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Showing posts from 2022

Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

जमादिल आखिर /JAMADIL AKHIR

*AMAAL OF MAHE J.AKHAR* *SAYYAD IBNE TAOOS*ne nakl kiya hy k iss maah me jis waqt bhi chahe 4rakat nmz... 2-2 rakt kr k baja laye k *Pehli 2 rakt* 1 rakt me *SURA E AL HUMD*k baad Ek martaba *AYTAL KURSI* N 25 martaba *SURA E QADR* 2nd rakt me *SURA E AL HUMD*k baad 1 martaba *SURA E TAKASUR* n 25 martaba *SURA E TAUHID* *DUSARI 2 rakat* 1st rakt me *SURA E AL HAMD*k baad 25 martaba *SURA E KAFIROON* n *SURA E FALAQ* 2nd rakat me *SURA E AL HAMD* k baad 1 martaba *SURA E NASR* n 25 martaba *SURA E NAAS* *TASBHIH E ZAHRA S .A* Fir 70 tymz *SUBHAANALLAHE WAL HUMDOLILLAHE WALA ILAAH ILALLAHO WALLAHO AKBAR* 70 tymz *SALWAAT* 3 tymz ALLAHUM'MAGFIR LIL MOMEMEEN WAL MOMEMAANT* Fir sajade me jaa kr 3 tymz YA HAYYO YA QAYYUMO YA ZAL JALALE WAL IKRAAME YA ALLAHO YA RAHMAANO YA RAHEEMO YA ARHAMAR RAHEMEEN* Iss k baad khuda se apni hajat talab kre .... Jo shakhs bhi ye amaal kre ..HAQ TA'ALA aainda saal tak uss ko uss k maal uss k ahele khandaan aur uss ki aulaad ko

मुस्लिम हुक़्मरान

बाते क़ुरान और हदीस की करते हैं दुनिया के तमाम मुस्लिम हुक़्मरान मगर सूद के कारोबार मे सहयोगी है ये हुक़्मरान पसंद आता है इनको भी शैतानी निज़ाम करते है समर्थन इबलीस का अक़्वामे मुततहिदा मे हर इबलीस के दफ़्तर मे इनका भी हिस्सा है मगर बात करने को मजबूर है निज़ामे मुस्तफा का पसंद इनको हर फ़ेल है इबलीस का डर इनको हमेशा रहता है खसारा वोट का बाते सूद के खिलाफ की मगर दिलचस्पी एफ़.डी. के interest मे भी

जजो की फ़टकार

जजो को पुलिस अधिकारीयो व पुलिसकर्मी को फ़टकार लगाते सैकड़ों बार देखा गया है कभी किसी पुलिस अधिकारी पर सख्त action लेते नही दिखा जबकि पुलिस अधिकारी व कर्मी कानून के जानकार है और उनके द्वारा किया गया कार्य सिर्फ़ और सिर्फ़ निजि लाभ के लिये या सत्ता के द्वारा promotion की लालच मे किया जाता है कानून के साथ खेले जाने वाले अपराध के लिये सिर्फ़ और सिर्फ़ फ़टकार और लगातार फ़टकार न्याय के साथ मज़ाक है और अपराध पर सज़ा देने के बजाय उसको फ़टकार देना उसको अपराध को करने के लिये प्रोत्साहन देना है और जनता के गुस्से रोष को ठंडा करने का प्रयास है और न्यायालय की गरिमा को बढ़ाना है|

