मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है
मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है ।
कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है ।
सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ?
जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है ।
सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ?
जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने ।
सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ?
जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने फरमाया मै ईसा की बशारत हूँ यानी जिस पवित्र आत्मा का जिक्र इंजील मे किया गया है मै वो हूँ और दुनिया मे अब जब दोबारा हज़रत ईसा मसीह आएंगे तो हुज़ूर सरवरे अम्बिया की उम्मत मे होंगे और आप हज़रत ईसा मसीह 123998 अम्बिया और रसूल मे अफज़ल है अब यह फख्र का मुकाम है वो उम्मती नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम है ।
सवाल : क्या अल्लाह के नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम की ओर से मौला अली के लिए हदीस है कि आप मौला है ?
जवाब : जी हाँ, गदीर-ए-खुम मे नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने फरमाया “ मन कुनतों मौला फ हाज़ा अलीयुन मौला “ मै जिसका मौला उसके यह अली मौला है ,
यानी नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों के मौला है , मौला अली भी नबीयों के मौला।
नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम मलायका के मौला ,
मौला अली मलायका के मौला
नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम जिन्नातो के मौला
मौला अली जिन्नातो के मौला
नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम जिस जिस के मौला है हज़रत अली भी उस उस के मौला है
अब जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला न मानता हो वो हज़रत अली को मौला न माने उसको अख्तियार है ।
यह मौला मानना लेखक के अकीदे की ताईद नहीं है बल्कि हुक्म ए रसूल नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम है ।
सवाल : क्या मौला अली को साबिक अम्बिया से अफज़ल मानने पर शिया शिर्क करते है ?
जवाब : साबिक अम्बिया से अफज़ल अल्लाह सुभान व तआला के नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम है और अल्लाह के नबी ने ही हज़रत अली को मौला मानने का हुक्म दिया है वो भी वैसा मौला जैसा रसूल को मौला मानते हों इस तरह मौला अली को मौला मानना और साबिक अम्बिया से अफज़ल मानना एटाअत रसूल है हुक्म इलाही है अति उल्लाह और अति रसूल है इस तरह ये कुरान मजीद की एताअत करना है शिर्क नहीं है ।
सवाल : मगर कुछ मुसलमान मौला अली को साबिक अम्बिया से अफज़ल मानने को शिर्क समझते है ?
जवाब : उन मुसलमानों से सवाल है कि आप लोग नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को साबिक अम्बिया से अफज़ल मानते है या नहीं अगर मानते है तो हुक्म ए रसूल से मौला अली भी साबिक अम्बिया से अफज़ल उसी तरह है जिस तरह नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम।
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