Ahmad Rizvi

मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है

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मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है । कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है । सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ? जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है । सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ? जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने । सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ? ज...

ईरान का फतवा!

ईरान का फतवा! ईरान के सुप्रीम लीडर ने फतवा दिया है कि परमाणु बम नहीं बनायेगा कारण यह दिया कि सामूहिक रूप से क़त्ल करना हराम है इस बात से सहमत हूं सही बात है हिकमतें अमली भी है फ़िर मन में सवाल पैदा हुआ क्या इस्लाम में अपने लोगों को सामूहिक रूप से क़त्ल हो जाने की इजाज़त है ? क्या इस्लाम में जो कसास लेने का ज़िक्र अल्लाह सुभान व तआला क़ुरआन मजीद में ज़िक्र कर रहा है। ईरान के न्यूक्लियर साइट फोरदो इस्फहान आदि में बंकर बस्तर बम द्वारा 22 जून 2025 अमेरिका ने हमला किया अगर इसी तरह का हमला ईरानी जनता पर किया जाता है तब क्या ईरान बदला ले सकता है क्या कसास लिया जा सकता है अगर इरादा भी किया जाए बदला लेने का तब भी नहीं कर सकते हैं जानते है क्यों क्योंकि ईरान के पास वैसे परमाणु हथियार हैं ही इसलिए फतवे से असहमति की है ईरान का फतवा इस्लाम के नज़रिए से सही हो सकता है लेकिन अगर इस्लाम के कसास के क़ुरआन मजीद के आदेश को देखा जाए तो यह ताजाजाद कर रहा है ईरान का दुश्मन अमेरिका इंसानियत का दुश्मन भी है और इसने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा चुका है ऐसे में अमेरिका और उसके साथी इंसानियत के बदतरीन दुश्मन हैं अफगानिस्तान पर deplicted uranium से हमला कर चुके हैं ऐसा ही इराक़ के साथ भी किया जा चुका है इसलिए मै अपनी निजी राय है कि ईरान परमाणु हथियार न बनाने का फतवा से असहमत हूं।

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