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Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

भारतीयों का मानसिक विभाजन

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भारतीयों का मानसिक विभाजन इण्डिया मे लोग विभाजित हो गये है यह विभाजन कई प्रकार के है :- 1. समान नागरिक संहिता को बनाने मे होने वाले कानून के विरोध और समर्थन मे मानसिक विभाजन हो चुका है । 2. धर्मांतरण के मुद्दे के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 3. हिजाब को लागू करने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 4. सामूहिक रूप से मुस्लिमों ईसाई के कत्ल के समर्थन और उसके विरोध मे । 5. मुस्लिम नामों के हटाने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 6. सविधान के अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष मे और विरोध मे । 7. नमाज़ पढ़ने और उसका विरोध करने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 8. कुर्बानी को रोकने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 9. F.C.R.A. को अक्लीयतों (अल्पसंख्यक/मनॉरटी) को निर्गत न करने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 10. मुस्लिमों को आरक्षण देने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 11. सामाजिक न्याय की बात करने को तुष्टीकरण (appeasement) का नाम देने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 12. पुरानी पेंशन के लागू करने के पक्ष मे और उसके विरोध मे । 13. बजरंग दल , विश्व हिन्दू परिषद ,शिव सेना ,क्षत्रिय सेना , आरएसएस और अन्य संगठनों के आत

मुआविया बाग़ी

हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने हज़रत अम्मार इब्ने यासिर के बारे मे महत्वपूर्ण पेशीनगोई (बशारत) दी “ अम्मार इब्ने यासिर का कत्ल एक बाग़ी गिरोह करेगा और वह बाग़ी गिरोह जहन्नमी होगा “ यहाँ पर अम्मार इब्ने यासिर को कत्ल करने वाले को बताया जा रहा है कि कत्ल करने वाला गिरोह (समूह/group )पूरा गिरोह ही बाग़ी है गिरोह के किसी एक फर्द (व्यक्ति )को नहीं कहा गया और न उस अफ़राद को केवल कहा गया जो अम्मार का कत्ल करेगा बल्कि बशारत ये दी गयी है कि पूरा गिरोह बाग़ी है और जहन्नमी है । आइए देखते है हज़रत अम्मार इब्ने यासिर को कब कत्ल किया जाता है और अम्मार किसके साथ है । हज़रत अम्मार को सिफ़फीन नामक जगह पर होने वाली जंग जो हज़रत अली अलैहिस सलातों वससलाम और मुआविया के दरमियान हुई थी इस जंग मे हज़रत अम्मार को शहीद किया गया था और अम्मार मौला अली की ओर से लड़ रहे थे । पहला और महत्वपूर्ण सवाल है कि हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैह व आले वसल्लम की पेशीनगोई के अनुसार अम्मार को बाग़ी गिरोह कत्ल करेगा । हज़रत अली अलैहिस सलाम जब ज़ाहिरी मसनद खिलाफत पर नमूदार हुए तो आप अमीरुल मोमिनीन ने मुआविया

शरियत बडी है या संविधान

किसी एन्कर ने पूछा शरियत बडी है या संविधान मेरे ख्याल से और मुसलमान होने के नाते शरियत बडी है उसका सबसे बडी दलील यह है कि शरियत अल्लाह का बनाया कानून है जबकि संविधान इन्सानो के द्वारा बनाया गया है शरीयत की देफा के लिए संविधान की अनुच्छेद 25 से 30 मे अधिकार दिया गया है

72 हूरे

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72 हूरे हो या 72000 हूरे हो यह अक़ीदा /ईमान तो उसका है जो अल्लाह पर भरोसा करता है और उस कुफ़फार को अल्लाह के वजूद का ही विश्वास (यकीन) नहीं , उसके वजूद का इंकार करता है उसके लिए न हूर न लंगूर है न गिलमा है न जन्नत है न हिसाब किताब है न महशर है न कयामत है न फ़रिश्ते है गोया कुछ नहीं और तुम्हारी कोई बाजगश्त (पूछ ताक्ष ) नहीं जो ज़ुल्म करो जो भलाई करो सब ठीक । लेकिन जो इस पर यकीन रखता है ईमान है उसको मालूम है कि उसके इन कारनामों की भलाई और बुराई की सजा और जजा (बदला ) है लेकिन उसके इस बेयकीनी से सच्चाई को बदला नहीं सकेगा और अल्लाह इरशाद फरमाता है कि यहाँ तक कि तुमने कब्रों से मुलाकात कर ली , देखो तुम्हें अनकरीब मालूम हो जाएगा और फिर खूब मालूम हो जाएगा , देखो अगर तुम्हें यकीन इल्म हो जाता कि तुम जहन्नम को जरूर देखोगे फिर उसे अपनी आँखों से देखे यकीन की तरह देखोगे और फिर तुम से उस दिन नेअमत के बारे मे सवाल किया जाएगा । “मैंने तुम्हें एक हक़ीर नुतफे से पैदा किया अपनी पहली पैदाइश को देखो मै तुम्हें दोबारा पैदा करूंगा मेरे दोबारा पैदा करने का इंकार करते है “ कुफ़फार के अल्लाह के वजूद का इंकार , उस

