Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

ईरान इतना महत्वपूर्ण क्यों है भारत के लिए

कारगिल संघर्ष के बाद अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने पाकिस्तान पर एक प्रतिबंध लगाया था और वह प्रतिबंध यह था कि उसकी हवाई सीमा से कोई भी पाकिस्तानी जहाज नहीं गुजरेगा इसके जवाब में पाकिस्तान की सरकार ने भी भारत पर ऐसा प्रतिबंध लगा दिया भारत की सभी फ्लाइट जो अरब देश यूरोप और सेंट्रल एशिया की ओर जाती थी उसने अब पाकिस्तानी हवाई सीमा को छोड़कर अन्यों रूटो का प्रयोग करने लगे इन रूटों से समय और तेल की खपत बढ़ने लगी भारत के द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का इतना असर नहीं पड़ा इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि पाकिस्तान को नेपाल और भूटान तक की एक्सेस के लिए चीन के हवाई सीमा का प्रयोग करते हुए नेपाल और भूटान तक पहुंचा गया लेकिन भारत के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से पाकिस्तानियों को यह एहसास हुआ कि उसकी भौगोलिक स्थिति बहुत अच्छी है और हवाई सीमा का प्रयोग हथियार के रूप में भी किया जा सकता है इसका बताने का मकसद यह है कि अगर जमीनी और हवाई रूट को पाकिस्तान बंद करता है तो भारत की डायरेक्ट या सीधी पहुंच अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से कट जाएगी और इसका महत्वपूर्ण मौके पर पुराना मित्र या सहभागी ईरान काम आता है जो चाहबहार पोर्ट के माध्यम से भारत की एक्सेस अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक पहुंचा जा सकता है ईरान से भी अगर तालुकात खराब हो गए तो अफगानिस्तान और इंडिया की भारत की जो पहुंच हो सकेगी वह भूमध्यसागर या Mediterranean sea के देशों के माध्यम से हो पाएगी इस तरह भारत का समय और धन बहुत अधिक बर्बाद होगा अमेरिका के सैंक्शन का सहयोग करते हुए ईरान से तेल खरीदना तो बंद कर दिया गया जिसका आर्थिक रूप से भारत को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा मगर इस बात को अमेरिका और भारत दोनों समझते हैं कि ईरान को नजरअंदाज करना इतना आसान नहीं है इसलिए भारत के ईरान से होने वाले संबंधों पर अमेरिका को मौन होना या अपने सीने करना इतना आसान नहीं है इसलिए भारत के ईरान से होने वाले संबंधों पर अमेरिका को मौन होना या अपने सीने पर पत्थर रखकर खामोश रहना ही बेहतर समझा।

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