ,जन्नत ,दोज़ख ,क़यामत और अल्लाह की किताब । मुरतद: वह मुसलमान जो किताब अल्लाह की आयतों का इन्कार करे मुरतद कहलाता है या इस्लाम को छोडकर अन्य मजहब या धर्म को ग्रहण करे। मुनाफिक: इसे हम पाखंडी भी कह सकते है इसका कार्य निफाक या दूरी पैदा करना होता है इसको ऐसे भी समझ सकते है कोई हिन्दू ,सिख,जैन ,ईसाई बौद्ध ,सिर्फ इसलिए इस्लाम मे प्रवेश करता है और मुस्लिम बनता है कि इस्लाम या मुस्लिम को खतरे मे डाला जाए या उसको चोट पहुंचाने का काम कर रहा हो मुनाफिक कहलाता है। वह दिखावटी मुसलमान बना हुआ है भीतर से वह अपने पिछले धर्म या religion को मान रहा है। मुशरीक: ऐसा व्यक्ति जो इस्लाम को नहीं मानता मगर अल्लाह को किसी भी रूप मे तस्लीम/मानता है और उसका शरीक बनाता है जैसे अवतारवाद /incarnation यानी यह मानना कि ईश्वर या अल्लाह मनुष्य के रूप मे या अन्य किसी रूप मे धरती पर उतर आया उसके बाद अल्लाह को छोडकर उसको ही

इस्लाम को ऐसे भी त्यागा जा सकता है: 2

बहुत सारे ऐसे लोग गुज़र चुके है जिसके द्वारा कुरान मजीद पर तनकीद /टिप्पणी की गई या उसे अल्लाह के द्वारा नहीं उतारा गया या उसमे संशोधन की बात की गई वह सब फिर जाने वाले लोग है जिसे काफिर या इन्कार करने वाला कहते है काफिर मुरतद मुशरीक इन सबको यह अधिकार है कि वह अल्लाह के नाजिल की गई किताबों का इन्कार करे ।मगर मुसलमान के लिए ऐसा करना रत्ती भर जाएज़ नहीं है वसीम रिजवी हो ,या तसलीमा नसरीन हो सलमान रुशदी हो या तारिक फतेह हो या अन्य कोई हो ये सब लोग जिन्हे इस्लाम पर अल्लाह के वजूद पर ,अल्लाह के नबी पर अल्लाह की किताब पर शक है उनके लिए विकल्प या option है , वह हिन्दू बन सकते है ,ईसाई बन सकते है ,यहूदी बन सकते है ,जैन बन सकते है ,पारसी बन सकते दुनिया के किसी भी मजहब /धर्म को चुन सकते है मगर इस चुनने मे भी एक शर्त होगी और वह शर्त है उस धर्म का पालन करना पड़ेगा अगर कोई धर्म न चुनना चाहे तो उनके लिए भी एक ऑप्शन या विकल्प है कि वह कोई अल्लाह ,खुदा ,गॉड , भगवान को न मानते हुए नास्तिक या जिसे काफ़िर कहा जाता है बन सकते है वसीम रिजवी द्वारा मुसलमानो मे भेद /निफाक पैदा करने वाली बात की गई जिसमे क

इस्लाम को ऐसे भी त्यागा जा सकता है : 1

प्रत्येक धर्म के अपने अपने अलग सिद्धान्त है उनकी अपनी अपनी किताबे या पुस्तके है जैसे यहूदियों के लिए तौरेत /ओल्ड टेस्टामेंट ज़बूर है ईसाई के लिए इंजील या बाइबिल मुसलमानो के लिए कुरान मजीद ,पारसी के लिए अवेस्ता ,जैनियों के लिए अगम सिखो के लिए गुरुग्रंथ साहब है हिन्दुओ की पवित्र पुस्तक वेद है । सभी धर्मो की पुस्तके अपने धर्म को दैवीय ताकत /शक्ति के द्वारा उतरना बताता है।मुसलमान भी इस पर यकीन रखता है कि अल्लाह के द्वारा चार किताबे नाजिल /उतारी गयी है वह है तौरेत/ओल्ड testament ज़बूर, इंजील/new testament व कुरान मजीद। अब उस अल्लाह पर ईमान रखने वाला मुसलमान या मोमिन को उसके नबी की रिसालत की गवाही देनी है ,अल्लाह की नाजिल/उतारी गयी किताबों पर उसे ईमान लाना है फरिश्तों पर उसे ईमान लाना है साबिक यानी पिछले अंबियाओ /नबियों/पैगम्बरों/रसूलो पर ईमान रखना है ,ईसा ,मूसा दाऊद सुलेमान सालेह शीश ,अय्युब ,इब्राहिम दानिएल नूह आदम से खातम तक ये ईमान जिसे उसने पढ़ा और जाना है बल्कि उन पर भी ईमान लाना है जिसे वह नहीं जानता या पढ़ा है मगर उन नबियों की तालिम या शिक्षा ला इलाहा इल्लललाह हो कोई नहीं है इलाहा/