मौला

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मौला अल्लाह का नाम है, हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने ईमान के बारे मे फरमाया कि जब तक तुम ईमान वाले नहीं हो सकते जब तक तुम्हारी माल,जान औलाद से ज़्यादा मै यानी मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम अज़ीज़ न हूँ । हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने अपने आखिरी हज को अंजाम देने के बाद वापसी पर “ गदीर ए खुम “ नाम की जगह पर काफिला रोका और आगे बढ़ जाने वाले काफिले को वापस पलटाने का हुक्म दिया और एक लाख या उससे ऊपर हाजियों के भरे मजमे मे ऊंट पर बनाए गए मंच से अपने खुतबे का एलान करते हुए हज़रत अली अलैहिससलाम को अपने दोनों हाथों पर उठाकर (बलन्द कर ) जो ऐलान किया :- “मन कुनतों मौला , फ हाज़ा अलीयुन मौला “ जिसका मौला मै मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम हूँ उसके यह अली मौला है । इसके साथ जो इस हदीस को सुना है वो दूसरों तक इसको पहुंचाए । “ यहाँ पर अल्लाह के रसूल मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने उन लोगों को खिताब किया और आने वाले लोगों तक इस पैगाम को पहुँचाने का हुक्म दिया । दूसरे अल्फ़ाज़ मे कहा जाए “ जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सल

इस्लाम और योग

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इस्लाम और योग योग का वर्णन हिन्दू धर्म से जुड़ा है और इसका उल्लेख पतंजली दर्शन मे दिया गया है । यह कहना कि योग का किसी धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है , पूर्णतया गलत व झूठ है । इसको दुनिया भर के ईसाई , यहूदी , बौद्ध ,और अन्य लोगों को योग कराया गया और इसका प्रचार प्रसार भारतीय मीडिया के साथ विश्व मीडिया ने भी किया । जिस योग का इतना प्रचार किया जा रहा है उस योग और इस्लाम मे क्या महत्व है जिसे योग नहीं कहा गया मगर इससे बेहतर है । अल्लाह ने जब अपने दीन “इस्लाम “ को मुकम्मल किया तो इरशाद फरमाया मैंने आज दीन “इस्लाम “ को मुकम्मल कर दिया अगर किसी दीन को अल्लाह मुकम्मल करे तो उसमे कोई कमी हो ही नहीं सकती । इस्लाम मे नमाज़ से पहले जिस वज़ू का उल्लेख (ज़िक्र ) है वो नमाज़ पढ़ने से पहले किया जाता है और साथ मे दुआए पढ़ी जाती है जबकि योग बिना हाथ मुंह धोए भी की जा सकती है ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है मगर नमाज़ बिना वज़ू के कायम नहीं की जा सकती है । वज़ू मे नाक मे पानी डाला जाता है जिसे योग मे नेती क्रिया या नेती योग कहते है । योग मे अल्लाह का का ज़िक्र नहीं है जबकि वज़ू और नमाज़ योग के साथ अल्लाह का ज़िक्र है । जैस

कयामत

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astroid के टकराने से प्रथ्वी के नष्ट होने और मानव जाति का अस्तित्व मिट जाने का यकीन कुफ्फार को भी अगर यकीन नही है तो कयामत पर कुरान मजीद में कयामत के बारे में दिया गया है " जब उसे (कयामत) को आता हुआ देखेगें तो उसे हटा भी नहीं सकेंगे। यहां पर गौर और फिक्र की बात है "पहली बात यह है कि कयामत को आता हुआ देखेगें और इसे हटा नहीं सकेंगे " 1400 साल पहले astroid और उसके टकराने को कौन जान सकता था दूसरी बात science की तरक्की का उल्लेख है जिस से यह बताया गया है कि उसे हटा पाने मे मजबूर होंगे जबकि आज के दौर मे satellite को तोड़ने वाली मिसाइल है मगर यह मिसाइल या अन्य हथियार के नकारा होने का उल्लेख किया गया है लेकिन कयामत को यकीन के साथ देखेंगें

नमाज़ ए मगफरत ए वालेदेन

नमाज़ ए मगफरत ए वालेदेन आज हम आपको नमाज़ ए मगफरत वालेदेन का तरीका बताने जा रहे है ! नमाज़ ए मगफरत वालेदेन केवल 2 रकत नमाज़ है इस नमाज़ को किसी भी वक़्त पढ़ा जा सकता है वालेदेन के इन्तेकाल के बाद किसी भी वक़त इस नमाज़ को अपने माँ बाप को हदिया कर सकते है ! नियत:- नमाज़ ए मगफरत वालेदेन पढ़ता हूँ या पढ़ती हूँ कुर्बतन इल्लाह ! पहली रकत में सुरह हम्द एक बार और दूसरी सुरह की जगह दस मर्तबा इस आयात को पढे ! . رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ रब्बाना अग्फिर ली वालेवालेदय्या वालेमोमेनीना योमा यकोमो-अल-हिसाब ! और दूसरी रकत में सुरह हम्द एक बार और दूसरी सुरह की जगह दस मर्तबा इस आयात को पढे ! رَّبِّ اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِمَن دَخَلَ بَيْتِيَ مُؤْمِنًا وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ रब्बा अग्फिर ली वालेवालेदय्या वालेमन दाखाला बायतेया मोमेना वालेमोमेनीना वल मोमेनात ! फिर तशुद और सलाम के बाद 10 मर्तबा इस आयात को कहे ! رَّبِّ ارْحَمْهُمَا كَمَا رَبَّيَانِي صَغِيرًا रब्बे अरहमहोमा कामा रब्बायानी साग़ीरा ! फिर अपने वालेदेन के लिए दुआ करे !

