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Ahmad Rizvi

झूठा प्रचार

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दुनिया भर मे प्रचार और झूठा प्रचार होता रहता है । इस झूठे प्रचार के नकारात्मक (मनफी) प्रभाव से इंसान का बड़ा नुकसान होता रहा है । अक्सर आपने सुना होगा कि एक समुदाय (तबका) अपने नबीयों के बारे मे सच को न जानते हुए झूठा प्रचार करना शुरू कर देते है । इसी तरह हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के खिलाफ जादूगर होने का प्रचार किया गया । आज के दौर की तरह उस समय संचार के माध्यम (means of communication) इतने तेज़ नहीं थे इसके बावजूद मौखिक (ज़बानी) प्रचार के द्वारा एक दूसरे तक बात फैलाते थे उस बात की सच्चाई को जाने बिना या तसदीक किए बिना सच मान लेते थे । अब अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के जानशीन अमीर-उल –मोमीनीन के बारे मे जो प्रचार किया गया उसको देखे “ जब हज़रत अली इब्ने हज़रत अबू तालिब पर नमाज़ मे सजदे के दौरान सर पर ज़हर बूझी हुई तलवार से अब्दुर रहमान इब्ने मुलजिम के द्वारा हमला किया और उस ज़ख्म के दौरान हुई शहादत की खबर जब शाम आज का सीरिया मुल्क के लोगों (अवाम ) तक पहुंची तो लोग हैरान होकर पूछते थे कि

कुर्बानी

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कुर्बानी :   एक मित्र ने लिखा क्या कुर्बानी किसी जानवर की देनी जरूरी है दर्द होता है सभी को  1. क्या सब्जी की कुर्बानी नहीं दी  जा सकती है ?  पहले सवाल का जवाब किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है इसमे कुछ शर्ते  है और हलाल जानवर की कुर्बानी दी जा सकती है ऊंट बकरा भैंसा  आदि पर कुर्बानी दी जा सकती है ।  दूसरी बात दूसरे धर्म के लोग मुसलमानों  को निशाना बनाने के लिए ही ऐसी बात करते है ।  1. पशुपति नाथ मंदिर मे बलि  दी जाती है तो वहाँ पर जानवर कटने  पर दर्द नहीं होता ।  2. कामाख्या देवी मंदिर (आसाम ) मे दी जाने वाली बलि  मे दर्द नहीं होता ।  3. तपेश्वरी देवी मंदिर मे  दी जाने वाली बलि  मे क्या दर्द नहीं होता क्या यहाँ पर महिष की बलि  के स्थान पर सब्जी के रूप मे महिष बनाकर बलि  नहीं दी जा सकती लेकिन आप चाहे जिस की बलि  दे हमे कोई एतराज नहीं ।  4. उन्हे भी कुर्बानी से एतराज़  है जिनके यहाँ नर बलि  दी जाती और इंसानों की बलि  देते आए है ।  5. क्या जानवरों की कुर्बानी का विरोध करने वाले बता सकते है कि दुनिया भर मे कुर्बानी का एक दिन है बाकि  दिन दुनिया मे कुर्बानी नहीं है फिर भी लाखों लाख

Multiplier in road accident

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स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ?

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स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ? *पहला अंतर* 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है। जबकि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है। *दूसरा अंतर* 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं। जबकि 26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं

खतना

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 खतना की शुरुवात( आरम्भ) कहाँ से हुआ , क्या खतना कराना सिर्फ मुसलमानो मे है या और मज़हब मानने वालो मे है क्या नस्ल हज़रत इब्राहीम ही खतना कराती है ऐसे ही कुछ सवाल मुसलमानो और गैर मुस्लिम लोगो के ज़ेहन मे आता है कुछ हिन्दू भी ऐसा समझते है कि खतना केवल मुसलमानो मे होता है आइये देखते है आसमानी किताब तौरेत के अध्याय उत्पत्ति (GENESIS) 17:9 से 14 " फिर परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा , तू भी मेरे साथ बांधी हुई वाचा  का पालन करना; तू और तेरे पश्चात तेरा वंश भी अपनी अपनी  पीढ़ी मे उसका पालन करे । मेरे साथ बांधी हुई वाचा , जो तुझे और तेरे पश्चात  तेरे  वंश को  पालनी पड़ेगी , सो यह है ,कि तुम मे से एक एक पुरुष का खतना हो । तुम अपनी अपनी खलड़ी का खतना करा लेना ; जो वाचा मेरे और तुम्हारे बीच मे है ,उसका यही चिन्ह होगा । पीढ़ी पीढ़ी मे केवल तेरे वंश  ही के लोग  नही पर जो तेरे घर मे उत्पन्न हो,वा परदेशियों को रूपा देकर मोल लिए जाएँ, ऐसे सब पुरुष भी जब आठ दिन के हो जाएँ , तब उनका खतना किया जाये । जो तेरे घर मे उत्पन्न हो , अथवा तेरे रुपे  से मोल लिया जाये , उसका खतना अवश्य ही किया जाये ; सो मेरी वाचा जिसका

