Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

मौत का सौदागर : 2

भारत का संविधान के अनुच्छेद 361 मे वर्णन इस प्रकार है
राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखो का संरक्षण -
(1) राष्ट्रपति अथवा राज्य का राज्यपाल या राजप्रमुख अपने पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यो के पालन के लिए या उन शक्तियों का प्रयोग और कर्तव्यो का पालन करते हुए अपने द्वारा किए गए या किए जाने के लिए तात्पर्यित किसी कार्य के लिए किसी न्यायालय को उत्तरदायी/answerable नहीं होगा: परन्तु अनुच्छेद 61 के अधीन आरोप के अनवेषण के लिए संसद के किसी सदन द्वारा नियुक्त या अभिहित किसी न्यायालय, अधिकरण या निकाय द्वारा राष्ट्रपति के आचरण का पुनर्विलोकन किया जा सकेगा: परन्तु यह और कि इस खण्ड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के विरुद्ध समुचित कार्यवाहीयां चलाने के किसी व्यक्ति के अधिकार को निर्बंधित करती है। (2) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय मे किसी भी प्रकार की फ़ौजदारी कार्यवाही संस्थित नहीं की जाएगी या चालू नहीं रखी जाएगी। (3) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल की पदावधि के दौरान उसकी गिरफ्तारी या कारावास के लिए किसी न्यायालय एसई कोई आदेशिका निकाली जाएगी। (4) राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के रूप मे अपना पद ग्रहण करने से पहले या उसके पश्चात, उसके द्वारा अपनी वैयक्तिक हैसियत मे किए गए या किए जाने के लिए तात्पर्यित किसी कार्य के सम्बन्ध मे कोई सिविल कार्यवाहियाँ,जिनमे राष्ट्रपति या ऐसे राज्य के राज्यपाल के विरुद्ध अनुतोष का दावा किया जाता है,उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय मे तब तक संस्थित नहीं की जाएगी जब तक कार्यवाहियों की प्रक्रति, उनके लिए वाद हेतुक,ऐसी कार्यवाहीयों को संस्थित करने वाले पक्षकार का नाम,वर्णन ,निवास-स्थान और उस अनुतोष का जिसका वह दावा करता है, कथन करने वाली लिखित सूचना,यथास्थिति, राष्ट्रपति या राज्यपाल को परिदत्त किए जाने या उसके कार्यालय मे छोड़े जाने के पश्चात दो मास का समय समाप्त नहीं हो गया है। विश्व समुदाय या अन्य देशो को दिखाने के लिए गठित की गयी SPECIAL INVESTIGATION TEAM के प्रति तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री उत्तरदायी/ANSWERABLE नहीं थे और वैसा ही उनके द्वारा किया गया जो लोग कानून के जानकार नहीं है वह न्याय की उम्मीद और दोषियों पर मुकदमा चलाने की बात कर रहे थे जबकि संविधान के अनुच्छेद 361 मे स्पष्ट दिया गया है कि उनको संरक्षण प्राप्त है,
राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुख अब इस राजप्रमुखो का उल्लेख नहीं किया गया । इससे न्यायालय राजप्रमुख के विरुद्ध कोई मुकदमा नहीं चला सकता और राजप्रमुख न्यायालय के प्रति उत्तरदायी/ANSWERABLE भी नहीं है। इस प्रकार विपक्षी या अन्य दल उनके विरुद्ध भददी टिप्पणी जैसे मौत का सौदागर ,कातिल खूनी कुछ भी कह सकता है लेकिन न्यायालय मे शक्तियों का प्रयोग करने के लिए मुकदमा कानून की अदालत मे नहीं चलाया जा सकता।

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