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Ahmad Rizvi

राजनिति और धोखा

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राजनिति को समझने और उसमे बेवकूफ़ लोगो को किस तरह धोखा दिया जाता है और कम समझ लोगो की भावनाओ /जज़बातो के साथ खेला जाता है 5 अगस्त 2019 को जब जम्मु और कश्मीर से सविन्धान के अनुच्छेद 370 को खत्म किया उस समय आपको याद होगा कि उन्होंने 9 जनवरी 2019 को विरोध में भारतीय नौकरशाही से अपना इस्तीफा दे दिया, जिसमें अन्य बातों के अलावा कश्मीर में "निरंतर हत्याओं" का हवाला दिया गया था, जिसे कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा "कभी स्वीकार नहीं किया गया" और बाद में उन्होंने इसे वापस भी ले लिया।जीवन की शुरुआत की। इसके तुरंत बाद, 16 मार्च 2019 को, उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) की घोषणा की। उन्होंने 10 अगस्त 2020 को राजनीति छोड़ दी और JKPM छोड़ दी। अप्रैल 2022 में मोदी सरकार ने उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में बहाल कर दिया। अगस्त 2022 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उप सचिव के पद पर तैनात किया गया। अब इसमे गौर करने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग ने रजनितिग पार्टी को गठन करने दिया उसे महिनो संचालित करने दिया वो भी IAS होते हुवे क्योंकि

जंग किसी मसले का हल नही!

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अक्सर और बेस्तर मुस्लिम उलेमा और अन्य दानिशवरो से सुनते आये हैं कि जंग किसी मसले का हल नही है ऐसी बात करना क़ुरान और सुन्नत के खिलाफ़ है अगर जंग से मसले का हल नही होता है तो हज़रत दाऊद ने जंग क्यों की सवाल है हज़रत सुलेमान ने जंग क्यों की हज़रत ज़ुलकरनैन ने जंग क्यों की हज़रत मूसा ने जंग क्यों की हज़रत रसूल उल्लाह सल्लल्लहो अलैह व आले वसल्लम ने जंग ए बद्र जंग उहद जंग खैबर और बहुत सारी जंग है अमीरूल मोमिनीन ने जंग सिफ़्फ़ीन जंग जमल इमाम हुसैन ने जंग ए कर्बला करनी पडी और क़ुरान मजीद मे जेहाद को बताया गया अब अल्लाह सुभान व तआला और अल्लाह के रसूल आदि यह समझने मे कासिर रहे नाऊज़ बिल्लाह की जंग मसले का हल नही सही मायने मे देखे तो जंग ही मसले का हल है वर्ना हज़रत दाऊद हज़रत मूसा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को जंग न करनी पड़ती

विस्तारवाद

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विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया क्या हकीकत मे विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया इसके लिए आपको अन्तराष्ट्रीय घटनाओ पर नज़र डालनी पड़ेगी 2001 मे जिस समय अफगानिस्तान पर अमेरिका ने अपने कुख्यात गिरोह के द्वारा हमला किया और 2001 से लेकर 2021 तक अफगानिस्तान पर क़ब्ज़ा जमाए रखा इसके बाद अमेरिका ने अपने कुख्यात गिरोह के साथ इराक पर हमला किया और उसको क़ब्ज़ा किया 2008 मे रूस ने जारजिया के प्रांत आबखाजीया पर हमला करके उसपर क़ब्ज़ा किया गया लगातार अमेरिका अपने आतंकवादी साथियों के साथ भी हमला करता रहा है जैसे लीबिया मे आतंकी के साथ मिलकर अमेरिका ने लीबिया पर क़ब्ज़ा किया सीरिया और इराक और उसके स्रोतों पर कब्जा करने के लिए अमेरिका और उसके कुख्यात गिरोह के द्वारा आई.एस. आई. एस. को खड़ा किया ट्रैनिंग दी और कुख्यात आतंकीयों की फौज को इराक और सीरिया मे आतंक मचाने और क़ब्ज़ा करने मे मदद दी यूक्रेन मे चुनी हुई सरकार को अमेरिका और उसके कुख्यात गिरोह ने तख्तापलट करा दिया और 2014 मे रूस ने क्रिमिया को अपने कब्ज़े मे ले लिया 2020 मे आर्मेनिया और अज़रबेजान मे युद्ध हुआ और आर्मेनिया नोगोंरनों कराबाख हार गया वर्तमान मे 2022 से

विदअत

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विदअत क्या है इस्लाम मे विदअत ऐसे कार्य को करना है जो हुक्म अल्लाह ज़ुलजलाल वल इकराम व रसूल उल्लाह मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने न किया हो । अज्ञानी मौलवी ने “रोने को विदअत “ कहना शुरू कर दिया वो इसलिए कि आले मोहम्मद सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम इमाम हुसैन और उनके कराबतदारों, मेहमानों, और दोस्तों को कर्बला मोअल्ला मे शहीद कर दिया गया । आले मोहम्मद सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम से मोअददत करने वाले लोग अपनी मोअददत मे उन पर होंने वाले ज़ुल्म पर रोते है । मुआविया और यज़ीद लानत उल्लाह अलैह से लगाव रखने वाले और उनसे मोहब्बत करने वाले, हुसैनियों से नफरत करते है और रोने को विदअत कहते है । “रोने को विदअत “ कहने वाले उस वक्त खामोश हो गये जब हज़रत आदम के रोने का ज़िक्र आया, जब हज़रत याकूब के रोने का ज़िक्र आया, और अल्लाह ज़ुलजलाल वल इकराम के नबी मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम के रोने का ज़िक्र आया वह भी तब जब हज़रत हमज़ा की शहादत हुई और कर्बला मे अपने नवासे इमाम हुसैन की होने वाली शहादत का पहले से बता देना और गिरया (रोना) करना साबित कर रहा था कि रोना