कर्बला के 72 शहीद

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 कर्बला के 72 शहीद  1 हज़रत इमाम हुसैन बिन अली  2 हज़रत अब्बास बिन अली  3 हज़रत अली अकबर बिन हुसैन  4 हज़रत अली असगर बिन हुसैन  5 हज़रत अब्दुल्लाह बिन अली  6 हज़रत जफ़र बिन अली  7 हज़रत उस्मान बिन अली  8 हज़रत अबू बक्र बिन अली  9 हज़रत अबू बक्र बिन हसन बिन अली  10 हज़रत कासिम बिन हसन बिन अली  11 हज़रत अब्दुल्लाह बिन हसन  12 हज़रत औन बिन अब्दुल्लाह बिन जाफ़री  13 हज़रत मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन जाफ़री  14 हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम बिन अकील  15 हज़रत मुहम्मद बिन मुस्लिम  16 हज़रत मुहम्मद बिन सईद बिन अकील  17 हज़रत अब्दुल रहमान बिन अकील  18 हज़रत जफ़र बिन अकील  19 हज़रत हबीब इब्न मज़ाहिर असदिक  20 हज़रत अनस बिन हरीथ असदी  21 हज़रत मुस्लिम बिन औसजा असदी  22 हज़रत क़ैस बिन अशर असदी।  23 हज़रत अबू समामा बिन अब्दुल्लाह  24 हज़रत बरिर हमदानी  25 हज़रत हंजाला बिन असदी  26 हज़रत अब्बास शकरी  27 हज़रत अब्दुल रहमान रहबी  28 हज़रत सैफ़ बिन हरीथ  29 हज़रत अमीर बिन अब्दुल्लाह हमदानी।  30 हज़रत जुंदा बिन हरीथ  31 हज़रत शुज़ाब बिन अब्दुल्लाह  32 हज़रत नफ़ी बिन हलाल  33 हज़रत हज्जाज बिन मसरोक मुअज़्

इमामत कुरान मे

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  इस्लाम ँमे इमाम के  बारे ँमे जो  बताया गया ःहै उसमे  सबसे  पहले इमामत को अल्लाह ने ःहज़रत इब्राहीम सलातो वस्सलाम को अता की थी   और यह इमामत को ज़िबहे अज़ीम की कुर्बानी के अंजाम देने के बाद दी गई थी । इस इमामत के बाद हज़रत इब्राहीम सलातो वस्सलाम ने अपनी जुर्रियत मे इसको अता करने के लिए दुआ की। लेकिन कुरान मजीद मे सपष्ट तरीके से आया कि " ज़ालिमो मे नही होगा " यानी यह इमामत ज़ालिमो मे नही होगी। तौरेत मे इमाम का ज़िक्र किया गया है जिसमे साफ अल्फ़ाज़ मे आया है कि अल्लाह ने इरशाद फरमाया कि मै  इसमाईल  की नस्ल से 12 इमाम पैदा करूंगा। जिसका अनुवाद मे प्रधान का लफ़्ज़ आया है या जो अनुवादित किया गया है और उसी तौरेत  मे हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को परम प्रधान कहा गया है। तौरेत  के  अध्याय  उत्पत्ति  के 17:20  और  इश्माईल के  विषय ँमे भी मै ने  तेरी सुनी हैं :मै उसको भी आशीष दूँगा,और उसे फुलाऊं फलाऊंगा और अत्यन्त ही बढा़ दूँगा : उस से  बारह प्रधान उत्पन्न होंगे,  और मै उस से  एक बड़ी जाति बनाऊंगा।  हज़रत इब्राहीम सलातो वस्सलाम ने "मिन जुर्रियती " मेरी जुर्रियत मे

मुसलमानों की सफ़े!

