Ahmad Rizvi

मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है

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मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है । कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है । सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ? जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है । सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ? जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने । सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ? ज...

इमरान खान और मुसददीक मे समानता

ा ईरान के पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद मुसददीक के नेत्रत्व मे 1951 मे सरकार बनाई गयी और इस सरकार को अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से मुसददिक की सरकार को खत्म कर दिया गया । मुसददीक ने निजि कम्पनियों के द्वारा ऑइल इंडस्ट्री को नियंत्रण करने से रोकने और आयल इंडस्ट्री का राष्ट्रीयकरण करना था। इस घटना से सबसे ज़्यादा नुकसान अमेरिका और ब्रिटेन को होना था इन दोनों विदेशी ताकतों अर्थात अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा षडयन्त्र रचा गया और शाह ईरान के साथ मिलकर मुसददीक का तख्ता पलट दिया गया । पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान द्वारा जब अमेरिका की खुलकर मुखालफत की जाने लगी और अमेरिका और उसके सहयोहगीयो के द्वारा शमसी एयरबेस को देने से इनकार किया और अमेरिका पर यह टिप्पणी करता रहा कि दुनिया मे ऐसा सहयोगी नहीं देखा होगा जिसने अपने सहयोगी के 80000 बेगुनाह लोगों अर्थात पाकिस्तानी लोगों का कत्ल किया गया हो और खुदमुख्तारी को चुनौती देते हुए ड्रोन हमला किया हो। एक बात और पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के द्वारा इस बात को दोहराया गया कि वह किसी तीसरे देश की जंग मे अमेरिका का साथ नहीं देंगे और कश्मीर के लोगों को संचार के सभी माध्यमों को काट दिए जाने पर और उस पर पश्चिमी देशों के मौन पर उनकी भर्त्सना करना शुरू कर किया था । कुछ बातों को अगर अमेरिका नज़र अंदाज कर भी देता लेकिन ईरान के मामले को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है। उसके कई कारण है :- 1. शमसी एयर बेस को देने से इनकार से अमेरिका और उसके साथियों को यह नुकसान हुआ कि शमसी एयर बेस से अमेरिका ईरान के खिलाफ ड्रोन और अन्य कार्यवाहीयो को कर सकता था जिस तरह अफगानिस्तान पर हमले के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल करता रहा । दूसरी बात ईरान की सैन्य शक्ति अफगानिस्तान और अन्य देशों की तुलना मे मजबूत है । 2. अमेरिका के इस प्रस्ताव को भी इमरान सरकार ने इन्कार किया जिसमे पाकिस्तान के माध्यम से ईरान के अन्दर टेररिस्ट activities और सैन्य कार्यवाही की जा सकती है । 3. अमेरिका और उसके सहयोगीयो द्वारा 80000 (अस्सी हज़ार ) बेगुनाह पाकिस्तानी नागरिकों के कत्ल का मुद्दा उठाया । यह कत्ल अफगानिस्तान मे कत्ल किए गए अफराद से मुखतलीफ़ थे । 4. इमरान खान द्वारा ईरान से अच्छे ताल्लुकात से भी अमेरिका भयभीत था और उसका कारण ईरान और पाकिस्तान की गैस पाइप लाइन जिसे अमेरिका के दबाव मे रोक दिया गया उसे बहाल होने पर दोनों देशों को बड़ा आर्थिक लाभ पहुँच सकता था । 5. सामरिक तौर पर देखा जाय तो अमेरिका के लिए पाकिस्तान का बड़ा महत्व है क्योंकि पाकिस्तान के अमेरिका के खिलाफ होने के कारण उत्तरी कोरिया, चीन , अफगानिस्तान , पाकिस्तान , ईरान इराक , सीरिया और रूस का बहुत बड़ा समूह बन जाता है जिससे अमेरिका के सैन्य और आर्थिक हितों के बहुत बड़ा झटका लगता है । 6. इसलिए जिस तरह गोवा और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों को बदला गया उसी तरह बिना सैन्य हस्तक्षेप के कानून के दायरे मे रहते हुए सरकार को बदला जा सकता है और बदला गया इस प्रकार अमेरिका के हितों की रक्षा करने के लिए और अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तानी लोगों को बेइज्ज़त कराने के लिए शहबाज़ शरीफ के कयादत (नेत्रत्व ) मे सरकार बना दी गयी । इमरान खान की गिरफ़तारी दिनांक 09-05-2023 को किया गया इसके पीछे अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का अहम रोल है। शरीफ बंधु अमेरिका का एहसान और उसके दिशा निर्देश पर काम कर रहे है । अमेरिका का बयान कि कानून के अनुसार काम करे और अमेरिका का कहना कि कानून के अनुसार काम किया गया यह बता रहा है कि अमेरिका को समर्थन शहबाज़ सरकार और फौज को प्राप्त है । अमेरिका का एक उद्देश्य और पूरा होता है अगर अमेरिका C.P.E.C. (china Pakistan economic corridor) को अगर खत्म नहीं करा सकता तो शहबाज़ शरीफ और वहां की फौज के ज़रिए पाकिस्तान के टुकड़े तो करा सकती है जिससे cpec पाकिस्तान के टुकड़े के साथ स्वत: हो जाएगा ।

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