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Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग

इमाम मेहदी अलैहिस सलाम और उन पर गलत कयास आराई

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इमाम मेहदी अलैहिस सलाम और उन पर गलत कयास आराई हज़रत रसूल अल्लाह सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने आने वाले वक्त के बारे मे बताया है और इमाम मेहदी अलैहिस सलाम के बारे मे पेशीनगोई की है । सनन अबू दाऊद की किताब 31 संख्या 4272 मे अबू सईद अल खुदरी से रिवायत है कि पैगंबर ने कहा था कि इमाम मेहदी मेरे वंश से होगा। इमाम मेहदी हज़रत ईसा मसीह से कुछ समय पहले ज़ाहिर (प्रकट) होंगे। सुन्नी और शिया मुसलमानों का मानना है कि ईसा और मेहदी एक ही समय मौजूद होंगे । सुन्नी और शिया दोनों मे इमाम मेहदी को माना जाता है लेकिन उनके गुणों और स्थिति पर दोनों मे काफी मतभेद है । हदीसो के मुताबिक इमाम मेहदी ज़मीन को न्याय और इंसाफ से भर देंगे सवाल: इमाम मेहदी की पैदाईश के सम्बन्ध मे शिया और सुन्नी मे मतभेद क्या है ? जवाब : हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने अपनी हयात तैययबा मे ही इमाम मेहदी को अपने वंश मे जन्म लेने के बारे मे बताया । जिस समय यह बताया गया उस समय इमाम मेहदी का जन्म नहीं हुवा था । सुन्नी अभी भी उनके पैदा होने के इंतज़ार मे है । जबकि शिया असना असरी इमाम मेहदी का पैदा होना मान रहे है ।

Indian judicary and muslim

इतिहास जस्टिस चंद्रचूड़ को कैसे याद करेगा, यह उन्होंने ख़ुद तय कर दिया है भारत के इतिहास में यह दर्ज किया जाएगा कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता की इमारत जब गिराई जा रही थी, हमारे कई न्यायाधीशों ने उसकी नींव खोदने का काम किया. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का नाम सुर्ख़ियों में होगा. खबर है कि जब बाबरी मस्जिद की ज़मीन की मिल्कियत तय करने के मामले में कोई रास्ता नहीं निकल रहा था तब देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ अपने ईश्वर के सामने करबद्ध बैठे और कहा कि अब तुम्हीं राह दिखलाओ. यह चंद्रचूड़ साहब ने अपने गांववालों को बतलाया. मतलब यह कि जो फ़ैसला न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और उनके बिरादर न्यायमूर्तियों ने दिया, वह उनका नहीं था, ईश्वर ने लिखवाया था. लेकिन यह कहकर एक तरह से चंद्रचूड़ साहब ने यह स्वीकार कर लिया कि निर्णय उनका लिखा हुआ था जिस पर बाक़ी 4 बिरादर न्यायमूर्ति राज़ी हो गए. उनके इस वक्तव्य से इस प्रश्न का उत्तर भी मिल गया कि क्यों फ़ैसले पर किसी न्यायमूर्ति का दस्तख़त नहीं था. यानी आजतक लोग-बाग सिर्फ़ अंदाज लगा रहे थे कि फ़ैसला किसने लिखा. उसकी भाषा और शैली देखकर कानाफूसी हो रही थी कि

पुतिन की उपलब्धि

रुस के प्रेसिडेन्त व्लादिमीर पुतिन ने सत्ता को संभालते ही रुस के राज्य चेचेन के विद्रोह को दमन किया |रुस से आज़ाद हुवे जार्जिया के प्रान्त अबखाज़िया पर आक्रमण करके क़ब्ज़ा किया सन 2014 मे युक्रेन क्रिमिया पर क़ब्ज़ा किया इन सबके साथ रुस ने पश्चिमी देशो और सलाफ़ी आतंकवादीयो के गठबंधन आई एस आई एस को तबाह और बर्बाद करने मे अहम भुमिका निभाई सिरिया मे अपने अड्डे बनाये अमेरिका और उसके साथी देशो को व्यापार को चुनौती देने के लिए BRICS जैसी संस्था की स्थापना की पूरे विश्व मे अमेरिका विरोधी देशो को एकजुट किया और आपस मे व्यापार करने को प्रोत्साहन दिया वर्तमान मे NORTH KOREA CHINA PAKISTAN INDIA IRAN IRAQ SYRIA LEBNON TURKEY YEMEN LIBYA NIGERIA आदि देशो को आपस में व्यापार के साथ एक बहुत बडा MILITARY ALLIANCE को अमेरिका और उसके साथी देशो के विरुध तैयार कर दिया अमेरिका की HEGEMONY को खत्म करने के लिये DEDOLLARIZATION को करने के लिए BRICS मे एक नई CURRENCY को LAUNCH करने जा रहे हैं विश्व मे इन सब उप्लब्धि के साथ अमेरिका और उसके सहयोगी के द्वारा जो विवाद पैदा किये गये हैं जैसे NORTH KOREA SOUTH KOREA के बीच

