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Showing posts from November, 2021

Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

धोखा!

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धोखा देनाा जंग में आम बात है, धोखा तब भी दिया जाता है जब इंसान के दिल में किसी व्यक्ति समाज या समूह से बेइन्ताहा नफ़रत हो और उससे बदला ना लिया जा सकता हो इस्लाम से जो लोग हार गए वह इस्लाम को हराने के लिए जिस हथियार का इस्तेमाल किया गया वह हथियार था मुनाफकत या पाखंड अगर किसी को पाखंडी कह दो तो इतना बुरा नहीं लगेगा जितना मुनाफिक कहने से लगता है लेकिन पाखंडी या मुनाफ़िक़ लोग खुद को कहते हैं और उस पर फक्र भी करते हैं और कहते हैं कि मैं सेकुलर हूँ। इस्लाम से हार के बाद ईसाईयत ने मुसलमानों को टुकड़े टुकड़े करने और उनके पास होने वाली रिसोर्सेज या वसाएल को छिनना था। पहला काम मुस्लिमों को टुकडे टुकडे या फिरको में बांटा कैसे जाए इसके लिए ईसाई या इस्लाम विरोधी ताकतो को ऐसे उलमा की ज़रूरत थी जो उनका काम कर सके जो मुसलमानों में इखतेलाफ पैदा कर सके और टुकड़ों मे बांटा। उनके मकासिद को उलमा ने पूरा किया और जो इखतेलाफ था उसको मंचो से तकसीम करके, मुस्लिमो को तकसीम कर दिया। दूसरा बडा काम उनसे दुनिया भर में जिस रिसोर्सेस पर मुसलमान कब्जा था उनको उससे छीनना था उ

शरणार्थी

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शरणार्थी /पनाह्गुज़िन /refugee जो मुसिबतज़दा अपने मुल्क से पनाह लेने के लिये दूसरे मुल्क पहुंचते है मगर दूसरे मुल्कवाला अगर उस्के religion का न हुवा तो क्या फ़र्क़ पड़ता है जानिये, तिब्बत शरणार्थी और रोहिन्ग्या शरणार्थी तिब्बती शरणार्थी बौध धर्म से है और indian government one china की policy को recognise करती है इसका मतलब तिब्बत china का अभिन्न अंग है इसके बाद तिब्बती शरणार्थी को वापस भेजने की बात नहीं होती ,u.n. o. me india signatory होने के नाते पनाह्गुज़िन को रखने के लिए बाध्य है इसके बाद ये देखते है किस तरह बद्नाम किया जाता है दूसरी ओर afghanistan के शरणार्थी को देखा जो pakistan और iran मे 20 -20ॣ लाख शरणार्थी को पनाह दी ,syria के शरणार्थी को तुर्की ने शरण दी मगर european countries ने अपने darwaze कैसे बन्द किया था सब जान्ते है, फिलिस्तीनी शरणार्थी को देखा जो jordan ,syria और lebnon मे शरण लिया ,bangldesh ने rohinngaya शरणार्थी को पनाह दी, धर्म और mazha

राग एवं द्वेष

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मंत्री के शपथ दिलाते समय भय व पक्षपात के बिना व राग व द्वेष से रहित होकर काम करेंगे। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वास्तव में राग /अनुराग /लगाव या द्वेष /जलन /ईर्ष्या से कार्य करते हैं या नहीं। आइये देखते हैं केन्द्रीय मंत्री जयन्त सिन्हा ने कातिल खूनी के आरोपित को ज़मानत पर माल्यार्पण किया यहां एक पक्ष के साथ राग और एक पक्ष के प्रति द्वेष दिख रहा बल्कि उसका खुल्लम खुल्ला प्रचार किया गया। यह काम किसी मज़दूर अनपढ़ जाहिल ने नहीं किया जिसे नज़र अन्दाज़ किया जा सका यह कार्य सुशिक्षित संभ्रान्त और इसके साथ केन्द्रीय मंत्री जिसने संविधान में दिये गए शपथ लिया उस शपथ में राग व द्वेष से रहित होकर काम करने की शपथ लेकिन काम राग व द्वेष से किया गया। अब आगे मुस्लिम व अरबी नाम के प्रसिद्ध स्थानो को बदलना राग व द्वेष की भावना से किया गया कार्य है। राग इसलिए कि वर्ग विशेष अर्थात बहुसंख्यक वर्ग को तुष्टीकरण करने व मुसलिम अल्पसंख्यक को हतोत्साहित करने के लिए द्वेष का कार्य किया गया अब तक यदि गुलामी के

यजीद लानत उल्लाह!

