Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

उईगुर मुसलमान!

अमेरिका और पश्चिमी देशों के द्वारा आजकल ऊईगुर मुसलमानों की चिंता ज्यादा सता रही है ऊईगुर मुसलमानों से पहले का मसला आज उठा है या इससे पहले भी कोई घटना घटी है। xianjiang/सिनकियांग/पूर्वी तुर्किस्तान कहते है उस पर चीन ने सन 1949 मे कब्ज़ा किया और तिब्बत पर सन 1949 पर कब्ज़ा किया लेकिन तिब्बतीयों पर होने वाले ज़ुल्म और मज़ालिम का कोई ज़िक्र नहीं किया जाता। अफगानिस्तान मे सोवियत संघ को हराने मे मुसलमानों की जानो व मालों की कुर्बानी जिस तरह अमेरिका और पश्चिमी देशों और सऊदी शासकों और पकिस्तानियों ने ली है उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती।

 अब यह सवाल उत्पन्न होता है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों के ऊईगुर मुसलमानों के मामले को उभार कर अमेरिका और पश्चिमी देशों  के छिपे और खुले उद्देश्य क्या है।

1.   अमेरिका और पश्चिमी देशों  के द्वारा चीन के खिलाफ पूरे विश्व के जनमत को अपनी ओर करना है।

2.   अमेरिका और पश्चिमी देशों  द्वारा दुनिया भर मे इंसानों पर किए गए अत्याचार पर पर्दा डालना और चीन के द्वारा किए गए अत्याचार को उभारना है ।

3.   अमेरिका और पश्चिमी देशों  के द्वारा चीन के मानवाधिकारो के उल्लंघन का नगाड़ा अपनी मीडिया के द्वारा करना ।

4.   अमेरिका और पश्चिमी देशों  के द्वारा सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऊईगुर मुस्लिमों का इस्तेमाल चीन के खिलाफ करना।

5.   अमेरिका और पश्चिमी देशों को इस्लाम के खिलाफ दुष्प्रचार करने का एक मौका मिलेगा और उसे इस्लामिक आतंकवाद कहना ।

6.   अमेरिका और पश्चिमी देशों  के द्वारा चीन की तरक़्क़ी को रोकने का अवसर मिलेगा ।

7.   अमेरिका और पश्चिमी देशों  ने केवल मुसलमानों के issues/मामले को उठाते है वह भी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कभी ईसाई मामले को नहीं उठाते है और अगर उठाते है तो उसे हल कराते है उदाहरण के लिए मलेशिया का कभी भाग था सिंगापुर उसे आजाद कराया गया कि उसमे ईसाई बहुल शहर था। दूसरा उदाहरण है सूडान जिसे  दक्षिणी सूडान मे ईसाई सूडान सरकार के खिलाफ जंग लड़ रहे थे जिसमे अमेरिका और पश्चिमी देशों ने दखल देकर south sudan नाम से एक अलग देश बनाया गया। तीसरा उदाहरण है इंडोनेशिया जिस के एक प्रांत पूर्वी तिमोर जो ईसाई बहुल प्रांत था और उसे एक अलग मुल्क पूर्वी तिमोर नाम का आजाद मुल्क बनाया गया ।

8.   अब अमेरिका और पश्चिमी देशों  का एक उद्देश्य चीन और मुसलमानों के बीच दरार डालना है ताकि दुनिया की सब बड़ी ताकत मुसलमानों के खिलाफ हो और और मुसलमानों को पीस डाले ।

दुनिया मे आज मुसलमानों की जो तबाही हो रही है इसके बारे मे अल्लाह के नबी सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने बता दिया था कि मुसलमानों पर दुनिया भर के लोग ऐसे टूट पड़ेंगे जैसे रकाबी पर टूट पड़ते है इस पर किसी सहाबी ने कहा कि क्या हम बहुत कम होंगे कहा नहीं बहुत होंगे मगर समुद्र की झाग की तरह होंगे इसका कारण तुम्हारे दिलों मे दुनिया की मोहब्बत होगी।

आज दुनिया मे हम देखते है ऊईगुर मुसलमान, भारतीय मुसलमान, अफगानिस्तान के मुसलमान म्यांमार के रॉहिंगया मुसलमान , बोस्निया के मुसलमान ईराक के मुसलमान  सीरिया लीबिया मिश्र,यमन ,फिलिसतींन के मुसलमान सबके सब तबाही के कगार पर पहुँच गए है।

मगर मुसलमानों का ऐसा हश्र हो क्यों हो रहा है बहुत सोचने के बाद यह समझ मे आया कि मुसलमानों के शासक है इसके ज़िम्मेदार मै मुसलमान अफ़राद की बात नहीं कर रहा मुसलमानों के शासकों ने ईसाई गलबा को खुशी खुशी कबूल कर लिया और जिसका विरोध करना चाहिए था उसके सदस्य बने हुए फख्र महसूस कर रहे है और वह बैनुल अकवामी संस्था है अकवामे मुत्ताहीदा इस संस्था के द्वारा ही पूरी दुनिया मे ना -इंसाफ़ी फैली हुई है और ना-इंसाफ़ी का ज़रिया बन चुका है ।

ऊईगुर मुसलमानों के बारे मे एक सज्जन महोदय ने मुझसे सवाल किया सवाल था कि ऊईगुर मुसलमान के बारे मे कोई मुस्लिम देश  और पाकिस्तान कुछ नहीं बोलते। उनके इस सवाल के जवाब मे पहली बात उनसे कही वो यह थी कि मै न मुस्लिम देश का प्रवक्ता हूँ और न पाकिस्तान का प्रवक्ता हूँ । दूसरी बात आप पाकिस्तान के बारे मे बात करते है क्या आप बता सकते है कि पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान मे बांग्लादेश मे कौन ज़ुल्म ढा रहा था वो थे पाकिस्तानी जो वर्तमान मे पाकिस्तान है जब आप जानते है कि पाकिस्तान अपने लोगों पर ज़ुल्म ढा रहा था तो उसके लिए ऊईगुर मुसलमान क्या हैसियत रखते है ।

पूर्वी पाकिस्तान मे जो अब बांग्लादेश कहलाता है मे पाकिस्तान के ज़ुल्म से बचाने और मानवाधिकार से रक्षा के लिए इण्डिया ने अहम रोल अदा किया था । आज फिर भारत के एक पड़ोसी द्वारा अपने ही नागरिकों यानी ऊईगुर मुसलमानों पर ज़ुल्म किया जा रहा है तो एक बार फिर भारत को चीन के द्वारा किए जाने जाने वाले मानवाधिकार के उल्लंघन पर फिर वैसी कार्यवाही करनी चाहिए जैसी कार्यवाही पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश बनाने मे की थी ।  पूर्वी पाकिस्तान मे भी मुसलमान थे और झिनजियांग मे भी मुसलमान है । पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश बनाने मे जो किरदार अदा किया गया वही किरदार झिनजियांग को सींकियांग देश बनाने मे अदा किया जा सकता है ।

जब यह मौजू मै लिख रहा था उसी दौरान अकवामे मुत्ताहीदा मे ऊईगुर मुसलमानों के पक्ष मे पड़ने वाले वोट मे ऊईगुर मुसलमानों का सपोर्ट करने के स्थान पर इण्डिया ने ऊईगुर मुसलमानों पर ज़ुल्म ढाने वाले चीन के सपोर्ट मे वोट किया ।  

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