Ahmad Rizvi

मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है

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मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है । कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है । सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ? जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है । सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ? जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने । सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ? ज...

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 2 : बाल अपराध

दुनिया भर मे अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के द्वारा गरीब अमीर देशों की दौलत को लूटा गया है । सीधे तौर पर इराक के खज़ाने, लीबिया और सीरिया के खज़ाने को लूटा गया अफगानिस्तान के resources को लूटा गया । अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देश वो पाखंडी देश है जो अन्दर से क्रूर ,ज़ालिम बर्बर है और इनकी क्रूरता ज़ुल्म और बर्बरता का उल्लेख इतिहास मे दर्ज है। अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के अपनी क्रूरता बर्बरता और बेइंतेहा ज़ुल्म के बाद खुद को अपने द्वारा और अपने आपराधिक संगठनों के द्वारा स्वयं को मासूम, इन्साफपरस्त इंसानियत परस्त और ऐसे दिखाते है जैसे यह देश इंसानियत के दोस्त हो, इन्साफपरस्त हो ,मगर इस इंसानियत दोस्त को दिखाने मे कहीं छिपी हुई मक्कारी होती है कहीं शैतानी दिमाग होता है । जो देश इनका अनुयायी न बनता हो विरोध करता हो उसके अमेरिका और पश्चिमी देश खिलाफ है इनके हथियार है सबसे पहले पूरी दुनिया मे उसके सम्मान चरित्र पर हमला करना है , गिराना है जैसे मानवाधिकार का बड़ा उल्लंघन हो रहा है धार्मिक अल्पसंख्यों के साथ भेदभाव हो रहा है उन पर ज़ुल्म हो रहा है महिला को आज़ादी नहीं है उन पर अत्याचार हो रहा है उन पर ज़ुल्म हो रहा है । बाल अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है मानो यह सभी फ़रिश्ते बन कर आए है । दूसरी बात अफगानिस्तान मे पूरी नाटो संगठन (जिसमे 30 ईसाई देश है तुर्किए को छोड़कर) की फौज के साथ अफगानिस्तान और इराक पर हमला कर दिया और वहाँ बेगुनाह मासूम मर्द औरत और बच्चों का कत्ल निर्ममता बर्बरता से किया गया और लाखों लाख लोगों को मार डाला गया । अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देशों के इंसानियत के खिलाफ उठाए गए एकदाम (कार्यवाही ) मे इराक़ी बच्चों पर जो मासूम और दूध पीते बच्चों उन पर दूध को पहुँचने नहीं दिया गया और पेंसिल तक नहीं पहुँचने दी गई । अमेरिकी sanction के कारण असल मे आतंकवादी कार्यवाही यह थी । इन सब के बावजूद इस्राइल की प्रत्येक आतंकी कार्यवाही मे उसके साथ खड़े है और समर्थन दे रहे है आज हज़ारों की तादाद मे लगभग 20,000 मौते और हज़ारों घायल है जिसमे अधिकतर महिला और बच्चे है । आज यह देश अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और पश्चिमी देश खामोश है फिलिसतीन के लिए और समर्थन मे खड़े है इस्राइल के अत्याचार और ज़ुल्म पर । इनकी मक्कारियों को दुनिया के सामने लाना है ।

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