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अक्सर यजीद के पैरोकार आ जाते हैं पैरोंकारी रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से मुखालफत है कभी उसको दो शहज़ादो की जंग करार देकर बचाव करते हैं कभी अन्य तरीकों से। सबसे पहले जो लोग खुलफा-ए-राशिदीन को मानते हैं और हज़रत अली को खलीफा मानते हैं उन्हें यह भी जानना चाहिए कि हजरत अली ने माबिया को इकतेदार से बरतरफ कर दिया और जब बरतरफ /हटा दिया तो बाग़ी हो गया, जब वह बाग़ी हो गया तो उसकी औलाद भी बाग़ी हो गई यानी यज़ीद बाग़ी इब्ने बाग़ी हुआ। क़ुरान मजीद में यज़ीद के बारे मे जो नाज़िल हुआ है " सूरे इस्राइल आयत नं. 82 यज़ीदुज़़ज़ालमीन इल्लाा खसारा " अल्लाह रब्बुुुल इज्जत ने इस आयत मेंंं तमाम जालिमों को इकट्ठा करते हुए यज़ीद को मुुख्य जालिम करार दिया यज़़ीद जालिमों में से है और सिर्फ घाटा उठाने वालों में है। अब इसके बाद ज़ालिमोो पर होनेे वालेे आज़ाब के बारे में जहां जहां पर कुरान मजीद में उल्लेेेख किया गया वहां से समझा जा सकता है। सुरे दहर 76 आयत नं. 31 और ज़ालिमो के वास्ते उसने दर्दनाक आज़ाब तैयार कर रखा है

मूर्ति पूजा और बाइबिल

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अक्सर जो इस्लाम को नहीं मानते वो कुरान मजीद की आयतो का विरोध करते हैं मुसलमान किसी भी धार्मिक किताबों का विरोध नहीं करते हैं। आइये देखते हैं कि जिस ईसाईयत के प्रभाव में दूसरे धर्म के लोग आ गयें है उस ईसाईयत की धार्मिक पुस्तक बाइबल के बारे मे कया कहती है : यशायाह 42:8मै यहोवा हूं, मेरा नाम यही हैं अपनी महिमा मै दूसरे को न दूंगा, और जो स्तुति मेेेेरे योग्य है वह खुदी हुई मूर्तियों कोो ना दूंगा। यिर्मयाह 10:14,15,: सब मनुष्य पशु -सरीखे रहित खोदी हुई मूरतो के कारण सब सुुुुनारो की आशा टूूूू टूटती क्योंकि उनकी ढाली हुई मूरते झूठी है, और उनमे सांस ही नहीं है। वे व्यरथ और ठटठे के योग्य हैः जब उनके दण्ड का समय आएगा तब वे नाश हो जाएगी। मूरतियों से अपने आप को बचाए रखो 1 युुुहन्ना 5:21 रोमियो 1:24,25ःप्ररितो 17:16,17 मूर्ति पूजा शैतान -पूजा है - 1कुरिनदियों 10:14,20 प्रकाशितवाक्य 9:20 निर्गमन 20:5 तू उनको दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना ,क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर जलन रखने वाला ईश्वर हू ं,और जो मुझ से बैर रखता है, उनके बेटो, पोतो और परपोतो को भी पितरो का दण्ड दिया करता हू

महबूबा मुफ्ती और सेना पर एफ. आई. आर.