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 नमाज़ मे  सफ़े  ठीक  कराई जाती है  सफ़े  अगर  दुरुस्त नही  तो नमाज़ नही होगी  ,केवल नमाज़ तक ही सीमित  रह गयी  सफ़े, नमाज़ के बाद अगर सफ़े  सही  नही होगी  तो  क्या होगा  इसको  भी जाने फ़िर  बोस्निया के मुसलमान  हो  चाहे  फ़िलिस्तीन के मुसलमान हो  ,india के मुसलमान हो  चाईना के मुसलमान हो  म्यानमार  के  मुसलमान हो  अफ़्गानिस्तान के मुसलमान  हो  सिरिया के  मुसलमान हो  ,लिबिया के मुसलमान हो  इराक़ के मुसलमान हो  गोया कहीं के भी मुसलमान  है सफ़े ठीक  न  होने  के कारण  और  नबी के  हुक़्म  के  खिलाफ  अगयार को  जब से  दोस्त  बनाना शुरू किया और  उसके  जाल मे  फ़सते चले  गये तब  से  मुसलमानों का हश्र ऐसा होना शुरू हुआ  ,कुस्तुंतुनिया के  चर्च को मुसलमानों ने  क़ब्ज़ा ज़रूर कर लिया लेकिन  उसके  नतीजे मे ईसाई मिसनरी ने जो प्लान बनाया उसके  बाद  अफ़्रीका एशिया  europe  मे तुम  पर wo मज़ालिम  ढाये  गये  ,स्तालिन ने कभी  करोडो मुसलमानों को  भूखा रख के maar दिया  आज  भी  हम  उसी ईसाई हुक़ुमत की  तायीद करते हैं  बैनुल अक़्वाम मे   आज  भी  फ़िलिस्तीन के पक्ष मे  जब करारदाद पास होती है  और उस पर कोई भी  देश  वीटो  कर  देता 

"नबीयुल उम्मी "

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हज़रत मोहम्मद मुस्तफा  सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म  की  हदीस है अना मदीनतुल इल्म  व अलीयुन बाबाह (दरवाज़ा) "मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके  बाब (दरवाज़ा ) है। हज़रत मोहम्मद मुस्तफा  सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म  की  हदीस  " मै तब नबी था जब  हज़रत आदम का ख़मीर  गूँथा जा रहा था" सुलह हुदैबिया के मौके पर जब अल्लाह के नबी   सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म  और काफिरो के  बीच सुलह हो रही थी उस मौके पर काफिरो ने जिस लफ़्ज़ पर एतराज़ किया था वो था "रसूलउल्लाह"। काफिरो ने कहा कि हम आपको रसूलउल्लाह  नही मानते,अल्लाह के नबी  सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म  ने हज़रत अली अलैहिससलाम से रसूलउल्लाह हटाने के लिए कहा जिस अदब से आपने खुद हटाने से इंकार किया ,अल्लाह के नबी  सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म  ने उस सुलह मे "मोहम्मद रसूलउल्लाह  सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म " की जगह मोहम्मद  इबने  अब्दुल्लाह  लिखा" कुरान मजीद मे " इकरा" लफ़्ज़  आया और पूरा कुरान पाक  नबी करीम  सललल्लाहो    अलैह  व  आले  वसल्ल्म  की  ज़ाते अक़्दस पर  नाज़िल हुआ अग

प्रशिक्षण

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अग्निपथ की स्कीम  या मकान तोड़ने की  योजना /planning  मिली कहां से  आइये जानते  2014 से  इस्राएल और  भारत  सरकार  के  रिश्ते  मज़बूत  होते  गये  इस  मज़बूती  के  अन्तर्गत  अधिकारियों के प्रशिक्षण /training  दिलाई गयी  उस  training के  बाद  हम लोगो ने देखा अदालते खमोश तमाशई बन गयी, कोई भी petition  file की जाती उसमें  न्यायालय  को समय ही नहीं था चाहे वो  C.A.A.  हो  अनुच्छेद 370 हो  धारा 35 A  हो  सभी मसलो पर तमाशई बना रहा इसके बाद  अर्नब गोस्वामी के मामले मे suo motu से  interest ले लिया क्योंकि मामला मे  भाजपा का interest था अब  आइये  executive body  ने  भी  एक अजीब रोल अदा कर रही है वो  रोल  यह है कि अगर मामला भाजपा से  जुड़े लोगो या  संस्था का  है  तो कार्यवाही तेज़ी से होगी और  अगर आरोपी  मुसलमान  हुवा तो  फ़िर  ईट से ईट  बजा दी जायेगी कभी भी भारतीय मुस्लिमो को agitation तो  दूर बोलने पर भी प्रतिबंध है  वो  बोल  नही सकता मिडीया मे उसके खिलाफ़ ज़हर उगला जाता है  कोई कार्यवाही नही क्योंकि  सरकार की मंशा पर काम हो रहा है अब बात आती हैं legislative  की  constitution of india  कोई भी conserv

इंजील (बाइबल ) मे मोहम्मद मुस्तफा रसूलउल्लाह का उल्लेख

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हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के वसी जानशीन  मुत्तकियों के इमाम हादी खैबर व खंदक के फातेह अमीरल मोमीनीन हज़रत अली इबने अबु तालिब सलामउल्लाह अलैह के इस कथन से कि मै जुबूर वाले को जुबूर से तौरेत वाले को तौरत से और इंजील वालो को इंजील से (दीन) समझाता। इस बात की जानकारी होने पर मौला का एहसान है जो इल्म मिला वो आपकी मार्फत से मिला इंजील जुबूर और तौरेत मे  हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम  का ज़िक्र (उल्लेख) है इंजील पढ़ने और उसमे हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम का ज़िक्र खोजना शुरू किया जिन नतीजो को पाया वह इस प्रकार है:- मती: 23: 24 से 26   क्योंकि मै तुम से कहता हूँ कि अब से तुम मुझे तब तक नही देखोगे जब तक यह न कहोगे : " धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है" प्रभु के नाम से आता है यहाँ प्रभु का अर्थ अल्लाह के लिए कहा गया कहा गया जैसा कि सुरे सफ(61) की आयत 6 मे आया है कि मै तुम्हारी तरफ अल्लाह का रसूल हूँ और अल्लाह के नबी  हुज़ूर मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम भी अल्लाह के रसूल है । अब मुझे तब तक नही देखोगे यानी दोबार