IRAN TACTICS

HOW MANY RETIRED GENERAL AND DEFENCE EXPERT WERE MENTIONING ABOUT ATTACK ON IRAN AS MILITARY INSTALLATION OIL REFINERY, MILITARY BASES AND AMERICAN DID PSYCOLOGICAL WAR THAT ISRAEL LOCKED ALL TARGET AND IS LIKELY TO HAPPEN AN HUGE ATTACK. AS FAR AS I DO THINK THAT ISRAEL WILL NOT BE CAPABLE TO ATTACK ON IRAN WHAT WAS REASON TO NOT ATTACK ON IRAN. FIRST ISRAEL IS NOT WELL WISHER OF IRAN AND GIVEN UP THE INTETION TO ATTACK ON IRAN SUCH IS NOT. SECOND IRAN IS ALSO PREPARED FOR WAR AND HIS PROXIES IS CAPABLE TO DESTROY THE ISRAEL AND THEY STARTED TO DESTROY THE ISRAEL. THIRD ISRAEL HAS WEAKEN TO SECURE HIS DEFENCE AND THIS WEAKNESS CAME BEFORE THE WORLD. THAAD SYSTEM OF AMERICA INSTALLED IN ISRAEL DESPITE IT THE ATTACK ARE NOT STOPPING. IRAN HAS NOT COME IN BLUFF OF AMERICA ISRAEL OR OTHERS. FOURTH AMERICA AND HIS ALLIES ARE ALSO VERY BUSY IN UKRAINE WAR AND ARMS AND AMMUNITION ARE BEING USED IN THERE. AND NEW FRONT OF WAR IS LIKELY TO OPEN IN THE WORLD. IT IS CERTAIN THAT ISRAEL FACE

राजनिति और धोखा

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राजनिति को समझने और उसमे बेवकूफ़ लोगो को किस तरह धोखा दिया जाता है और कम समझ लोगो की भावनाओ /जज़बातो के साथ खेला जाता है 5 अगस्त 2019 को जब जम्मु और कश्मीर से सविन्धान के अनुच्छेद 370 को खत्म किया उस समय आपको याद होगा कि उन्होंने 9 जनवरी 2019 को विरोध में भारतीय नौकरशाही से अपना इस्तीफा दे दिया, जिसमें अन्य बातों के अलावा कश्मीर में "निरंतर हत्याओं" का हवाला दिया गया था, जिसे कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा "कभी स्वीकार नहीं किया गया" और बाद में उन्होंने इसे वापस भी ले लिया।जीवन की शुरुआत की। इसके तुरंत बाद, 16 मार्च 2019 को, उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) की घोषणा की। उन्होंने 10 अगस्त 2020 को राजनीति छोड़ दी और JKPM छोड़ दी। अप्रैल 2022 में मोदी सरकार ने उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में बहाल कर दिया। अगस्त 2022 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उप सचिव के पद पर तैनात किया गया। अब इसमे गौर करने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग ने रजनितिग पार्टी को गठन करने दिया उसे महिनो संचालित करने दिया वो भी IAS होते हुवे क्योंकि

जंग किसी मसले का हल नही!