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> जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के द्वारा फरवरी 2018 में सिविलियन मर्डर पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी हमारी एक अधिवक्ता महोदय जिन का परिवार सेना से जुड़ा हुआ है के द्वारा मुझसे सवाल किए गए हैं कि यह बताओ कि अब आर्मी का क्या होगा महबूबा ने सेना पर एफआईआर कर दी है यही सवाल साथी बुज़ुर्ग अधिवक्ता सेे किया जिस पर वह नारााााज़ होकर कहने लगे कि महबूबा क्रेक हो गयी है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था अब मैने अपने साथी अधिवक्ता को जवाब देने के बजाय उनसे सवाल पूछा कि क्या वह Armed Forces special powers act 1958 जिसे अफसपा कहते हैं उसे जानते हैं कि नहीं। उन्होंने कहाा हांं जानता हूं फिर आपको मालूम होना चाहिक कि सेना को भारत सरकार ने अशांत क्षेत्रों में किस प्रकार की विशेष शक्तियां प्रदान की है और सेना का कैसे संरक्षण किया है। इस एफ. आई. आर. का कुछ नहीं होगा, quash की जाएगी और रद्दी की टोकरी में डाल दी जाएगी। बात बात पर इसी कानून और मणिपुर राज्य की इरोम चानू शर्मीला के भूख हड़ताल के बारे में बात होने लगी कि कई सालो से हड़ताल के बाद भी भारत सरकार ने इ

विरोध!

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कभी-कभी ऐसे व्यक्ति भी मिल जाते हैं जो अपने को स्पेशल मुसलमान कहते हैं नई नई रिफॉर्म होनेे वाली मजहब के सक्रििय कार्यकर्ता है वह अल्लााह को इस तरह मानते हैं की हर चीज की तुलना अल्लााह से करते है जबकि खालिक और मखलूक की तुलना का कोई जवाज या बराबरी ही नहीं। बात पर टिप्पणी या तनकीद करते हुए कहा जाता है या मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वाले वसल्लम या अली या हुसैन आदि ना कहा करें। इस बात की तनकीद सुनने के बाद दिल में आया कि लोग यह बताते हुए नहीं थकते कि क़ुरान मजीद में हर खुशक और तर का जिक्र है ,आइए देखते हैं कि नबी अलैहिस्सलातो वससलाम और उनकी आल पाक के लिए या का इस्तेमाल किया जाना सही है या गलत है। सुरे यासीन आयत नं 60 में या बनी आदम का ज़िक्र है। यासीन में ही नबी करीम सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम को यासीन कहकर संबोधित किया गया। सुरे मुज़म्मिल (73)आयत नं. 1 या ऐइयुहल मुज़म्मिलो (ऐ चादर लिपटने वालो) सूरे मुदस्सिर (74) या ऐइयुहल मुदस्सिर से संबोधित किया गया। इससे पता चलता है कि या मोहम्मद सल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम, या अली, या हसन, या हुसैन कहा जाना बरहक़ है और क़ुरान मजीद के

आतंकवाद का जनक : ब्रिटेन और अमेरिका

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ब्रिटेन और अमेरिका आतंकवाद के जनक है अगर इस पर दलील न दी जाए तो बेकार है, दलील ज़रूरी है और दलील यह रही :- द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन में यहूदी नस्ल के ईसाईयों द्वारा कत्ले आम का बहाना बना कर यहूदीयों को वकती तौर पर फिलस्तीन की सरज़मीन पर ब्रिटेन के द्वारा लाया गया उस समय फिलस्तीन पर ब्रिटेन के नाजायज़ कब्ज़ा था। शरणार्थी के रुप में यहूदी फिलस्तीन में रहे और ब्रिटेन ने फिलस्तीनीयों को आश्वस्त किया कि जंग के बाद यहूदियों को फिलस्तीन से निकाल लेंगे। मक्कार और षडयन्त्रकारी ब्रिटेन पर फिलस्तीन को यकीन करना और आश्वसत होना न केवल फिलस्तीन के लिए बल्कि सम्पूर्ण मुस्लिम जगत के लिए धोखा और हानिकारक साबित हुआ। ब्रिटेन की मक्कारी और षडयंत्र को अमली जामा पहुंचाने के लिए जिस हथियार का उपयोग ब्रिटेन ने किया वह हथियार आतंकवाद /terrorism /दहशतगरदी थी अब ब्रिटेन ने यहूदियों को आधुनिकतम हथियार उपलब्ध कराए और फिलस्तीन पर यहूदियों का नाजायज़ कब्ज़ा कराया। नाजायज़ कब्ज़ा कराने के बाद उसको जायज़ भी बनाना था।