उलूल इल्म

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उलूल इल्म शहीदउल्लाहु अन्नहु ला इलाहा इल्ला हुआ व मलायकतु व उलूल इल्म क़ायमन बिल किस्त ला इलाहा इल्ला हुवल अज़ीज़ुल हक़ीम (सूरे आले इमरान आयत नं.18) “ अल्लाह खुद गवाह है कि नहीं है कोई इलाहा (पूज्य) सिवाय उसके व मलाएका (फ़रिश्ते) व एक के बाद एक कायम होने वाले उलूल इल्म (साहिबाने इल्म) गवाही देते है नहीं है कोई इलाहा सिवाय उस अज़ीज़ुल हक़ीम के “ अब चर्चा का विषय (मौज़ू) उलूल इल्म है । इल्म (ज्ञान) नबीयों की मीरास (legacy) है। सूरे कहफ (आयत नं. 60 से 82) और याद करो जबकि मूसा ने अपने युवक सेवक से कहा : जब तक कि मै दो दरियाओ के संगम पर न पहुँच जाऊं हटने का नहीं, अन्यथा मै एक लम्बे समय तक चलता रहूँगा । तो जब वे संगम पर पहुंचे दोनों (दरियाओ) के बीच, तो वे अपनी मछली भूल गये, और उस (मछली) ने दरिया मे की तरह अपना रास्ता बना लिया । फिर जब वे आगे चले, तो (मूसा ने) अपने युवक सेवक से कहा : हमारे लिए खाना लाओ इस सफर से हमको बहुत तकलीफ हो गई है । उसने कहा : भला आप ने देखा कि जब हमने पत्थर के पास आराम क्या था तो मै मछली वहीं भूल गया और मुझे आप से उसका ज़िक्र करना शैतान ने भूला दिया और उस ने अजब तरह से दरिय

CAA, NRC,NPR और मुसलमानों का भयभीत होना!

CAA, NRC,NPR और मुसलमानों का भयभीत होना! CAA, NRC, NPR से मुसलमान भयभीत क्यों है सबसे पहले हम CAA को जानते है CITIZENSHIP AMENMENT ACT नागरिकता संशोधन अधिनियम NRC= NATIONAL REGISTER OF CITIZEN नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (पंजिका) NPR = NATIONAL POPULATION REGISTER राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर आज CAA, NRC, और NPR पर चर्चा करेंगे इसके साथ मुस्लिम क्यों भयभीत है इस पर भी चर्चा करेंगे । सन 1947 मे अंग्रेजों के द्वारा लन्दन मे पारित कानून INDIAN PARTITION ACT 1947 (भारतीय विभाजन अधिनियम 1947) किया गया जिसमे दो आज़ाद देशों भारत और पाकिस्तान का निर्माण किया गया इसके साथ दोनों देशों मे PRINCELY STATE जिसे देशी रियासते थी जो आज़ाद थी और उनमे राजा, नवाब, निज़ाम आदि राज्य करते थे । सन 1955 मे नागरिकता अधिनियम (CITIZENSHIP ACT 1955 ) पारित किया गया । जिसमे नागरिकता प्राप्त करने के प्रकार दिए गए है । जन्म के द्वारा नागरिकता : 26 जनवरी 1950 से पहले या बाद मे भारत मे जन्म लेने वाले कोई व्यक्ति भारत के नागरिक है यह जन्मजात नागरिकता है । अवजनन द्वारा नागरिकता : भारत के बाहर भारतीय माता पिता से जन्मे ल

इखतेलाफ़

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अपने आखिरी समय मे जब अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) ने किसी सहाबी से कागज़ और कलम लाने के लिए कहा “ लाओ मै तुम्हें लिखकर दे दूँ ताकि तुम्हारे बीच कोई इखतेलाफ़ न रहे “ कागज़ कलम न दिया एक अलग बात है लेकिन रिसालत माब अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) ने रहती दुनिया तक यह संदेश दे दिया कि अल्लाह के नबी अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) ने कागज़ और कलम को सहाबी से तलब किया साथ मे यह भी कहा कि तुम्हारे बीच कोई इखतेलाफ़ न रहे । इसका मतलब अल्लाह के नबी अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) अपनी उम्मत मे इखतेलाफ़ नहीं चाहते थे कागज़ और कलम का न दिया जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि असल मंशा क्या है दूसरी बात यह है कि जिसने कागज और कलम न दिया वो भी अल्लाह के नबी अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) के इस बारे मे जानते थे कि इसमे क्या लिखा (रकम) जाएगा । 1. गदीर-ए-खुम मे हज़रत अली को अपनी उम्मत का मौला हज़ारों अफराद के बीच बना देने के बाद और सबसे हज़रत अली के हाथ पर बैअत लेने क

नमाज़ पढे या क़ायम करे!

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नमाज़ को अरबी भाषा मे सलात कहा गया है। फारसी भाषा मे नमाज़ कहा गया है नमाज़ पढे या क़ायम करे, नमाज़ मे ही सूरे पढ़ी जाती है सूरे मुज़्जमिल मे ज़िक्र है “व अकीमुस सलात व आतुज़ ज़कात व अकरिज़ुल्लाह करज़न हसना “ इसमे अकीमुस सलात “ कायम करो सलात को । अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हुक्म दिया है सलात (नमाज़) को क़ायम करो । क़ायम करना किसे कहते है और पढ़ना किसे कहते है क़ायम करना किसी ऐसे कार्य को क्रमबद्ध जारी रखना है । पढ़ना का अर्थ है कि आप किसी भी बिना मुताईयन (निर्धारित) किए जब चाहे पढे । इसमे वक्त की मियाद (LIMIT) नहीं है । अब एक बेहतरीन नज़ीर के ज़रिए क़ायम को समझा जा सकता है । इंसान या जानदार के दिल की धड़कन को समझे । अगर एक धड़कन के बाद धड़कना बंद हो जाए तो इंसान या जानदार की मौत हो जाएगी और लगातार धड़के तो ज़िन्दगी की निशानी है यह लगातार धड़कना क़ायम होना कहलाता है । क्या लगातार धड़कने मे दिल आराम भी करता है जी हाँ एक्सपर्ट (माहरीन) की राय है कि दिल की दो धड़कनों के बीच दिल आराम भी करता है । सलात (नमाज़) क़ायम करने का जो हुक्म दिया गया है उसे लगातार बनाए रखने के लिए है अर्थात क़ायम करने के लिए है । जैसे फ़जर की सलात (

शिया सहाबा को नहीं मानते !