अमीरुल मोमिनीन की शहादत

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अमीरुल मोमिनीन की शहादत अमीरुल मोमीनीन हज़रत अली अलैहिस सलाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैह व आले वसल्ल्म के सगे चचा ज़ाद भाई है इनके वालिद बुजुर्ग हज़रत अबु तालिब सलामउल्लाह है इनके ही घर मे मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लाहो अलैह व आले वसल्लम की परवरिश हुई मक्का के कुफ़्फ़ार जब एक बार हज़रत अबु तालिब के पास आये और एक प्रस्ताव रखा प्रस्ताव यह था कि मुगीरा को हज़रत अबु तालिब पालन पोषण करे और अपने भतीजे मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैह व आले वसल्लम को कुफ़्फ़ार के हवाले कर दे इस पर मर्दे मुजाहिद ने जो जवाब दिया था वो तारिख (इतिहास) मे दर्ज है जवाब दिया था कि मै मुगिरा को पालूं और तुम मेरे भतिजे मोहम्मद सल्लाहो अलैह व आले वसल्ल्म का क़त्ल कर दो ,उन लोगो को जैसा भगाया वो इतिहास मे दर्ज है! हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लाहो अलैह व आले वसल्ल्म के यह मोहसिन हज़रत अबु तालिब अलैहिस सलाम की मदद उस वक़्त करी जब अल्लाह के नबी तबलीग के लिये जाते थे उस वक़्त कुफ़्फ़ारे मक्का ने अपने बच्चो को अल्लाह के नबी पर इस बात के लिये

मानवाधिकार पर अमेरिका की टिप्पणी

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अमेरिका किसी देश में मानवाधिकार का मुद्दा उठाता है तो मानवाधिकार के लिए या इनकी भलाई के लिए कभी नहीं उठाता उसके अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उस देश पर दबाव बनाने के लिए मानव अधिकार का मुद्दा उठाकर बिना हथियार के इस्तेमाल किए हुए मानव अधिकार नाम के अधिकार को ही हथियार बनाकर पेश कर देता है उदाहरण के लिए आतंकवादी राज्य इस्राएल के कत्लोगारत की भर्त्सना अमेरिकन ने कभी नहीं की और किसी भी पश्चिमी देश या एशियाई देश जो अमेरिका के इशारे पर काम करते हो जनमत का विरोध करता हो उसका अमेरिका ने समर्थन किया है. समर्थक है| सऊदी अरब जिसने खशोगी जैसे पत्रकार के वहशी कत्ल के बाद अमेरिकी डीलींंग के बाद मामला रफा-दफा हो गया | इराक का भूतपूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन जो अमेरिका के अच्छे मित्र थे और 1982 दुजैल नामक जगह में शियायों का कत्लेआम किया इस बात का अंदाजा लगाइए कहां सन 1982 और कहां सन 2003 लगभग 21 सालो तक अमेरिका ने उसके वीडियो को सुरक्षित रखा यही अमेरिका इराक़ के राष्ट्रपति का उस वक़्त का दोस्त था सोचने की बात है उस समय भी और उसके उसके खिलाफ अमेरिका सबूत इकट्ठा करता था और उ

नेतृत्व का खातमा

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कुछ बात है कि हसती मिटती नही हमारी, सदियों रहा दुश्मन दौरे ज़मा हमारा अल्लामा इक़बाल के इस शेर पर याद आया जो लोग मनुवाद और मनुवादीयो को दिन रात कोस्ते रह्ते है कभी उनके धीरज सब्र और चालाकियो पर भी गौर कर लिया करे जब दलितो और पिछड़े लोगो की तरक्की के लिये उनकी लीडरशिप को काशीराम ने खड़ा किया था तब ये सोचा भी नही गया होगा कि दलितो की लीडरशिप को खत्म उसकी मददगार पार्टी भारतीय जनता पार्टी ऐसे करेगी दूसरी बात उस पार्टी के आधिक्य ब्राहमन उसको छोड़ कर अपनी मूल पार्टी मे चले गए कुल मिलाकर पार्टी और दलित लीडरशिप को खत्म करने ही घुसे थे अब यादव लीडरशिप को खत्म करने की बारी थी उसको कैसे खत्म किया जाए बिहार और उत्तर प्रदेश मे उनके परिवार को ही उनसे लड़वा दिया आने वाले समय मे मुसलमानों का समाजवादी पार्टी से मोहभँग होना निश्चित है ये पार्टी विलुप्त हो जायेगी मुस्लिमो की लीडरशिप को आज़ादी के बाद से खत्म कर दिया गया जो लीडरशिप उभरने का खतरा चुनाव मे था वो अब खत्म हो चुका है जिनके वोट से भारतीय जनता पार्टी मज़बूत

