Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

इस्लाम और योग

इस्लाम और योग योग का वर्णन हिन्दू धर्म से जुड़ा है और इसका उल्लेख पतंजली दर्शन मे दिया गया है । यह कहना कि योग का किसी धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है , पूर्णतया गलत व झूठ है । इसको दुनिया भर के ईसाई , यहूदी , बौद्ध ,और अन्य लोगों को योग कराया गया और इसका प्रचार प्रसार भारतीय मीडिया के साथ विश्व मीडिया ने भी किया । जिस योग का इतना प्रचार किया जा रहा है उस योग और इस्लाम मे क्या महत्व है जिसे योग नहीं कहा गया मगर इससे बेहतर है । अल्लाह ने जब अपने दीन “इस्लाम “ को मुकम्मल किया तो इरशाद फरमाया मैंने आज दीन “इस्लाम “ को मुकम्मल कर दिया अगर किसी दीन को अल्लाह मुकम्मल करे तो उसमे कोई कमी हो ही नहीं सकती । इस्लाम मे नमाज़ से पहले जिस वज़ू का उल्लेख (ज़िक्र ) है वो नमाज़ पढ़ने से पहले किया जाता है और साथ मे दुआए पढ़ी जाती है जबकि योग बिना हाथ मुंह धोए भी की जा सकती है ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है मगर नमाज़ बिना वज़ू के कायम नहीं की जा सकती है । वज़ू मे नाक मे पानी डाला जाता है जिसे योग मे नेती क्रिया या नेती योग कहते है । योग मे अल्लाह का का ज़िक्र नहीं है जबकि वज़ू और नमाज़ योग के साथ अल्लाह का ज़िक्र है । जैसे अल्लाहों अकबर कहते हाथो को कानों तक ले जाया जाता है । (एक योग, योग का कोई नाम दे सकते है अलग अलग देशों मे अलग अलग नाम हो सकते है ) नमाज़ के लिए खड़े होना जिसे कयाम कहते है जिसमे सूरे पढ़ी जाती है (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) रूकू – हाथों को पैरों के घुटने पर रखना और ज़िक्र अल्लाह करना (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) रूकू से सीधा खड़े होना अल्लाह का ज़िक्र करते हुए (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) सजदे मे जाना और अल्लाह का ज़िक्र करना (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) सजदे से उठ कर अल्लाह से अपनी प्रायश्चित और मगफिरत की दुआ करना सजदे से उठकर पाँव को बाएं पैर के ऊपर दाहिना पैर रखना (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) उसके बाद फिर खड़ा होना (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) कूनूत मे दुआ का पढ़ना जिसमे दोनों हाथों को उठाया जाता है (एक योग नाम कोई भी दे सकते है ) अल्लाह ने इतने योग के साथ अपना ज़िक्र (recite the name of allah )भी सिखाया और नमाज़ पढ़ने का उद्देश्य बताया गया अल्लाह से बंदे का करीब होना । इसलिए इस्लाम मे किसी भी प्रकार की कहीं से कोई चीज लेने की आवश्यकता नहीं है जबकि इस्लाम से मानव – जीवन को लेने की आवश्यकता है । चाहे इस्लाम को न भी मानता हो फिर भी उसके नियम कानून सारी मानवता की भलाई के लिए है और उसको मानना पड़ता है ।

Comments

Musharraf Ali said…
You are absolutely right but brother today all yahoodi , christian and Other religion person are preparing conspiracy against Is lam , they are follow islam indirectly but are not agree .you remembered last word of our prophet that every person who are not momin will be planing against is la.

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