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अक्सर लोगों के बीच इस तरह की अफवाह फैलाई जाती है कि शिया सहाबा को नहीं मानते अब सवाल यह पैदा होता है कि किस सहाबा को नहीं मानते और किस सहाबा को मानते है क्या सभी सहाबा को नहीं मानते । सभी सहाबा को हक़-ब-जानिब अल्लाह सुभान व तआला ने भी नहीं माना इसकी दलील सूरे मुनाफिकून मे दी गयी है। “सूरे मुनाफिकून (63) रसूलउल्लाह (सल्लललहों अलैह व आले वसल्लम) ये मुनाफ़कीन आप के पास आते है तो कहते है कि हम गवाही देते है कि आप अल्लाह के रसूल है और अल्लाह भी जानता है कि आप उस के रसूल है लेकिन अल्लाह गवाही देता है कि ये मुनाफ़कीन अपने दावे मे झूठे है । 2. उन्होंने (यानी मुनाफ़कीन) ने अपनी कसमों को सिपर (ढाल) बना लिया है और लोगों को राहे अल्लाह से रोक रहे है यह उनके बदतरीन आमाल (काम) है जो यह अंजाम दे रहे है । 3. यह इसलिए है कि यह पहले ईमान लाए फिर काफिर हो गए तो उनके दिलों पर मुहर लगा दी गई तो अब कुछ नहीं समझ रहे है । 4. और जब आप उन्हे देखेंगे तो उनके जिस्म (शरीर ) बहुत अच्छे लगेंगे और बात करेंगे तो इस तरह कि आप सुनेने लगें लेकिन हकीकत मे यह ऐसे है जैसे दीवार से लगाई हुई सूखी लकड़ीयां कि ये हर चीख को अ

नागरिकता का प्रमाण

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सबसे पहले यह जानते है कि नागरिकता क्या है गुलामी मे क्या नागरिकता थी ? राजाओ के राज्य मे प्रजा की नागरिकता क्या थी ? आज़ाद भारत मे नागरिकता क्या है । नागरिकता का प्रमाण क्या है ? आज़ादी से पहले राजा के राज मे निवास करने वाली उसकी तमाम प्रजा उस राजा की प्रजा कहलाती थी उस प्रजा को नागरिक मान सकते है । गुलाम भारत मे राजाओ के राज्य को छोड़कर जितने भाग पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा था वो सब ब्रिटिश नागरिक थे । गोवा पुर्तगाल के अधीन था इसलिए गोवा मे निवास करने वाले पुर्तगाली नागरिक थे । इंडियन पार्टीशन एक्ट 1947 को ब्रिटिश संसद से पारित करने के पश्चात ब्रिटिश इण्डिया को दो हिस्सों मे बाँट दिया गया एक इण्डिया और दूसरा पाकिस्तान । इन दोनों देशों मे रहने वाले इण्डिया और पाकिस्तान के नागरिक हो गये। दोनों देशों की सीमाये जब तक एक दूसरे के नागरिकों के लिए खुली हुई थी तब तक दोनों तरफ के नागरिक आ जा सकते थे और नागरिकता प्राप्त कर सकते थे । इसके पश्चात 1947-1948 मे जम्मू और कश्मीर के विलय के साथ जम्मू और कश्मीर के लोगों को भी भारत की नागरिकता प्राप्त हो गयी । इसके पश्चात हैदराबाद (दक्खिन) जो निजाम

उलूल अम्र

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उलूल अम्र सूरे निसा आयत नम्बर 59 “इमानवालों अल्लाह की एताअत करो रसूल और साहिबाने अम्र की एताअत करो जो तुम ही मे से है फिर अगर आपस मे किसी बात मे इखतेलाफ़ हो जाए तो उसे अल्लाह और रसूल की तरफ पलटा दो अगर तुम अल्लाह और रोज़े आखरत पर ईमान रखने वाले हो – यही तुम्हारे हक़ मे खैर और अंजाम के एतबार से बेहतरीन बात है” 1. इमानवालों से मतालबा है कि एताअत करे अल्लाह सुभान व तआला और रसूल उल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की और साहिबाने अम्र की । 2. अगर आपस मे किसी बात पर इखतेलाफ़ हो जाए तो हमे इखतेलाफ़ को दूर करने के लिए अल्लाह और रसूल की तरफ पलटना है यहाँ इखतेलाफ़ अगर उलूल अम्र मे है तो हमे अल्लाह और उसके रसूल की ओर देखना है हिदायत हमे अल्लाह और रसूल सल्लल्लाहों अलैह व आले वसल्लम से लेना है । अल्लाह सुभान व तआला व रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की एताअत मे कोई इखतेलाफ़ नहीं है । मगर उलेमा के द्वारा उलूल अम्र को समझने मे विरोधाभाष रहा है । सबसे पहले हम लोग अम्र को समझे अम्र क्या है जब अम्र समझ मे आ जाएगा तो साहबे अम्र या उलूल अम्र भी समझ पाएंगे । यहूदियों ने अल्लाह

ज़ालिम कौम कौन है ?

ज़ालिम कौम कौन है ? ज़ालिम कौम कौन है इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे । क्यों ज़ालिम कौम पर लानत भेजी जाती है । अल्लाह सुभान व तआला ने ज़ालिमों की बड़ी मज़म्मत (भर्त्सना) की है । अल्लाह सुभान व तआला इरशाद फरमाता है कि “ उससे बड़ा ज़ालिम कौन है जो अल्लाह की आयतों का इन्कार करे “ यानी सबसे बड़ा ज़ालिम वो है जो अल्लाह की आयत का इन्कार करे । यहाँ पर अल्लाह सुभान व तआला की आयत बड़ी लम्बी है और कुछ आयते बहुत छोटी है इसमे बड़ी आयत हो या छोटी आयत हो उसका झूठलाने वाला “ज़ालिम” है और जब यह झूठलाने वाले समूह मे हो जाते है तब यह कौम बन जाती बन जाती है। 1. अल्लाह रब्बुल इज्जत ने अपने नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को यासीन कहकर पुकारा यासीन एक आयत है अर्थात रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम एक आयत है और उनका इंकार करने वाला ज़ालिम है । 2. वश शम्स वज़ ज़ूहा सूरज और उसकी रोशनी आयत है सूरज और क़मर का इंकार करने वाला ज़ालिम है । 3. हज़रत ईसा ने अपने आप को कलमा कहा है वो लोग जो अल्लाह सुभान व तआला को नहीं मानते और उसका इन्कार करते है वो ज़ालिम है । वो जो अल्लाह सुभान व तआला का इकरार करता है मग