consumer court fees

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ईरान मे प्रदर्शन

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भाई साहब ईरान मे होने वाले प्रदर्शन का क्या हश्र होगा जहाँ तक मेरी राय है वही हश्र होगा जैसा फ़िलहाल आई एस आई एस के साथ ईरान ने किया और अगर ये हश्र समझ मे न आये तो आयतुल्लाह खुमैनी ने जो हश्र रज़ा शाह पहलवी और उसके अमले का किया था वही होगा और अगर ये भी समझ मे न आये तो अमेरिका के ग्लोबल हाक़ जैसे drone को ईरान के द्वारा मार गिराने के बाद भी अमेरिका ने कुछ नही किया और क़ासिम सुलेमानी के क़त्लेआम के बाद ईरान ने इराक़ मे अमेरिकी अड्डे पर हमले के बाद भी ईरान पर कोई जवाबी कार्यवाही नही की क्यों कि अमेरिका को पता है कि ये बिक्ने वाले लोग नही है अमेरिकीयो का क़त्ल करने को तैयार हैं ये अफ़्गानिस्तान इराक़ और पाकिस्तान नही है ईरान मे आक्रमण करने के बाद जो लाशे ले जाओगे वो अलग हमेशा की खूनी दुश्मनी सदियों तक रहेगी, अब जो अमेरिका के धोखे मे आ गए उन मे 14000 लोगो को सज़ा ए मौत की तलवार लटक रही हैं

Raurkela Distt. Court odisha

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इस्लाम मे माता -पिता का हक़

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इस्लाम मे माता पिता के हक के बारे मे बताया गया है कि अगर माँ बाप (वालदैन) जालिम भी हो और तुम पर ज़ुल्म भी करे तो तुम “उफ़ “ भी न कहो । अगर तुम्हारे माँ बाप काफिर हो और तुम्हें कोई हुक्म दे तो उसे बजा लाओ (यानी पूरा करो ) सिर्फ इस्लाम को छोड़ने की बात की पैरवी न करो । माँ बाप की जरूरतों को उनके कहने से पहले पूरा कर दो । माँ बाप की नाराज़गी मे तुम्हारी जहन्नम है । क्या माँ बाप का हक अदा किया जा सकता है ? माँ बाप का हक़ किसी भी कीमत पर अदा नहीं किया जा सकता है ।

फ्रांस जर्मनी का मानवाधिकार का ढोंग !

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दुनिया भर मे अमेरिकी और पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ बोलने वाले देश मे किसी प्रकार के परदर्शनों मे इन पश्चिमी देशों के द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन को ज़ोर शोर से उठाते है जैसे यह मानव के अधिकारों के प्रति बहुत सजग हो और अमेरिका मे या अन्य किसी समर्थक देशो मे होने वाले मानवाधिकार और घोर मानवाधिकार उल्लंघन पर मौन रहते है जैसे कुछ हुआ ही नहीं । हाल ही मे ईरान मे होने वाले पर्दरशनों पर अपनी पुरानी दुश्मनी को भुनाते हुए और मानवाधिकार उल्लंघन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने वाले देश मानवाधिकार का हितैषी बन कर ईरान का विरोध करना शुरू कर दिया । अब हाल ही मे फ्रांस और जर्मनी मे महंगाई के खिलाफ होने वाले परदर्शन पर सम्बन्धित देशों की पुलिस द्वारा की जाने वाली बर्बरता और सख्त कार्यवाही की जो तस्वीरे आ रही है उन तस्वीरों से फ्रांस जर्मनी की मानवाधिकार उल्लंघन पर की जाने वाली टिप्पणी और ढोंग का खुलासा हो चुका है । मानवाधिकार उल्लंघन फ्रांस जर्मनी और पश्चिमी देशों द्वारा अपने विरोधी देशों पर दबाव बनाने के लिए “हथियार के रूप मे “ इस्तेमाल किया जा रहा है वास्तव मे मानवाधिकार का इन बर्बर देशों

