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Showing posts from April, 2022

Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

अमीरुल मोमिनीन की शहादत

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अमीरुल मोमिनीन की शहादत अमीरुल मोमीनीन हज़रत अली अलैहिस सलाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैह व आले वसल्ल्म के सगे चचा ज़ाद भाई है इनके वालिद बुजुर्ग हज़रत अबु तालिब सलामउल्लाह है इनके ही घर मे मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की परवरिश हुई मक्का के कुफ़्फ़ार जब एक बार हज़रत अबु तालिब के पास आये और एक प्रस्ताव रखा प्रस्ताव यह था कि मुगीरा को हज़रत अबु तालिब पालन पोषण करे और अपने भतीजे मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को कुफ़्फ़ार के हवाले कर दे इस पर मर्दे मुजाहिद ने जो जवाब दिया था वो तारिख (इतिहास) मे दर्ज है जवाब दिया था कि मै मुगिरा को पालूं और तुम मेरे भतिजे मोहम्मद सल्लाहो अलैह व आले वसल्ल्म का क़त्ल कर दो ,उन लोगो को जैसा भगाया वो इतिहास मे दर्ज है! हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैह व आले वसल्ल्म के यह मोहसिन हज़रत अबु तालिब अलैहिस सलाम की मदद उस वक़्त करी जब अल्लाह के नबी तबलीग के लिये जाते थे उस वक़्त कुफ़्फ़ारे मक्का ने अपने बच्चो को अल्लाह के नबी पर इस बात के लिये

मानवाधिकार पर अमेरिका की टिप्पणी

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अमेरिका किसी देश में मानवाधिकार का मुद्दा उठाता है तो मानवाधिकार के लिए या इनकी भलाई के लिए कभी नहीं उठाता उसके अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उस देश पर दबाव बनाने के लिए मानव अधिकार का मुद्दा उठाकर बिना हथियार के इस्तेमाल किए हुए मानव अधिकार नाम के अधिकार को ही हथियार बनाकर पेश कर देता है उदाहरण के लिए आतंकवादी राज्य इस्राएल के कत्लोगारत की भर्त्सना अमेरिकन ने कभी नहीं की और किसी भी पश्चिमी देश या एशियाई देश जो अमेरिका के इशारे पर काम करते हो जनमत का विरोध करता हो उसका अमेरिका ने समर्थन किया है. समर्थक है| सऊदी अरब जिसने खशोगी जैसे पत्रकार के वहशी कत्ल के बाद अमेरिकी डीलींंग के बाद मामला रफा-दफा हो गया | इराक का भूतपूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन जो अमेरिका के अच्छे मित्र थे और 1982 दुजैल नामक जगह में शियायों का कत्लेआम किया इस बात का अंदाजा लगाइए कहां सन 1982 और कहां सन 2003 लगभग 21 सालो तक अमेरिका ने उसके वीडियो को सुरक्षित रखा यही अमेरिका इराक़ के राष्ट्रपति का उस वक़्त का दोस्त था सोचने की बात है उस समय भी और उसके उसके खिलाफ अमेरिका सबूत इकट्ठा करता था और उ

नेतृत्व का खातमा

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कुछ बात है कि हसती मिटती नही हमारी, सदियों रहा दुश्मन दौरे ज़मा हमारा अल्लामा इक़बाल के इस शेर पर याद आया जो लोग मनुवाद और मनुवादीयो को दिन रात कोस्ते रह्ते है कभी उनके धीरज सब्र और चालाकियो पर भी गौर कर लिया करे जब दलितो और पिछड़े लोगो की तरक्की के लिये उनकी लीडरशिप को काशीराम ने खड़ा किया था तब ये सोचा भी नही गया होगा कि दलितो की लीडरशिप को खत्म उसकी मददगार पार्टी भारतीय जनता पार्टी ऐसे करेगी दूसरी बात उस पार्टी के आधिक्य ब्राहमन उसको छोड़ कर अपनी मूल पार्टी मे चले गए कुल मिलाकर पार्टी और दलित लीडरशिप को खत्म करने ही घुसे थे अब यादव लीडरशिप को खत्म करने की बारी थी उसको कैसे खत्म किया जाए बिहार और उत्तर प्रदेश मे उनके परिवार को ही उनसे लड़वा दिया आने वाले समय मे मुसलमानों का समाजवादी पार्टी से मोहभँग होना निश्चित है ये पार्टी विलुप्त हो जायेगी मुस्लिमो की लीडरशिप को आज़ादी के बाद से खत्म कर दिया गया जो लीडरशिप उभरने का खतरा चुनाव मे था वो अब खत्म हो चुका है जिनके वोट से भारतीय जनता पार्टी मज़बूत

मुसलमानों पर सवाल

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इसका जवाब है जब तुम पैदा होते जो तो जो तुम्हारे बाल होते हैं नाखून होते है क्यों काटते हो क्यों मुंडन संस्कार करते हो जैसा ईश्वर ने भेजा वै सा क्यों नहीं बने रही बात अल्हम्दो लिल्लाह तामाम प्रशंसा अल्लाह के लिए है जो समस्त दुनिया का रब है दीन के दिन का मालिक है अर्थात् क़यामत के बाद जब समस्त मनुष्यो का हिसाब ले गा हम उससे मदद मांग ते है शैतान से मदद नही चाहते, सीधे और सुदृढ मार्ग पर कायम रखे, गलत और खराब मार्ग से दूर रखना उनके रास्ते पर जिन पर तूने इनाम अता किया उनके मार्ग पर नहीं जिन पर तेरा ग़ज़ब आया

मज़हब और राजनिति

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अक्सर लोगो को ये कहते हुए सुना जाता है कि मजहब और राजनिति को अलग अलग देखना चाहिये तब एक सवाल हमारे मस्तिष्क/ जेहन मे उठा,मक्का मे मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलेह वआले वासल्लम अगर नमाज़ कायम रहते,कुरान पढ़ते रहते तो मक्का के काफिरो पर क्या फर्क पड़ता, मेरे ख्याल से कोई फर्क नही पड़ता, जब अरब के काफिरो को फर्क पड़ना आरंभ हुआ जब सूद हराम, जुआ हराम ,शराब हराम , लड़कियों को हक़ , बेटियों को हक़, बहनो को हक़,ज़ौजा का हक़, विधवा को पुन: विवाह का हक़, बेगुनाह का कत्ल हराम ,इन सबसे वहाँ का समाज तिलमिला उठा उसने एक ऐसी फिजा देखी जिसमे उसके बुत के साथ साथ निज़ाम ही बदला जा रहा था , हाँ इस निज़ाम बदलने मे जो विशेष बात थी वो था सबके साथ न्याय देना, ज़ुल्म के आगे न्याय तभी दिया जा सकता है जब न्याय देने वाले के पास कुव्वत हो ताकत हो, ज़ालिम भी पूरी दुनिया मे अन्याय के राज को कायम करने के लिए ज़ुल्म को तेज़ी देता रहता है,नज़ीर के लिए हज़रत मूसा का जिक्र/उल्लेख कुरान मुक़द्दस मे जिक्र किया गया है हज़रत मूसा को फिरौन के महल मे रहते उन्हे क्य तकलीफ होती कोई तकलीफ नही होती मगर ज़ुल्म को मिटाने का जो कार्य अंजाम दिया उसके कार