मौत का सौदागर : 1

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वोट लेने के खातिर श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री गुजरात नरेन्द्र दामोदर मोदी को मौत का सौदागर कहा गया,दोषियों के लिए special investigation team अर्थात S.I.T.का गठन किया गया जिसका नतीजा ढाक के तीन पात या white elephant साबित हुआ , गोधरा कांड के बाद मुस्लिम कुश फसादात मे तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा दी गयी प्रतिक्रिया देते हुए कहा की क्रिया की प्रतिक्रिया हो रही है दूसरे शब्दो मे कहा जाए तो घटना को जायज़ ठहराया गया अब सवाल यह पैदा हुआ की राज्य का प्रमुख ही जब उसे जायज़ ठहरा रहा हो तो उसे इन फसादात को रोकने मे क्या दिलचस्पी होगी इस तरह मुस्लिम नरसंहार को रोकने की कोशिश न करने पर तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेई द्वारा राज्य धर्म का पालन करने की नसीहत गुजरात सरकार को दी गयी मगर उनके जीते जी किसी ने ये सवाल नहीं पूछा कि अगर तत्कालीन गुजरात सरकार ने राज्य धर्म का पालन नहीं किया तो केन्द्र मे सत्तासीन सरकार ने भी राज्य धर्म का पालन नहीं किया आइये जानते है इन सब बातों के होते हुए क्या दोषियों को सज़ा दी जा सकती थी या नहीं इसके लिए हमे संविधान के अनुच्छेद 361 का अध्

मौत का सौदागर : 2

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भारत का संविधान के अनुच्छेद 361 मे वर्णन इस प्रकार है राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखो का संरक्षण - (1) राष्ट्रपति अथवा राज्य का राज्यपाल या राजप्रमुख अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यो के पालन के लिए या उन शक्तियों का प्रयोग और कर्तव्यो का पालन करते हुए अपने द्वारा किए गए या किए जाने के लिए तात्पर्यित किसी कार्य के लिए किसी न्यायालय को उत्तरदायी/answerable नहीं होगा: परन्तु अनुच्छेद 61 के अधीन आरोप के अनवेषण के लिए संसद के किसी सदन द्वारा नियुक्त या अभिहित किसी न्यायालय, अधिकरण या निकाय द्वारा राष्ट्रपति के आचरण का पुनर्विलोकन किया जा सकेगा: परन्तु यह और कि इस खण्ड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के विरुद्ध समुचित कार्यवाहीयां चलाने के किसी व्यक्ति के अधिकार को निर्बंधित करती है। (2) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय मे किसी भी प्रकार की फ़ौजदारी कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी या चालू नहीं रखी जाएगी। (3) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल क

बांग्लादेशी घुसपैठिए और बांग्लादेश: 2

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दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए का उललेख ज़ोर शोर से किया जाता है जबकि यह मुद्दा बांग्लादेश सरकार के समक्ष आधिकारिक रूप से भारत सरकार ने अभी तक नहीं उठाया अगर यह मुद्दा बांग्लादेश सरकार के साथ उठाया जाता है तो विवाद दो देशो मे होने के कारण अन्तराष्ट्रीय नयायालय, हेग मे भी जा सकता है और संयुक्त राष्ट्र संघ मे मुद्दा उठाया जा सकता है इसलिए इस मुद्दे के राजनीतिक लाभ के लिए बांग्लादेश सरकार के समक्ष नहीं उठाया जाता। इस मुद्दे पर बांग्लादेश से भारत सरकार द्वारा मुद्दा उठाने पर बांग्लादेश से सम्बन्ध खराब हो सकते है। बांग्लादेशी घुसपैठिए के मुद्दे पर बांग्लादेश की कोई भी सरकार भारत सरकार के साथ या समर्थन मे खुलकर नहीं आ पाएगी और जो सरकार ऐसा करेगी राजनीतिक भविष्य खतरे मे पड़ जाएगा इसलिए भारत सरकार बांग्लादेश से सम्बन्ध खराब नहीं करना चाहती है भारत के चारो ओर जो पड़ोसी है उनसे सम्बन्ध अच्छे नहीं है बल्कि खराब कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। पाकिस्तान नेपाल चाइना से सम्बन्ध खराब है। अमेरिकन सैंकसन का समर्थन करने के कारण ईरान से ऑइल आयात शून्य होने के बाद सम्बन्ध खराब है। भूट