रहबर

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रहबर एक ऐसा रास्ता दिखाने वाला जिसके नेत्रत्व मे उसके चाहने वाले या तो उत्थान करते है या पतन की ओर चले जाते है । मौजूदा दौर मे हमने मुसलमानों के कई रहबर देखे जिन्होंने पतन और उत्थान की ओर ले गए । एक रहबर ईरान का बादशाह रज़ा शाह पहलवी था जो अमेरिका का प्रतिनिधि बन कर ईरान मे बादशाहत करता था और ईरान का आतंकी इस्राइल से अच्छे तालुक थे , पाकिस्तान: पाकिस्तान के ज़्यादातर हुक्मरान अमेरिका का ही प्रतिनिधित्व करते रहे है । लाखों मुसलमानो का कत्ल कराने मे अहम रोल अदा किया , और उसके बदले मे डॉलर लेते रहे आज इस सिथती मे पहुँच गए जहां से भीख मांगने और विघटन होने के कगार पर है । सऊदी अरब : इनके शासकों का वजूद ब्रिटिश हुकूमत की मेहरबानी से बना आज तक इन शासकों के पेशवा यही देश है इनको पश्चिमी देशों ने मूर्ख बनाया या बने बनाये मूर्ख थे फ़िलिसतीन को धोखा देने और दिलाने मे सऊदी अरब की मुख्य भूमिका रही , कभी ओस्लो समझौता , कभी अब्राहम अकॉर्ड ,कभी यूएनओ मे बेइज्जती मगर मुस्लिम कौम को पतन मे पहुंचाने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ी । फ़िलिस्तीन का कत्ल हो , इराक़ी का कत्ल हो ,सीरिया यमन के कत्ल कराने मे अहम भ

नबी पाक का कौन उत्तराधिकारी नहीं हो सकता

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          नबी पाक का कौन उत्तराधिकारी नहीं हो सकता मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैह व आले वसलम रसूलउल्लाह (अल्लाह के रसूल )है  खातमुन नबी है (आपके बाद अब कोई नबी को नहीं आना आखरी नबी है ), अल्लाह के रसूल है । अल्लाह के रसूल का वारिस (उत्तराधिकारी ) भी अल्लाह की तरफ से होगा किसी अवाम के चुनने से नहीं हो सकता जैसा कि दुनिया मे आखरी नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैह व आले वसलम के आने से पहले साबिक अंबियाओ रसूलों के द्वारा तौरेत और इंजील मे आमद का उल्लेख किया गया , इन सब के अलावा आज इस बात पर चर्चा करेंगे कि अल्लाह के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैह व आले वसलम की खूबियाँ और इनके उत्तराधिकारी मे भी वही खूबी का होना : सादिक़ : अल्लाह के नबी का एक नाम सादिक़ है जिसके मायने है “सच्चा “ नबी पाक मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहों अलैह व आले वसलम का वारिस / उत्तराधिकारी कोई झूठा नहीं हो सकता । हज़रत इब्राहीम का वारिस हज़रत इसमाएल और हज़रत इस्हाक , हज़रत याक़ूब का वारिस हज़रत यूसुफ हज़रत दाऊद का वारिस हज़रत सुलेमान (सूरे नमल ) मे दिया गया है सुलेमान वारिसा दाऊद अब जिसने ये कहा कि नबी पाक म

अदालतों से सरकारे नाखुश

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अदालतों से सरकारे नाखुश चुनी हुई सरकारों को अदालतों के वो फैसले जो उनके पक्ष (हक़ ) मे नहीं है उनके खिलाफ इन सरकारों के द्वारा कार्य किया जा रहा है । सरकारों के भ्रष्टाचार को या तो अदालते नज़रअंदाज कर दे या फिर सरकारे न्याय को डिलिवर करने से रोकना है । हाल ही मे आतंकी देश इस्राइल ने JUDICIAL REFORMS के नाम पर अदालतों के अधिकारों मे कटौती करने और उन्हे न्याय देने से रोकने के लिए आतंकी इस्राइल के संसद KENNESET मे बिल को पास कराया गया । आतंकी देश इस्राइल के यहूदीयो ने वहां की सरकार के मंशा को जान कर अपनी ही सरकारों के खिलाफ हो गयी और जबरदस्त परदर्शन किया और सरकार को अपने आदेश को लेने को मजबूर कर दिया । उधर कुछ देशों ने अपनी सरकारों से संघर्ष करने और सरकारों के खिलाफ फैसले देने और JUDGES अपने खिलाफ संसद की कार्यवाही या अन्य अनुचित HARASSMENT कार्यवाही से भयभीत रहते है। उन देशों मे जहां राजा, बादशाह , सुल्तान, खलीफा या तानाशाह है वहां भी अदालतों पर न्याय उनके राजा ,बादशाह सुल्तान या तानाशाह को खुश करने के लिए न्याय की हत्या करते हुए अपने राजा ,बादशाह सुल्तान या तानाशाह के पक्ष मे फैसला

मुसलमानों पर इलज़ाम

मुसलमानों पर एक इल्ज़ाम यह लगा दिया गया वहाबीयो और ब्रिटिश एजेन्टो के द्वारा कि मुसलमान क़ब्र की इबादत करते है और यह जवाज़ बनाया गया 1932 मे वह भी आले रसूल के मुक़देसात तोड़ने के लिये अब मेरा सवाल है इसका मतलब 1300 साल तक मुसलमान क़ब्र पुज्जू रहे जबकि ला इलाहा इल्लललाह को फ़ैलाया ही गया था मुसलमानों के द्वारा, फ़िर ब्रिटिश और सउद ने मिल कर मुसलमानों पर उसी इल्ज़ाम को चस्पा किया जिसकी मुसलमान मुखालफ़त करता आ रहा था