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

बिन्ते रसूल उल्लाह

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बिन्ते रसूल उल्लाह आज हम इस बात पर और कुछ तथ्यों के आधार पर जानना चाहते है कि जब “ बाग़-ए-फ़ीदक” को कब्ज़े मे ले लिया गया था तो इसके बाद हज़रत बिन्ते रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम ने दरबार जाकर अपने दावे को मज़बूती से रखा आप सलामउल्लाह अलैह यह जानती थी कि जिसने उनके हक़ पर क़ब्ज़ा किया है वो उनके हक़ को वापस करने वाले नहीं है ? दूसरा सवाल यह है कि जनाबे उम्मे अबीहा सलामउल्लाह अलैह ने जो गवाह पेश किए गए उनको रद्द क्यों किया गया और अगर उन गवाहों को तस्लीम कर लिया जाता तो प्रभाव क्या होता ? बिन्ते रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम का मर्तबा क्या है और उस मरतबे को अल्लाह सुभान व तआला रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम ने बताया है वो क्या है ? 1. रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की रिसालत की गवाही देने वाला मुसलमान है । 2. ईमान वाला और मोमीन तब होता है जब वो अपनी जान – माल औलाद माँ बाप से ज्यादा अज़ीज़ और अपनी जान को अपने नबी रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम पर कुर्बान कर दे । 3. अल्लाह सुभान व तआला के नबी रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को जब अरब

तंगनज़री

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एक हदीस के द्वारा आखरी दौर मे खुरासान से उठने वाले काले झंडे वालों की बशारत दी गई जिसके द्वारा बैतुल मुक़द्दस की फतह का ज़िक्र किया गया । खुरासान के अन्तर्गत ईरान का उत्तर पूर्व का कुछ क्षेत्र अफगानिस्तान का कुछ हिस्सा और बलोचिस्तान का कुछ क्षेत्र आता है । वर्तमान मे खुरासान नाम का एक प्रांत ईरान मे है । बिरादर इस्लाम के फ़िरको मे से बहुत सारे ऐसे आलिम है जो अफगानिस्तान और बलोचिस्तान का उल्लेख करने से कतराते है और उसको नजरंदाज करते है और इस नजरंदाज करने का कारण है कि ईरान उनके मसलक से ताल्लुक नहीं रखता है । इन आलिमों के द्वारा अपने मसलक के लोगों की खिदमत को फख्र के साथ बयान नहीं कर सकते । बतौर नज़ीर इन मसलक वालों का जेहाद अब तक आतंकी इस्राइली यहूदी के खिलाफ नहीं था नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाईजेशन (NATO) के खिलाफ नहीं था। इनका जेहाद इस्लाम के तमाम मानने वालों के ही खिलाफ था वो भी किसी शैतानी ताकतों के खिलाफ जेहाद नहीं था बल्कि इनका जेहाद शैतानी ताकतों के साथ मिलकर लड़ना था । शैतानी ताकते जो खुद को ईसाई भी कहती है वो ईसाई धर्म के उपदेश और अमल के मनाफी (व

सुभान अल्लाह

सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह को ही उर्दू ज़बान मे पाक अल्लाह कहा जाता है । सुभान अल्लाह के विर्द करने का बड़ा सवाब है । अल्लाह पाक है तो उसकी पाकीज़गी किन चीज़ों से है । उसको बहुत से लोग जानते है और बहुत से लोग नहीं जानते है । उसको सभी तक जानने का अधिकार है और सब तक पहुंचना चाहिए । 1. बहुत सारे झूठे मआबूदो (आराध्य) और खुदाओ को खाना खाने और पीने की ज़रूरत पड़ती है और अल्लाह सुभान व तआला को खाने पीने की ज़रूरत नहीं है। यह उसकी पाकीज़गी बयान करती है । 2. बहुत सारे झूठे मआबूदों और खुदाओ मे जान नहीं है उनमे जान फूंकी (प्राण प्रतिष्ठा ) की जाती है और उसकी पैदा की हुई किसी चीज़ मे यह सलाहियत (योग्यता) नहीं हो सकती कि अपने आराध्य (मआबूद ) मे जान डाले क्योंकि अल्लाह सुभान व तआला ही इरशाद फरमाता है कि अल्लाहों ला इलाहा इल्लल्लाह हुवल हययुल कययुम (अल्लाह, नहीं है कोई इलाहा सिवाय अल्लाह के वो ज़िन्दा कायम है ) 3. बहुत सारे झूठे मआबूदों और खुदाओ को समय – समय पर सुलाया और जगाया जाता है जबकि अल्लाह पाक है सोने और जागने से अल्लाह सुभान व तआला का इरशाद है कि उसे न ऊंघ आती है न उसे नींद आती है । 4. बहुत सारे झ

असहाब या सहाबी

असहाब या सहाबी असहाब अरबी शब्द है जिसके मायने साथी के है । मुकक़द्दस किताब क़ुरान मजीद मे सूरे कहफ मे असहाब कैफ का उल्लेख है । कुछ दोस्त साथी असहाब या सहाबी ऐसे होते है जो अपने दोस्त पर जान माल कुर्बान करने वाले होते है और कुछ ऐसे दो नम्बरी होते है जो अपने कारनामे के ज़रिए से मालूम होता है कि दुश्मन उनका कारनामा तो दोस्तवाला नहीं होता है हमदर्दी वाला नहीं है वफादारी वाला नहीं है लेकिन जब तक वो कोई कारनामा नहीं करते है तब तक वो अपने को दोस्त हमदर्द वफादार जानिसार दिखाते रहते है अपने चाहने वालों को भी ऐसा प्रचार करते रहने के लिए कहते रहते है । अल्लाह सुभान व तआला ने कुरान मजीद मे जिन सूरे और आयतों को नाज़िल किया है उनके बड़े महफ़ूम है उसके बड़े अर्थ है उसमे बड़ी निशानियाँ (प्रमाण) है । हर नबी सलामउल्लाह अलैह और पैगंबर के साथ क्या गुज़री और उसकी क्या निशानी है । हज़रत ईसा मसीह अलैहिस सलाम के हवारी (साथी) / असहाब मे से एक सहाबी को मुनकिर (इंकार करने वाले या झुठलाने वाले) का होना था और उसके बारे मे जिस अज़ाब का ज़िक्र अल्लाह के रसूल ईसा मसीह ने दिया। आसमान से दस्तख्वान मंगाने के लिए कहा गया ज

अगर ईरान न होता !

