
> जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के द्वारा फरवरी 2018 में सिविलियन मर्डर पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी हमारी एक अधिवक्ता महोदय जिन का परिवार सेना से जुड़ा हुआ है के द्वारा मुझसे सवाल किए गए हैं कि यह बताओ कि अब आर्मी का क्या होगा महबूबा ने सेना पर एफआईआर कर दी है यही सवाल साथी बुज़ुर्ग अधिवक्ता सेे किया जिस पर वह नारााााज़ होकर कहने लगे कि महबूबा क्रेक हो गयी है उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था अब मैने अपने साथी अधिवक्ता को जवाब देने के बजाय उनसे सवाल पूछा कि क्या वह Armed Forces special powers act 1958 जिसे अफसपा कहते हैं उसे जानते हैं कि नहीं। उन्होंने कहाा हांं जानता हूं फिर आपको मालूम होना चाहिक कि सेना को भारत सरकार ने अशांत क्षेत्रों में किस प्रकार की विशेष शक्तियां प्रदान की है और सेना का कैसे संरक्षण किया है। इस एफ. आई. आर. का कुछ नहीं होगा, quash की जाएगी और रद्दी की टोकरी में डाल दी जाएगी।
बात बात पर इसी कानून और मणिपुर राज्य की इरोम चानू शर्मीला के भूख हड़ताल के बारे में बात होने लगी कि कई सालो से हड़ताल के बाद भी भारत सरकार ने इस कानून को रद नहीं किया।
अगर दुनिया में किसी कोने में किसी सेना द्वारा बलात्कार, मर्डर, और अन्य अत्याचार कर रही होती तो हम भारतीय उसकी जमकर भरतसना और आलोचना कर रहे होते। मगर मामला अपने देश का है पूरी दुनिया भारतीय कानून को पढ़कर,समझकर,अपने देशो में ऐसे कानून बनाकर सेना को संरक्षण दे सकती हैं और कोई कानूनी चुनौती भी नहीं दी जा सकती हैं। इसलिए इंडिया की डेमोक्रेसी को महान लोकतन्त्र कहा जाता है जिसमें आज़ादी भी है और आज़ादी पर अंकुश लगाने वाले अनेक कानून है।
"हम लोगो को समझ सको तो समझो दिलबर जानी जितना भी तुम समझोगे उतनी होगी हैरानी,
अपनी छतरी तुमको दे दे, कभी जो बरसे पानी,
कभी नए पैकेट में बेंचे तुमको चीज़ पुरानी, फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी
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