Ahmad Rizvi

POK और COK

POK और COK पाकिस्तान अधिक्रत कश्मीर या पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया कश्मीर को ही पी.ओ.के. कहते है और चीन के द्वारा कब्ज़ा किए गये कश्मीर को सी.ओ.के. कहते है । हाल ही मे दो महत्वपूर्ण घटनाए हुई है । लंदन से भारतीय विदेश मंत्री का POK को वापस लाने का अज़म लेते हुवे बयान देना । इसके साथ ही कारगिल मे भारत के द्वारा पहली बार C-17 ग्लोब मास्टर जैसे विशालकाय विमान की सफलतापूर्ण लैन्डिंग कराना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाया गया है । जिससे रसद, गोला बारूद, आर्म्स और एमूनेशन, सैनिकों को तेज़ी के साथ फ्रन्ट लाइन तक पहुंचाया जा सकता है । जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री ने POK के साथ चीन अधिक्रत कश्मीर, को भारत का हिस्सा बताया और उसे वापस न लाने के लिए कोई बयान नहीं दिया गया, इस पर टिप्पणी की गई जिसका भारतीय जनता पार्टी और उसकी सिस्टर संस्थाये अपने नेता के इशारों पर विरोध परदर्शन करना आरंभ किया जा चुका है । सन 2020 मे गलवान संघर्ष को मद्देनजर रखते हुवे जो अभी तक गतिरोध बना हुआ था हाल ही मे गतिरोध टूटा है। ऐसे मे चीन पर बयान देकर पूर्व के हालात सीमा पर बन जाए । लेकिन ऐसा नहीं है की चीन अधिक्रत कश...

अल्पसंख्यक और भेदभाव

अल्पसंख्यक पर होने वाले भेदभाव को अक्सर उठाते हुए देखा गया है पूरी दुनिया में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होता है मगर इस भेदभाव में राजनीति और दूसरे देश पर दबाव डालने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है अमेरिका में कई लोगों के साथ भेदभाव होता है कि पुलिस के अधिकारी द्वारा काले लोग को उसकी गर्दन पर टांग के दबाव द्वारा मार दिया गया फ्रांस में अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता है इसी तरह जर्मनी में अल्पसंख्यकों को पर भेदभाव किया जाता है रूस में चेचन्या के मुसलमानों के साथ भेदभाव के जाता है चीन में उईगुर और तिब्बती लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है पाकिस्तान में शियाओं अहमदी और हिंदुओं के साथ भेदभाव व भारत में ईसाइयों और मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता है यह भेदभाव सैकड़ों मुस्लिमों के मोब लिंचिंग करके अब तक कत्ल किया जा चुका है उत्तर प्रदेश के मेरठ में हाशिमपुरा कांड किया गया जिसमें पीएसी के लोगों ने जानबूझकर सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों की नस्लकुशी की गई थी लेकिन अब हमें यह देखना है कि हथियार के रूप में कैसे अल्पसंख्यक के मुद्दे को पूरे विश्व मे उठाया जाता है मलाला यूसुफजई का मामला पूरे विश्व में उठाया गया चीन के उइगिर का मामला पूरे विश्व में उठाया जाता है बांग्लादेश में हिंदुओं का मामला उठाया जाता है पश्चिमी देशों के द्वारा अक्सर उठाया जाता है वह भी किसी अधिकार दिलाने के लिए नहीं बल्कि अपने हितों को पूरा करने के लिए उस पर दबाव बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर इस्राएल पर, फ्रांस पर, अमेरिका ब्रिटेन पर कोई प्रश्न कयों नहीं उठाया जाता हैं पूरी दुनिया मे अल्पसंख्यकों पर भेदभाव होता हैं वह किसी एक देश तक सीमित नहीं है मगर प्रत्येक देश अपने यहां के अल्पसंख्यकों के अधिकार को नज़र अन्दाज़ करते हुए दूसरे देशों को होने वाले भेदभाव को इसलिए उठाता है ताकि उसके उद्देश्य पूरे हो इसी लोक उक्ति के साथ बात खत्म की जाती हैं किि अपनी आंख का लटठा नहीं दिखता दूसरे की आंख का तिनका दिख को आता है

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