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थोडी देर के लिए सोचिये अगर इस्लामी जमुहरिया ईरान और उसकी वर्तमान की हुक़ुमत न होती तो क्या होता आइये देखते है पडोस का मुल्क पाकिस्तान अमेरिका का puppet बना हुवा है और अमेरिकी मंशा के खिलाफ कुछ भी आतंकी इस्राइल के खिलाफ नही कर सकता दूसरा देश अफ़्गानिस्तान जो खुद अमेरिका और नाटो का शिकार हुवा है और अफ़्गानिस्तान मे अमीरात बनाने मे उसी तरह मदद की जैसे अरब अमीरात सऊदी अमीरात jordan अमीरात को बनाने मे रोल अदा किया अब यह खादिमैन हरिमैन शरिफ़ैन जिसने इनको बनाया वो britain है अब britain के द्वारा बसाया और बनाया गया आतंकी देश इस्राइल अब यह उसके खिलाफ़ कैसे हो सकते थे वो जंग लड़ते है जहां अमेरिका ब्रिटेन फ़्रान्स और nato जंग लड़ते है अब यह अफ़्गानिस्तान मे इराक़ मे यमन मे सिरिया मे लड़ते है क्यों? यह इस्लाम के खिलाफ़ रहने वाले हर मुल्क के साथ है सिर्फ़ क़ुरान पाक अल्लाह और रसूलुल्लाह के साथ रहने वालो के खिलाफ, ये क़ुरान मजीद के जलाने वाले के साथ है, के रसूलुल्लाह के cartoon बनाने वालो के साथ है LGBTQ के पक्ष मे कानून बनाने वालो के साथ है ईरान के खिलाफ जंग करने वालो के साथ है यह सब अधिकार BRITAIN ने उन्हे र

दुनिया की मदद मे मदद

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7 अकटूबर 2023 को फ़िलिस्तीन ने इस्राएल पर हमला कर दिया इसके साथ ही लाल सागर मे यमन के हूसी ने इस्राएल को support करने वाले जहाज़ो पर हमला करना शुरू कर दिया जिसके समर्थन मे अमेरिका और उसके सहयोगी इस्राइल की मदद करने के लिये आगे आ गये अमेरिका ने हूसी के खिलाफ एक गठबंधन बनाया जिसका नाम prosperity guardian रखा गया भारत ने उस गठबंधन मे शामिल होने से इंकार किया लेकिन इसी दौरान भारत के रक्षा मंत्री की united kingdom का दौरा हुवा और इस्के साथ 12 युध्दपोत अरब सागर मे यह कहकर भेजा कि वो समुद्री डाकूओ से लड़ने के लिए भेज रहे समय बीत रहा है भारत ने जिस तरह अमेरिका के गठबंधन मे शामिल न होकर भी उसके लिए नाके बन्दी करने मे अमेरिका की मदद की उसके गठबंधन और अपने मित्र इस्राइल की मदद की जब यह खबर भारत के मित्र देश रुस और ईरान को मिली तो उन देशो ने अपने मित्र भारत को अकेले समुद्री डाकू से निपटने मे कोई कठिनाई न हो इसके लिए रुस ने अपने मित्र ईरान और चीन के साथ मिलकर भारत की navy की मदद करने के लिए 19 मार्च 2024 से तीनो देशों ने अर्थात् रुस चीन और ईरान ने war exercises करने का फ़ैसला किया है

सऊदी अरब का इस्लामिक गठबंधन

सऊदी अरब ने 40 देशो के साथ मिलकर एक इस्लामिक गठबन्धन बनाया था क्या हुवा उसका क्या इस तरह का गठबन्धन ईरान को बरबाद करने के लिये बनाया गया था या किसी और मुस्लिम मुमालिक को बरबाद करने के लिए बनाया गया था जैसे सिरिया यमन लिबिया आदि या सिर्फ़ और सिर्फ़ मुसलमानो को बरबाद करने के लिए बनाया गया अगर यह मुसलमानों के लिये होता तो पंजा आज़माई आतंकी इस्राइल के साथ कुछ कर रहे होते अमेरिका ब्रिटेन के साथ लड़ रहे होते इससे पता चलता है कि सऊदी शासक का अधिकतर कार्य सिर्फ़ और सिर्फ़ शैतानी ताक़तो को खुश करने के लिए है इस्लाम का सऊदी शासको का कोई तालुक दूर दूर तक नही है वस सलाम

पाकिस्तानी खुद मुखतारी

पाकिस्तान की भी कोई खुद मुख्तारी है अपनी खुद मुखतारी यानी soverignity को बेचने वाला पाकिस्तान यह कैसे कह सकता है कि खुद मुख्तार है 2011 मे ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने क़त्ल किया वो भी पाकिस्तान के भीतर इसके बाद पाकिस्तान के भीतर अमेरिकी drone हमले लगातार होते रहे और पाकिस्तान खामोश रहा भारत ने surgical strike की पाकिस्तान और अमेरिका ने अफ़्गानिस्तान पर हमला किया पाकिस्तान ने अपनी सर ज़मीन का इस्तेमाल अमेरिका और नाटो को अफ़ग़ानिस्तान मे हमले के लिये किया पाकिस्तान ने खुद को और पाकिस्तानी सर्ज़मीन को अमेरिकी और नाटो के आतंकवाद को करने के लिये दिया और अमेरिका और नाटो की proxy बनकर उभरा पाकिस्तान. अब वर्तमान मे पाकिस्तान के सभी पडोसी देश अफ़्गानिस्तान ईरान और भारत यहाँ तक कि चीन भी पाकिस्तान से अमेरिकी तालुकात से खुश नही है आने वाले समय मे खैबर पख्तुन्वा पर अफ़्गानिस्तान बलोचिस्तान पर ईरान और बाकि कश्मीर पंजाब और सिन्ध के इलाको को भारत के क़ब्ज़ा करने की सम्भावना बढ़ती जा रही है पाकिस्तान जैसे देश को उसके पडोसी आतंकी के रूप मे देखते है पाकिस्तान जिस soverignity की बात करता है उसको वो अमे

