Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

जम्मू और कश्मीर का विभाजन और उसके लाभ: 7

केन्द्र शासित प्रदेश बनने से केन्द्र का शासन सीधा राज्य मे होगा अब जम्मू और कश्मीर लद्दाख की पुलिस सीधे केन्द्र के अधीन आ गयी लेफ्टिनेंट गवर्नर को समस्त शक्तियाँ प्राप्त है अब प्रश्न यह था कि राज्य मुस्लिम बाहुल्य था इसलिए सरकारी नौकरी मे राज्य की क्यादत/leadership मुस्लिमो के पास थी, मुस्लिम लीडरशिप होने के कारण अधिकतर राज्य के विभागो मे ,संस्थाओ मे मुस्लिम नियुक्त किए गए थे,राज्य को विभाजित करके और union territory बना कर राज्य की नियुक्त मे केन्द्र का सीधा हस्तक्षेप हो चुका है जैसा कि विगत वर्षो मे central government द्वारा selected Governor की नियुक्त मे आज़ादी के बाद से अब तक किसी मुस्लिम गवर्नर की नियुक्त नहीं की गयी,चुनाव जीत कर बनाए गए मुख्यमंत्री जनता द्वारा मताधिकार के द्वारा बनाए गए जिनको केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप से गिरा दिया गया,जम्मू कश्मीर को छोडकर सम्पूर्ण भारत वर्ष मे सरकारी नौकरी, ठेकेदारी,पेट्रोल पम्प, गॅस filling centre आदि मे उनकी उपस्थिती न के बराबर है, इसलिए जो सरकार मुस्लिम नामो के सड़क, रेलवे स्टेशन, और ज़िला को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हो,नाम बदल दिया हो, जिसके मंत्री माब लिंचिंग के अपराधी को माला पहनाकर जय जय कार कर रही हो,जहां अजान की आवाज़ पर आदेश सिर्फ इसलिए दिये जा रहे हो कि मामला मुस्लिम से संबन्धित है, वहाँ ये उम्मीद करना की मुस्लिमो के साथ इंसाफ होगा, बेमानी है,मुस्लिमो का सशंकित होना उनके साथ होनेवाले दुर्व्यवहार के आधार पर ,शंका उचित है।

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