Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

अमेरिका और पश्चिमी देशों का ढोंग 1 : रासायनिक हथियार

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों का प्रचार की जर्मनी के द्वारा रासायनिक हथियार (chemical weapon) का प्रयोग किया गया इसका दुष्प्रचार किया गया और ऐसा दिखाया गया कि पश्चिमी देश और अमेरिका बिल्कुल मासूम थे बाद के समय मे इंसानियत का कत्ल करने वाले अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला करके हिरोशिमा और नागासाकी के दसियों लाख बेगुनाह मासूम जापानियों नागरिक का होलोकास्ट किया । सन 2011 मे आई. एस. आई. एस. जैसे संगठन को पश्चिमी देशों और अमेरिका के द्वारा बनाया गया और उनकी बड़ी सैन्य सहायता की गई । दुनिया के बहुत सारे छोटे बड़े देशों के पास ऐसे हथियार मौजूद नहीं थे जो पश्चिमी देशों और अमेरिका के द्वारा निर्मित हथियार इस संगठन के पास उपलब्ध कराए गए थे । आतंकवादियों के भेष मे अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और अन्य देशों की सेना इराक और सीरिया मे लड़ रही थी । सीरिया मे मशहूर ब्रिटिश आतंकवादी जॉन जिसने बर्बरता की सीमा पार की थी । उधर pentagon अपने बयान मे कहा था कि आई. एस. आई. एस. को 50 साल तक कोई निकाल नहीं सकता । अमेरिका और पश्चिमी देशों ने आतंकवाद को खत्म करने के बहाने आई. एस. आई. एस. की मदद करना आरम्भ कर दिया और उन लोगों पर अमेरिका ब्रिटेन की फौजों ने हमला किया जो आई. एस. आई. एस. से जंग कर रहे थे । सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद पर केमिकल हथियारों के प्रयोग का इल्ज़ाम लगाकर हंगामा किया ताकि दुनियाभर के लोगों और शासकों का समर्थन हासिल करके सत्ता से हटाया जाए जो असफल हो गया । दूसरी ओर 7 अक्टूबर 2023 को हमास (फिलिसतीन का संगठन) के द्वारा इस्राइल पर किए गए हमले के बाद जिस तरह इस्राइल के द्वारा बेगुनाह मासूम फिलिस्टीनी जनता पर फास्फोरस बम और अन्य केमिकल वेपन (जो प्रतिबंधित वेपन है ) का प्रयोग किया गया । और सरीन गैस का प्रयोग किया गया । इस्राइली यहूदी के रासायनिक हथियारों के प्रयोग के बावजूद अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और अन्य पश्चिमी देश के द्वारा न केवल खामोशी अख्तियार की गई है बल्कि यहूदी इस्राइल का समर्थन कर रहे है । हिपपोक्रेसी , पाखंड , दोगलापन , मक्कारी और इंसानियत के खिलाफ खड़े होना दिख रहा है और अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और पश्चिमी देशों के दोगलेपन को दिखा रहा है । और इसी दोगलेपन के साथ आने वाले समय मे अन्य देशों और दुनिया को नसीहत कर रहे होंगे । सीरिया के राष्ट्रपति पर आरोप लगाया गया कि रासायनिक हथियार का उपयोग किया गया जबकि उस आरोप संदेह की बुनियाद पर था और आई. एस. आई. एस. पर भी आरोप था कि केमिकल वेपन उसने चलाया । मगर यहूदी इस्राइल के रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल साबित होने के बाद अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस और पश्चिमी देश का यहूदी इस्राइल के साथ खड़ा होना और समर्थन देना और समर्थन करना और यहूदी इस्राइल को घातक हथियारों की आपूर्ती इन देशों के द्वारा करना इस बात को बल दे रहा है कि असल मे आतंकवादियों के साथ अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और अन्य पश्चिमी देश मज़बूती से खड़े है और यह मज़बूती इस पर भी है कि यह देश संयुक्त राष्ट्र संघ मे वीटो पॉवर भी है इस देशों को आतंकवादियों के संरक्षक होने के बावजूद उन पर कोई सवाल नहीं उठा सकता अगर कोई सवाल उठाया जाता है तो इनके पास वीटो पॉवर भी है । दुनिया भर मे , अमेरिका ब्रिटेन फ़्रांस और अन्य पश्चिमी देश आतंकवादियों और आतंकवाद का संरक्षण देना , प्रशिक्षण देना दूसरे देशों मे मदाखलत करना उनके देशों मे तख्ता पलट कराना जहां पर इनके मर्ज़ी के शासक नहीं है ,आतंकियों को हथियार उपलब्ध कराना , दूसरे देशों के resources को लूटना दूसरे देशों की दौलत लूटना ,यह इनका मुख्य कार्य है ।

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