मुसलमानों पर सवाल

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इसका जवाब है जब तुम पैदा होते जो तो जो तुम्हारे बाल होते हैं नाखून होते है क्यों काटते हो क्यों मुंडन संस्कार करते हो जैसा ईश्वर ने भेजा वै सा क्यों नहीं बने रही बात अल्हम्दो लिल्लाह तामाम प्रशंसा अल्लाह के लिए है जो समस्त दुनिया का रब है दीन के दिन का मालिक है अर्थात् क़यामत के बाद जब समस्त मनुष्यो का हिसाब ले गा हम उससे मदद मांग ते है शैतान से मदद नही चाहते, सीधे और सुदृढ मार्ग पर कायम रखे, गलत और खराब मार्ग से दूर रखना उनके रास्ते पर जिन पर तूने इनाम अता किया उनके मार्ग पर नहीं जिन पर तेरा ग़ज़ब आया

मज़हब और राजनिति

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अक्सर लोगो को ये कहते हुए सुना जाता है कि मजहब और राजनिति को अलग अलग देखना चाहिये तब एक सवाल हमारे मस्तिष्क/ जेहन मे उठा,मक्का मे मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलेह वआले वासल्लम अगर नमाज़ कायम रहते,कुरान पढ़ते रहते तो मक्का के काफिरो पर क्या फर्क पड़ता, मेरे ख्याल से कोई फर्क नही पड़ता, जब अरब के काफिरो को फर्क पड़ना आरंभ हुआ जब सूद हराम, जुआ हराम ,शराब हराम , लड़कियों को हक़ , बेटियों को हक़, बहनो को हक़,ज़ौजा का हक़, विधवा को पुन: विवाह का हक़, बेगुनाह का कत्ल हराम ,इन सबसे वहाँ का समाज तिलमिला उठा उसने एक ऐसी फिजा देखी जिसमे उसके बुत के साथ साथ निज़ाम ही बदला जा रहा था , हाँ इस निज़ाम बदलने मे जो विशेष बात थी वो था सबके साथ न्याय देना, ज़ुल्म के आगे न्याय तभी दिया जा सकता है जब न्याय देने वाले के पास कुव्वत हो ताकत हो, ज़ालिम भी पूरी दुनिया मे अन्याय के राज को कायम करने के लिए ज़ुल्म को तेज़ी देता रहता है,नज़ीर के लिए हज़रत मूसा का जिक्र/उल्लेख कुरान मुक़द्दस मे जिक्र किया गया है हज़रत मूसा को फिरौन के महल मे रहते उन्हे क्य तकलीफ होती कोई तकलीफ नही होती मगर ज़ुल्म को मिटाने का जो कार्य अंजाम दिया उसके कार

सुरे यासीन 15 शाबान का अमल

A’mal of Surah Yaseen(as in Almanac PET) Recite Soorah Yaseen 3 times as under: (i) Once for long life (ii) Once for prosperity. (iii) Once for safety from misfortune. Then recite the following 21 times, without speaking in between: اللهم إنك عليم حليم ذو أناةٍ , و لا طاقة لنا بحُكمك بحلمك يا الله يا الله يا اللّــــــه , الأمان الأمان الأمان من الطاعون و الوباء و موتِ الفجأة , و سوء القضاء و و شماتة الأعداء , ربنا اكشف عنا العذاب إنا مؤمنون برحمتك يا أرحم الراحمين Allaahumma Innak A’zeemun z ’u Anaatin Wa Laa T’aaqata Lanaa Li—h’ukmika Yaa Allah Yaa Allah Yaa Allah Al —amaan Al —amaan Al —amaan Minat T’aa--o’on Wal Wabaaa—i Wa Mawti Faja—a’tin Wa Soo—il Qaz”aaa-i Wa Shamatatil Aa’—aaaa—i Rabbanak—shif A’nnal A’x’aaba Innaa Moo—minoona Bi—rah’matika Yaa Arh’amar Rah’imeen O Allah, verily Thou art Sublime, Patient, gives respite, (because) we do not have the capacity to withstand the conditions that take effect under Thy authority. O Allah! O Allah! O Allah! Mercy Mercy (Safety from t

