Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

अल्पसंख्यक और भेदभाव

अल्पसंख्यक पर होने वाले भेदभाव को अक्सर उठाते हुए देखा गया है पूरी दुनिया में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव होता है मगर इस भेदभाव में राजनीति और दूसरे देश पर दबाव डालने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है अमेरिका में कई लोगों के साथ भेदभाव होता है कि पुलिस के अधिकारी द्वारा काले लोग को उसकी गर्दन पर टांग के दबाव द्वारा मार दिया गया फ्रांस में अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता है इसी तरह जर्मनी में अल्पसंख्यकों को पर भेदभाव किया जाता है रूस में चेचन्या के मुसलमानों के साथ भेदभाव के जाता है चीन में उईगुर और तिब्बती लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है पाकिस्तान में शियाओं अहमदी और हिंदुओं के साथ भेदभाव व भारत में ईसाइयों और मुसलमानों के साथ भेदभाव किया जाता है यह भेदभाव सैकड़ों मुस्लिमों के मोब लिंचिंग करके अब तक कत्ल किया जा चुका है उत्तर प्रदेश के मेरठ में हाशिमपुरा कांड किया गया जिसमें पीएसी के लोगों ने जानबूझकर सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों की नस्लकुशी की गई थी लेकिन अब हमें यह देखना है कि हथियार के रूप में कैसे अल्पसंख्यक के मुद्दे को पूरे विश्व मे उठाया जाता है मलाला यूसुफजई का मामला पूरे विश्व में उठाया गया चीन के उइगिर का मामला पूरे विश्व में उठाया जाता है बांग्लादेश में हिंदुओं का मामला उठाया जाता है पश्चिमी देशों के द्वारा अक्सर उठाया जाता है वह भी किसी अधिकार दिलाने के लिए नहीं बल्कि अपने हितों को पूरा करने के लिए उस पर दबाव बनाने के लिए कभी अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर इस्राएल पर, फ्रांस पर, अमेरिका ब्रिटेन पर कोई प्रश्न कयों नहीं उठाया जाता हैं पूरी दुनिया मे अल्पसंख्यकों पर भेदभाव होता हैं वह किसी एक देश तक सीमित नहीं है मगर प्रत्येक देश अपने यहां के अल्पसंख्यकों के अधिकार को नज़र अन्दाज़ करते हुए दूसरे देशों को होने वाले भेदभाव को इसलिए उठाता है ताकि उसके उद्देश्य पूरे हो इसी लोक उक्ति के साथ बात खत्म की जाती हैं किि अपनी आंख का लटठा नहीं दिखता दूसरे की आंख का तिनका दिख को आता है

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