लीडरशीप

लीडरशिप का क्या फ़र्क़ होता है इसको इस बात से समझा जा सकता है कि अरबो की नाक ज़मीन पर रगड़ने वाला आतंकी देश इस्राइल जिसने सन 1967 मे 6 दिन मे पूरे अरब देशो को धूल चटाई सन 1956 मे स्वेज़ canal के मुद्दे पर आतंकी देश इस्राइल फ़्रान्स और ब्रिटेन ने मिश्र को धूल चटाई क्योंकि इनके यार वही थे जो इनके दुश्मन भी थे अब ईरानी लीडरशिप को देखे जो अमेरिका ब्रिटेन और फ़्रान्स को दुश्मन मानते हुए अपनी तैयारी की और दुश्मन को उसी की ज़बान मे जवाब दे रहा है आज 1300 राकेट खाने के बाद भी हमास अभी घबराया नही और आतंकी देश इस्राइल को उसी ज़बान मे जवाब देने को तैयार हैं वर्ना जो काम हमास ने किया वो काम बड़े बड़े देश नही कर सके अब एक जगह cease fire होगी तो दूसरी जगह से आतंकी देश इस्राएल पर हमले शुरु होंगे जैसे हिज़बुल्लाह आतंकी देश इस्राएल के आतंक के खात्मे तक ये जंग चलती रहेगी इसी को कह्ते है शठे शाठयम समाचारेत

शहबाज़ शरीफ और गोरबाचोफ मे समानता

सन 1991 मे जब सोवीयत संघ के अंतिम राष्ट्रपति मिखाएल गोरबाचोफ को सोवियत संघ की सेना ने अगवा कर लिया था और बोरिस येल्तसिन के नेत्रत्व मे किए गए आंदोलन के बाद मिखाएल गोरबाचोफ को आज़ाद किया गया था इस घटना के बाद प्रतिशोध मे मिखाएल गोरबाचओफ ने सोवियत संघ को 15 देशों मे विभक्त किया था आज वह सभी आज़ाद देश है । गोरबाचओफ पर अमेरिका का एजेंट होने का आरोप उनके विरोधी लगाते है । शहबाज़ शरीफ जो भ्रष्टाचारी और भगौड़े पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के भाई है और लंदन मे इलाज के बहाने , षड्यन्त्र रचने चले गए अपने भाई जिन पर चोरी और भ्रष्टाचार के आरोप है उनको शहबाज़ शरीफ खत्म करना है उन्हे न्यायालय से बरी करना है और बदले की कार्यवाही के लिए किसी भी हद तक जा सकते है । (विशेष तीन बार के प्रधानमंत्री रहे है और देश के अन्दर एक बेहतरीन अस्पताल तक नहीं बना पाए यहाँ तक कि उन्हे लंदन मे इलाज कराने को जाना पड़ता है ) पाकिस्तान गृह युद्ध मे जल जाए तो जल जाए चीन से सम्बन्ध खराब होते है हो जाए ईरान से तालुकात खराब होते है हो जाए जनता भूखों मरे तो मर जाए । पाकिस्तान के टुकड़े होते है तो हो जाए नवाज़ शरीफ और शहबाज़ शरीफ के

VICTORY DAY/ विजय दिवस और इमरान खान

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विक्ट्री डे या विजय दिवस रूस द्वारा 09 मई को इसलिए मनाया जाता है कि रूस ने नाजी जर्मनी को हराया था और 09 मई 1945 से विक्ट्री डे के रूप मे मनाती आयी है । लेकिन 09 मई 2023 के विक्ट्री डे मे क्या विशेष था और इस दिन को अमेरिका ब्रिटेन आतंकी देश इस्राइल के साथ पाकिस्तान की सरकारों और खुफिया एजेंसी अर्थात CIA, MOSSAAD MI6 के साथ ISI ने बहुत बड़ी साजिश रची और वह साजिश थी कि उसी दिन इमरान खान को गिरफ्तार करके दुनिया को यह दिखाना था कि अमेरिका ब्रिटेन और इस्राइल की योजना के खिलाफ अगर कोई काम करेगा तो उसका अंजाम क्या होगा यह दुनिया को दिखाना था । इमरान खान को इबरत बनाने के पीछे उनका पूर्व मे क्या गया रूस को समर्थन देना था जिस दिन अर्थात 24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया उसी दिन इमरान खान मास्को मे थे और रूस को समर्थन दे रहे थे । 09 मई 2023 को इमरान खान को गिरफतार करने के बाद मौका देखकर इमरान खान को कत्ल करने की आशंका थी और है उसका बड़ा कारण यह है इस कत्ल को कराने मे उपरोक्त पाकिस्तान दुश्मन देश का पूर्ण समर्थन शहबाज़ को प्राप्त है । पाकिस्तान दुश्मन देश ने यह समर्थन अपने वक