शबे बरात की फ़ज़ीलत

*SHAB E BARATH KI FAZILAT AUR AMAAL*. *RASOOLULLAH (S.A.W.S)* ne Farmaya ke 15 Shaban ki Shab Allah Ta'ala Apne Bandon ke Rizq, Zindagi aur Maut ke Faisle leta *Barath Arabi mein Tauba ko kehte hai.* Imam Baqir (a.s.) & Imam Sadiq (a.s) Farmate hain ke Allah Ta'ala is Shab Jaez Hajath ke liye ki gayee dua ko qubool karta hai. *AAMAAL* 1. Ghusl karein aur Maghrib & Isha'n Ada karein. 2. Imam e Zamana (a.s.) (a.t.f.s.) ki Salamathi ke liye 2 rakat namaz padhiye bilkul fajr kintarha aur 100 times *Allahumma Swalle Ala Sahibaz Zaman* padhiye 3. Ziyarat e Warisa Imam.Hussain (a.s) padein aur uski 2 rakat namaz hadiya padhein. Uske baad 100 bar *Allahuma'Lan Qatalatal Hussain (as) Wa Auladehi Wa As'habey* 4. 10 Rakat namaz (2×5) Sunnath Qurbathan Ilal Lah. Har rakat mein Alhamd ke baad 10 baar Surah e Qulwallah. 5. Namaz ke baad 100 baar *Subhanallah* 100 baar *Alhamdolillah* 100 baar *Allah-o-Akbar* 100 baar *La ilaaha illalah* 100 baar *Astagh

U.P. M. L. A. 2022

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*उत्तरप्रदेश मे समस्त जिलों से नवनिर्वाचित विधायकों की लिस्ट* ● आगरा कैंट- जीएस धर्मेश (भाजपा) ● आगरा नॉर्थ- पुरोषोत्तम खंडेलवाल (भाजपा) ● आगरा ग्रामीण- बेबी रानी मौर्य (भाजपा) ● आगरा साउथ- योगेंद्र उपाध्याय (भाजपा) ● अजगरा- त्रिभुवन राम (भाजपा) ● अकबरपुर- राम अचल राजभर (सपा) ● अकबरपुर रानिया- प्रतिभा शुक्ला (भाजपा) ● अलापुर- त्रिभुवन दत्त (सपा) ● अलीगंज- सत्यपाल राठौड (भाजपा) ● अलीगढ़- जफर आलम (सपा) ● इलाहाबाद नार्थ- हर्षवर्धन बाजपेयी (भाजपा) ● इलाहाबाद साउथ- नंद गोपाल नंदी (भाजपा) ● इलाहाबाद वेस्ट- सिद्धार्थ नाथ सिंह (भाजपा) ● अमनपुर- हरीओम (भाजपा) ● अमेठी- महाराजा प्रजापति (सपा) ● अमृतपुर- सुशील शाक्य (भाजपा) ● अमरोहा- महबूब अली (सपा) ● अनूपशहर- संजय शर्मा (भाजपा) ● ओनला- धर्मपाल सिंह (भाजपा) ● आर्यनगर- सुरेश अवस्थी (भाजपा) ● असमोली- पिंकी सिंह (सपा) ● अतरौली- संदीप सिंह (भाजपा) ● अतरौलिया- डॉ संगम (सपा) ● ओरई- अंजनी (सपा) ● ओरैया- गुडिया कथेरिया (भाजपा) ● अयाह शाह- विवके गुप्ता (भाजपा) ● अयोध्या- वेद प्रकाश (भाजपा) ● आजमगढ़- दुर्गा प्रसाद (सपा) ● बाबागंज- विनोद कुमार (जेडीएल) ● बा
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13 Rajab maula Ali ki viladat

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Manqabat Hazrat Ali

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हज़रत अली अलैहिस्सलाम का पावन जन्म दिवस

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ख़ानये काबा में पैदा होने वाले, ज्ञान और न्याय के सूरज हज़रत अली अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर विशेषकर कार्यक्रम हज़रत फ़ातेमा बिन्ते असद धीरे- धीरे काबे की ओर क़दम बढ़ा रही थीं। वह नौ महीने की प्रतीक्षा के बाद अपने बच्चे के जन्म के क्षण गिन रही थीं और उस कठिन घड़ी में उन्होंने केवल महान ईश्वर की शरण ली थी और उसी से मदद मांग रही थीं। वह काबे के सामने खड़ी हो गयी थीं। उनका दिल महान ईश्वर के प्रेम में डूबा था। उन्होंने महान ईश्वर से इस प्रकार दुआ की हे ब्रह्मांड की रचना करने वाले, हे पहाड़ों को पैदा करने वाले, हे समुद्रों को पैदा करने वाले, हे जंगलों को पैदा करने वाले मैं तेरी उपासना करती हूं। तेरे पैग़म्बरों के धर्मों को भी दोस्त रखती हूं। हज़रत इब्राहीम की बातों पर ईमान रखती हूं। मेरे पालने वाले तुझे इस पवित्र घर का वास्ता और तेरी बारगाह के समस्त निकटवर्ती हस्तियों का तुझे वास्ता देती हूं कि जो बच्चा मेरे पेट में है इसके जन्म को आसान कर दे। हज़रत फातेमा बिन्ते असद काबे को निहार रही थीं। एकाएक काबे की दीवार फटी और वहां पर जो लोग मौजूद थे इस दृश्य को उन्होंने अपनी आंखों से