अमेरिकी और पाकिस्तानी आतंकवाद का गठजोड़

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अमेरिकी आतंकवाद की शुरुवात हिरोशिमा और नागासाकी शहरों जो जापान के शहर है उस पर परमाणु बम से हमले से हुई थी इसके बाद वियतनाम पर अमेरिकी आतंकवाद को दुनिया मे देखा गया ,पनामा पर अमेरिकी आतंकवाद के पश्चात अफगानिस्तान पर अमेरिकी आतंकवाद की शुरुवात की गयी इस आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सऊदी अरब और पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया उस समय अमेरिका की पुश्तपनाही पर पाकिस्तान के द्वारा आतंकवादी तैयार किए जाते थे हथियार और आतंकवादीयों को प्रशिक्षण अमेरिका देता था और सोवियत संघ से लड़ने के लिए अफगानिस्तान भेजा गया अमेरिकी आतंकवाद को धार्मिक या मज़हबी रंग देने के लिए उस वक़्त के अमेरिकी आतंकवाद को अमेरिकी आतंकवाद नहीं कहा जाता था उसे पूरी दुनिया के मीडिया के द्वारा “जेहाद “ कहा जाने लगा और लड़ने वाले लोगों को मुजाहिदीन कहा जाता था। मुसलमान लड़ रहे थे वो भी उस जेहाद के लिए जो “अमेरिकी आतंकवादी जेहाद “ था । अमेरिकी आतंकवाद की बड़ी फौज तैयार करने के बाद अमेरिकी उद्देश्य न पूरे होने के कारण 11 सितम्बर 2001 मे वर्ल्ड ट्रैड सेंटर पर हमला किया गया जिसका बहाना लेकर अफगानिस्तान पर हमला किया गया । अफगानिस्त

विधवा विवाह

आज से 1400 साल पहले इस्लाम मे विधवा विवाह को आरम्भ किया और तलाक़शुदा महिलाओ का भी दोबारा विवाह की शरुवात की गयी इससे पहले दुनिया की तमाम सभ्य व असभ्य (मोहिज़्जिब और गैर मोहिज़्जिब) लोगों मे महिलाओ के साथ क्या सुलूक किया जाता था किसी कारण अगर महिला का पति की मौत हो जाती थी तो उस महिला को अशुभ मानते थे उसके बाल का मुंडन कर दिया जाता था दूसरा विवाह करना वर्जित था ऐसी महिला का तिरस्कार किया जाता था समाज मे उसके जीने के लिए कोई अधिकार नहीं था कुछ इलाकों के लोग पति के साथ ही जिंदा उसकी पत्नी को भी चिता मे जला देते थे। जब जीने का अधिकार नहीं देते थे तो संपत्ति का अधिकार कहाँ से देते। इसके साथ ही तलाक़शुदा महिलाओ की भी स्थिति बदतर थी । विभिन्न धर्मों मे जहां विधवा विवाह वर्जित था उन धर्मों के मानने वाले लोगों ने भी इस्लाम के इस नैसर्गिक कानून (natural law) को मानने को बाध्य हुए है और सैकड़ों वर्षों बाद इस्लाम के इस कानून को अपनी खुशी और अपने संतानों की खुशी के लिए विधवा विवाह और तलाक़शुदा का पुनर्विवाह को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस्लाम को जो नहीं भी मानते थे और वो जो इस्लाम का विरोध करते थे वो भी

छूआछूत

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  आपस मे बैठे हुए वार्तालाप के दौरान ,सम्मानीय साथियों ने सवाल किया जिसमे उन्होंने आरोप लगाया कि छूआछूत जो फैला है उसकी देंन मुग़ल बादशाह है । सनातन धर्म मे चार वर्णों का जो उल्लेख किया गया है उसमे 1. ब्राहमण 2. क्षत्रिय 3. वैश्य 4. शूद्र का उल्लेख किया गया है यह तो मुसलमानों या मुग़लों की देंन नहीं है यह तो शास्त्रों से है । राम चरित्र मानस की इस चौपाई “ढोल गंवार शूद्र पशु और नारी सकल ताड़ना के अधिकारी “ यह चौपाई तो मुसलमानों ने नहीं बनाई । आइए जानते है इस्लाम मे इंसान की उत्पत्ति हज़रत आदम अलैहिससलाम से है इसलिए कुल इंसान (बनी नव इंसान) आदम की औलाद है इसलिए अगर वो एक धर्म या मजहब के न भी हो तब भी एक आदम की नस्ल होने के कारण भाई है। इस्लाम ने छूआछूत को खत्म किया । इस्लाम से नफरत करने वाले भी चाहे किसी तरह भी इस्लाम के बराबरी के कानून को मानने के लिए मजबूर हो गए । भले ही दिल से न माना हो मगर दिमाग से मानने के लिए कानूनन मजबूर कर दिया । आजादी के बाद हम देखते है कि छूआछूत अपराध अधिनियम 1955 ( untouchability offences act 1955 ) को बनाकर इस्लाम की समानता के कानून को मानने के लिए बाध्य कर