सबका साथ सबका विकास

अभी तक आपने सबका साथ और सबका विकास का नारा सुना होगा आइये आपको उस विकास की ओर ले चलते हैं जिसमे कोई जाति मज़हब रंग सम्प्रदाय का भेद नही किया गया है और सबका विकास बराबर किया गया है किसी के साथ कोई नाइंसाफी नही की गयी 1. टेलीकाम सेक्टर को लेते है जो incoming का लुत्फ़ बिना पैसा डलाये लेते थे उनको अब फ़्री incoming मिलना खत्म tarrif के दाम बढा दिये गये इससे telecom कम्पनी को ज़बरदस्त लाभ पहुंचा और इस विकास मे कोई भेदभाव नही किया गया 2. रेल किराये मे बढ़ोतरी और reservation कानून मे बद्लाव किया गया जिससे सरकार को बडा लाभ पहुंचा क्या आप नही चाहते कि देश का विकास हो 3. bank के interest को इतना कम कर दिया और जो बढा हुआ interest था वो सरकार के पास गया क्या आप नही चाहते कि देश का विकास हो 4. gas cylinder के दाम मे बेतहाशा बढ़ाया गया इन सब विकास मे किसी को नज़र अन्दाज़ नही किया गया 5. फ़ीस बढ़ाने मे चाहे वो school की फ़ीस हो institution की फ़ीस किसी कार्यालय की फ़ीस हो न्याय शुल्क हो 5. post office के शुल्क मे बढ़ोतरी बाकि याद नही आप लोगो को अपने विकास के बारे मे कुछ याद आये तो comment करे

शैतानी ताक़तो का लांच खलिफ़ा

खुद्शाख्ता और अमेरिका ब्रिटेन फ़्रान्स और शैतानी ताक़तो के द्वारा बनाये गये खलिफ़ा तुर्की के तय्यब एर्दोगान जो खुद एक मुनाफ़िक़ है अपनी मुनाफ़्क़त का इज़हार उनके द्वारा आतंकी इस्राइल की सेना को वर्दी और अन्य कारोबार मे ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है क़ौम के यह मुनाफ़िक़ ही मुसलमानो के जज़्बातो का सौदा शैतानी ताक़तो से करते है मुस्लिम इनको हम्दर्द समझता और मानता रहता है और यह जज़बातो के हिसाब किताब गुणा भाग करके ऐसा स्पीच देते हैं मानो बड़े हमदर्द हो लेकिन दूसरी ओर जब इनकी तारीफ़ antony blinken जैसे लोग करते हैं तो लोग हैरत मे पड़ जाते हैं मगर उनकी तारीफ़ उनका मुखालिफ़ क्यों करता है इसको जब तक लोग समझते हैं तब तक उनके किरदार की दूसरा चेहरा नज़र आता है वो चेहरा उनके दिखाये गये किरदार से बिल्कुल बरअक़स दिखता है आप को हैरत तब नही होती जब यह सिर्फ़ और सिर्फ़ बयानबाज़ी करते रहे और खड़े नही हुए उनसे माफ़ी चाहूंगा जो अपने दिल में अल्लाह के बनाये हुवे खलिफ़ा की जगह ऐसे मुनाफ़िक़ को खलिफ़ा समझ बैठे या अमेरिका और शैतानी ताक़तो ने ऐसा खलिफ़ा market मे लांच किया है

लक्ष्य द्वीप

भारतीय जनता पार्टी ने मुसलमानों के खिलाफ बहुत सारे काम किये है जिस तरह गुजरात मे मुस्लिम कुश फ़सादात बरपा किया सब जानते है मोब lynching मे मुसलमानों के क़त्ल पर खामोशी जम्मु और कश्मीर मे 2019 मे पूरी दुनिया से network ही खत्म कर दिया कितने लोग क़त्ल हुए और कितने दवा के अभाव मे मर गये पता ही नही चला अब एक दूसरा केन्द्र शासित राज्य लक्ष्य द्वीप जो मुस्लिम बहुल है वो भाजपा के निशाने पर आ गया है अभी लक्ष्य द्वीप पर्यटन के बढावा देने की बात की जा रही है बाद मे उसको केन्द्र शासित राज्य को खत्म करके उसे मुस्लिम बहुल को खत्म करने का प्रयास होगा ये अभी लुभावनी वाली बाते है जो भविष्य को ध्यान मे रखकर बनाया गया है जैसे जम्मु और कश्मीर को विलय के समय उनकी भौगोलिक स्थिति को न बदलने और जन सान्ख्कीय को बदलने नही देंगे वक़्त ने सब कुछ दिखा दिया और कश्मीरी मुस्लिम अपने को ठगा हुआ मह्सूस कर रहे हैं

operation prosperity guardian

operation prosperity guardian american along with 14 countries will operate the operation prosperity guardian. india did not join the operation prosperity guardian because of many reason. 1. india is close friend of russia as well as iran. 2. india is not eager to fight against houthi. 3. turkiye stopped the britain ship who was delivering the lethal weapons to ukraine, was about to use against russia. 3. india send the warship close the yemen sea and this scenario shows the cordon of houthi. 4. sending of warship close yemen sea will help the american led operation prosperity guardian. 5. india is close friend of israel and is assisting the israel. 6. russia is against the america and nato and houthi iran hizbollah and hamas are with russia. india shows himself as friend of russia so will not go openly against the russia but will help the america and israel. 7. after sending of warship, defence minister will visit britian show the solidiatry with britain and could be signif

withdraw of france

Some countries like France and other withdrew from the american led coalition against the yaman ansarullah. This withdraw is not to help the Yemen ansarullah or Iran. Very dangerous situation happened in Europe because of Russia and Ukraine war. Now Russian are backing the Iran houthi Hezbollah and other Iraqi resistance. It is certain that Russia will come in this middle east war. War will be envitable. Russian are ready to nuclear war and warning has been given. Those countries are giving logistics support to Ukraine will come into nuclear attack. So withdraw from coalition is a wisdom of that country not the woe of houthi iran Hezbollah nor fear of that.

