Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

अदालतों से सरकारे नाखुश

अदालतों से सरकारे नाखुश चुनी हुई सरकारों को अदालतों के वो फैसले जो उनके पक्ष (हक़ ) मे नहीं है उनके खिलाफ इन सरकारों के द्वारा कार्य किया जा रहा है । सरकारों के भ्रष्टाचार को या तो अदालते नज़रअंदाज कर दे या फिर सरकारे न्याय को डिलिवर करने से रोकना है । हाल ही मे आतंकी देश इस्राइल ने JUDICIAL REFORMS के नाम पर अदालतों के अधिकारों मे कटौती करने और उन्हे न्याय देने से रोकने के लिए आतंकी इस्राइल के संसद KENNESET मे बिल को पास कराया गया । आतंकी देश इस्राइल के यहूदीयो ने वहां की सरकार के मंशा को जान कर अपनी ही सरकारों के खिलाफ हो गयी और जबरदस्त परदर्शन किया और सरकार को अपने आदेश को लेने को मजबूर कर दिया । उधर कुछ देशों ने अपनी सरकारों से संघर्ष करने और सरकारों के खिलाफ फैसले देने और JUDGES अपने खिलाफ संसद की कार्यवाही या अन्य अनुचित HARASSMENT कार्यवाही से भयभीत रहते है। उन देशों मे जहां राजा, बादशाह , सुल्तान, खलीफा या तानाशाह है वहां भी अदालतों पर न्याय उनके राजा ,बादशाह सुल्तान या तानाशाह को खुश करने के लिए न्याय की हत्या करते हुए अपने राजा ,बादशाह सुल्तान या तानाशाह के पक्ष मे फैसला देते है । अब जो देश अपने को लोकतान्त्रिक कहते और प्रचार करते नहीं थकती और अदालतों को स्वांतत्र बताती है और इसके लिए दुनिया भर मे प्रचार करती है । आईये देखते है आज़ाद न्यायापालिका का ये सरकारे कितना सम्मान करती है । आतंकी देश इस्राइल का उदाहरण ऊपर पेश कर चुका हूँ । एक और पड़ोसी देश पाकिस्तान वहां की की सरकार अदालत के फैसले पर कितना नाखुश हुई कि शहबाज़ और उसके मंत्री अपने ही सुप्रीम कोर्ट के जज को निशाने पर लेने लगी । चुनाव कराने के लिए जब पाकिस्तान की न्यायपालिका ने कहा तो वहां की सरकार ने अदालत के आदेश को मानने से इंकार कर दिया । विपक्ष को खत्म करने के लिए पाकिस्तान सरकार और सेना के गठजोड़ करके फर्जी मुकदमे दाखिल करना शुरू किया । जब पाकिस्तानी अदालते ने विपक्ष के नेता इमरान खान को जमानत दी तो वहां की सरकार अदालतों के खिलाफ हो गयी और अपनी ही अदालतों के विरुद्ध प्रदर्शन करना शुरू किया और जजों पर शब्दों के बाण से हमला करना आरम्भ किया उनपर हिंसा की धमकी दी । यूनियन ऑफ इण्डिया मे दिल्ली की राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच जब अधिकारों के सम्बन्ध मे विवाद हुआ और सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के पक्ष मे फैसला दिया तो केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को बदलते के लिए केन्द्र सरकार ने “अध्यादेश “ निर्गत किया । एक और नजीर जब सर्वोच्च न्यायालय ने राजा महमूदाबाद के पक्ष मे फैसला सुनाया तो उसको सरकार ने अपने “अध्यादेश “ लाकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को समाप्त कर दिया । उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय मे बाबरी मस्जिद के मामले मे हलफ़नामा देने के बाद न्यायालय को गुमराह किया और जो सज़ा दी गयी उससे सब परिचित है । अतीक ने अपनी जान को खतरा है इसके बाद सरकार की इच्छा के अनुसार कार्य करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया और उसका कत्ल करा दिया गया । एक साबिक जज जिनके चरित्र का ही हनन कर दिया गया (बाबरी मस्जिद के फैसले से पहले ) उसके बाद सरकार की इच्छा के अनुसार कार्य कर दिया गया । कहने का तात्पर्य यह है कि सरकार जो चाहती है अगर उसके पक्ष मे फैसला आ जाए तो उसका स्वागत है और अगर उसके हक़ मे फैसला न हो तो उसको “अध्यादेश “ या किसी अन्य तरीकों चाहे उचित हो या अनुचित हो के द्वारा बदला जा सकता है और वो भी “लीगल और कानूनी कार्यवाही “ कहलाती है और वैध भी है और संविधान इसकी इजाज़त भी देता है ।

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