शैतानी ताकते

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  शैतान तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है जब हम लोग हज़रत आदम अलैहिससलाम के बारे मे पढ़ते है तो गेंहू के पौधे के पास जाने से अल्लाह ने मना किया वहाँ पर जाने पर आपका जन्नती लिबास उतर गया अब शैतान के कारनामे मे इंसान को नंगा करना । एक हुक्म अल्लाह का है और एक हुक्म शैतान का है । अल्लाह के हुक्म पर आपको पर्दा ,इज़्ज़त ,नशे से दूर ,अच्छाईयों की तरफ ले जाता है । जबकि शैतान के हुक्म पर नंगे हो जाना , बेशर्मी ,बेहयाई ,नशावरी , और तमाम बुराई की ओर ले जाता है । शैतान के पैरोकार मुस्लिमों ईसाई यहूदी हिन्दुओ मे से किसी भी धर्म किसी भी संप्रदाय किसी भी वर्ग से हो सकता है बस करना है शैतान की पैरवी । उदाहरण के लिए दो मजहब यहूदी और ईसाई जिसमे परदे का जोर है यहाँ तक कि यहूदी और ईसाई किताबों मे बीबी मरियम सलामउल्लाह अलैह के पर्दे का उल्लेख किया गया है । मगर शैतान की पैरवी करने के लिए यहूदी और ईसाई अल्लाह को मानने के बाद भी फहश और नंगे पन को न केवल अख्तियार किया बल्कि उसका प्रचार और प्रसार करना भी शुरू किया । इसमे इस्लाम की शिक्षाओ के विरोध के कारण ,न केवल अपनी माँ ,बहन ,बेटी को नंगा कर दिया और उस पर इंतेहा

दुजैल का ट्रायल ही क्यों ?

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  मसलकी नफरत मे मुसलमान इतना गिरफतार है कि वह अपनी अक्ल की सालाहीयत खो चुका है और उसका कार्य एक अज्ञानी (जाहिल/ ignorant ) की तरह का हो गया। जिस सद्दाम हुसैन को अमेरिका और उसके साथी पश्चिमी देशों और सऊदी अरब ने ईरान के खिलाफ काम करने मे इस्तेमाल किया था और जिस दौरान इराक - ईरान युद्ध (1980-1988)चल रहा था उसी दौरान इराक के एक गाँव दुजैल मे सद्दाम पर हमला होता है और उसके बदले मे इराक़ी शियों का कत्ले आम किया जाता है यह बात है सन 1982 ईसवी की ।   अमेरिका उस समय इराक के शासक सद्दाम हुसैन का बडा समर्थक और दोस्त बना हुआ था लेकिन उस दोस्ती मे भी दगा के निशान अमेरिका के पास थे कत्लेआम का वीडियो अमेरिका के पास था अमेरिका और पश्चिमी देशो को अपना उद्देश्य पूरा कराना था । 2 अगस्त 1990 मे इराक ने कुवैत पर आक्रमण करके उस पर कब्जा कर लिया । खाड़ी युद्ध मे सीज़ फायर (युद्ध विराम) के बाद कुवैत को आज़ाद करा लिया गया। उसके बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने इराक पर आरोप लगाना शुरू किया कि इराक के शासक सद्दाम इराक़ी कुर्द और शियाओ पर ज़ुल्म ढ़ा रहे है उनके ऊपर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे है । सन 2003 क

INDIAN PENAL CODE

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उईगुर मुसलमान!