हिरासत में कत्ल!

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हिरासत में होने वाली कत्ल का संरक्षण सरकार के द्बारा किया जाना या कत्ल आरोपीयो को बचाना लोक तन्त्र् को कलंकित करता है, कत्ल के बाद आरोपी पुलििस कर्मी को वक्ती तौर पर सस्पैंड कर देना उसके बाद बहाल कर देना, न तो न्यााय है और न जनता को ही न्यााय दिखता है वक्त के साथ जनता अपने को छला हुआ या धोखा खाया हुआ पाती है। पुलिस विभाग के द्वारा कत्ल अगर इसी तरह किया जाता रहेगा तो किसी कातिल की ज़रुरत नहीं पड़ती। यह कत्ल किसी भी विरोधी पार्टी के द्वारा पुलिस को किसी लालच रिश्वत, लाभ, या निजी स्वार्थ के बदले में करकराया जाता रहेगा। देश का नेतृत्व करने वाली सरकारे यह जानते हुए कि हिरासत में कत्ल किये जा रहे हैं इस पर पुलिस की जवाबदेही का कोई कानून न बनाया जाना इस तथ्य की पुष्टि करता है कि सरकार ऐसे कानून को बनाना ही नहीं चाहती। न्यायपालिका जो suo moto से स्वप्रेरणा से कार्य वाही कर सकता है लेकिन अभी तक स्वप्रेरणा से कोई मामला न्यायालय द्वारा संज्ञान में लिया गया हो। सेवानिवृत्त जज के द्वारा द्वारा बनाई गई अधिकतर जांच आयोग ने पुलिसकर्मी को बेदाग़ करा

जज साहब की पिटाई!

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गुजरात में मजिस््ट्रेट को शराब शराब पिलाकर और हथकड़ी लगाकर पुलिस नेेेेे जो कार्य किया था उसकी भर्त्सना ज्यूडिशरीी ने की इसके साथ ही पूरे विश्वव नी इस घटना कीी भर्त्सना की पुलिस को जवाब देेेे बनाने के लिए तब भी कोई कानून नहीं बना था और ना आज बना है अगर सच्चाई कहीं जाए तो ना संसद में और ना विधानसभा में इस गंभीर मुद्दे पर कोई प्रश्न उठाया गया और ना चर्चा की गई अब गंभीर खबर बिहार से हैं पुलिस ने न्यायपालिका पर हमला बोल दिया जज साहब मधुबनी जिले के झंझारपुर अनुमंडल कोर्ट परिसर 1811 2021 को घोघरडीहा थाना अध्यक्ष ने जज साहब के चेंबर में घुसकर हमला कर दिया इस दौरान थाना अध्यक्ष ने जज साहब पर पिस्तौल तान दिया और गाली गलौज करते हुए जज साहब की पिटाई की गई भारत के न्यू इंडिया बनने के बाद इस तरह का हमला यह बता रहा है कि पुलिस तंत्र अब न्यायपालिका पर हावी हो जाएगा जजमेंट पर भी इसका अच्छा खासा असर दिखेगा न्यायपालिका को पुलिस तंत्र की प्रभाव में काम करना पड़ेगा न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से काम करने में अपने को अछम महसूस करेगी जब तक पुलिस के गैर कानूनी कार्रवाई यों के विरुद्ध जवाबदेही कानून नहीं बने

अली असगर!