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अक्सर और बेस्तर मुस्लिम उलेमा और अन्य दानिशवरो से सुनते आये हैं कि जंग किसी मसले का हल नही है ऐसी बात करना क़ुरान और सुन्नत के खिलाफ़ है अगर जंग से मसले का हल नही होता है तो हज़रत दाऊद ने जंग क्यों की सवाल है हज़रत सुलेमान ने जंग क्यों की हज़रत ज़ुलकरनैन ने जंग क्यों की हज़रत मूसा ने जंग क्यों की हज़रत रसूल उल्लाह सल्लल्लहो अलैह व आले वसल्लम ने जंग ए बद्र जंग उहद जंग खैबर और बहुत सारी जंग है अमीरूल मोमिनीन ने जंग सिफ़्फ़ीन जंग जमल इमाम हुसैन ने जंग ए कर्बला करनी पडी और क़ुरान मजीद मे जेहाद को बताया गया अब अल्लाह सुभान व तआला और अल्लाह के रसूल आदि यह समझने मे कासिर रहे नाऊज़ बिल्लाह की जंग मसले का हल नही सही मायने मे देखे तो जंग ही मसले का हल है वर्ना हज़रत दाऊद हज़रत मूसा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को जंग न करनी पड़ती

विस्तारवाद

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विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया क्या हकीकत मे विस्तारवाद का युग समाप्त हो गया इसके लिए आपको अन्तराष्ट्रीय घटनाओ पर नज़र डालनी पड़ेगी 2001 मे जिस समय अफगानिस्तान पर अमेरिका ने अपने कुख्यात गिरोह के द्वारा हमला किया और 2001 से लेकर 2021 तक अफगानिस्तान पर क़ब्ज़ा जमाए रखा इसके बाद अमेरिका ने अपने कुख्यात गिरोह के साथ इराक पर हमला किया और उसको क़ब्ज़ा किया 2008 मे रूस ने जारजिया के प्रांत आबखाजीया पर हमला करके उसपर क़ब्ज़ा किया गया लगातार अमेरिका अपने आतंकवादी साथियों के साथ भी हमला करता रहा है जैसे लीबिया मे आतंकी के साथ मिलकर अमेरिका ने लीबिया पर क़ब्ज़ा किया सीरिया और इराक और उसके स्रोतों पर कब्जा करने के लिए अमेरिका और उसके कुख्यात गिरोह के द्वारा आई.एस. आई. एस. को खड़ा किया ट्रैनिंग दी और कुख्यात आतंकीयों की फौज को इराक और सीरिया मे आतंक मचाने और क़ब्ज़ा करने मे मदद दी यूक्रेन मे चुनी हुई सरकार को अमेरिका और उसके कुख्यात गिरोह ने तख्तापलट करा दिया और 2014 मे रूस ने क्रिमिया को अपने कब्ज़े मे ले लिया 2020 मे आर्मेनिया और अज़रबेजान मे युद्ध हुआ और आर्मेनिया नोगोंरनों कराबाख हार गया वर्तमान मे 2022 से

विदअत

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विदअत क्या है इस्लाम मे विदअत ऐसे कार्य को करना है जो हुक्म अल्लाह ज़ुलजलाल वल इकराम व रसूल उल्लाह मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने न किया हो । अज्ञानी मौलवी ने “रोने को विदअत “ कहना शुरू कर दिया वो इसलिए कि आले मोहम्मद सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम इमाम हुसैन और उनके कराबतदारों, मेहमानों, और दोस्तों को कर्बला मोअल्ला मे शहीद कर दिया गया । आले मोहम्मद सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम से मोअददत करने वाले लोग अपनी मोअददत मे उन पर होंने वाले ज़ुल्म पर रोते है । मुआविया और यज़ीद लानत उल्लाह अलैह से लगाव रखने वाले और उनसे मोहब्बत करने वाले, हुसैनियों से नफरत करते है और रोने को विदअत कहते है । “रोने को विदअत “ कहने वाले उस वक्त खामोश हो गये जब हज़रत आदम के रोने का ज़िक्र आया, जब हज़रत याकूब के रोने का ज़िक्र आया, और अल्लाह ज़ुलजलाल वल इकराम के नबी मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम के रोने का ज़िक्र आया वह भी तब जब हज़रत हमज़ा की शहादत हुई और कर्बला मे अपने नवासे इमाम हुसैन की होने वाली शहादत का पहले से बता देना और गिरया (रोना) करना साबित कर रहा था कि रोना