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अमेरिका और पश्चिमी देशों के द्वारा आजकल ऊईगुर मुसलमानों की चिंता ज्यादा सता रही है ऊईगुर मुसलमानों से पहले का मसला आज उठा है या इससे पहले भी कोई घटना घटी है। xianjiang /सिनकियांग/पूर्वी तुर्किस्तान कहते है उस पर चीन ने सन 1949 मे कब्ज़ा किया और तिब्बत पर सन 1949 पर कब्ज़ा किया लेकिन तिब्बतीयों पर होने वाले ज़ुल्म और मज़ालिम का कोई ज़िक्र नहीं किया जाता। अफगानिस्तान मे सोवियत संघ को हराने मे मुसलमानों की जानो व मालों की कुर्बानी जिस तरह अमेरिका और पश्चिमी देशों और सऊदी शासकों और पकिस्तानियों ने ली है उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती।  अब यह सवाल उत्पन्न होता है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों के ऊईगुर मुसलमानों के मामले को उभार कर अमेरिका और पश्चिमी देशों  के छिपे और खुले उद्देश्य क्या है। 1.    अमेरिका और पश्चिमी देशों  के द्वारा चीन के खिलाफ पूरे विश्व के जनमत को अपनी ओर करना है। 2.    अमेरिका और पश्चिमी देशों  द्वारा दुनिया भर मे इंसानों पर किए गए अत्याचार पर पर्दा डालना और चीन के द्वारा किए गए अत्याचार को उभारना है । 3.    अमेरिका और पश्चिमी देशों  के द्वारा चीन के मानवाधिकारो के उल्ल

डॉलर का पतन /dollar ditching

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  दुनिया मे हमेशा यह कहा जाता है कि उस देश का सिक्का चलता है । सिक्का चलने का मतलब यह है कि उस देश का दबदबा अन्य देश पर होता है द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नसलपरस्त ब्रिटेन के खात्मे के साथ जाहिरी तौर पर तो ऐसा लगा कि उसका सूरज गुरूब (डूबना) हो गया मगर इस नस्ल परस्त ब्रिटेन की औलादे दीगर मुल्क मे बस चुकी थी जैसे यूनाइटेड स्टेट अमेरिका ऑस्ट्रेलिया आदि दुनिया को अपने इजारेदारी या dominion मे रखने के लिए जो निजाम बनाया गया उसमे अन्तराष्ट्रीय इदारे (संस्था) जो   लिए यूनाइटेड स्टेट अमेरिका ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन फ्रांस रूस के लिए काम करेंगे दूसरा था दुनिया था दुनिया की मईसत/ economics पर कब्जा करना इस निजाम मे “अमेरिकी डॉलर” को मान्यता मिली और इसके ज़रिये अमेरिका ने ज़रे मुबादला और व्यापार के द्वारा बेइंतेहा दौलत को कमाया और इसके द्वारा ही उसने अमेरिकन डॉलर को हथियार के रूप मे इस्तेमाल किया और प्रतिबंध लगाया। हालिया युक्रैन जंग के बाद रशियन फेडरेशन पर जो प्रतिबंध लगाए गए और उसका जिस तरह से रशिया ने जवाब दिया है उसके बाद से “डॉलर” की जो स्थिति दुनिया मे थी वो अब कायम नहीं रह पाएगी। अमेरिका के

ज़ियारते मक़ामात मुक़द्दसा सीरिया (शाम )/ ZIYARATE MAQAMAT MUQADDASA SIRIYA

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  दमिश्क : हज़रत ज़ैनब सलामउल्लाह अलैह बिन्ते अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली अलैह सलातों वस सलाम   का रौज़ा 2. रौज़ा जनाब सैय्यदा रुकैय्या सलाम उल्लाह अलैह   3. कब्रे मुतहर सैय्यदा सकीना सलाम उल्लाह अलैह बिन्ते इमाम हुसैन अलैहिस सलातों वस सलाम 4. उम्मुल मोमिनीन उम्मे सलमा व उम्मे हबीबा की कब्रे 5. जनाब अब्दुल्लाह बिन इमाम ज़ैनुल आबदीन अलैहिस सलातों वस सलाम की कब्र 6. सहाबी रसूल अब्दुल्लाह बिन मकतूम का मज़ार 7. जनाब उम्मे कुलसूम सलाम उल्लाह अलैह बिन्ते अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली अलैह सलातों वस सलाम   का रौज़ा 8. मोआजज़ीन (अज़ान देने वाला )रसूल हज़रत बिलाल की कब्र 9. मज़ार मुक़द्दस जनाब फिज़्जा 10. दरबारे यज़ीद लानत उल्लाह अलैह 11. बाज़ारे शाम 12. मक़ाम (स्थान ) सरहाए शोहदाए कर्बला 13. कब्र जनाब हूज्र बिन अदी 14. जनाब हाबील का मज़ार 15. गार असहाब कैफ और दीगर तारीखी मकामात (एतिहासिक स्थान / historical places ) की ज़ियारते इन शहरों मे कराई जाती है ।    

