Ahmad Rizvi

POK और COK

POK और COK पाकिस्तान अधिक्रत कश्मीर या पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया कश्मीर को ही पी.ओ.के. कहते है और चीन के द्वारा कब्ज़ा किए गये कश्मीर को सी.ओ.के. कहते है । हाल ही मे दो महत्वपूर्ण घटनाए हुई है । लंदन से भारतीय विदेश मंत्री का POK को वापस लाने का अज़म लेते हुवे बयान देना । इसके साथ ही कारगिल मे भारत के द्वारा पहली बार C-17 ग्लोब मास्टर जैसे विशालकाय विमान की सफलतापूर्ण लैन्डिंग कराना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाया गया है । जिससे रसद, गोला बारूद, आर्म्स और एमूनेशन, सैनिकों को तेज़ी के साथ फ्रन्ट लाइन तक पहुंचाया जा सकता है । जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री ने POK के साथ चीन अधिक्रत कश्मीर, को भारत का हिस्सा बताया और उसे वापस न लाने के लिए कोई बयान नहीं दिया गया, इस पर टिप्पणी की गई जिसका भारतीय जनता पार्टी और उसकी सिस्टर संस्थाये अपने नेता के इशारों पर विरोध परदर्शन करना आरंभ किया जा चुका है । सन 2020 मे गलवान संघर्ष को मद्देनजर रखते हुवे जो अभी तक गतिरोध बना हुआ था हाल ही मे गतिरोध टूटा है। ऐसे मे चीन पर बयान देकर पूर्व के हालात सीमा पर बन जाए । लेकिन ऐसा नहीं है की चीन अधिक्रत कश...

तकईया

अक्सर लोग बात करते है और कभी कभी यह भी कह देते है कि आप लोगो (शियों) के यहाँ तकईय भी होता है। यह जानकार लोग जैसे तकईय को अच्छी तरह से जानते हो । एक बात और जोड़ता चलूँ जैसे किसी कक्षा 8 के बच्चे को जो केमेस्ट्री पढ़ाई जाती है उसे अगर MSC की केमेस्ट्री पढ़ा दी जाए या तो पढ़ ही नहीं पायेगा और अगर पढ़ लिया तो समझना मुमकीन नहीं है । आइये तकईया के उदाहरण देखते है:- हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपनी पत्नी जनाबे सारा को अपनी बहन बताया यह एक मशहूर और दिलचस्प वाकया का ज़िक्र ओल्ड testament (तौरात) मे दिया गया है जिसमे बादशाह पत्नी को रख लेता और बहन को छोड़ दता परवरदिगार से आपस मे सभी भाई बहन है इस प्रकार हज़रत इब्राहीम ने इस हिकमत को बयान किया। इसमे हिकमत लिखा है ,अभी तकईया नहीं लिखा है। सुरे कहफ मे हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और हज़रत खिज्र अलैहिस्सलाम का वाकया का ज़िक्र किया गया है जिसमे बादशाह अच्छी नावों को पकड़ लेता था और खराब और नुक्स वाली नावों को छोड़ देता था हज़रत खिज़्र अलैहिस्सलाम ने उस नाव मे नुक्स डाल दिया और उसको ज़ब्त होने से बचा लिया । इसमे हिकमत है। हज़रत अली अलहिस्सलाम किसी मक़ाम पर बैठे थे एक मज़लूम ने अपनी जान को बचाने के लिए मौला अमीरुल मोमीनीन से कहा , उस मज़लूम को ज़ालिम शख्स पीछा कर रहा था उस मज़लूम शख्स के जाने के बाद आप अमीरुल मोमीनीन जिस मुकाम पर बैठे थे उस मुकाम से उठकर दूसरी मुकाम पर जाकर बैठ गए। पीछा करने वाले व्यक्ति ने मौला अमीरुल मोमीनीन के पास आकर पूछा कि यहाँ से किसी को जाते हुए आप ने देखा है इस पर मौला ने जवाब दिया " जब से मै यहाँ पर बैठा हूँ उस समय से यहाँ से कोई नहीं गया" हिकमत भरी बात " जब से मै यहाँ पर बैठा हूँ।" महाभारत के युद्ध मे " अश्वाथामा" एक द्रोणाचार्याके पुत्र का नाम भी अश्वाथामा था और युद्ध मे लड़ने वाले एक हाथी का नाम भी अश्वाथामा था युद्ध मे गूंज उठी अश्वाथामा मारा गया द्रोणाचार्या के कनफुज़न के लिए उसी समय श्रीक्रष्ण ने शंखनाद कर दिया " अब अश्वाथामा मारा गया जिस पर द्रोणाचार्य ने अपने पुत्र का वध होना समझा । जबकि हाथी मारा गया था । एक और कहानी - एक व्यक्ति के गेहूं के ढेर मे दूसरे व्यक्ति ने अपने घर से गेहूं का एक दाना लाया और उसके आधा काट कर गेहूं के ढेर मे डाल दिया और गेहूं के ढेर वाले व्यक्ति से कहा कि इसमे आधा गेहूं मेरा है , बात मे तनाव होते होते पंचायत की गयी कि यह शख्स झूठ बोलता है कि उसका आधा गेहूं है । बात कसम पर पहुंची की यह आधा गेहूं की कसम खा ले तो मै उसको आधा गेहूं दे दूंगा उसने कसम खा ली और गेंहू के ढेर का आधा गेहूं ले गया। बहुत समय तक कसम का भी कोई प्रभाव उस पर न पड़ते देख एक दिन उसने इस सम्बन्ध मे उसी व्यक्ति से सवाल किया ,"यार " ये बताओ कि तुमने कसम भी झूठी खाई और मेरे गेहूं के ढेर से आधा गेहूं भी ले लिया फिर भी तुम्हें कुछ नहीं हुआ इस पर उसने अपनी उपरोक्त आधा गेहूं की बात बताई की सही मे मेरा आधा गेहूं (जो काट कर डाला था ) था। उपरोक्त नज़ीरों मे एक बात साफ है कि तकईय उसे कहा जाता है कि सामने वाला सच बोल रहा है लेकिन समझने वाला उसकी हिकमत और सलाहियत तक पहुँच नहीं सकता या उसका गलत माने निकाल लेता है । इसी को तकईया कहते है।

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