Ahmad Rizvi

मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है

Image
मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है । कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है । सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ? जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है । सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ? जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने । सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ? ज...

विधवा विवाह

आज से 1400 साल पहले इस्लाम मे विधवा विवाह को आरम्भ किया और तलाक़शुदा महिलाओ का भी दोबारा विवाह की शरुवात की गयी इससे पहले दुनिया की तमाम सभ्य व असभ्य (मोहिज़्जिब और गैर मोहिज़्जिब) लोगों मे महिलाओ के साथ क्या सुलूक किया जाता था किसी कारण अगर महिला का पति की मौत हो जाती थी तो उस महिला को अशुभ मानते थे उसके बाल का मुंडन कर दिया जाता था दूसरा विवाह करना वर्जित था ऐसी महिला का तिरस्कार किया जाता था समाज मे उसके जीने के लिए कोई अधिकार नहीं था कुछ इलाकों के लोग पति के साथ ही जिंदा उसकी पत्नी को भी चिता मे जला देते थे। जब जीने का अधिकार नहीं देते थे तो संपत्ति का अधिकार कहाँ से देते। इसके साथ ही तलाक़शुदा महिलाओ की भी स्थिति बदतर थी । विभिन्न धर्मों मे जहां विधवा विवाह वर्जित था उन धर्मों के मानने वाले लोगों ने भी इस्लाम के इस नैसर्गिक कानून (natural law) को मानने को बाध्य हुए है और सैकड़ों वर्षों बाद इस्लाम के इस कानून को अपनी खुशी और अपने संतानों की खुशी के लिए विधवा विवाह और तलाक़शुदा का पुनर्विवाह को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस्लाम को जो नहीं भी मानते थे और वो जो इस्लाम का विरोध करते थे वो भी इस्लाम के इस कानून को मानने के लिए बाध्य है।

Comments

Popular posts from this blog

इंजील (बाइबल ) मे मोहम्मद मुस्तफा रसूलउल्लाह का उल्लेख

इमाम मेहदी अलैहिस सलाम और उन पर गलत कयास आराई

CAA, NRC,NPR और मुसलमानों का भयभीत होना!