ज़ियारते मकामात मुक़द्दसा इराक /ZIYARATE MAQAMAT MUQADDSA IRAQ

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कर्बला: 1. कर्बला मुअल्ला 2. हरम मुबारक सैय्यदुश शोहदा इमाम हुसैन अलैहिस सलातों वससलाम 3. रौजा अकदस  हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम 4. मकाम यदीन अलमबरदार हुसैनी हज़रत अब्बास अलैहिस सलाम 5.  मकाम अली अकबर अलैहिस सलाम 6 . मकाम हज़रत अली असगर अलैहिस सलाम 7. क़त्लगाह 8. गंज शहीदा 9. ज़रीह हज़रत हबीब इब्ने मज़ाहिर अलैह रहमा 10. खेमागाह 11. टीला जनाबे ज़ैनब सलाम उल्लाह अलैह 12. नहर दरिया ए फरात 13. मकाम ए इमाम ज़माना साहबेज़ ज़मान अजलल्लाहो तआला व फ़रजहूम शरीफ 14. हज़रत हूर का रौजा 15. हज़रत औन  का रौज़ा  वगैरह वगैरह  नज़फ़ अशरफ : 1. रौज़ा अकदस हज़रत अली इब्ने अबी तालिब जिस मे जनाब आदम और जनाब नूह अलैहिस सलाम की कब्रे भी है 2. वादिस सलाम जिसमे हूद और जनाबे सालेह की कब्रे है 3. अतराफ़ (चारों ओर ) नजफ मे मस्जिद हनाना और मज़ार जनाबे कुमैल की ज़ियारते। कूफ़ा: इस तारीखी शहर ( historical /एतिहासिक) मे मस्जिद कूफ़ा खुसूसी अहमियत का हामिल है (विशेष महत्वपूर्ण  मस्जिद कूफ़ा ) जहां मुखतलीफ (विभिन्न / different ) मकामात (स्थानों / places ) पर ज़ायरीन ( pilgrimage ) नमाज़ अदा करते है :- 1. मकाम ज़रबत ( वह स्थान जहां पर हज़रत अल

ज़ियारते मक़ामात मुक़द्दसा ईरान / ZIYARATE MAQAMATE MUQADDASA IRAN

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  कुम/ qum : रौजा अकदस   मासूमा   कुम हज़रत फातिमा बिन्ते   इमाम मूसा काज़िम अलैहिस सलातों वस सलाम ख्वाहर (भाई )इमाम अली रज़ा अलैहिस सलातों वस सलाम कुम मे   मस्जिद जमकारान मनसूब ब इमाम ज़माना अजलल्लाहो तआला व फ़रजहूम   तेहरान : 1. ज़ियारत बीबी शहर बानो   2. आस्ताना   बीबी ज़ुबैदा 3. मकबरा शाह अब्दुल अज़ीम जिसमे तीन इमाम ज़ादों यानी जनाब ताहिर बिन इमाम ज़ैनुल आबदीन अलैहिस सलातों वस सलाम   व शाह हमज़ा बिन इमाम मूसा काज़िम अलैहिस सलातों वस सलाम   और इमाम हसन अलैहिस सलातों वस सलाम की औलादों मे शाह अब्दुल अज़ीम की आराम गाहे   मौजूद है । 4. कब्र रहबरे इन्किलाब आयतुल्लाह रूहउल्लाह खुमैनी अला रहमा मशहद मुक़द्दस : इमाम हज़रत अली रज़ा अलैहिस सलातों वस सलाम के मज़ार मुक़द्दस की ज़ियारत नेशापुर : चश्मा व कदमगाह इमाम हज़रत अली रज़ा अलैहिस सलातों वस सलाम 2. मकबरा इमाम ज़ादा मोहम्मद महरूफ़ अला रहमा और इमाम ज़ादा इब्राहीम बिन इमाम हज़रत मूसा काज़िम अलैहिस सलातों वस सलाम की ज़ियारत          

अरबो को बुरा मत् कहो !

