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Showing posts from August, 2022

Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

कुर्बानी

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कुर्बानी :   एक मित्र ने लिखा क्या कुर्बानी किसी जानवर की देनी जरूरी है दर्द होता है सभी को  1. क्या सब्जी की कुर्बानी नहीं दी  जा सकती है ?  पहले सवाल का जवाब किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है इसमे कुछ शर्ते  है और हलाल जानवर की कुर्बानी दी जा सकती है ऊंट बकरा भैंसा  आदि पर कुर्बानी दी जा सकती है ।  दूसरी बात दूसरे धर्म के लोग मुसलमानों  को निशाना बनाने के लिए ही ऐसी बात करते है ।  1. पशुपति नाथ मंदिर मे बलि  दी जाती है तो वहाँ पर जानवर कटने  पर दर्द नहीं होता ।  2. कामाख्या देवी मंदिर (आसाम ) मे दी जाने वाली बलि  मे दर्द नहीं होता ।  3. तपेश्वरी देवी मंदिर मे  दी जाने वाली बलि  मे क्या दर्द नहीं होता क्या यहाँ पर महिष की बलि  के स्थान पर सब्जी के रूप मे महिष बनाकर बलि  नहीं दी जा सकती लेकिन आप चाहे जिस की बलि  दे हमे कोई एतराज नहीं ।  4. उन्हे भी कुर्बानी से एतराज़  है जिनके यहाँ नर बलि  दी जाती और इंसानों की बलि  देते आए है ।  5. क्या जानवरों की कुर्बानी का विरोध करने वाले बता सकते है कि दुनिया भर मे कुर्बानी का एक दिन है बाकि  दिन दुनिया मे कुर्बानी नहीं है फिर भी लाखों लाख

Multiplier in road accident

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स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?

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स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ? *पहला अंतर* 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है। जबकि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है। *दूसरा अंतर* 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं। जबकि 26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं

खतना

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 खतना की शुरुवात( आरम्भ) कहाँ से हुआ , क्या खतना कराना सिर्फ मुसलमानो मे है या और मज़हब मानने वालो मे है क्या नस्ल हज़रत इब्राहीम ही खतना कराती है ऐसे ही कुछ सवाल मुसलमानो और गैर मुस्लिम लोगो के ज़ेहन मे आता है कुछ हिन्दू भी ऐसा समझते है कि खतना केवल मुसलमानो मे होता है आइये देखते है आसमानी किताब तौरेत के अध्याय उत्पत्ति (GENESIS) 17:9 से 14 " फिर परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा , तू भी मेरे साथ बांधी हुई वाचा  का पालन करना; तू और तेरे पश्चात तेरा वंश भी अपनी अपनी  पीढ़ी मे उसका पालन करे । मेरे साथ बांधी हुई वाचा , जो तुझे और तेरे पश्चात  तेरे  वंश को  पालनी पड़ेगी , सो यह है ,कि तुम मे से एक एक पुरुष का खतना हो । तुम अपनी अपनी खलड़ी का खतना करा लेना ; जो वाचा मेरे और तुम्हारे बीच मे है ,उसका यही चिन्ह होगा । पीढ़ी पीढ़ी मे केवल तेरे वंश  ही के लोग  नही पर जो तेरे घर मे उत्पन्न हो,वा परदेशियों को रूपा देकर मोल लिए जाएँ, ऐसे सब पुरुष भी जब आठ दिन के हो जाएँ , तब उनका खतना किया जाये । जो तेरे घर मे उत्पन्न हो , अथवा तेरे रुपे  से मोल लिया जाये , उसका खतना अवश्य ही किया जाये ; सो मेरी वाचा जिसका

कर्बला के 72 शहीद

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 कर्बला के 72 शहीद  1 हज़रत इमाम हुसैन बिन अली  2 हज़रत अब्बास बिन अली  3 हज़रत अली अकबर बिन हुसैन  4 हज़रत अली असगर बिन हुसैन  5 हज़रत अब्दुल्लाह बिन अली  6 हज़रत जफ़र बिन अली  7 हज़रत उस्मान बिन अली  8 हज़रत अबू बक्र बिन अली  9 हज़रत अबू बक्र बिन हसन बिन अली  10 हज़रत कासिम बिन हसन बिन अली  11 हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन  12 हज़रत औन बिन अब्दुल्लाह बिन जाफ़री  13 हज़रत मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन जाफ़री  14 हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम बिन अकील  15 हज़रत मुहम्मद बिन मुस्लिम  16 हज़रत मुहम्मद बिन सईद बिन अकील  17 हज़रत अब्दुल रहमान बिन अकील  18 हज़रत जफ़र बिन अकील  19 हज़रत हबीब इब्न मज़ाहिर असदिक  20 हज़रत अनस बिन हरीथ असदी  21 हज़रत मुस्लिम बिन औसजा असदी  22 हज़रत क़ैस बिन अशर असदी।  23 हज़रत अबू समामा बिन अब्दुल्लाह  24 हज़रत बरिर हमदानी  25 हज़रत हंजाला बिन असदी  26 हज़रत अब्बास शकरी  27 हज़रत अब्दुल रहमान रहबी  28 हज़रत सैफ़ बिन हरीथ  29 हज़रत अमीर बिन अब्दुल्लाह हमदानी।  30 हज़रत जुंदा बिन हरीथ  31 हज़रत शुज़ाब बिन अब्दुल्लाह  32 हज़रत नफ़ी बिन हलाल  33 हज़रत हज्जाज बिन मसरोक मुअज़्