Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

ज़ियारते क़ुबूर मोँमीनीन /ziyarate quboor momineen/زيارت قبور مومنين


हज़रत अमीरुल मोमिनीन अलैहिस्सलाम फरमाते है कि जिस वक्त कब्रिस्तान मे दाखिल हो तो यह कहो :-बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम 

अस सलामो अलि अहले ला इलाहा इललल्लाहो मिन अहले ला इलाहा इललल्लाहो या ला इलाहा इललल्लाहो बेहक़़के़ ला इलाहा इललल्लाहो कयुफ वजदुतुम कौला ला इलाहा इललल्लाहो मिन अहले ला इलाहा इललल्लाहो या ला इलाहा इललल्लाहो बेहक़़के़ ला इलाहा इललल्लाहो इगफिर लेमन काला ला इलाहा इललल्लाहो वहशुरना फी ज़ुमरते मन  कालाला इलाहा इललल्लाहो मोहम्मदुर रसूल उल्लाहे अलीयन वली उल्लाहे 











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