ईरान के लिए बड़ा खतरा

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रूस और यूक्रेन जंग मे पश्चिमी देशों के द्वारा लगातार ईरान पर आरोप लगाया जाता रहा है कि उसने रूस को असलहा, ड्रोन की सप्लाई कर रहा है इससे पहले भी ईरान दुश्मनी मे पश्चिमी देश अब तक कई बड़ी कार्यवाही कर चुके है जिसमे ईरान-इराक़ जंग कराना भी था । ईरानी हुकूमत को उखाड़ फेकने की नियत से ISIS जिसे पूर्व मे फ्री सीरियन आर्मी का नाम दिया गया था उनके द्वारा सीरिया और इराक़ मे हमले कराने और इन दोनों देशों पर कब्ज़े के बाद ईरान पर हमला करना और जंग छेड़ना था ताकि ईरान की हुकूमत को सत्ता से हटाना था ISIS का गठन अमेरिका और उसके सहयोगीयो के द्वारा किया गया था । अफगानिस्तान के ज़रिए भी ईरान को destabilize करने की कोशिश की जा चुकी है जिसमे भी नाकामी हाथ लगी । ISIS जैसे खूंखार आतंकवादीयो को अमेरिका द्वारा सीरिया से अफगानिस्तान लाया गया जिसकी सूचना पूरी दुनिया को रूस ने दी थी । अफगानिस्तान मे अमेरिकी असलहों को बड़ी तादाद मे जिसमे TANK तोप बख्तरबंद गाड़ी आदि शामिल है को अफगानिस्तान मे उसी तालिबान को सौंपना जिसको आधार बनाकर अफगानिस्तान मे अमेरिका और नाटो संगठन ने जंग छेड़ा था असलहों को तालिबान को सौंपने के पीछे

इमरान खान और मुसददीक मे समानता

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ा ईरान के पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद मुसददीक के नेत्रत्व मे 1951 मे सरकार बनाई गयी और इस सरकार को अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से मुसददिक की सरकार को खत्म कर दिया गया । मुसददीक ने निजि कम्पनियों के द्वारा ऑइल इंडस्ट्री को नियंत्रण करने से रोकने और आयल इंडस्ट्री का राष्ट्रीयकरण करना था। इस घटना से सबसे ज़्यादा नुकसान अमेरिका और ब्रिटेन को होना था इन दोनों विदेशी ताकतों अर्थात अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा षडयन्त्र रचा गया और शाह ईरान के साथ मिलकर मुसददीक का तख्ता पलट दिया गया । पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान द्वारा जब अमेरिका की खुलकर मुखालफत की जाने लगी और अमेरिका और उसके सहयोहगीयो के द्वारा शमसी एयरबेस को देने से इनकार किया और अमेरिका पर यह टिप्पणी करता रहा कि दुनिया मे ऐसा सहयोगी नहीं देखा होगा जिसने अपने सहयोगी के 80000 बेगुनाह लोगों अर्थात पाकिस्तानी लोगों का कत्ल किया गया हो और खुदमुख्तारी को चुनौती देते हुए ड्रोन हमला किया हो। एक बात और पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के द्वारा इस बात को दोहराया गया कि वह किसी तीसरे देश की जंग मे अमेरिका का साथ नहीं देंगे और कश्मीर के लो

समान नागरिक संहिता / UNIFORM CIVIL CODE

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समान नागरिक संहिता (UNIFORM CIVIL CODE ) समान नागरिक संहिता का मुद्दा अक्सर चुनाव के दिनों या धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति भय /खौफ पैदा करने के मकसद से किया जाता है, सवाल पैदा होता है क्या समान नागरिक संहिता से धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय सविंधान मे प्रदत्त (दिया गया ) धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ होगा या नहीं । बहुसंख्यकों को इस कानून से क्या प्रसन्नता (खुशी ) है और अल्पसंख्यकों को क्या शंका है और यह आशंका क्यों है :- बहुसंख्यक हिन्दुओ को इस कानून से प्रसन्नता होने के कारण 1. मुसलमानों,इसाईयों, सिखो आदि के मजहबी / धार्मिक कानून और कुरान मजीद और पवित्र बाइबिल मे दिए गए स्पष्ट कानून पर हमला हो सकेगा । 2. मुसलमानों ईसाइयों के पर्सनल कानून पर हमला करना / बदलाव करना और उसका आधार होगा समान नागरिक संहिता । 3. मुसलमानों के उत्तराधिकार कानून और तरका (पार्टिशन ऑफ प्रॉपर्टी आफ्टर डेथ ) मे दखलंदाज़ी की जा सकेगी । 4. मुसलमानों के विवाह,म्रत्यु और अन्य कानूनों पर हिन्दू कानून को थोपने का अधिकार मिलेगा । 5. हिन्दू बहुसंखयक और आरक्षण के द्वारा संसद मे हमेशा हिन्दू बाहुल्य सांसद होने के कारण ह

S. M. A. Rizvi Advocate

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जन्नत मे जवानों के सरदार

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हज़रत हसनैन सलामुलाह अलैह के सम्बन्ध मे एक मशहूर और मारूफ़ हदीस है कि " हसन और हुसैन जवानाने जन्नत के सरदार है " इमाम हसन और इमाम हुसैन जन्नत मे जवानों के सरदार है । क्योंकि जन्नत मे कोई बूढ़ा नहीं जाएगा सब बूढ़े भी जवान होंगे । अब इस पर कई सवाल उठते है 1. दुनिया मे जो लोग उनको अपना सरदार नहीं मानते है क्या जन्नत मे उनके सरदार होंगे ? 2. जो लोग उनसे जंग लड़ चुके है या जंग लड़ रहे है उनका क्या हाल होगा । 3. जो लोग उनसे सुलह करते है क्या उनके सरदार होंगे ? सवाल थोड़ा पेचीदा है सवाल का जवाब बिना मुत्तासीर /prejudice/पूर्वाग्रह के देना है । दो तरह के लोग है वह लोग जो हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मानते ही नहीं ,उनका इससे कोई तालुक नहीं । वो लोग जो हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को रसूल मानते है उनका इस हदीस से ताल्लुक है । आईये इस हदीस की रोशनी मे कुछ पिछले वाकयात को देखे जो रसूल ए खुदा से है :- जैसे सुलह हुदैबिया मे कुफ़फार के साथ अल्लाह के नबी हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने सुलह की तो सुलह के आधार पर कुफ़फार मोमिन न