बांग्लादेशी घुसपैठिए और बांग्लादेश:1

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भारत मे बांग्लादेशी नागरिकों के भारत मे ग़ैर कानूनी तरीके से आने और भारत के विभिन्न राज्यो मे फैल जाने के बाद भारत की नागरिकता को प्राप्त करने का दावा भारत सरकार करती है पाकिस्तान के पूर्वी पाकिस्तान मे पश्चिमी पाकिस्तान के हुक्मरानो द्वारा के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान मे होने वाले ज़ुल्म और मानवाधिकार का मुद्दा भारत सरकार ने उठाया था और ये भी बताया गया कि पूर्वी पाकिस्तान के प्राक्र्तिक संसाधन/कुदरती वसाइल को पाकिस्तान लूट रहा है,ऐसा आरोप लगाया गया था और दुनिया भर मेमानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाया गया था मुक्ति वाहिनी जिसे अँग्रेजी मे freedom army कह सकते है,का गठन भारत सरकार ने किया इसमे पूर्वी पाकिस्तान के भारत मे अवैध तरीके से आने वाले लोगो को प्रशिक्षण दिया गया था जो पूर्वी पाकिस्तान मे आज़ादी के लिए कार्यवाही करते थे और भारत सरकार के सीधे हस्तक्षेप के बाद 16 दिसम्बर 1971 मे पाक फौज के सरेंडर के साथ जंग समाप्त हो गयी और बांग्लादेश का निर्माण हो गया, अपने स्थापना से अब तक बांग्लादेश से भारत सरकार से सम्बन्ध अच्छे रहे है,उत्तर पूर्व के अन्य राज्य और पश्चिमी बंगाल मे बांग्ला भाषी लोग बहु

जम्मू और कश्मीर का विभाजन और उसके लाभ: 8

1. जम्मू और कश्मीर राज्य को दो भागो मे विभाजित करके मुस्लिम आबादी को जनसंखकीय/demographic बदलाव का प्रयास सफल होता दिख रहा है। राज्य मे होने वाली समस्त नियुक्तियों मे केन्द्र का सीधा हस्तक्षेप और नियुक्तियों को सम्पूर्ण भारत से भर्ती करना होगा 3. धारा 35 A को समाप्त करके राज्य मे शरणार्थी को नागरिकता प्रदान करना। 4. राज्य मे डेमोग्राफिक बदलाव के लिए कश्मीरी पंडितो जो उनका हक़ है बसाने के साथ सेवानिव्रत/रिटायर्ड फौजी को बसाना। 5. अब तक जो कानून parliament मे निर्मित किए जाते थे उसमे विशेषकर ये प्रावधान होता था कि जम्मू और कश्मीर को छोडकर समस्त भारत मे लागू होगा जो अब जम्मू और कश्मीर मे भी सम्मिलित है और होगा 6.राज्य मे princely स्टेट से लेकर 1947 तक जम्मू और कश्मीर का अलग झण्डा था जम्मू और कश्मीर के विलय के बाद राज्य मे दो झंडे सम्मिलित थे एक union of india का दूसरे जम्मू और कश्मीर के राज्य का,5 अगस्त 2019 से जम्मू और कश्मीर के विभाजन के साथ जम्मू और कश्मीर का झण्डा समाप्त हो गया। 7.राज्य की लोकतन्त्र के द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री की शक्ति को समाप्त करने के लिए व केन्द्र के सीधे हस्त