Namaz - e- wahshat

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Namaz-e-Wahshat After the deceased has been buried, it is recommended to recite Salatul Wahshat. This prayer can be performed at any time of that night, however it is more recommended to perform it after the Isha prayer. Namaz-e-Wahshat is to be recited once by the wali of the deceased or by someone who has been asked by the wali to perform this salaat. 1st Rakat Sura-Al-Hamd followed by Ayatul Kursi Mobirise 2nd Rakat Sura-Al-Hamd followed by Sura-Al-Qadr (x10) Mobirise After reciting Salaam Recite “Alla Humma Saali, Ala Muhammadin Wa AleMuhammad Wab’ath Thawabaha Ila Qabri…(read the name of the Marhum).

Namaze wahsat

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PRAYER TO BE OFFERED FOR THE DEPARTED SOUL ON THE NIGHT OF BURIAL It is MOST Important to Give Sadaqa on behalf of the deceased ON the FIRST Night of Burial .This has MANY beneifts & can only be achieved by giving sadqa on the first night when it is MOST needed by the deceased It is befitting that on the first night after the burial of a dead person Two Raka'ats of wahshat prayers be offered for it. The method of offering this prayers is as follows: In the first Raka'at, after reciting Surah al-Hamd recite Ayatul Kursi once and in the second Raka'at, Surah al-Qadr should be recited 10 times after Surah-al-Hamd; and after saying the Salam the following supplication should be recited: Alla humma salli 'ala Muhammadin wa Ali Muhammad wab'ath thawabaha ila qabri ......(here the name of the dead person and his father's name should be mentioned). Wahshat prayers can be offered in the night following the burial of the dead body at any time, but it is better to off

Bismillahirrehmanirraheem Ke fazail

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If we were to give an exhaustive account of the benefits of the recitation of “Bismillah…” we would need more than a single volume to do justice to it. Apart from being part of every chapter in the Holy Qur’an (except the chapter of repentance [surah at-tawba]), it is also the most oft repeated verse in the Holy Qur’an. It is narrated in Tafseere Burhaan that the Holy Prophet (s.a.w.) has said that when a person recites “Bismillah...” then five thousand ruby palaces are built for him in Jannah Each palace has a thousand chambers made of pearls and in each chamber has seventy thousand thrones of emerald and each throne has seventy thousand carpets made from special fabrics and upon each carpet is seated a Hur-ul-Ein. A person asked for the condition necessary to get this great reward and the Holy Prophet (s.a.w.) replied that the person should recite the “Bismillah…” with conviction and understanding. The Holy Prophet (s.a.w.) has also said that when a believer will h

Sure Hamd ke fazail, सूरे हम्द के फज़ाएल,

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. मजमाउल बयान की टिप्पणी में यह बताया गया है कि प्यारे पैगंबर (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने इरशाद फरमाया कि; जो कोई भी इस सूरह की तिलाबत करता है, उसे पूरे कुरान के दो तिहाई (2/3) पढ़ने का सवाब मिलेगा, और उसे दुनिया के तमाम मोमिन मर्दों और औरतों को जो सदका देने पर जो सवाब मिलता है उसके बराबर, इस सूरह फातिहा की तिलावत करने पर सवाब मिलेगा। 2. प्यारे पैगंबर (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने एक बार जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी से पूछा, "क्या मुझे आपको एक सूरह सिखाना चाहिए जिसकी पूरे कुरान में कोई अन्य बराबरी नहीं है?" जाबिर ने जबाब दिया, "हाँ, और अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम), मेरे बालिदैन आप पर फिदया दे सकते हैं।" तो अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने उन्हें सूरह अल-फातिहा सिखाया। फिर अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने पूछा, "जाबिर, क्या मैं आपको इस सूरह के बारे में कुछ बताऊं?" जाबिर ने जबाब दिया, "हाँ, और अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम), मेरे बालिदैन आप पर फिदया दे सकते हैं।" अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो

