Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

बांग्लादेशी घुसपैठिए और बांग्लादेश:1

भारत मे बांग्लादेशी नागरिकों के भारत मे ग़ैर कानूनी तरीके से आने और भारत के विभिन्न राज्यो मे फैल जाने के बाद भारत की नागरिकता को प्राप्त करने का दावा भारत सरकार करती है पाकिस्तान के पूर्वी पाकिस्तान मे पश्चिमी पाकिस्तान के हुक्मरानो द्वारा के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान मे होने वाले ज़ुल्म और मानवाधिकार का मुद्दा भारत सरकार ने उठाया था और ये भी बताया गया कि पूर्वी पाकिस्तान के प्राक्र्तिक संसाधन/कुदरती वसाइल को पाकिस्तान लूट रहा है,ऐसा आरोप लगाया गया था और दुनिया भर मेमानवाधिकार हनन का मुद्दा उठाया गया थामुक्ति वाहिनी जिसे अँग्रेजी मे freedom army कह सकते है,का गठन भारत सरकार ने किया इसमे पूर्वी पाकिस्तान के भारत मे अवैध तरीके से आने वाले लोगो को प्रशिक्षण दिया गया था जो पूर्वी पाकिस्तान मे आज़ादी के लिए कार्यवाही करते थे और भारत सरकार के सीधे हस्तक्षेप के बाद 16 दिसम्बर 1971 मे पाक फौज के सरेंडर के साथ जंग समाप्त हो गयी और बांग्लादेश का निर्माण हो गया, अपने स्थापना से अब तक बांग्लादेश से भारत सरकार से सम्बन्ध अच्छे रहे है,उत्तर पूर्व के अन्य राज्य और पश्चिमी बंगाल मे बांग्ला भाषी लोग बहुतायत मे अधिवास करते है,बांग्लादेश के फौजी शासको से भी भारत के अच्छे सम्बन्ध रहे है।बांग्लादेश से आने वाले नागरिकों का स्वागत/खैर मकदम सन 1971 से पहले किया गया था ,बाद मे इसके विरोध मे असम मे आंदोलन चले जिसमे चकमा शरणार्थी के विरोध मे भी आंदोलन हुए और असम मे एन.आर.सी.(नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) को लागू किया गया जिसमे तमाम भारतीयो को बांग्लादेशी बताया गया जिसमे पूर्व राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अली अहमद और फौज मे सूबेदार रहने वाले जो कारगिल संघर्ष मे अपने फौजी कर्तव्य को निभा चुके व्यक्तियों को nrc मे बाहर का नागरिक होने से इंकार किया तो लोगो के मन मे शंका होने लगीऔर nrc को विवादास्पद बनाया,nrc की लागू की गयी लिस्ट मे 11 लाख हिन्दू और 5 लाख मुसलमान को बांग्लादेशी नागरिक बताया गया,इसके बाद नागरिक संशोधन एक्ट पारित किया गया जिसमे मुसलमान को छोडकर समस्त धर्म के लोगो को नागरिकता देने प्राविधान किया गया ताकि 11 लाख हिन्दुओ को नागरिक बनाया जाए और 5 लाख मुसलमान को बाहर का रास्ता दिखाया जाए या detention centre मे रखा जाएयहाँ पर विशेष बात ये है कि भारत सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान मे बांग्लादेश मे मुस्लिमो पर ज़ुल्म और मानवाधिकार के हनन का आरोप लगाया था और अब नागरिकता संशोधन एक्ट मे मुस्लिमो को शामिल न करने से यह साबित होता है कि पूर्वी पाकिस्तान मे पाकिस्तान द्वारा किए गए ज़ुल्म व मानवाधिकार का हनन एक झूठ था पाकिस्तान मुसलमानो पर ज़ुल्म कर ही नहीं सकता यह साबित करता है नागरिकता संशोधन एक्ट इस प्रकार इस कानून को बनाकर भारत सरकार ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दी है

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