आतंकी इस्राइल की करतूत

आतंकी इस्राइल और यहूदी इस्राइली ने रुस को तबाह और बर्बाद करने के लिये अमेरिका और नाटो के साथ मिलकर साज़िश रची और घातक हथियार अमेरिका के साथ आतंकी इस्राइल ने भी आपुर्ति की, इस के बाद रुस के president ने आतंकी इस्राइल का वो हश्र कराया है कि दुनिया देख रही है यही मुकद्दर अमेरिका ब्रिटेन और फ़्रान्स का होना है ! आतंकी यहूदी इस्राइली की मदद करने शैतानी ताक़ते अर्थात् अमेरिका ब्रिटेन फ़्रान्स आ गये और रुस भी इनको दर्दनाक सज़ा दिलाने के लिये यमन के अन्सार उल्लाह का समर्थन करना शुरू कर दिया अमेरिका ब्रिटेन और फ़्रान्स इन शैतानी ताक़तो को नेस्त ए नबूद करने के लिये दुनिया की कई ताक़ते एक हो चुकी है शैतानी ताक़ते दुनियां के अमन के लिए खतरा बन चुके हैं आने वाले समय मे अमेरिका के कुछ और बाज़ू काटे जाएंगे युक्रेन और आतंकी इस्राइल को रुस बरबाद कर चुका है अब यह देखना है कि अमेरिका के अन्य बाज़ू को रुस कैसे तबाह और बर्बाद करता है

अगर अल्लाह न हुवा !

अमीरुल मोमिनीन इमाम हज़रत अली से एक काफिर ने सवाल किया कि आप जो नमाज़ रोज़ा करते है अगर अल्लाह न हुवा तो यह सब बेकार हो जाएगा । आप ने उसके इस तंज़ पर जो जवाब दिया वह रहती दुनिया तक के लिए है और उसके बाद भी है । आप ने फरमाया “ मैंने अल्लाह को इरादों की शिकस्तगी से पहचाना “ इस पर गौर करने वाली बात है जो यह है कि आपने कोई इरादा किया और उस इरादे को तोड़ देने वाली ताकत अगर कोई है तो वो अल्लाह की है । इरादे के अन्तर्गत सभी आते है किसी का कोई मजहब हो धर्म हो छोटा हो बड़ा हो और इरादे को तोड़ देने वाली ताकत से उस शक्ति की पहचान होती है । उदाहरण के लिए हज़ारों मामले है अब इसको ऐसे देखते है कि “ आपका का कोई गहरा दोस्त है और उस दोस्त के लिए आप अपनी जान और माल को कुर्बान करने के लिए तैयार रहते है इसके बावजूद एक ऐसा वक्त आता है जब आप उसके दुश्मन बन जाते है और उसकी जान के प्यासे बन जाते है । इसको इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के अमेरिका और सऊदी अरब से गहरे रिश्ते थे और 1980 से 1988 तक ईरान पर जंग थोपने के लिए इराक का साथ दिया घातक हथियार दिया। इसके बाद जब 2 अगस्त 1990 को कुवैत पर इराक ने हमला कर

क्रिमिनल स्टेट इस्राइल

ईरान के रक्षा मंत्री ने इस्राइल को क्रिमिनल स्टेट कहा है । इसमे कितनी वासविकता है । इस्राइल के क्रिमिनल स्टेट होने के कई आधार है । पहला आधार यह है कि पेशेवर कातिल की तरह सैकड़ों क़त्लो को किया और कराया है और बड़ी तादाद मे बेगुनाह मासूम बच्चों औरतों मर्दों बूढ़ों का कत्ल किया है जो बिना ट्रायल के बिना अपराध को साबित किए आपराधिक लोगों की तरह बच्चों महिलाओ और बूढ़ों के साथ दुर्व्यवहार किया । दुनिया भर मे और इंटरनेशनल लॉ के अन्तर्गत कुछ नियम बनाए गए जिनको आतंकी इस्राइली यहूदी न मानते है और न पालन करते है । दुनिया भर मे मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है आतंकी इस्राइली यहूदीयों के द्वारा मरीजों के साथ भी बहुत बड़ा बुरा व्यवहार किया जाता है । इस सब अपराध को करने के लिए आतंकी इस्राइली यहूदीयों को बल मिलता है दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकी ब्रिटीशरों के द्वारा और उसको समर्थन दुनिया मे उसकी औलादों के द्वारा जैसे अमेरिका ऑस्ट्रेलिया कनाडा आदि के द्वारा किया जाता है । आतंकी ब्रिटेन ही है जिसने दुनियाभर के आतंकी यहूदीयों को इकट्ठा किया उन्हे हथियार और घातक हथियार देकर फिलिसतीन मे क़त्लो गारतगरी क

यज़ीद काफिर था

यज़ीद इब्ने मुआविया लानतउल्लाह अलैह के काफिर होने की दलील बहुत सी है । मुआविया इस्लामिक हुकूमत का बाग़ी अफराद (व्यक्ति) था हज़रत अली से जंग करने के बाद मुआविया काफिर हो गया वाज़े हदीसो मे उसका ज़िक्र (उल्लेख) है जैसे हज़रत अम्मार बिन यासिर को बाग़ी गिरोह कत्ल करेगा (सिफ़फीन जिसे अब सीरिया मे रक्का कहा जाता है, की जंग मे मुआविया के गिरोह ने कत्ल किया था ) कर्बला मे इमाम हुसैन से जंग करने वाला यज़ीदी फौज ने नवासे रसूल और उनकी अहले बैत को कत्ल कर दिया और आले मोहम्मद सलामउल्लाह अलैह को कैद करके दमिश्क (शाम/सीरिया की राजधानी) लाया गया उस वक्त यज़ीद इब्ने मुआविया लानतउल्लाह अलैह ने संबोधित करके जो कहा वो उसके काफिर होने को साबित कर दिया , उसने कहा “ मोहम्मद पर कोई वही नाज़िल नहीं हुई न ही कोई किताब उतरी यह सब बनी हाशिम का झूठ था जो हुकमरानी प्राप्त करने के लिए किया गया था आज जब आले मोहम्मद का कत्ल कर दिया गया उसके पूर्वज खुश हो गए होंगे जो बद्र और उहद मे उसके रिश्तेदार मारे गए थे (यह याद रखना चाहिए कि मुआविया और यज़ीद के तमाम रिश्तेदार दोनों जंगों मे मारे गए थे वो भी कुफ्र की तरफ से लड़ते हुए काफिर होकर

