Ahmad Rizvi

दावत-ए-ज़ुल अशिरा व गदीर -ए- खुम

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दावत-ए-ज़ुल अशिरा व गदीरे खुम कुफ़फार मक्का जब मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को रसूल उल्लाह नहीं मानते थे तब भी अल्लाह के नबी को सादिक, अमीन और वादे को पूरा करने वाला समझते थे, मानते थे। सूरे अश-शुअरा (सूरे 26 आयत नं. 214) के अनुसार “ और अपने निकटतम सम्बन्धियों को सावधान करो” जब यह आयत नाज़िल हुई, तो अल्लाह के नबी मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने एक दावत का आयोजन किया जिसे इतिहास मे दावत ज़ुल अशिरा कहा जाता है । बनी हाशिम (हाशिम के वंशज) से लगभग 40 लोगों को बुलाया गया हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अलैहिस सलाम ने खाने का प्रबन्ध किया। मेहमानों को खाना- पानी परोसने के बाद जब नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम उनसे इस्लाम के बारे मे बात करना चाहा, तो अबू लहब ने उन्हे रोक दिया और कहा, आपके मेजबान ने आपको बहुत पहले ही जादू कर दिया है । अल्लाह के नबी मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम द्वारा उन्हे अपना संदेश देने से पहले सभी मेहमान तितर-बितर हो गये। अगले दिन अल्लाह के नबी मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ने उन्हे आमंत्रित किया। ...

भईया भ्ईया

महंगाई जिस तरह से बढ़ती चली जा रही हैं उस पर एक नौसिखिया गाडी चलाने वाले लोग किस तरह का व्यवहार करते हैं उसका वर्णन गाडी स्पीड में चलाते हुए लोगों को बचाने के लिए ब्रेक लगाने के स्थान पर एकसीलेटर को बढ़ाते हुए चिल्लाता है भ्ईया भ्ईया उसी प्रकार मंहगाई पर ब्रेक न लगाकर एकसीलेटर को बढ़ाते जाना नौसिखिया होने को ही साबित कर रहा है।

Comments

Unknown said…
Yes i agree with you that government are not capable to control price

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