तकईया

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अक्सर लोग बात करते है और कभी कभी यह भी कह देते है कि आप लोगो (शियों) के यहाँ तकईय भी होता है। यह जानकार लोग जैसे तकईय को अच्छी तरह से जानते हो । एक बात और जोड़ता चलूँ जैसे किसी कक्षा 8 के बच्चे को जो केमेस्ट्री पढ़ाई जाती है उसे अगर MSC की केमेस्ट्री पढ़ा दी जाए या तो पढ़ ही नहीं पायेगा और अगर पढ़ लिया तो समझना मुमकीन नहीं है । आइये तकईया के उदाहरण देखते है:- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपनी पत्नी जनाबे सारा को अपनी बहन बताया यह एक मशहूर और दिलचस्प वाकया का ज़िक्र ओल्ड testament (तौरात) मे दिया गया है जिसमे बादशाह पत्नी को रख लेता और बहन को छोड़ दता परवरदिगार से आपस मे सभी भाई बहन है इस प्रकार हज़रत इब्राहीम ने इस हिकमत को बयान किया। इसमे हिकमत लिखा है ,अभी तकईया नहीं लिखा है। सुरे कहफ मे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम का वाकया का ज़िक्र किया गया है जिसमे बादशाह अच्छी नावों को पकड़ लेता था और खराब और नुक्स वाली नावों को छोड़ देता था हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उस नाव मे नुक्स डाल दिया और उसको ज़ब्त होने से बचा लिया । इसमे हिकमत है। हज़रत अली अलहिस्सला

Sure takasur Ke fazail 2

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Read Surah Takasur for headache or migraine pains to get instant relief. Put your index finger on your forehead and recite this blessed Surah and ALLAH SWT will ease your pain Insha ALLAH. ALLAH SWT forgives the sins of the believers, who recite Surah At-Takasur just one time everyday, after maghrib prayer.Insa ALLAH. If you want to get rid of debts, read Surah At-Takaasur 170 times after the isha prayer for seventeen days. Isha ALLAH, you will be free of all your debts with the help of ALLAH SWT. If a person is having an insatiable wish of richness and worldly gains, he/must recite Surah At-Takasur after Fajr prayer 3 times and blow on themselves or to the one whom you want to get rid of the greediness. If a miser person wants to overcome his habit of stinginess, he/she should read Surah At-Takaasur 21 times after the fajr prayer. And if you want someone to get rid of this habit, then recite the Surah 21 times after fajr prayer and blow on the person or over his food/water. InshaALLA,

Janabe Fatima Zehra salamullah alaih ke alqab

(Janabe fatima zahra s.a Ke 127 Laqab) 1. Aabida 2. Aadila 3. Aalia 4. Aalima 5. Aamila 6. Adil 7. Afzal al-Nisa 8. Ahad-ul-Akbar 9. Arfiya 10. Azhra 11. Aziza 12. Basita 13. Batina 14. Batool 15. Batool-e-Izra 16. Buzat-il-Rasool 17. Daniya 18. Durra An-noor 19. Fakhr-e-Hajra (Pride of Lady Hajra) 20. Farwaia 21. Fasiha 22. Fateha (Soorah Alhamd of Qur'an) 23. Fatma-tuz-Zhra Salamulaah Allehe 24. Fazia 25. Habiba (Beloved) 26. Hajiya (Pilgrim who have performed Hajj) 27.Hakima (Philosopher) 28. Halima (Gentle Lady) 29. Hazira (Ready, Present) 30. Hijaziya 31. Hirra 32. Hissan (Comely & Beautiful) 33. Hujjata 34. Iftikhar-e-Hawwa (Pride of Lady Eve FirstWomen) 35. Ihleya (Wife of Imam Ali) 36. Umm-ul-Aaima (Mother of Imams) 37. Umm-ul-Abeeha (Mother of her Father) 38. Umm-ul-Hasan (Mother of Hasan ibn Ali) 39. Umm-ul-Hussein (Mother of Husayn ibn Ali) 40. Umm-ul-Kitab (Mother of the Book) 41. Umm-ul-Masaib (Mother of Sufferings) 42. Umm-ul-Mohsin (Mother of Al Mohsin) 43. Umm-

sure takasur Ke fazail

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Civil suit has 11 main stages from institution of the suit till its judgment

A civil suit has 11 main stages from institution of the suit till its judgment, they are as under :- 1) Institution of Suit ( Order 4, 6 and 7 ) 2 ) Issue of Summons ( section 28 Order 5 ) 3 ) Filing of Written Statement Order 8 section 30 4 ) judgment on Admission Order 12 5) Examination of Parties Order 10 6) Settlement of Dispute through Section 89 7 ) Discovery & Inspection Order 11 8 ) Framing of Issues Order 14 09) evidence 10 ) Arguments Order 18 R 2 (3A) 11) Judgment Order 20 details under below 1. Plaintiff has to file the plaint complying the provisions in all respect as contemplated under Order 4 r/w Order 6 and 7 of the code. 2. Plaintiff has to get issue summons within 30 days from the institution of suit. 3. After the service of summons defendant has to file his written statement within 30 days from the receipt of summons as per Order 8 R 1 of the code. 4. if in statement defendant admits the claim of plaintiff then court has to pronounce the judg