उलूल इल्म

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उलूल इल्म शहीदउल्लाहु अन्नहु ला इलाहा इल्ला हुआ व मलायकतु व उलूल इल्म क़ायमन बिल किस्त ला इलाहा इल्ला हुवल अज़ीज़ुल हक़ीम (सूरे आले इमरान आयत नं.18) “ अल्लाह खुद गवाह है कि नहीं है कोई इलाहा (पूज्य) सिवाय उसके व मलाएका (फ़रिश्ते) व एक के बाद एक कायम होने वाले उलूल इल्म (साहिबाने इल्म) गवाही देते है नहीं है कोई इलाहा सिवाय उस अज़ीज़ुल हक़ीम के “ अब चर्चा का विषय (मौज़ू) उलूल इल्म है । इल्म (ज्ञान) नबीयों की मीरास (legacy) है। सूरे कहफ (आयत नं. 60 से 82) और याद करो जबकि मूसा ने अपने युवक सेवक से कहा : जब तक कि मै दो दरियाओ के संगम पर न पहुँच जाऊं हटने का नहीं, अन्यथा मै एक लम्बे समय तक चलता रहूँगा । तो जब वे संगम पर पहुंचे दोनों (दरियाओ) के बीच, तो वे अपनी मछली भूल गये, और उस (मछली) ने दरिया मे की तरह अपना रास्ता बना लिया । फिर जब वे आगे चले, तो (मूसा ने) अपने युवक सेवक से कहा : हमारे लिए खाना लाओ इस सफर से हमको बहुत तकलीफ हो गई है । उसने कहा : भला आप ने देखा कि जब हमने पत्थर के पास आराम क्या था तो मै मछली वहीं भूल गया और मुझे आप से उसका ज़िक्र करना शैतान ने भूला दिया और उस ने अजब तरह से दरिय

CAA, NRC,NPR और मुसलमानों का भयभीत होना!

CAA, NRC,NPR और मुसलमानों का भयभीत होना! CAA, NRC, NPR से मुसलमान भयभीत क्यों है सबसे पहले हम CAA को जानते है CITIZENSHIP AMENMENT ACT नागरिकता संशोधन अधिनियम NRC= NATIONAL REGISTER OF CITIZEN नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (पंजिका) NPR = NATIONAL POPULATION REGISTER राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर आज CAA, NRC, और NPR पर चर्चा करेंगे इसके साथ मुस्लिम क्यों भयभीत है इस पर भी चर्चा करेंगे । सन 1947 मे अंग्रेजों के द्वारा लन्दन मे पारित कानून INDIAN PARTITION ACT 1947 (भारतीय विभाजन अधिनियम 1947) किया गया जिसमे दो आज़ाद देशों भारत और पाकिस्तान का निर्माण किया गया इसके साथ दोनों देशों मे PRINCELY STATE जिसे देशी रियासते थी जो आज़ाद थी और उनमे राजा, नवाब, निज़ाम आदि राज्य करते थे । सन 1955 मे नागरिकता अधिनियम (CITIZENSHIP ACT 1955 ) पारित किया गया । जिसमे नागरिकता प्राप्त करने के प्रकार दिए गए है । जन्म के द्वारा नागरिकता : 26 जनवरी 1950 से पहले या बाद मे भारत मे जन्म लेने वाले कोई व्यक्ति भारत के नागरिक है यह जन्मजात नागरिकता है । अवजनन द्वारा नागरिकता : भारत के बाहर भारतीय माता पिता से जन्मे ल

इखतेलाफ़

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अपने आखिरी समय मे जब अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) ने किसी सहाबी से कागज़ और कलम लाने के लिए कहा “ लाओ मै तुम्हें लिखकर दे दूँ ताकि तुम्हारे बीच कोई इखतेलाफ़ न रहे “ कागज़ कलम न दिया एक अलग बात है लेकिन रिसालत माब अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) ने रहती दुनिया तक यह संदेश दे दिया कि अल्लाह के नबी अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) ने कागज़ और कलम को सहाबी से तलब किया साथ मे यह भी कहा कि तुम्हारे बीच कोई इखतेलाफ़ न रहे । इसका मतलब अल्लाह के नबी अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) अपनी उम्मत मे इखतेलाफ़ नहीं चाहते थे कागज़ और कलम का न दिया जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि असल मंशा क्या है दूसरी बात यह है कि जिसने कागज और कलम न दिया वो भी अल्लाह के नबी अहमद मुजतबा मोहम्मद मुस्तफा (सललल्लाहों अलैह व आले वसल्लम) के इस बारे मे जानते थे कि इसमे क्या लिखा (रकम) जाएगा । 1. गदीर-ए-खुम मे हज़रत अली को अपनी उम्मत का मौला हज़ारों अफराद के बीच बना देने के बाद और सबसे हज़रत अली के हाथ पर बैअत लेने क

नमाज़ पढे या क़ायम करे!

