Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

आओ कूटनीति भाषा समझे!

दुनिया भर मे " रहस्य की भाषा" को भिन्न प्रकार से समझा जा सकता है इस रहस्य की भाषा दो व्यक्तियों के बीच या दो से अधिक व्यक्ति जिन्हे उसका ज्ञान दिया गया है,समझ सकते है पढ़ सकते है और जान सकते है।उदाहरण 1 को अ समझा 2 को ब समझा 12 लिखा मतलब अब हुआ। लेकिन राजनीति, ब्यूरोक्रेट,विदेश मंत्रालय और अन्य की भाषा को समझना कठिन और आसान दोनों है , बात स्पष्ट भी कही जाती है और नहीं भी कही जाती है यह पढ़ने वाला समझ सकता है और उसका आई. क्यू. (I.Q.) लेवल क्या है जैसा लिखा गया है वैसा ही पढ़ लिया और समझ लिया उसमे भी एक रहस्य की भाषा छुपी होती है। एक पक्ष के खिलाफ /विरुद्ध बोला जाता है और दूसरे पक्ष का समर्थन किया जाता है। आइये देखते है इन कूटनीति भाषा के रहस्य :- 1. जैसे परवेज़ मुशर्रफ ने यह बयान दिया कि उनकी ज़मीन का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं होगा, उसी समय उनकी धरती का इस्तेमाल अमेरिका और NATO कर रहे थे अफगानिस्तान मे मगर इसका संदेश भारत को देना था या आश्वस्त करना था कि उनकी ज़मीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होगा। 2. कुछ देशो के सम्बन्ध फिलिस्तीन और इस्राइल दोनों के साथ है मगर उनका झुकाव और हमदर्दी इस्राइल के साथ होती है इस्राइल की हज़ारो फिलिस्तीनी व्यक्तियों के कत्ल पर मौन रहते है और कोई भर्त्सना/ मज़म्मत नहीं करते है, जैसे ही कोई फिलिस्तीनी प्रतिकार मे कोई घटना को अंजाम देता है तुरन्त बयान आता है कि फिलिस्तीन के साथ है मगर आतंकवाद की भर्त्सना करते है यहाँ पर इस्राइल के क़ब्ज़े और फिलिस्तीन की हड़पी गयी ज़मीन और इस्राइल के ज़ुल्म और अत्याचार पर मौन या मौन समर्थन दिया जाता है। एक और कूटनीति भाषा का इस्तेमाल , अगर कोई भूख से मरा तो वहाँ के जिलाधिकारी जिम्मेदार होंगे उसके बाद आधिकारिक रूप से भूख से मरने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की जाती है। यह रहस्य की भाषा है जिसे अधिकारी समझ रहे है कि सरकार क्या चाहती है। विश्व मे कोई ऐसी बात न जाए कि भारत के लोग रोटी के अभाव मे दम तोड़ रहे है। एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री ने अपने मुख्य मंत्री रहते हुवे कहा जो निर्दोष मुसलमान जेलो मे है उन्हे छोड़ देना चाहिए जिस पर JUDICIARY ने संज्ञान लिया और मुख्य मंत्री के इस एक्शन पर नाराजगी जताई जबकि मुख्य मंत्री ने निर्दोष शब्द का इस्तेमाल किया था। जब निर्दोष है बेगुनाह है तो जेलो मे क्यों है इलाज के अभाव मे कोई मरा तो डाक्टर जिम्मेदार होंगे अब इस कूटनीति भाषा का विश्लेषण करे तो पता चलेगा अब कोई भी इलाज के अभाव मे नहीं मरा क्योंकि अब डाक्टर जिम्मेदार है अब जब डाक्टर जिम्मेदार है तो इलाज का अभाव कहाँ है इस प्रकार आप स्वम सैकड़ो नहीं हज़ारो व्यक्तियों का विश्लेषण कर सकते है आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ गठबंधन किसी देश के खिलाफ नहीं अगर यह गठबंधन किसी के खिलाफ नहीं है तो गठबंधन करने की आवश्यकता नहीं और अगर आवश्यकता है तो गठबंधन किसी देश या देशो के खिलाफ है।

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