जम्मू और कश्मीर का विभाजन और उसके लाभ: 7

केन्द्र शासित प्रदेश बनने से केन्द्र का शासन सीधा राज्य मे होगा अब जम्मू और कश्मीर लद्दाख की पुलिस सीधे केन्द्र के अधीन आ गयी लेफ्टिनेंट गवर्नर को समस्त शक्तियाँ प्राप्त है अब प्रश्न यह था कि राज्य मुस्लिम बाहुल्य था इसलिए सरकारी नौकरी मे राज्य की क्यादत/leadership मुस्लिमो के पास थी, मुस्लिम लीडरशिप होने के कारण अधिकतर राज्य के विभागो मे ,संस्थाओ मे मुस्लिम नियुक्त किए गए थे,राज्य को विभाजित करके और union territory बना कर राज्य की नियुक्त मे केन्द्र का सीधा हस्तक्षेप हो चुका है जैसा कि विगत वर्षो मे central government द्वारा selected Governor की नियुक्त मे आज़ादी के बाद से अब तक किसी मुस्लिम गवर्नर की नियुक्त नहीं की गयी,चुनाव जीत कर बनाए गए मुख्यमंत्री जनता द्वारा मताधिकार के द्वारा बनाए गए जिनको केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप से गिरा दिया गया,जम्मू कश्मीर को छोडकर सम्पूर्ण भारत वर्ष मे सरकारी नौकरी, ठेकेदारी,पेट्रोल पम्प, गॅस filling centre आदि मे उनकी उपस्थिती न के बराबर है, इसलिए जो सरकार मुस्लिम नामो के सड़क, रेलवे स्टेशन, और ज़िला को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हो,नाम बदल दिया हो, जिसके

जम्मू एंड कश्मीर का विभाजन और उसके लाभ:5

जम्मू और कश्मीर के कश्मीरी पंडित को जम्मूूूू और कश्मीर से बाहर निकालने वाले भूतपूर्व गवर्नर गिरीश चंद्र सक्सेना 500000 कश्मीरी पंडितोंं को शरणार्थी बननेे का प्रचार व प्रसार किया गया इसको हर चैनल पर दििखाया जाता हैं। सम्पूर्ण घाटी छावनी मे बदल जाने के बावजूद नागरिकों की सुरक्षा करने मे असफल रही, राज्य का परम कर्तव्य है कि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करे लेकिन राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करने मे पूर्णतया असफल रहा ये असफलता राज्य को फ़ेल स्टेट साबित करती है एक तरफ राज्य ने कश्मीरी पंडितो को उनके घरो ज़मीन जायदाद से बेदखल किया उनकी सुरक्षा करने से इंकार किया दूसरी ओर मुस्लिम नागरिकों का लाखो लोग का कत्ल किया जाना राज्य और फौज को शक के घ्रेरे मे लाता है ग़ैर मुसल्ला हथियार बंद लोगो की रक्षा करने के लिए हथियार बंद फौज , अर्ध सैनिक बल और पुलिस हिफाज़त करने मे नाकाम रही और सरकार ने अपने नागरिकों को रक्षा करने मे हथियार भी उपलब्ध नहीं कराये की नागरिक अपनी रक्षा स्वम कर सकते कुछ लोग गवर्नर गिरीश चन्द्र सक्सेना पर यह भी आरोप लगाते है कि कश्मीरी पंडितो को बाहर इसलिए निकाला ताकि मुस्लिमो का दमन कि

जम्मू और कश्मीर का विभाजन और उसके लाभ: 3

जम्मू और कश्मीर के बहुसंख्यक को अपना बताना समझाना और दूसरी ओर पाकिस्तान की दावेदारी जिसमे जम्मू और कश्मीर के हिन्दू राजा के विलय को चुनौटी दी जा रही थी कि जम्मू कश्मीर की जनता भारत के साथ नहीं मिलना चाहती जबकि भारत का कहना है कि उसके यहाँ जो चुनाव कराये गए है उससे जम्मू कश्मीर की जनता ने भारत मे मिलने की पुष्टि की गयी जबकि पाकिस्तान द्वारा जनमत कराने की मांग को विश्व भर मे उठाया गया, प्रारम्भ मे जो सुविधाए जम्मू कश्मीर को दी गयी थी उसमे वहाँ के लोगो की भावनाए को भारत के साथ जोड़ने की थी लेकिन उनकी इस भावनाए मे शेख अब्दुल्लाह को भी देखा गया जो सालो सलाखों के पीछे रखे गए और अधिकतर समय गवर्नर रुल के अन्तर्गत जम्मू कश्मीर मे रखा गया। जम्मू कश्मीर मे अब तक जितने भी गवर्नर बनाये गए है जो निम्न प्रकार है: 1. महाराजा करन सिंह 17 नवम्बर 1952 से 30 मार्च 1965 तक सदरे रियासत रहे है। 30 मार्च 1965 से 15 मई 1967 तक गवर्नर रहे 2. भगवान सहाय I.C.S.- 15 मई 1967 से 3 जुलाई 1973 तक गवर्नर रहे। 3. एल.के.झा -I.C.S.- 3 जुलाई 1973 से 22 फ़रवरी 1981 4. बी.के.नेहरू I.C.S.- 22 फ़रवरी 1981 से 26 अप्रैल 1984 5. जगम