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नमाज़ को अरबी भाषा मे सलात कहा गया है। फारसी भाषा मे नमाज़ कहा गया है नमाज़ पढे या क़ायम करे, नमाज़ मे ही सूरे पढ़ी जाती है सूरे मुज़्जमिल मे ज़िक्र है “व अकीमुस सलात व आतुज़ ज़कात व अकरिज़ुल्लाह करज़न हसना “ इसमे अकीमुस सलात “ कायम करो सलात को । अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हुक्म दिया है सलात (नमाज़) को क़ायम करो । क़ायम करना किसे कहते है और पढ़ना किसे कहते है क़ायम करना किसी ऐसे कार्य को क्रमबद्ध जारी रखना है । पढ़ना का अर्थ है कि आप किसी भी बिना मुताईयन (निर्धारित) किए जब चाहे पढे । इसमे वक्त की मियाद (LIMIT) नहीं है । अब एक बेहतरीन नज़ीर के ज़रिए क़ायम को समझा जा सकता है । इंसान या जानदार के दिल की धड़कन को समझे । अगर एक धड़कन के बाद धड़कना बंद हो जाए तो इंसान या जानदार की मौत हो जाएगी और लगातार धड़के तो ज़िन्दगी की निशानी है यह लगातार धड़कना क़ायम होना कहलाता है । क्या लगातार धड़कने मे दिल आराम भी करता है जी हाँ एक्सपर्ट (माहरीन) की राय है कि दिल की दो धड़कनों के बीच दिल आराम भी करता है । सलात (नमाज़) क़ायम करने का जो हुक्म दिया गया है उसे लगातार बनाए रखने के लिए है अर्थात क़ायम करने के लिए है । जैसे फ़जर की सलात (

शिया सहाबा को नहीं मानते !

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अक्सर लोगों के बीच इस तरह की अफवाह फैलाई जाती है कि शिया सहाबा को नहीं मानते अब सवाल यह पैदा होता है कि किस सहाबा को नहीं मानते और किस सहाबा को मानते है क्या सभी सहाबा को नहीं मानते । सभी सहाबा को हक़-ब-जानिब अल्लाह सुभान व तआला ने भी नहीं माना इसकी दलील सूरे मुनाफिकून मे दी गयी है। “सूरे मुनाफिकून (63) रसूलउल्लाह (सल्लललहों अलैह व आले वसल्लम) ये मुनाफ़कीन आप के पास आते है तो कहते है कि हम गवाही देते है कि आप अल्लाह के रसूल है और अल्लाह भी जानता है कि आप उस के रसूल है लेकिन अल्लाह गवाही देता है कि ये मुनाफ़कीन अपने दावे मे झूठे है । 2. उन्होंने (यानी मुनाफ़कीन) ने अपनी कसमों को सिपर (ढाल) बना लिया है और लोगों को राहे अल्लाह से रोक रहे है यह उनके बदतरीन आमाल (काम) है जो यह अंजाम दे रहे है । 3. यह इसलिए है कि यह पहले ईमान लाए फिर काफिर हो गए तो उनके दिलों पर मुहर लगा दी गई तो अब कुछ नहीं समझ रहे है । 4. और जब आप उन्हे देखेंगे तो उनके जिस्म (शरीर ) बहुत अच्छे लगेंगे और बात करेंगे तो इस तरह कि आप सुनेने लगें लेकिन हकीकत मे यह ऐसे है जैसे दीवार से लगाई हुई सूखी लकड़ीयां कि ये हर चीख को अ

