Ahmad Rizvi

यज़ीद काफिर था

यज़ीद इब्ने मुआविया लानतउल्लाह अलैह के काफिर होने की दलील बहुत सी है । मुआविया इस्लामिक हुकूमत का बाग़ी अफराद (व्यक्ति) था हज़रत अली से जंग करने के बाद मुआविया काफिर हो गया वाज़े हदीसो मे उसका ज़िक्र (उल्लेख) है जैसे हज़रत अम्मार बिन यासिर को बाग़ी गिरोह कत्ल करेगा (सिफ़फीन जिसे अब सीरिया मे रक्का कहा जाता है, की जंग मे मुआविया के गिरोह ने कत्ल किया था ) कर्बला मे इमाम हुसैन से जंग करने वाला यज़ीदी फौज ने नवासे रसूल और उनकी अहले बैत को कत्ल कर दिया और आले मोहम्मद सलामउल्लाह अलैह को कैद करके दमिश्क (शाम/सीरिया की राजधानी) लाया गया उस वक्त यज़ीद इब्ने मुआविया लानतउल्लाह अलैह ने संबोधित करके जो कहा वो उसके काफिर होने को साबित कर दिया , उसने कहा “ मोहम्मद पर कोई वही नाज़िल नहीं हुई न ही कोई किताब उतरी यह सब बनी हाशिम का झूठ था जो हुकमरानी प्राप्त करने के लिए किया गया था आज जब आले मोहम्मद का कत्ल कर दिया गया उसके पूर्वज खुश हो गए होंगे जो बद्र और उहद मे उसके रिश्तेदार मारे गए थे (यह याद रखना चाहिए कि मुआविया और यज़ीद के तमाम रिश्तेदार दोनों जंगों मे मारे गए थे वो भी कुफ्र की तरफ से लड़ते हुए काफिर होकर मारे गए थे ) काफिर होने के प्रमाण : 1. अल्लाह और अल्लाह के रसूल की रिसालत का इन्कार किया । 2. अल्लाह की आयत का इन्कार करने वाला ज़ालिम है क़ुरान मजीद मे इरशाद है “ उससे बड़ा ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह की आयत का इन्कार करे । “ 3. वही (अल्लाह के द्वारा अपने फ़रिश्ते जिबरील के माध्यम से जो पैगाम दिया उसे वही कहते है) का इन्कार फरिश्तों का इन्कार करने वाला काफिर है । 4. पूरी रिसालत और दिन –ए- अल्लाह को बनी हाशिम का ढोंग कहना,काफिर होने को साबित करता है । 5. क़ुरान मजीद मे मोहम्मद व आले मोहम्मद से मोअददत करने का हुक्म दिया गया उसके विपरीत (बरअकश) उन पर ज़ुल्म किया कत्ल किया भूखा प्यासा रखा बच्चों पर ज़ुल्म किया गया कैद किया गया। उसकी यानी यज़ीद इब्ने मुआविया लानतउल्लाह अलैह की इस्लाम दुश्मनी साबित है और उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यज़ीद इब्ने मुआविया लानतउल्लाह अलैह काफिर है और साबित भी है ।

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