Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

दुजैल का ट्रायल ही क्यों ?

 

मसलकी नफरत मे मुसलमान इतना गिरफतार है कि वह अपनी अक्ल की सालाहीयत खो चुका है और उसका कार्य एक अज्ञानी (जाहिल/ignorant) की तरह का हो गया। जिस सद्दाम हुसैन को अमेरिका और उसके साथी पश्चिमी देशों और सऊदी अरब ने ईरान के खिलाफ काम करने मे इस्तेमाल किया था और जिस दौरान इराक - ईरान युद्ध (1980-1988)चल रहा था उसी दौरान इराक के एक गाँव दुजैल मे सद्दाम पर हमला होता है और उसके बदले मे इराक़ी शियों का कत्ले आम किया जाता है यह बात है सन 1982 ईसवी की ।

 अमेरिका उस समय इराक के शासक सद्दाम हुसैन का बडा समर्थक और दोस्त बना हुआ था लेकिन उस दोस्ती मे भी दगा के निशान अमेरिका के पास थे कत्लेआम का वीडियो अमेरिका के पास था अमेरिका और पश्चिमी देशो को अपना उद्देश्य पूरा कराना था । 2 अगस्त 1990 मे इराक ने कुवैत पर आक्रमण करके उस पर कब्जा कर लिया । खाड़ी युद्ध मे सीज़ फायर (युद्ध विराम) के बाद कुवैत को आज़ाद करा लिया गया। उसके बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने इराक पर आरोप लगाना शुरू किया कि इराक के शासक सद्दाम इराक़ी कुर्द और शियाओ पर ज़ुल्म ढ़ा रहे है उनके ऊपर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे है ।

सन 2003 के इराक युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने सद्दाम को पदच्युत कर दिया और उनको गिरफ्तार करने के बाद उनपर इराक़ी कोर्ट मे केस चलाया गया यह मुकदमा सन 1982 के दुजैल कांड का ट्रायल था ।

आइये जानते है दुजैल कांड के अलावा जो कांड थे उस पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया गया ?

1.   जैसे इराक ने पश्चिमी देशों और अमेरिका के द्वारा उपलब्ध कराये गए हथियार के द्वारा जिसमे ईरान के हलबचा नामी जगह पर लगभग 10,000 आदमी औरत बच्चे लुकमे अजल का शिकार हो गए , बेदर्दी से कत्ल किया गया।

2.   कुवैत पर हमला किया इस हमले मे दुजैल से भी ज्यादा लोगों को कत्ल किया गया उस पर ट्रायल नहीं किया गया ।

3.   इराक मे कुर्दों और शियाओ पर केमिकल हथियार चालाने और उनके दमन का आरोप पश्चिमी देशों ने लगाया मगर इस आधार पर ट्रायल नहीं कराया गया ।

ट्रायल किया गया तो दुजैल पर वो भी सन 1982 मे किए गए कार्य के लिए इससे अमेरिका ने अपने उद्देश्य की पूर्ति करनी चाही एक दुजैल के ट्रायल से शिया और सुन्नी मसलकों मे खूँरेजी कराना था दूसरे इनकी नफरत को इतना बढ़ाना था ताकि पश्चिमी देशों के मक़ासिद बगैर ज़्यादा मेहनत के सफल हो जाए मगर अल्लाह के रहमो करम से अमेरिका और उसके पश्चिमी देश नाकामयाब रहे मगर अभी भी उनके प्रयास जारी है और आगे भी जारी रहेगा ।

“किसी कौम से इतनी नफरत न करो कि तुम अदल से फिर जाओ”



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