नागरिकता का प्रमाण

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सबसे पहले यह जानते है कि नागरिकता क्या है गुलामी मे क्या नागरिकता थी ? राजाओ के राज्य मे प्रजा की नागरिकता क्या थी ? आज़ाद भारत मे नागरिकता क्या है । नागरिकता का प्रमाण क्या है ? आज़ादी से पहले राजा के राज मे निवास करने वाली उसकी तमाम प्रजा उस राजा की प्रजा कहलाती थी उस प्रजा को नागरिक मान सकते है । गुलाम भारत मे राजाओ के राज्य को छोड़कर जितने भाग पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा था वो सब ब्रिटिश नागरिक थे । गोवा पुर्तगाल के अधीन था इसलिए गोवा मे निवास करने वाले पुर्तगाली नागरिक थे । इंडियन पार्टीशन एक्ट 1947 को ब्रिटिश संसद से पारित करने के पश्चात ब्रिटिश इण्डिया को दो हिस्सों मे बाँट दिया गया एक इण्डिया और दूसरा पाकिस्तान । इन दोनों देशों मे रहने वाले इण्डिया और पाकिस्तान के नागरिक हो गये। दोनों देशों की सीमाये जब तक एक दूसरे के नागरिकों के लिए खुली हुई थी तब तक दोनों तरफ के नागरिक आ जा सकते थे और नागरिकता प्राप्त कर सकते थे । इसके पश्चात 1947-1948 मे जम्मू और कश्मीर के विलय के साथ जम्मू और कश्मीर के लोगों को भी भारत की नागरिकता प्राप्त हो गयी । इसके पश्चात हैदराबाद (दक्खिन) जो निजाम

उलूल अम्र

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उलूल अम्र सूरे निसा आयत नम्बर 59 “इमानवालों अल्लाह की एताअत करो रसूल और साहिबाने अम्र की एताअत करो जो तुम ही मे से है फिर अगर आपस मे किसी बात मे इखतेलाफ़ हो जाए तो उसे अल्लाह और रसूल की तरफ पलटा दो अगर तुम अल्लाह और रोज़े आखरत पर ईमान रखने वाले हो – यही तुम्हारे हक़ मे खैर और अंजाम के एतबार से बेहतरीन बात है” 1. इमानवालों से मतालबा है कि एताअत करे अल्लाह सुभान व तआला और रसूल उल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की और साहिबाने अम्र की । 2. अगर आपस मे किसी बात पर इखतेलाफ़ हो जाए तो हमे इखतेलाफ़ को दूर करने के लिए अल्लाह और रसूल की तरफ पलटना है यहाँ इखतेलाफ़ अगर उलूल अम्र मे है तो हमे अल्लाह और उसके रसूल की ओर देखना है हिदायत हमे अल्लाह और रसूल सल्लल्लाहों अलैह व आले वसल्लम से लेना है । अल्लाह सुभान व तआला व रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की एताअत मे कोई इखतेलाफ़ नहीं है । मगर उलेमा के द्वारा उलूल अम्र को समझने मे विरोधाभाष रहा है । सबसे पहले हम लोग अम्र को समझे अम्र क्या है जब अम्र समझ मे आ जाएगा तो साहबे अम्र या उलूल अम्र भी समझ पाएंगे । यहूदियों ने अल्लाह

ज़ालिम कौम कौन है ?

ज़ालिम कौम कौन है ? ज़ालिम कौम कौन है इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे । क्यों ज़ालिम कौम पर लानत भेजी जाती है । अल्लाह सुभान व तआला ने ज़ालिमों की बड़ी मज़म्मत (भर्त्सना) की है । अल्लाह सुभान व तआला इरशाद फरमाता है कि “ उससे बड़ा ज़ालिम कौन है जो अल्लाह की आयतों का इन्कार करे “ यानी सबसे बड़ा ज़ालिम वो है जो अल्लाह की आयत का इन्कार करे । यहाँ पर अल्लाह सुभान व तआला की आयत बड़ी लम्बी है और कुछ आयते बहुत छोटी है इसमे बड़ी आयत हो या छोटी आयत हो उसका झूठलाने वाला “ज़ालिम” है और जब यह झूठलाने वाले समूह मे हो जाते है तब यह कौम बन जाती बन जाती है। 1. अल्लाह रब्बुल इज्जत ने अपने नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को यासीन कहकर पुकारा यासीन एक आयत है अर्थात रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम एक आयत है और उनका इंकार करने वाला ज़ालिम है । 2. वश शम्स वज़ ज़ूहा सूरज और उसकी रोशनी आयत है सूरज और क़मर का इंकार करने वाला ज़ालिम है । 3. हज़रत ईसा ने अपने आप को कलमा कहा है वो लोग जो अल्लाह सुभान व तआला को नहीं मानते और उसका इन्कार करते है वो ज़ालिम है । वो जो अल्लाह सुभान व तआला का इकरार करता है मग

