Ahmad Rizvi

राजनिति और धोखा

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राजनिति को समझने और उसमे बेवकूफ़ लोगो को किस तरह धोखा दिया जाता है और कम समझ लोगो की भावनाओ /जज़बातो के साथ खेला जाता है 5 अगस्त 2019 को जब जम्मु और कश्मीर से सविन्धान के अनुच्छेद 370 को खत्म किया उस समय आपको याद होगा कि उन्होंने 9 जनवरी 2019 को विरोध में भारतीय नौकरशाही से अपना इस्तीफा दे दिया, जिसमें अन्य बातों के अलावा कश्मीर में "निरंतर हत्याओं" का हवाला दिया गया था, जिसे कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा "कभी स्वीकार नहीं किया गया" और बाद में उन्होंने इसे वापस भी ले लिया।जीवन की शुरुआत की। इसके तुरंत बाद, 16 मार्च 2019 को, उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) की घोषणा की। उन्होंने 10 अगस्त 2020 को राजनीति छोड़ दी और JKPM छोड़ दी। अप्रैल 2022 में मोदी सरकार ने उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में बहाल कर दिया। अगस्त 2022 में उन्हें केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में उप सचिव के पद पर तैनात किया गया। अब इसमे गौर करने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग ने रजनितिग पार्टी को गठन करने दिया उसे महिनो संचालित करने दिया वो भी IAS होते हुवे क्योंकि

जंग किसी मसले का हल नही!

अक्सर और बेस्तर मुस्लिम उलेमा और अन्य दानिशवरो से सुनते आये हैं कि जंग किसी मसले का हल नही है ऐसी बात करना क़ुरान और सुन्नत के खिलाफ़ है अगर जंग से मसले का हल नही होता है तो हज़रत दाऊद ने जंग क्यों की सवाल है हज़रत सुलेमान ने जंग क्यों की हज़रत ज़ुलकरनैन ने जंग क्यों की हज़रत मूसा ने जंग क्यों की हज़रत रसूल उल्लाह सल्लल्लहो अलैह व आले वसल्लम ने जंग ए बद्र जंग उहद जंग खैबर और बहुत सारी जंग है अमीरूल मोमिनीन ने जंग सिफ़्फ़ीन जंग जमल इमाम हुसैन ने जंग ए कर्बला करनी पडी और क़ुरान मजीद मे जेहाद को बताया गया अब अल्लाह सुभान व तआला और अल्लाह के रसूल आदि यह समझने मे कासिर रहे नाऊज़ बिल्लाह की जंग मसले का हल नही सही मायने मे देखे तो जंग ही मसले का हल है वर्ना हज़रत दाऊद हज़रत मूसा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को जंग न करनी पड़ती

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