Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

फ्रांस जर्मनी का मानवाधिकार का ढोंग !

दुनिया भर मे अमेरिकी और पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ बोलने वाले देश मे किसी प्रकार के परदर्शनों मे इन पश्चिमी देशों के द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन को ज़ोर शोर से उठाते है जैसे यह मानव के अधिकारों के प्रति बहुत सजग हो और अमेरिका मे या अन्य किसी समर्थक देशो मे होने वाले मानवाधिकार और घोर मानवाधिकार उल्लंघन पर मौन रहते है जैसे कुछ हुआ ही नहीं । हाल ही मे ईरान मे होने वाले पर्दरशनों पर अपनी पुरानी दुश्मनी को भुनाते हुए और मानवाधिकार उल्लंघन को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने वाले देश मानवाधिकार का हितैषी बन कर ईरान का विरोध करना शुरू कर दिया । अब हाल ही मे फ्रांस और जर्मनी मे महंगाई के खिलाफ होने वाले परदर्शन पर सम्बन्धित देशों की पुलिस द्वारा की जाने वाली बर्बरता और सख्त कार्यवाही की जो तस्वीरे आ रही है उन तस्वीरों से फ्रांस जर्मनी की मानवाधिकार उल्लंघन पर की जाने वाली टिप्पणी और ढोंग का खुलासा हो चुका है । मानवाधिकार उल्लंघन फ्रांस जर्मनी और पश्चिमी देशों द्वारा अपने विरोधी देशों पर दबाव बनाने के लिए “हथियार के रूप मे “ इस्तेमाल किया जा रहा है वास्तव मे मानवाधिकार का इन बर्बर देशों फ्रांस जर्मनी और पश्चिमी देशों जिन्होंने दुनिया मे इंसानियत सोज़ मज़ालिम ढाए है उनका इससे कोई सरोकार नहीं है ।

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