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

बिन्ते रसूल उल्लाह

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बिन्ते रसूल उल्लाह आज हम इस बात पर और कुछ तथ्यों के आधार पर जानना चाहते है कि जब “ बाग़-ए-फ़ीदक” को कब्ज़े मे ले लिया गया था तो इसके बाद हज़रत बिन्ते रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम ने दरबार जाकर अपने दावे को मज़बूती से रखा आप सलामउल्लाह अलैह यह जानती थी कि जिसने उनके हक़ पर क़ब्ज़ा किया है वो उनके हक़ को वापस करने वाले नहीं है ? दूसरा सवाल यह है कि जनाबे उम्मे अबीहा सलामउल्लाह अलैह ने जो गवाह पेश किए गए उनको रद्द क्यों किया गया और अगर उन गवाहों को तस्लीम कर लिया जाता तो प्रभाव क्या होता ? बिन्ते रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम का मर्तबा क्या है और उस मरतबे को अल्लाह सुभान व तआला रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम ने बताया है वो क्या है ? 1. रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की रिसालत की गवाही देने वाला मुसलमान है । 2. ईमान वाला और मोमीन तब होता है जब वो अपनी जान – माल औलाद माँ बाप से ज्यादा अज़ीज़ और अपनी जान को अपने नबी रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम पर कुर्बान कर दे । 3. अल्लाह सुभान व तआला के नबी रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को जब अरब

तंगनज़री

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एक हदीस के द्वारा आखरी दौर मे खुरासान से उठने वाले काले झंडे वालों की बशारत दी गई जिसके द्वारा बैतुल मुक़द्दस की फतह का ज़िक्र किया गया । खुरासान के अन्तर्गत ईरान का उत्तर पूर्व का कुछ क्षेत्र अफगानिस्तान का कुछ हिस्सा और बलोचिस्तान का कुछ क्षेत्र आता है । वर्तमान मे खुरासान नाम का एक प्रांत ईरान मे है । बिरादर इस्लाम के फ़िरको मे से बहुत सारे ऐसे आलिम है जो अफगानिस्तान और बलोचिस्तान का उल्लेख करने से कतराते है और उसको नजरंदाज करते है और इस नजरंदाज करने का कारण है कि ईरान उनके मसलक से ताल्लुक नहीं रखता है । इन आलिमों के द्वारा अपने मसलक के लोगों की खिदमत को फख्र के साथ बयान नहीं कर सकते । बतौर नज़ीर इन मसलक वालों का जेहाद अब तक आतंकी इस्राइली यहूदी के खिलाफ नहीं था नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाईजेशन (NATO) के खिलाफ नहीं था। इनका जेहाद इस्लाम के तमाम मानने वालों के ही खिलाफ था वो भी किसी शैतानी ताकतों के खिलाफ जेहाद नहीं था बल्कि इनका जेहाद शैतानी ताकतों के साथ मिलकर लड़ना था । शैतानी ताकते जो खुद को ईसाई भी कहती है वो ईसाई धर्म के उपदेश और अमल के मनाफी (व

सुभान अल्लाह

सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह को ही उर्दू ज़बान मे पाक अल्लाह कहा जाता है । सुभान अल्लाह के विर्द करने का बड़ा सवाब है । अल्लाह पाक है तो उसकी पाकीज़गी किन चीज़ों से है । उसको बहुत से लोग जानते है और बहुत से लोग नहीं जानते है । उसको सभी तक जानने का अधिकार है और सब तक पहुंचना चाहिए । 1. बहुत सारे झूठे मआबूदो (आराध्य) और खुदाओ को खाना खाने और पीने की ज़रूरत पड़ती है और अल्लाह सुभान व तआला को खाने पीने की ज़रूरत नहीं है। यह उसकी पाकीज़गी बयान करती है । 2. बहुत सारे झूठे मआबूदों और खुदाओ मे जान नहीं है उनमे जान फूंकी (प्राण प्रतिष्ठा ) की जाती है और उसकी पैदा की हुई किसी चीज़ मे यह सलाहियत (योग्यता) नहीं हो सकती कि अपने आराध्य (मआबूद ) मे जान डाले क्योंकि अल्लाह सुभान व तआला ही इरशाद फरमाता है कि अल्लाहों ला इलाहा इल्लल्लाह हुवल हययुल कययुम (अल्लाह, नहीं है कोई इलाहा सिवाय अल्लाह के वो ज़िन्दा कायम है ) 3. बहुत सारे झूठे मआबूदों और खुदाओ को समय – समय पर सुलाया और जगाया जाता है जबकि अल्लाह पाक है सोने और जागने से अल्लाह सुभान व तआला का इरशाद है कि उसे न ऊंघ आती है न उसे नींद आती है । 4. बहुत सारे झ

