Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

छूआछूत

 

आपस मे बैठे हुए वार्तालाप के दौरान ,सम्मानीय साथियों ने सवाल किया जिसमे उन्होंने आरोप लगाया कि छूआछूत जो फैला है उसकी देंन मुग़ल बादशाह है ।

सनातन धर्म मे चार वर्णों का जो उल्लेख किया गया है उसमे 1. ब्राहमण 2. क्षत्रिय 3. वैश्य 4. शूद्र का उल्लेख किया गया है यह तो मुसलमानों या मुग़लों की देंन नहीं है यह तो शास्त्रों से है । राम चरित्र मानस की इस चौपाई “ढोल गंवार शूद्र पशु और नारी सकल ताड़ना के अधिकारी “ यह चौपाई तो मुसलमानों ने नहीं बनाई ।

आइए जानते है इस्लाम मे इंसान की उत्पत्ति हज़रत आदम अलैहिससलाम से है इसलिए कुल इंसान (बनी नव इंसान) आदम की औलाद है इसलिए अगर वो एक धर्म या मजहब के न भी हो तब भी एक आदम की नस्ल होने के कारण भाई है। इस्लाम ने छूआछूत को खत्म किया । इस्लाम से नफरत करने वाले भी चाहे किसी तरह भी इस्लाम के बराबरी के कानून को मानने के लिए मजबूर हो गए । भले ही दिल से न माना हो मगर दिमाग से मानने के लिए कानूनन मजबूर कर दिया ।

आजादी के बाद हम देखते है कि छूआछूत अपराध अधिनियम 1955 (untouchability offences act 1955) को बनाकर इस्लाम की समानता के कानून को मानने के लिए बाध्य कर दिया गया है ।




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