Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 2 : बाल अपराध

दुनिया भर मे अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के द्वारा गरीब अमीर देशों की दौलत को लूटा गया है । सीधे तौर पर इराक के खज़ाने, लीबिया और सीरिया के खज़ाने को लूटा गया अफगानिस्तान के resources को लूटा गया । अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देश वो पाखंडी देश है जो अन्दर से क्रूर ,ज़ालिम बर्बर है और इनकी क्रूरता ज़ुल्म और बर्बरता का उल्लेख इतिहास मे दर्ज है। अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के अपनी क्रूरता बर्बरता और बेइंतेहा ज़ुल्म के बाद खुद को अपने द्वारा और अपने आपराधिक संगठनों के द्वारा स्वयं को मासूम, इन्साफपरस्त इंसानियत परस्त और ऐसे दिखाते है जैसे यह देश इंसानियत के दोस्त हो, इन्साफपरस्त हो ,मगर इस इंसानियत दोस्त को दिखाने मे कहीं छिपी हुई मक्कारी होती है कहीं शैतानी दिमाग होता है । जो देश इनका अनुयायी न बनता हो विरोध करता हो उसके अमेरिका और पश्चिमी देश खिलाफ है इनके हथियार है सबसे पहले पूरी दुनिया मे उसके सम्मान चरित्र पर हमला करना है , गिराना है जैसे मानवाधिकार का बड़ा उल्लंघन हो रहा है धार्मिक अल्पसंख्यों के साथ भेदभाव हो रहा है उन पर ज़ुल्म हो रहा है महिला को आज़ादी नहीं है उन पर अत्याचार हो रहा है उन पर ज़ुल्म हो रहा है । बाल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है मानो यह सभी फ़रिश्ते बन कर आए है । दूसरी बात अफगानिस्तान मे पूरी नाटो संगठन (जिसमे 30 ईसाई देश है तुर्किए को छोड़कर) की फौज के साथ अफगानिस्तान और इराक पर हमला कर दिया और वहाँ बेगुनाह मासूम मर्द औरत और बच्चों का कत्ल निर्ममता बर्बरता से किया गया और लाखों लाख लोगों को मार डाला गया । अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के इंसानियत के खिलाफ उठाए गए एकदाम (कार्यवाही ) मे इराक़ी बच्चों पर जो मासूम और दूध पीते बच्चों उन पर दूध को पहुँचने नहीं दिया गया और पेंसिल तक नहीं पहुँचने दी गई । अमेरिकी sanction के कारण असल मे आतंकवादी कार्यवाही यह थी । इन सब के बावजूद इस्राइल की प्रत्येक आतंकी कार्यवाही मे उसके साथ खड़े है और समर्थन दे रहे है आज हज़ारों की तादाद मे लगभग 20,000 मौते और हज़ारों घायल है जिसमे अधिकतर महिला और बच्चे है । आज यह देश अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देश खामोश है फिलिसतीन के लिए और समर्थन मे खड़े है इस्राइल के अत्याचार और ज़ुल्म पर । इनकी मक्कारियों को दुनिया के सामने लाना है ।

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