जमादिल आखिर /JAMADIL AKHIR

*AMAAL OF MAHE J.AKHAR* *SAYYAD IBNE TAOOS*ne nakl kiya hy k iss maah me jis waqt bhi chahe 4rakat nmz... 2-2 rakt kr k baja laye k *Pehli 2 rakt* 1 rakt me *SURA E AL HUMD*k baad Ek martaba *AYTAL KURSI* N 25 martaba *SURA E QADR* 2nd rakt me *SURA E AL HUMD*k baad 1 martaba *SURA E TAKASUR* n 25 martaba *SURA E TAUHID* *DUSARI 2 rakat* 1st rakt me *SURA E AL HAMD*k baad 25 martaba *SURA E KAFIROON* n *SURA E FALAQ* 2nd rakat me *SURA E AL HAMD* k baad 1 martaba *SURA E NASR* n 25 martaba *SURA E NAAS* *TASBHIH E ZAHRA S .A* Fir 70 tymz *SUBHAANALLAHE WAL HUMDOLILLAHE WALA ILAAH ILALLAHO WALLAHO AKBAR* 70 tymz *SALWAAT* 3 tymz ALLAHUM'MAGFIR LIL MOMEMEEN WAL MOMEMAANT* Fir sajade me jaa kr 3 tymz YA HAYYO YA QAYYUMO YA ZAL JALALE WAL IKRAAME YA ALLAHO YA RAHMAANO YA RAHEEMO YA ARHAMAR RAHEMEEN* Iss k baad khuda se apni hajat talab kre .... Jo shakhs bhi ye amaal kre ..HAQ TA'ALA aainda saal tak uss ko uss k maal uss k ahele khandaan aur uss ki aulaad ko

मुस्लिम हुक़्मरान

बाते क़ुरान और हदीस की करते हैं दुनिया के तमाम मुस्लिम हुक़्मरान मगर सूद के कारोबार मे सहयोगी है ये हुक़्मरान पसंद आता है इनको भी शैतानी निज़ाम करते है समर्थन इबलीस का अक़्वामे मुततहिदा मे हर इबलीस के दफ़्तर मे इनका भी हिस्सा है मगर बात करने को मजबूर है निज़ामे मुस्तफा का पसंद इनको हर फ़ेल है इबलीस का डर इनको हमेशा रहता है खसारा वोट का बाते सूद के खिलाफ की मगर दिलचस्पी एफ़.डी. के interest मे भी

जजो की फ़टकार

जजो को पुलिस अधिकारीयो व पुलिसकर्मी को फ़टकार लगाते सैकड़ों बार देखा गया है कभी किसी पुलिस अधिकारी पर सख्त action लेते नही दिखा जबकि पुलिस अधिकारी व कर्मी कानून के जानकार है और उनके द्वारा किया गया कार्य सिर्फ़ और सिर्फ़ निजि लाभ के लिये या सत्ता के द्वारा promotion की लालच मे किया जाता है कानून के साथ खेले जाने वाले अपराध के लिये सिर्फ़ और सिर्फ़ फ़टकार और लगातार फ़टकार न्याय के साथ मज़ाक है और अपराध पर सज़ा देने के बजाय उसको फ़टकार देना उसको अपराध को करने के लिये प्रोत्साहन देना है और जनता के गुस्से रोष को ठंडा करने का प्रयास है और न्यायालय की गरिमा को बढ़ाना है|

consumer court fees

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ईरान मे प्रदर्शन

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भाई साहब ईरान मे होने वाले प्रदर्शन का क्या हश्र होगा जहाँ तक मेरी राय है वही हश्र होगा जैसा फ़िलहाल आई एस आई एस के साथ ईरान ने किया और अगर ये हश्र समझ मे न आये तो आयतुल्लाह खुमैनी ने जो हश्र रज़ा शाह पहलवी और उसके अमले का किया था वही होगा और अगर ये भी समझ मे न आये तो अमेरिका के ग्लोबल हाक़ जैसे drone को ईरान के द्वारा मार गिराने के बाद भी अमेरिका ने कुछ नही किया और क़ासिम सुलेमानी के क़त्लेआम के बाद ईरान ने इराक़ मे अमेरिकी अड्डे पर हमले के बाद भी ईरान पर कोई जवाबी कार्यवाही नही की क्यों कि अमेरिका को पता है कि ये बिक्ने वाले लोग नही है अमेरिकीयो का क़त्ल करने को तैयार हैं ये अफ़्गानिस्तान इराक़ और पाकिस्तान नही है ईरान मे आक्रमण करने के बाद जो लाशे ले जाओगे वो अलग हमेशा की खूनी दुश्मनी सदियों तक रहेगी, अब जो अमेरिका के धोखे मे आ गए उन मे 14000 लोगो को सज़ा ए मौत की तलवार लटक रही हैं

