Ahmad Rizvi

दीन -ए-हनीफ़

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दीन–ए–हनीफ़ दीन-ए- हनीफ़ के बारे मे कुरान मजीद मे ज़िक्र किया गया है अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने यहूदी और ईसाई मज़हब के आने के बाद उसका ज़िक्र क्यों नहीं किया जबकि यहूदी के यहोवा और ईसाईयों के गॉड एक अल्लाह का ही ज़िक्र करते है मुसलमानों यहूदीयों और ईसाईयों तीनों का यहोवा अल्लाह गॉड एक ही है और हज़रत इब्राहीम के ही वंशज है तीनों फिर भी अल्लाह कुरान मजीद मे दीन हनीफ़ का ज़िक्र किया गया है मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम के पूर्वज या (जद अमजद) भी दीन ए हनीफ़ पर कायम थे। आज चर्चा का विषय या मौजू दीन ए हनीफ़ है । हनीफ़ एक अल्लाह की इबादत करने वाले को कहते है और मूर्ति पूजा और अल्लाह का शरीक से दूर रहना है, हज़रत इब्राहीम ने अल्लाह की इबादत की और मूर्ति पूजा के खिलाफ संघर्ष किया, इसलिए उन्हे हनीफ़ कहा जाता है । दीन-ए –हनीफ़ उन लोगों का दीन है जो अल्लाह की इबादत करते है । अल्लाह की इबादत तो यहूदी भी करते है और अल्लाह की इबादत ईसाई भी करते है लेकिन यहूदी हज़रत उजैर को अल्लाह का बेटा कहते है और ईसाई हज़रत ईसा को अल्लाह का बेटा कहते है इस शिर्क को अल्लाह ने नकारा है और इरशाद फरमाता सूरे इखलास ...

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 3 : ऐटम बम

अमेरिका और पश्चिमी देशो के द्वारा ऐटम बम और हाइड्रोजन बम और खतरनाक असलहे इंसानियत को मिटाने के लिए बनाए गए है और इन देशों के द्वारा दुनिया के गरीब देशों और अमीर देशों को धमकाया गया जिनके पास ऐटम बम और ऐसे खतरनाक हथियार नहीं थे और वो देश जो इनकी ताबेदारी के खिलाफ थे और है और इनके मातहत बनकर या इनके हुक्म को मानने से इनकार करते थे । परमाणु बम का प्रयोग करने वाला अमेरिका जिसने जापान पर परमाणु बम से हमला कर दिया और लाखों इंसान का कत्ल किया जिसने अफगानिस्तान और इराक पर सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम दुश्मनी के कारण mother of all bomb से लेकर nuclear टैक्टिकल वेपन का इस्तेमाल करके लाखों बेगुनाह अफ़ग़ानी और इराक़ी का कत्ल किया । और इस पर कातिल खूनी अमेरिका को इंसानियत का मसीहा समझा जाए उसे इंसान दोस्त समझा जाए मुस्लिम हमदर्द समझा जाए । NPT: non proliferation treaty जिसे नूक्लीअर अप्रसार संधि भी कहते है लेकिन अमेरिका और पश्चिमी देशों जिनके पास अटामिक वेपन थे उसने इस्राइली यहूदियों को ऐटम बम बनाने की तकनीकी और सामान उपलब्ध कराया । मुस्लिम दुश्मनी मे इराक के ऊपर अंतर्राष्ट्रीय संस्था international atomic energy agency का दुरुपयोग करते हुए और इस संस्था की विश्वनीयता को खत्म करते हुए इराक मे परमाणु बम का इल्ज़ाम लगाया गया जिसे बाद मे गलत पाया गया तब तक अमेरिका और पश्चिमी देशों के शैतानी योजना कामयाब हो चुकी थी अब इराक को तबाह किया जा चुका था उसकी दौलत लूटी जा चुकी थी । यह सलीबी जंग नहीं थी मगर सलीबी जंग लड़ चुके लोगों की शैतानी चलो के जाल मे थे अब इसका नाम सलीबी जंग नहीं था लेकिन मुसलमानों को तबाह व बर्बाद करने वाले लोग उसी सलीबी की औलादे थी जो इस्राइल के atom bomb बनाने मे मददगार थे और इस्राइली यहूदी के atom bomb पर खामोश भी थे । अब नवीनतम उदाहरण है कि ईरान की तनसीबात की जांच होगी क्योंकी उसका सम्बन्ध इस्लाम से है और इस्राइली यहूदी के तनसीबात पर खामोश है । ऐसे समस्त सलीबी इदारों के साथ मुसलमानों को होना ही नहीं चाहिए । नॉर्थ कोरिया : अमेरिका और पश्चिमी देशों की मक्कारी को समझते हुवे नॉर्थ कोरिया के शासकों ने atom bomb का परीक्षण किया और लगातार करते गया और अभी भी कर रहा है । इन सब बातों की तुलना करने पर नतीजा यह निकला कि नॉर्थ कोरिया को कोई तबाही नहीं देखनी पड़ी क्योंकि अमेरिका और पश्चिमी देशों मालूम है कि अगर शैतानी ताकतों ने कोई हिमाकत की उसका अंजाम भी इतना बड़ा मिलेगा जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है । दूसरी ओर वो देश जो परमाणु बम नहीं बनाए है जैसे इराक सीरिया यमन सूडान लीबिया वियतनाम अफगानिस्तान आदि उनका हश्र (अंजाम) सबने देखा है । अब प्रश्न यह उठता है कि दुनिया मे दबदबा रौब ज़ुल्म करने के लिए अमेरिका और पश्चिमी देशों के पास परमाणु बम से लेकर अन्य घातक हथियार हो मगर बाकी के देशों के पास ऐसे घातक हथियार न हो । अमेरिका और पश्चिमी देशों ने जो अंतर्राष्ट्रीय संस्था बनाई है वो न्याय के सिद्धांतों के लिए नहीं बल्कि दुनिया पर राज करने के लिए बनायी गई है ।

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