Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

राजधर्म

राजधर्म है क्या, राज्य का परम धर्म अपने नागरिको की सुरक्षा करना है, कयोंकि राज अपने नागरिको को निहत्था करती है और उसकी सुरक्षा की गारंटी स्वयं लेती है यदि कोई राज्य अपने नागरिको की सुरक्षा करने में चूक करती है वह चाहे लापरवाही से या जानबूझकर की गई हो या राजनीतिज्ञ लाभ के लिए हो, सुरक्षा न प्रदान करना राज्य के असफल होने की ओर इंगित करता है। तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र दमोदर मोदी को दौरान गुजरात मुसलमानों के नरसंहार पर नसीहत दी कि वह "राजधर्म का पालन करें " जो व्यक्ति यह नसीहत दे रहा था कि राज धर्म का पालन करें वह कोई आम आदमी नहीं उस समय प्रधानमंत्री थे कोई उनसे यह पूछ सकता था कि अगर तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री राज धर्म का पालन नहीं कर रहे थे तो आप भी राज धर्म का कौन -सा पालन कर रहे थे। कश्मीर में पंडितो का पलायन हो या लाखो मुसलमानों का कत्ल हो या सिकखो का कत्ल आम हो या ईसाईयों का कत्ल हो इसकी सुरक्षा देने में पूर्णतया असफल साबित हुआ। /i>

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