Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

अमेरिका के लिए पाकितान का महत्व : 2

लेकिन तालिबान के अफगानिस्तान पर सत्ता में आने के साथ ही अमेरिका में खलबली मच गई यह खलबेली इस बात की थी अगर अफगानिस्तान में तालिबान के हुकूमत सत्ता में बरकरार रहेगी तो इसके संबंध पाकिस्तान से मजबूत है और हो जाएंगे और अगर यह संबंध मजबूत हो गए तो उसके खतरे में भारत आ जाएगा भारत के बचाव के लिए अमेरिका ने 9/11 का लाभ लेने के लिए समस्त ईसाई देशो अर्थात बैटिंग कनाडा पोलैंड जर्मनी इन देशों के साथ अफगानिस्तान पर हमले की योजना बनेगी और इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाला और उसे पत्थर के युग में बदल देने की धमकी दी और इस प्रकार उसे दबााााव डालकर समर्थन हासिल किया यह समर्थन जवानी समर्थनल लिया, समस्त ईसाई देशों ने भााारत सरकार से भरपूर समर्थन हासिल किया यह समर्थक जवानी समर्थन के साथ ही फौजी समर्थन दिया गया और संसद में होने वालेेे हमले के के जवाब में पाकिस्तान केे संपूर्ण फौजी साजो सामान को पहुंचा कर पाकिस्तान पर जबरदस्त दबाव बनायाााा और एक बात उसी समय ईसाई हुकूमत के कोप भाजन का शिकार बनी मुसलमानों को2002 मे गुजरात मुस्लिम नरसंहार करने का भी बड़ा लाभ उठाया गयाा और इसी आधार पर म्यानमार में रोहिंग्या मुसलमानों केेेे कत्ले आम पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई सन 2001 में अफगानिस्तान पर हमले को आरम्भ कर दिया गया सन 2002 मे गुजरात नरसंहार और सन 2003 में इराक पर हमले के साथ ईसाई हुकुुमतो नेे मुसलमान और मुुुस्लिम हुकमरानो की ईट से ईट बजा दी लाखो लाख मुसलमानों का कत्ल केे बाद भी उनका उद्देश्य पूरा नहीं हुआ यह उद्देश्य ईरान की हुकूमत को पलट कर अपने मनमाफिक मिट्ठू सरकार बनवाना था पाकिस्तान को इंगेज रखना है अफगानिस्ताान में अमेरिकन फोर सेल और फौजी साजो समान को निकालनेेे के लिए भी जिस रूट कीीी जरूरत है वह एकमात्र पाकिस्तान है भू स्टेजी के अनुसार अमेरिकााााा की फौजी और फौजी साजो सामान अर्थात बख्तरबंद गाडीयां टैंक तोप आदि को निकालने के लिए ईरान के समुंदर तटीय कीी पहुुंच नहीं है और बहुुत लम्बबी यात्र्रा के बाद भूमध्य्य्य सागर जिसे मेडिटेरियन सी कहते हैंं वहां पर अमेरिकन फौजों की एक्सेस एक्सेस सभी हो पाएगी जब रूस और अन्यय देश अमेरिकन को यह एक्सेस या पहुंचने के लिए रास्ता दे जो संभव नहीं है चाइना से संबंध अच्छे नहीं है अब एकमात्र एक्सेस जो अरेबियन सागर सेे मिलता है वाह पाकिस्तान के माध्यम से है

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