इस्राइल का परमाणु बम

इस्राइल का परमाणु बम अमेरिका और पश्चिमी देशों के द्वारा इस्राइल के परमाणु बम पर खामोशी है इस्राइल के परमाणु बम की तकनीकी, मशीने और समान अमेरिका और पश्चिमी देशों के द्वारा उपलब्ध कराया गया और बनाया गया है इस्राइल का अरबों से कई जंग हो चुकी है (सन 1947- 1948 जब ब्रिटेन और पश्चिमी देशों के द्वारा अवैध असलहा देकर फिलिस्तीनियों का कत्ले आम करके यह देश बनाया गया था जिसका सबसे बड़ा अपराधी और साज़िशकर्ता ब्रिटेन था) 1956 मे सवेज नहर को मिश्र (Egypt) ने राष्ट्रीयकरण कराने पर इस्राइल ब्रिटेन और फ़्रांस तीनों ने मिश्र पर हमला कर दिया, 1967 की अरब इस्राइल जंग हुई जिसमे बैतूल मुकद्दस मे इस्राइल ने आग लगा दी और अरबों मे सीरिया लेबनान जोर्डन की ज़मीन पर कब्जा कर लिया था जिसमे अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और अन्य देशों ने इस्राइल की मदद की । सन 1973 मे मिश्र और इस्राइल की जंग , सन 1982 मे लेबनान से जंग , सन 2000 मे लेबनान के हिज़्बोल्लाह से झड़पे और सन 2006 मे लेबनान के हिज़्बोल्लाह और इस्राइल से जंग और वर्तमान 2023 फिलिसतीन और इस्राइल से जंग हो रही है । फिलिसतीन और इस्राइल से जंग के बीच इस्राइल के मंत्री के द

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 3 : ऐटम बम

अमेरिका और पश्चिमी देशो के द्वारा ऐटम बम और हाइड्रोजन बम और खतरनाक असलहे इंसानियत को मिटाने के लिए बनाए गए है और इन देशों के द्वारा दुनिया के गरीब देशों और अमीर देशों को धमकाया गया जिनके पास ऐटम बम और ऐसे खतरनाक हथियार नहीं थे और वो देश जो इनकी ताबेदारी के खिलाफ थे और है और इनके मातहत बनकर या इनके हुक्म को मानने से इनकार करते थे । परमाणु बम का प्रयोग करने वाला अमेरिका जिसने जापान पर परमाणु बम से हमला कर दिया और लाखों इंसान का कत्ल किया जिसने अफगानिस्तान और इराक पर सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम दुश्मनी के कारण mother of all bomb से लेकर nuclear टैक्टिकल वेपन का इस्तेमाल करके लाखों बेगुनाह अफ़ग़ानी और इराक़ी का कत्ल किया । और इस पर कातिल खूनी अमेरिका को इंसानियत का मसीहा समझा जाए उसे इंसान दोस्त समझा जाए मुस्लिम हमदर्द समझा जाए । NPT: non proliferation treaty जिसे नूक्लीअर अप्रसार संधि भी कहते है लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों जिनके पास अटामिक वेपन थे उसने इस्राइली यहूदियों को ऐटम बम बनाने की तकनीकी और सामान उपलब्ध कराया । मुस्लिम दुश्मनी मे इराक के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय संस्था international atomic

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 1 : रासायनिक हथियार

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों का प्रचार की जर्मनी के द्वारा रासायनिक हथियार (chemical weapon) का प्रयोग किया गया इसका दुष्प्रचार किया गया और ऐसा दिखाया गया कि पश्चिमी देश और अमेरिका बिल्कुल मासूम थे बाद के समय मे इंसानियत का कत्ल करने वाले अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला करके हिरोशिमा और नागासाकी के दसियों लाख बेगुनाह मासूम जापानियों नागरिक का होलोकास्ट किया । सन 2011 मे आई. एस. आई. एस. जैसे संगठन को पश्चिमी देशों और अमेरिका के द्वारा बनाया गया और उनकी बड़ी सैन्य सहायता की गई । दुनिया के बहुत सारे छोटे बड़े देशों के पास ऐसे हथियार मौजूद नहीं थे जो पश्चिमी देशों और अमेरिका के द्वारा निर्मित हथियार इस संगठन के पास उपलब्ध कराए गए थे । आतंकवादियों के भेष मे अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और अन्य देशों की सेना इराक और सीरिया मे लड़ रही थी । सीरिया मे मशहूर ब्रिटिश आतंकवादी जॉन जिसने बर्बरता की सीमा पार की थी । उधर pentagon अपने बयान मे कहा था कि आई. एस. आई. एस. को 50 साल तक कोई निकाल नहीं सकता । अमेरिका और पश्चिमी देशों ने आतंकवाद को खत्म करने के बहाने आई. एस. आई. एस. की मदद कर

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 2 : बाल अपराध

दुनिया भर मे अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के द्वारा गरीब अमीर देशों की दौलत को लूटा गया है । सीधे तौर पर इराक के खज़ाने, लीबिया और सीरिया के खज़ाने को लूटा गया अफगानिस्तान के resources को लूटा गया । अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देश वो पाखंडी देश है जो अन्दर से क्रूर ,ज़ालिम बर्बर है और इनकी क्रूरता ज़ुल्म और बर्बरता का उल्लेख इतिहास मे दर्ज है। अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के अपनी क्रूरता बर्बरता और बेइंतेहा ज़ुल्म के बाद खुद को अपने द्वारा और अपने आपराधिक संगठनों के द्वारा स्वयं को मासूम, इन्साफपरस्त इंसानियत परस्त और ऐसे दिखाते है जैसे यह देश इंसानियत के दोस्त हो, इन्साफपरस्त हो ,मगर इस इंसानियत दोस्त को दिखाने मे कहीं छिपी हुई मक्कारी होती है कहीं शैतानी दिमाग होता है । जो देश इनका अनुयायी न बनता हो विरोध करता हो उसके अमेरिका और पश्चिमी देश खिलाफ है इनके हथियार है सबसे पहले पूरी दुनिया मे उसके सम्मान चरित्र पर हमला करना है , गिराना है जैसे मानवाधिकार का बड़ा उल्लंघन हो रहा है धार्मिक अल्पसंख्यों के साथ भेदभाव हो रहा है उन पर ज़ुल्म हो रहा है महिला को आज़ादी नहीं