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  इस्लाम के कुछ फ़िरक़ो  मे  यह  कहते सुना गया  है  कि  अरब के लोगो को  बुरा मत् कहो  इस पर  दलील दी जाती है  अल्लाह के नबी सल्लल्लहो अलैह  व आले वसल्ल्म  उस  सर ज़मीन  पर  नमुदार  हुए  इसलिए अरबो को  बुरा मत् कहो   क़ुरान  पाक की  सुरे मसद  111 मे  ' तब्बत यदा अबी लहीबीऊँ '  अबु लहब  के  हाथ  टूट जाए  क्या अबू लहब  अरब  नहीं था या मकका के  अन्य  कुफ्फार अरब नहीं थे बद्र की जंग में मारा  जाने वाला  उमैय्या  ,अबू जहल  मुआविया यज़ीद  सब अरब थे  कु़रान मजीद में शख्शियत  के  किरदार  इमान पर  फज़ीलत  है या लानत है किसी क्षेत्र  या  किसी  नस्ल  रंग   का इम्तियाज़  नहीं किया गया  ।इम्तियाज़  का मेयार जो  रखा गया  वो  है  तौहीद  ,रिसालत  ,आले  मोहम्मद   से  मोअददत  है।  लिहाज़ा  यह कहना  कि अरब का चोर, बदमाशों, ज़िनाकार, बदकार  ,का़तिल, खूनी, भी लाइकेन ताज़ीम है  कयोंकि  अरब है तो  यह झूठ है और  अल्लाह के अदल के  निज़ाम  के  खिलाफ है। 

पश्चिमी देश और ईरान

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ईरान मे आई इस्लामिक क्रान्ति सन 1979 मे  हुई उसी के साथ पश्चिमी देशो ने ईरान के खिलाफ ज़ाहिरी और बातिनी साज़िशो करना शुरू कर दिया था और अरबो की ईरान दुश्मनी को भुनाया पश्चिमी देशों ने, इसके लिए इराक़ को चुना पश्चिम मे जो बार्डर ईरान का लगता था इराक़ के साथ और इराक़ के शासक सददाम हुसैन को मोहरा बनाया पश्चिमी देशो और और साथ मे सऊदी अरब और अन्य देशो ने धन को खर्च किया और पश्चिमी देशो ने इराक़ को हथियार मुफ़्त मे नही दिया बल्कि इसके लिये पश्चिमी देशो ने धन लिया और इराक़ ने ईसाईयत के मन्सूबो को पूरा करने के लिये अपने संसाधन और लोगो का इस्तेमाल किया गया ईरान -इराक़ जंग मे पश्चिमी देशों को सबसे बडा फ़ायदा यह हुआ कि इस जंग मे मुसलमान क़त्ल हो रहे थे मुल्क तबाह हो रहा था इसके साथ ही पश्चिमी देशो के मिशन की पुर्ति हो रही थी  उन्हे  कामयाबी मिल रही थी!  सन 1979 मे  ईरान के पुर्वोततर  देश अफ़्गानिस्तान मे बडी हलचल थी सोवियत संघ की फ़ौजे अफ़्गानिस्तान के president नजीबउल्लाह की हिमायत मे अफ़्गानिस्तान मे घुस चुकी थी और अमेरिका ने अफ़्गानिस्तान मे जो military और terrorism के द्वारा मदाखलत की उससे अमेरिका के दो मक़ास

