Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

तंगनज़री

एक हदीस के द्वारा आखरी दौर मे खुरासान से उठने वाले काले झंडे वालों की बशारत दी गई जिसके द्वारा बैतुल मुक़द्दस की फतह का ज़िक्र किया गया । खुरासान के अन्तर्गत ईरान का उत्तर पूर्व का कुछ क्षेत्र अफगानिस्तान का कुछ हिस्सा और बलोचिस्तान का कुछ क्षेत्र आता है । वर्तमान मे खुरासान नाम का एक प्रांत ईरान मे है । बिरादर इस्लाम के फ़िरको मे से बहुत सारे ऐसे आलिम है जो अफगानिस्तान और बलोचिस्तान का उल्लेख करने से कतराते है और उसको नजरंदाज करते है और इस नजरंदाज करने का कारण है कि ईरान उनके मसलक से ताल्लुक नहीं रखता है । इन आलिमों के द्वारा अपने मसलक के लोगों की खिदमत को फख्र के साथ बयान नहीं कर सकते । बतौर नज़ीर इन मसलक वालों का जेहाद अब तक आतंकी इस्राइली यहूदी के खिलाफ नहीं था नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाईजेशन (NATO) के खिलाफ नहीं था। इनका जेहाद इस्लाम के तमाम मानने वालों के ही खिलाफ था वो भी किसी शैतानी ताकतों के खिलाफ जेहाद नहीं था बल्कि इनका जेहाद शैतानी ताकतों के साथ मिलकर लड़ना था । शैतानी ताकते जो खुद को ईसाई भी कहती है वो ईसाई धर्म के उपदेश और अमल के मनाफी (विपरीत) था 1. अपने मुल्कों मे इन शैतानी ताकतों ने लेसबियन gay समलैंगिक का समर्थन किया और उसको कानूनी मान्यता दी गई । 2. इस समलैंगिकता के कारण ही हज़रत लूत (अ) की उम्मत पर अज़ाब नाज़िल हुआ था । 3. गर्भपात को बिना किसी वजह के जायज़ ठहराया गया 4. नसबंदी को बढ़ावा देना 5. Holocaust पर बात करने पर सजा देना और मुसलमानों के जज़्बातों को मजरूह करने के लिए उनके पैगंबर पर कार्टून बना कर हमला करना । 6. शराबखोरी को बढ़ावा देना । 7. ब्याज को आम करना । 8. हिजाब पर सवाल उठाना जबकि बीबी मरियम के हिजाब के अनुसार ईसाई और यहूदीयों मे भी पर्दा है । तमाम और बाते भी है जो खुलकर शैतानी काम को बढ़ावा देती है शैतानी ताकतों के साथ मिलकर जो मुसलमानों ने जेहाद किया है उसमे लाखों नहीं करोड़ों मुसलमानों का कत्ल किया गया और शैतानी ताकतों ने ही इन जेहादीयों को आतंकी का तमगा (medal) भी दिया । आइये देखते है :- 1. ईरान – इराक युद्ध 2. अफगानिस्तान मे सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध उसके बाद अमेरिका और नाटो का अफ़गान जनता के खिलाफ युद्ध 3. खाड़ी युद्ध (1991, 2003 ) 4. शैतानी ताकतों के द्वारा बनाया गया दौलते मुस्तरका इराक और सीरिया (आई.एस.आई.एस.) का इराक और सीरिया मे मुसलमानों का कत्ले आम 5. लीबिया मे शैतानी ताकतों का हमला 6. यमन पर शैतानी ताकतों के साथ जेहादियों का कत्ले आम मगर इनका जेहाद आतंकी इस्राइल के खिलाफ खामोश रहते है । अब अपने विषय की ओर बढ़ते है इस नज़ीर के साथ “ अरब मे जब खैबर की जंग से पहले जब मरहब नामक यहूदी मुसलमानों को ललकारता था और कहता था कि मुसलमानों तुम्हारे दोनों हाथों मे लड्डू है अगर मर गए तो शहीद हो जाओगे और अगर जीत गए तो गाज़ी कहलाओगे इस पर भी कोई जंग मे लड़ने को जाने को तैयार नहीं हुआ इस तरह 39 दिन गुजर गए 39 दिन अपने सरो को नीचा किए हुवे थे कहीं ऐसा न हो कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम हुक्म दे दे जाओ और लड़ो इसलिए अपने सरो को नीचा किए हुवे थे रसूलउल्लाह सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम ने इर्शाद फरमाया कि कल मै ऐसे को अलम (flag bearer) दूंगा जो फ़ातेह –खैबर होगा करारन गैर फरारन होगा (हमलावर और फरार न करने वाला ) वह अल्लाह (सुभान व तआला) और उसके रसूल (सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) से मोहब्बत करता होगा और अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) उससे मोहब्बत करते है । अब यहाँ पर सवाल उठता है कि जब 39 दिन आप लोग कुछ नहीं कर पाये तो 40 वे दिन आप ऐसे योद्धा बन जाएंगे जिससे खैबर फतेह हो जाएगा । सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) की सदाकत पर कि आप (सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) ने फरमाया है कि कल मै (सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) ऐसे को अलम (flag) दूंगा जो कर्रार (हमलावर) और गैर फरारन होगा। अब वो लोग जो फरार कर चुके हो उन्हे इस बशारत से अपने आप को किनारे कर लेना था उनको इसकी तववक़्क़ों (hope) नहीं करनी चाहिए उहद की जंग मे जो भाग चुके हो वो इसमे शामिल नहीं है जो खुद यह कह रहे हो कि वो ऐसे भागे जैसे भेड़ और बकरी भागती हो। अलम को अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) ने अपने चचाज़ाद भाई व दामाद हज़रत अली अलैहिस सलाम को दिया और सादिक़ मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की बशारत के अनुसार खैबर फतेह हुआ और उसके अलम बरदार (flag bearer) मौला अली अलैहिस सलाम थे । इसकी नज़ीर इसलिए देनी पड़ी कि जो शैतानी ताकतों के साथ मिलकर मुसलमानों का ही कत्लेआम किया हो और अमेरिका के हित फ़्रांस के हित नाटो के हित के लिए लड़ते पाए गए हो जिनकी गैरत पैगंबर के कार्टून पर ,क़ुरान मजीद के नज़रे आतिश करने पर उन देशों की embassy को अपने देश से बाहर न कर सके हो उनसे व्यापारिक सम्बन्ध न तोड़ सके हो, शैतानी ताकतों के साथ मिलकर मुसलमानों पर पाबन्दी लगाने और मुस्लिम बच्चों के कत्लेआम मे भागीदार रहे हो । शैतानी ताकतों के मंशा को पूरा करने वालों से यह उम्मीद करना कि उनका दिल बदल जाएगा और वो इन शैतानी ताकतों के खिलाफ लड़ने लगेंगे। अब जो शैतानी ताकतों (अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और नाटो) के खिलाफ लड़ने वाले है जैसे ईरान हिज़्बोलाह हमास हूसी अफगानिस्तान के फातमीयून जैनबीयून इराक के संगठन आदि है जिन्हे दुनिया देख रही है । लेकिन तंगनज़र मौलवी की निगाह मे और उसकी अक्ल के पैमाने इस बात को मानने को तैयार नहीं और इसी कारण उसे नजरंदाज करते है ।

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