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हज़रत अली असगर वो नन्हा मुजाहिद जो अभी घुटनों के बल /सहारे भी नहीं चला था उसने मैदान करबला में किन लोगों को उजागर कर दिया। शीरख्वार (दूध पीने वाला ) बच्चा ने क्या ऐसा किया कि दुश्मनों को रोने पर मजबूर कर दिया। नन्हें मुजाहिद ने मुनाफिको के भेष में काफिर को कैसे बेनका किया। सबसे पहले हम एक आयत जिसे आप लोगों ने भी बहुत पढा है और लोगों को भी बहुत सुनाई जाती है। मुसलमान अक्सर इस आयत को गैर मुस्लिमो को भी सुनने है और मुसलमानों को भी सुनाते है। "मन कत्ला नफसन बेगैर निसिन अव फसादिन फिर अर्ज फक अन्नमा कत्लाननास जमीअन व मन अहयहा फकअन्नमा अहयहा फकअन्नमा अह्न नासा जमीआ सूरा माएदा (5) आयत न. 32 जिसने किसी इंसान को खून के बदले या ज़मीन में फसाद फैलाने के सिवा किसी और वजह से कत्ल किया तो (वो ऐसा है) जैसे उसने तमाम /समस्त इंसानो का कत्ल कर दिया और जिसने किसी को ज़िन्दगी बख्शी उसने जैसे तमाम इंसानो को ज़िन्दगी बख्शी। क़ुरान मजीद की इस आयत में खून के बदले यानी कत्ल किया हो या वो फसाद फैलाने के अला

राजधर्म

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राजधर्म है क्या, राज्य का परम धर्म अपने नागरिको की सुरक्षा करना है, कयोंकि राज अपने नागरिको को निहत्था करती है और उसकी सुरक्षा की गारंटी स्वयं लेती है यदि कोई राज्य अपने नागरिको की सुरक्षा करने में चूक करती है वह चाहे लापरवाही से या जानबूझकर की गई हो या राजनीतिज्ञ लाभ के लिए हो, सुरक्षा न प्रदान करना राज्य के असफल होने की ओर इंगित करता है। तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र दमोदर मोदी को दौरान गुजरात मुसलमानों के नरसंहार पर नसीहत दी कि वह "राजधर्म का पालन करें " जो व्यक्ति यह नसीहत दे रहा था कि राज धर्म का पालन करें वह कोई आम आदमी नहीं उस समय प्रधानमंत्री थे कोई उनसे यह पूछ सकता था कि अगर तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री राज धर्म का पालन नहीं कर रहे थे तो आप भी राज धर्म का कौन -सा पालन कर रहे थे। कश्मीर में पंडितो का पलायन हो या लाखो मुसलमानों का कत्ल हो या सिकखो का कत्ल आम हो या ईसाईयों का कत्ल हो इसकी सुरक्षा देने में पूर्णतया असफल साबित हुआ। /i>

कादियानी से वार्ता

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गोश्त की दुकान पर गोश्त खरीदने गया था गोश्तवाले की दुकान पर एक व्यक्ति आया मैं अखबार पढ रहा था इसी बीच उस शख्स ने इंसान के पूर्वज को बन्दर होना बताया और इसके समर्थन में डार्विन की थ्योरी को बताया और उसका समर्थन किया, मै उसी दुकान पर बैठा सुन रहा था, और उससे मैने कहा यह बात सही हो सकती है कि आप के बाप दादा बन्दर हो मगर मैं जिस रब को मानता हूं उसने हमे बताया कि हमारे पूर्वज हज़रत आदम अलैहिस्सलाम है सो मैं तो हज़रत आदम की नस्ल से हूं और आप डार्विन के सिद्वांत के अनुसार अगर बन्दर की नस्ल से है तो हमें कोई एतराज़ नहीं है। उसके बाद वह शख्स एक दम चुप हो गया। गोश्त वाले ने बताया कि यह रोज़ ऐसे ही परेशान करता है आज इस कादियानी को सही जवाब मिला। /i>

S. M. A. Rizvi Advocate

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Chamber of Mohammad Naseem Ad.

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