Raurkela Distt. Court odisha

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इस्लाम मे माता -पिता का हक़

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इस्लाम मे माता पिता के हक के बारे मे बताया गया है कि अगर माँ बाप (वालदैन) जालिम भी हो और तुम पर ज़ुल्म भी करे तो तुम “उफ़ “ भी न कहो । अगर तुम्हारे माँ बाप काफिर हो और तुम्हें कोई हुक्म दे तो उसे बजा लाओ (यानी पूरा करो ) सिर्फ इस्लाम को छोड़ने की बात की पैरवी न करो । माँ बाप की जरूरतों को उनके कहने से पहले पूरा कर दो । माँ बाप की नाराज़गी मे तुम्हारी जहन्नम है । क्या माँ बाप का हक अदा किया जा सकता है ? माँ बाप का हक़ किसी भी कीमत पर अदा नहीं किया जा सकता है ।

फ्रांस जर्मनी का मानवाधिकार का ढोंग !

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दुनिया भर मे अमेरिकी और पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ बोलने वाले देश मे किसी प्रकार के परदर्शनों मे इन पश्चिमी देशों के द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन को ज़ोर शोर से उठाते है जैसे यह मानव के अधिकारों के प्रति बहुत सजग हो और अमेरिका मे या अन्य किसी समर्थक देशो मे होने वाले मानवाधिकार और घोर मानवाधिकार उल्लंघन पर मौन रहते है जैसे कुछ हुआ ही नहीं । हाल ही मे ईरान मे होने वाले पर्दरशनों पर अपनी पुरानी दुश्मनी को भुनाते हुए और मानवाधिकार उल्लंघन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने वाले देश मानवाधिकार का हितैषी बन कर ईरान का विरोध करना शुरू कर दिया । अब हाल ही मे फ्रांस और जर्मनी मे महंगाई के खिलाफ होने वाले परदर्शन पर सम्बन्धित देशों की पुलिस द्वारा की जाने वाली बर्बरता और सख्त कार्यवाही की जो तस्वीरे आ रही है उन तस्वीरों से फ्रांस जर्मनी की मानवाधिकार उल्लंघन पर की जाने वाली टिप्पणी और ढोंग का खुलासा हो चुका है । मानवाधिकार उल्लंघन फ्रांस जर्मनी और पश्चिमी देशों द्वारा अपने विरोधी देशों पर दबाव बनाने के लिए “हथियार के रूप मे “ इस्तेमाल किया जा रहा है वास्तव मे मानवाधिकार का इन बर्बर देशों

अमेरिकी और पाकिस्तानी आतंकवाद का गठजोड़

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अमेरिकी आतंकवाद की शुरुवात हिरोशिमा और नागासाकी शहरों जो जापान के शहर है उस पर परमाणु बम से हमले से हुई थी इसके बाद वियतनाम पर अमेरिकी आतंकवाद को दुनिया मे देखा गया ,पनामा पर अमेरिकी आतंकवाद के पश्चात अफगानिस्तान पर अमेरिकी आतंकवाद की शुरुवात की गयी इस आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सऊदी अरब और पाकिस्तान ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया उस समय अमेरिका की पुश्तपनाही पर पाकिस्तान के द्वारा आतंकवादी तैयार किए जाते थे हथियार और आतंकवादीयों को प्रशिक्षण अमेरिका देता था और सोवियत संघ से लड़ने के लिए अफगानिस्तान भेजा गया अमेरिकी आतंकवाद को धार्मिक या मज़हबी रंग देने के लिए उस वक़्त के अमेरिकी आतंकवाद को अमेरिकी आतंकवाद नहीं कहा जाता था उसे पूरी दुनिया के मीडिया के द्वारा “जेहाद “ कहा जाने लगा और लड़ने वाले लोगों को मुजाहिदीन कहा जाता था। मुसलमान लड़ रहे थे वो भी उस जेहाद के लिए जो “अमेरिकी आतंकवादी जेहाद “ था । अमेरिकी आतंकवाद की बड़ी फौज तैयार करने के बाद अमेरिकी उद्देश्य न पूरे होने के कारण 11 सितम्बर 2001 मे वर्ल्ड ट्रैड सेंटर पर हमला किया गया जिसका बहाना लेकर अफगानिस्तान पर हमला किया गया । अफगानिस्त

विधवा विवाह

आज से 1400 साल पहले इस्लाम मे विधवा विवाह को आरम्भ किया और तलाक़शुदा महिलाओ का भी दोबारा विवाह की शरुवात की गयी इससे पहले दुनिया की तमाम सभ्य व असभ्य (मोहिज़्जिब और गैर मोहिज़्जिब) लोगों मे महिलाओ के साथ क्या सुलूक किया जाता था किसी कारण अगर महिला का पति की मौत हो जाती थी तो उस महिला को अशुभ मानते थे उसके बाल का मुंडन कर दिया जाता था दूसरा विवाह करना वर्जित था ऐसी महिला का तिरस्कार किया जाता था समाज मे उसके जीने के लिए कोई अधिकार नहीं था कुछ इलाकों के लोग पति के साथ ही जिंदा उसकी पत्नी को भी चिता मे जला देते थे। जब जीने का अधिकार नहीं देते थे तो संपत्ति का अधिकार कहाँ से देते। इसके साथ ही तलाक़शुदा महिलाओ की भी स्थिति बदतर थी । विभिन्न धर्मों मे जहां विधवा विवाह वर्जित था उन धर्मों के मानने वाले लोगों ने भी इस्लाम के इस नैसर्गिक कानून (natural law) को मानने को बाध्य हुए है और सैकड़ों वर्षों बाद इस्लाम के इस कानून को अपनी खुशी और अपने संतानों की खुशी के लिए विधवा विवाह और तलाक़शुदा का पुनर्विवाह को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस्लाम को जो नहीं भी मानते थे और वो जो इस्लाम का विरोध करते थे वो भी