अरबो की ड्रामा बाज़ी और मुस्लिमो के जज़बात

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 ऐसा लगा कि नुपूर शर्मा की तौहीने रिसालत के बाद अरबों मे ऐसी गैरत जगी कि उन्होंने सख्त कार्यवाही भारत के साथ करने और उसके सफ़ीर को बुलाकर एहतेजाज़ दर्ज कराया गया और भारतीय मसनुआत के बहिष्कार करने लगे मानो यह बहुत मुहिब्बे रसूल हो और उनकी गैरत जाग गयी हो।  कुछ ऐसे तकलीफ देह सवालात जो ज़ेहन  मे पैदा हुए है :- 1. क्या अरबों ने जो अपनी गैरत दिखाई है वो खालिश  रसूल उल्लाह  से मोहब्बत के कारण हुई है ,दीन  के खातिर  हुई है या अमेरिका के राजनैतिक और आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए थी ? 2.  फ्रांस की पत्रिका मे  जो आपत्ति जनक चित्र बनाए गए और उस चित्र पर अल्लाह  के नबी का नाम लिखा गया  और उसके बाद हिजाब  के खिलाफ कार्यवाही करने पर फ्रांस के साथ क्या व्यवहार किया गया या अन्य  यूरोपी देश जो इस्लाम के खिलाफ काम कर रहे है उनके साथ क्या  किया गया ? 3. अफगानिस्तान मे आक्रमण  से पहले जॉर्ज  बुश जूनियर  के द्वारा  सलीबी जंग का ऐलान किया गया  और अरबों  की प्रतिक्रिया  क्या  रही ? 4. इस्राइल  के साथ अरबों के सम्बन्ध  और  मस्जिदे अक्सा  पर  बार बार  आतंकवादी देश इस्राइल  द्वारा  हमला किया गया  और बेगुनाह  फ

ज़ियारते क़ुबूर मोँमीनीन /ziyarate quboor momineen/زيارت قبور مومنين

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हज़रत अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम फरमाते है कि जिस वक्त कब्रिस्तान मे दाखिल हो तो यह कहो :-बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम  अस सलामो अलि अहले ला इलाहा इललल्लाहो मिन अहले  ला इलाहा इललल्लाहो या  ला इलाहा इललल्लाहो बेहक़़के़  ला इलाहा इललल्लाहो कयुफ वजदुतुम कौला  ला इलाहा इललल्लाहो मिन अहले  ला इलाहा इललल्लाहो या  ला इलाहा इललल्लाहो बेहक़़के़  ला इलाहा इललल्लाहो इगफिर लेमन काला  ला इलाहा इललल्लाहो वहशुरना फी ज़ुमरते मन  काला ला इलाहा इललल्लाहो मोहम्मदुर रसूल उल्लाहे अलीयन वली उल्लाहे 

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अमेरिका की कई मोर्चों पर हार !

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अमेरिका जिसका दुनिया मे दबदबा था और जो काम अमेरिका करता था उसकी कानूनी मान्यता भी दिलाता था उसकी कानूनी मान्यता भी दिलाता था जैसे U.N.O. मे resolution /प्रस्ताव  पारित करा कर अंजाम देता था ,देता है और आगे भी देता रहेगा ताकि अमेरिका को जालिम ,क्रुर,अत्याचारी,आतातायी न कहा जा सके। अमेरिका और ईसाई गठबंधन ने 1991 मे खाड़ी जंग मे इराक को तबाह कर दिया और अमेरिका और ईसाई गठबंधन के हौसले बढ़ते ही चले गए आतंकवाद का जनक अमेरिका और उसके ईसाई गठबंधन जिसने सोवियत  रूस को हराने के लिए आतंक और दहशतगर्दी का सहारा  लिया था और  सोवियत संघ  को रूसी फेडरेशन  बना दिया । अमेरिका और उसकी ईसाई गठबंधन  की इस विजय ने इनके हौसले को बहुत बढ़ा दिया और अमेरिका और ईसाई गठबंधन ने 2001 मे अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया और उसके बाद अमेरिका और उसके ईसाई गठबंधन ने 2003 मे पुन: इराक पर हमला करके उसे कब्जा कर लिया और अमेरिका और उसके ईसाई गठबंधन के साथ सऊदी अरब के शासकों ने भी अहम भूमिका निभाई जो मुसलमान कुरान पाक की इस आयत का हवाला देते नहीं थकते थे कि जिसने एक बेगुनाह का कत्ल किया उसने सारी इंसानियत का कत्ल कर दिया " उस स

ज़ियारत इमामे ज़माना अलैहिस सलाम

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