हाए हुसैन हम न हुए यह कभी कभी उन लोगों के द्वारा तनकीद की जाती है,हुसैन से मोहब्बत नहीं रखते जैैैसा रखने का हक़़ है।
हाए हुसैन हम न हुए मोहब्बत का इजहार है, यह मोहब्बत इज़हार बता रहा है कि आले मोहम््मद हज़रत इमाम हसन से मोहब्बत का इज़हार है यही मोहब्बत का इज़हार हज़रत अली सेे मोहब्बत का इज़हार को रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम से मोहब्बत का इज़हार बता रहा है।
अब जो यह ताना दूसरो को देते हैं उनकी मोहब्बत का इज़हार की शुरुआत होती है नया साल मुबारकबाद से उनकी मोहब्बत यज़ीद लानत उल्लाह अलैह से जुड़ी होती है मगर बदबख़्त, बदकिरदार, शराबी के कारनामा के कारण उनकी हिम्मत नहीं पड़ती थी लेकिन अब उसकी देफा/रक्षा करने वाले लोग भी सामने आ गयें हैं। इस बदकिरदार लानती के बाप ,दादा, मामू, और रिश्ते दारो के बारे में जानते है कि उन्होने इस्लाम मे क्या किरदार निभाना :-
उमैय्या उमैय्या अबू सुफियान का दादा और मोहम्मद मुस्तफा सल लल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम का कट्ढटर दुुुुश्मन था बद्र की लड़ाई में कुफ्फार का नेतृत्व करता हुआ मारा गया।
उत्बा: उत्बा जो बदतरीन मुखालिफ था रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम का, रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम पर ओझडी फेंकने का काम इसी बदबख़्त ने किया था जंगे बद्र मे कुफ्र की हालत में कत्ल किया गया। खाश बात यह है हिन्दा का बाप और मुआविया का नाना है। हिनदा मुआविया की मां है और जंगे उहद में रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम के चचा अमीर हमज़ा का बाद शहादत कलेजा चबाया था।
अम्र बिन हिशाम उर्फ अबू जहल : मुगीराह का बेटा हिशाम और हिशाम का बेटा अम्र जिसे अबू जहल भी कहते है अबू हकम भी कहते हैं जो रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम का कट्टर दुश्मन था जंगे बद्र मे कुफ्र की हालत मे मारा गया।
वलीद बिन वलीद :वलीद जो वलीद का बेटा है वलीद जो मुगीराह का बेटा और पौत्र है इसका रिश्ता अबू जहल से है ।
खालिद बिन वलीद : जो उहद मे कुफ्फार के साथ थे और जंग लडी और बहुत सारे मुसलमानों को शहीद किया था इन पर दरे फातिमा ज़हरा सलाम उल्लाह अलैह के जलाने का आरोप है।
अबू सुफियान :अबू सुफियान के दादा उमैय्या और बाप हरब हैं। अबू सुफियान मुआविया के बाप और यज़ीद का दादा है जिसने ज़िन्दगी भर रसूले खुदा और इस्लाम की मुखालफत की । इस्लाम की जंगो मे हमेशा कुफ्फार का साथ दिया।
मुआविया : मुआविया जो यज़ीद बदकिरदार का बाप है इस्लाम के लिए इनके कारनामे कया थे ज़िन्दगी भर यह और इनके बाप और उसके बाप उमैय्या रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम की मुखालफत करते रहे, मक्का फतेह के वक़्त किस तरह कलमा पढा कि फिर कभी नहीं पढा। मुआविया ने गदीर खुम मे रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम के ऐलान जिसका मौला मैं उसका मौला अली है। उनके साथ यानी मौला के साथ जंग की जिसे जंगे सिफ्फीन कहते हैं। रिसालत मआब ने जिसकी पेशीनगोई पहले ही कर दी थी अम्मार बीन यासिर को बागी गिरोह कत्ल करेगा।
एक और सन्धि की बात है जो इमाम हसन से की गई - जिस सन्धि में है - मुआविया कुरान मजीद और सुन्नत -ए-नबवी पर अमल करेगा।
हज़रत अली पर किए जाने वाले लान तान को बन्द करेगा।
अपने बाद अपना जानशीन यज़ीद को नहीं बनाएगा और खिलाफत का मनसब आले मोहम्मद को लौटा दिया जाएगा।
आइए देखते है मुनाफ़िक़ के बारे में अल्लाह के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम का इरशाद है।
जब बोले झूठ बोले, वादा करके वादा को न निभाए, अमानत में खयानत करे।
यज़ीद की बैअत लेने के लिए मुआविया ने खुद जाकर लोगों से बैअत लेना शुरू किया।
यज़ीद : यज़ीद बिन मुआविया जो बदकिरदार शराबी के साथ काफिर भी था जिसने अपने अश्आर मे वही अल्लाह का इन्कार किया और यह कहा कि कोई वही नहीं आई यह सब बनी हाशिम का ढोंग था इकतेदार को पाने के लिए।
उबेद उल्लाह इतने ज़याद: यह भी अबू सुफियान की नसल से है और रिश्ते में मुआविया के भाई हैं। इनका किरदार आले मोहम्मद की अज़मत को जानने के बाद उन पर ज़ुल्म के पहाड़ तोड़ डाले।
कुल मिलाकर रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम के तमाम दुशमन जो अब कुफ्फार की शक्ल से मुनाफ़िक़ की शक्ल मै थे वो सब नवासे रसूल के सामने जंग करने पर उनके नकाब हट गए अब वो मुनाफ़िक़ से कुफ्फार हो चुके थे।
इस बात पर भी गौर करने की ज़रूरत है कि उन्ही लोगों के नाम, उनके बेटो के नाम ही क्यों आयें जो कभी रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम का कत्ल करना चाहते थे या उनकी मुखालफत करते थे।
रसूले खुदा सललल्लाहो अलैह व आलेे वसल्लम की रिसालत को तकमील तक पहुंचाने में मददगार, सहयोगी, अहम किरदार निभाने वाले हज़रत अबू तालिब और हज़रत अली और उनके आल और औलाद से दुश्मनी निकालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जो आज भी जारी है।
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