असहाब या सहाबी

असहाब या सहाबी असहाब अरबी शब्द है जिसके मायने साथी के है । मुकक़द्दस किताब क़ुरान मजीद मे सूरे कहफ मे असहाब कैफ का उल्लेख है । कुछ दोस्त साथी असहाब या सहाबी ऐसे होते है जो अपने दोस्त पर जान माल कुर्बान करने वाले होते है और कुछ ऐसे दो नम्बरी होते है जो अपने कारनामे के ज़रिए से मालूम होता है कि दुश्मन उनका कारनामा तो दोस्तवाला नहीं होता है हमदर्दी वाला नहीं है वफादारी वाला नहीं है लेकिन जब तक वो कोई कारनामा नहीं करते है तब तक वो अपने को दोस्त हमदर्द वफादार जानिसार दिखाते रहते है अपने चाहने वालों को भी ऐसा प्रचार करते रहने के लिए कहते रहते है । अल्लाह सुभान व तआला ने कुरान मजीद मे जिन सूरे और आयतों को नाज़िल किया है उनके बड़े महफ़ूम है उसके बड़े अर्थ है उसमे बड़ी निशानियाँ (प्रमाण) है । हर नबी सलामउल्लाह अलैह और पैगंबर के साथ क्या गुज़री और उसकी क्या निशानी है । हज़रत ईसा मसीह अलैहिस सलाम के हवारी (साथी) / असहाब मे से एक सहाबी को मुनकिर (इंकार करने वाले या झुठलाने वाले) का होना था और उसके बारे मे जिस अज़ाब का ज़िक्र अल्लाह के रसूल ईसा मसीह ने दिया। आसमान से दस्तख्वान मंगाने के लिए कहा गया ज

अगर ईरान न होता !

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थोडी देर के लिए सोचिये अगर इस्लामी जमुहरिया ईरान और उसकी वर्तमान की हुक़ुमत न होती तो क्या होता आइये देखते है पडोस का मुल्क पाकिस्तान अमेरिका का puppet बना हुवा है और अमेरिकी मंशा के खिलाफ कुछ भी आतंकी इस्राइल के खिलाफ नही कर सकता दूसरा देश अफ़्गानिस्तान जो खुद अमेरिका और नाटो का शिकार हुवा है और अफ़्गानिस्तान मे अमीरात बनाने मे उसी तरह मदद की जैसे अरब अमीरात सऊदी अमीरात jordan अमीरात को बनाने मे रोल अदा किया अब यह खादिमैन हरिमैन शरिफ़ैन जिसने इनको बनाया वो britain है अब britain के द्वारा बसाया और बनाया गया आतंकी देश इस्राइल अब यह उसके खिलाफ़ कैसे हो सकते थे वो जंग लड़ते है जहां अमेरिका ब्रिटेन फ़्रान्स और nato जंग लड़ते है अब यह अफ़्गानिस्तान मे इराक़ मे यमन मे सिरिया मे लड़ते है क्यों? यह इस्लाम के खिलाफ़ रहने वाले हर मुल्क के साथ है सिर्फ़ क़ुरान पाक अल्लाह और रसूलुल्लाह के साथ रहने वालो के खिलाफ, ये क़ुरान मजीद के जलाने वाले के साथ है, के रसूलुल्लाह के cartoon बनाने वालो के साथ है LGBTQ के पक्ष मे कानून बनाने वालो के साथ है ईरान के खिलाफ जंग करने वालो के साथ है यह सब अधिकार BRITAIN ने उन्हे र