Ahmad Rizvi

राग एवं द्वेष

मंत्री के शपथ दिलाते समय भय व पक्षपात के बिना व राग व द्वेष से रहित होकर काम करेंगे। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वास्तव में राग /अनुराग /लगाव या द्वेष /जलन /ईर्ष्या से कार्य करते हैं या नहीं। आइये देखते हैं केन्द्रीय मंत्री जयन्त सिन्हा ने कातिल खूनी के आरोपित को ज़मानत पर माल्यार्पण किया यहां एक पक्ष के साथ राग और एक पक्ष के प्रति द्वेष दिख रहा बल्कि उसका खुल्लम खुल्ला प्रचार किया गया। यह काम किसी मज़दूर अनपढ़ जाहिल ने नहीं किया जिसे नज़र अन्दाज़ किया जा सका यह कार्य सुशिक्षित संभ्रान्त और इसके साथ केन्द्रीय मंत्री जिसने संविधान में दिये गए शपथ लिया उस शपथ में राग व द्वेष से रहित होकर काम करने की शपथ लेकिन काम राग व द्वेष से किया गया। अब आगे मुस्लिम व अरबी नाम के प्रसिद्ध स्थानो को बदलना राग व द्वेष की भावना से किया गया कार्य है। राग इसलिए कि वर्ग विशेष अर्थात बहुसंख्यक वर्ग को तुष्टीकरण करने व मुसलिम अल्पसंख्यक को हतोत्साहित करने के लिए द्वेष का कार्य किया गया अब तक यदि गुलामी के प्रतीक नामो को बदला जा रहा है तो ब्रिटिश दौर के नामो को न बदलना किए गए कार्य को संदेहास्पद मुस्लिममो को निशाना बनाने के शक को यकीन में बदलता है। Citizenship Amendment Act में सभी धर्म के लोगों को नागरिकता देने और मुस्लिम को नागरिकता न प्रदान करने का प्रावधान इस ओर इंगित कर रहा है कि कार्य राग और द्वेष की भावना को रखकर किया जा रहा है। विशेष यह है कि शपथ और कसम लेने के बाद शपथ की कोई value नहीं ।

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