Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

विधवा विवाह

आज से 1400 साल पहले इस्लाम मे विधवा विवाह को आरम्भ किया और तलाक़शुदा महिलाओ का भी दोबारा विवाह की शरुवात की गयी इससे पहले दुनिया की तमाम सभ्य व असभ्य (मोहिज़्जिब और गैर मोहिज़्जिब) लोगों मे महिलाओ के साथ क्या सुलूक किया जाता था किसी कारण अगर महिला का पति की मौत हो जाती थी तो उस महिला को अशुभ मानते थे उसके बाल का मुंडन कर दिया जाता था दूसरा विवाह करना वर्जित था ऐसी महिला का तिरस्कार किया जाता था समाज मे उसके जीने के लिए कोई अधिकार नहीं था कुछ इलाकों के लोग पति के साथ ही जिंदा उसकी पत्नी को भी चिता मे जला देते थे। जब जीने का अधिकार नहीं देते थे तो संपत्ति का अधिकार कहाँ से देते। इसके साथ ही तलाक़शुदा महिलाओ की भी स्थिति बदतर थी । विभिन्न धर्मों मे जहां विधवा विवाह वर्जित था उन धर्मों के मानने वाले लोगों ने भी इस्लाम के इस नैसर्गिक कानून (natural law) को मानने को बाध्य हुए है और सैकड़ों वर्षों बाद इस्लाम के इस कानून को अपनी खुशी और अपने संतानों की खुशी के लिए विधवा विवाह और तलाक़शुदा का पुनर्विवाह को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इस्लाम को जो नहीं भी मानते थे और वो जो इस्लाम का विरोध करते थे वो भी इस्लाम के इस कानून को मानने के लिए बाध्य है।

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