छूआछूत

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  आपस मे बैठे हुए वार्तालाप के दौरान ,सम्मानीय साथियों ने सवाल किया जिसमे उन्होंने आरोप लगाया कि छूआछूत जो फैला है उसकी देंन मुग़ल बादशाह है । सनातन धर्म मे चार वर्णों का जो उल्लेख किया गया है उसमे 1. ब्राहमण 2. क्षत्रिय 3. वैश्य 4. शूद्र का उल्लेख किया गया है यह तो मुसलमानों या मुग़लों की देंन नहीं है यह तो शास्त्रों से है । राम चरित्र मानस की इस चौपाई “ढोल गंवार शूद्र पशु और नारी सकल ताड़ना के अधिकारी “ यह चौपाई तो मुसलमानों ने नहीं बनाई । आइए जानते है इस्लाम मे इंसान की उत्पत्ति हज़रत आदम अलैहिससलाम से है इसलिए कुल इंसान (बनी नव इंसान) आदम की औलाद है इसलिए अगर वो एक धर्म या मजहब के न भी हो तब भी एक आदम की नस्ल होने के कारण भाई है। इस्लाम ने छूआछूत को खत्म किया । इस्लाम से नफरत करने वाले भी चाहे किसी तरह भी इस्लाम के बराबरी के कानून को मानने के लिए मजबूर हो गए । भले ही दिल से न माना हो मगर दिमाग से मानने के लिए कानूनन मजबूर कर दिया । आजादी के बाद हम देखते है कि छूआछूत अपराध अधिनियम 1955 ( untouchability offences act 1955 ) को बनाकर इस्लाम की समानता के कानून को मानने के लिए बाध्य कर

शैतानी ताकते

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  शैतान तुम्हारा खुला हुआ दुश्मन है जब हम लोग हज़रत आदम अलैहिससलाम के बारे मे पढ़ते है तो गेंहू के पौधे के पास जाने से अल्लाह ने मना किया वहाँ पर जाने पर आपका जन्नती लिबास उतर गया अब शैतान के कारनामे मे इंसान को नंगा करना । एक हुक्म अल्लाह का है और एक हुक्म शैतान का है । अल्लाह के हुक्म पर आपको पर्दा ,इज़्ज़त ,नशे से दूर ,अच्छाईयों की तरफ ले जाता है । जबकि शैतान के हुक्म पर नंगे हो जाना , बेशर्मी ,बेहयाई ,नशावरी , और तमाम बुराई की ओर ले जाता है । शैतान के पैरोकार मुस्लिमों ईसाई यहूदी हिन्दुओ मे से किसी भी धर्म किसी भी संप्रदाय किसी भी वर्ग से हो सकता है बस करना है शैतान की पैरवी । उदाहरण के लिए दो मजहब यहूदी और ईसाई जिसमे परदे का जोर है यहाँ तक कि यहूदी और ईसाई किताबों मे बीबी मरियम सलामउल्लाह अलैह के पर्दे का उल्लेख किया गया है । मगर शैतान की पैरवी करने के लिए यहूदी और ईसाई अल्लाह को मानने के बाद भी फहश और नंगे पन को न केवल अख्तियार किया बल्कि उसका प्रचार और प्रसार करना भी शुरू किया । इसमे इस्लाम की शिक्षाओ के विरोध के कारण ,न केवल अपनी माँ ,बहन ,बेटी को नंगा कर दिया और उस पर इंतेहा

दुजैल का ट्रायल ही क्यों ?

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  मसलकी नफरत मे मुसलमान इतना गिरफतार है कि वह अपनी अक्ल की सालाहीयत खो चुका है और उसका कार्य एक अज्ञानी (जाहिल/ ignorant ) की तरह का हो गया। जिस सद्दाम हुसैन को अमेरिका और उसके साथी पश्चिमी देशों और सऊदी अरब ने ईरान के खिलाफ काम करने मे इस्तेमाल किया था और जिस दौरान इराक - ईरान युद्ध (1980-1988)चल रहा था उसी दौरान इराक के एक गाँव दुजैल मे सद्दाम पर हमला होता है और उसके बदले मे इराक़ी शियों का कत्ले आम किया जाता है यह बात है सन 1982 ईसवी की ।   अमेरिका उस समय इराक के शासक सद्दाम हुसैन का बडा समर्थक और दोस्त बना हुआ था लेकिन उस दोस्ती मे भी दगा के निशान अमेरिका के पास थे कत्लेआम का वीडियो अमेरिका के पास था अमेरिका और पश्चिमी देशो को अपना उद्देश्य पूरा कराना था । 2 अगस्त 1990 मे इराक ने कुवैत पर आक्रमण करके उस पर कब्जा कर लिया । खाड़ी युद्ध मे सीज़ फायर (युद्ध विराम) के बाद कुवैत को आज़ाद करा लिया गया। उसके बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने इराक पर आरोप लगाना शुरू किया कि इराक के शासक सद्दाम इराक़ी कुर्द और शियाओ पर ज़ुल्म ढ़ा रहे है उनके ऊपर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे है । सन 2003 क