Ahmad Rizvi

अल्लाह क्या सोता है ?

अगर कोई व्यक्ति यह सवाल करे कि अल्लाह भी सोता है तो लोग उसको जवाब देंगे क्या बेतुकी बात करते हो लेकिन अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इसका जवाब खुद दे दिया कुरान मजीद सूरे बकरा मे इरशाद है “ अल्लाह वही है नहीं है कोई आराध्य/ मआबूद सिवाय अल्लाह के वो ज़िन्दा और कायम है उसे न नींद आती है और न ऊंघ आती है । इसके आगे भी उस रब ने फरमाया है मगर मेरा विषय उपरोक्त है इसलिए मैंने उतना ही विषय को चुना जितना विषय मेरे विषय से संबंधित है । अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अपने ज़िन्दा होने को बताया है इसका अर्थ यह है बाकी जितनी जानदार चीज जीवित है इनको मरना है और अल्लाह ज़िन्दा और कायम है बाकी जानदारों की जिन्दगी कायम नहीं है उनको फौत होना है । इससे पहले अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने फरमाया अल्लाह ही है जो आराध्य है बाकी कोई आराध्य नहीं है । उसे नींद और ऊंघ नहीं आती । यहाँ एक और बहुत बड़ी चीज नजर आती है अल्लाह ने अपनी खूबी बतायी है दूसरों की बुराई नहीं की है लेकिन अगर दूसरा पहलू देंखे तो अपने आप समझ मे आ जाएगा । अब जो सोता है ऊँघता है या सुलाया जाता है जगाया जाता है वो आराध्य नहीं हो सकता अल्लाह ही आराध्य है और हो सकता है कि उसे नींद और ऊंघ नहीं आती है । अल्लाह बेनियाज़/निस्परह है उसको किसी की ज़रूरत नहीं है अब जो बीमार हो जाए उसे दवा काढ़ा पीलाने की ज़रूरत पड़े वो आराध्य/ मआबूद नहीं हो सकता । खाना खाने चखने वाला अल्लाह के बराबर नहीं हो सकता वो आराध्य नहीं हो सकता । वो भी आराध्य नहीं हो सकता जिसमे जान डाली जाए और जान स्थापित की जाए वो आराध्य अल्लाह है जो ज़िन्दा भी है और कायम भी है । अल्लाह को किसी ने खलक नहीं किया अल्लाह ने समस्त जानदार और बेजानदार चीजों को खलक किया है । अल्लाह ज़िन्दा और कायम है इसको समझने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है आपको क़ल्ब/दिल दिया है और यह दिल धड़कन से जब तक धड़कता है ज़िन्दा और कायम है । धड़कन बंद कायम खत्म ।

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