Ahmad Rizvi

दीन -ए-हनीफ़

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दीन–ए–हनीफ़ दीन-ए- हनीफ़ के बारे मे कुरान मजीद मे ज़िक्र किया गया है अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने यहूदी और ईसाई मज़हब के आने के बाद उसका ज़िक्र क्यों नहीं किया जबकि यहूदी के यहोवा और ईसाईयों के गॉड एक अल्लाह का ही ज़िक्र करते है मुसलमानों यहूदीयों और ईसाईयों तीनों का यहोवा अल्लाह गॉड एक ही है और हज़रत इब्राहीम के ही वंशज है तीनों फिर भी अल्लाह कुरान मजीद मे दीन हनीफ़ का ज़िक्र किया गया है मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम के पूर्वज या (जद अमजद) भी दीन ए हनीफ़ पर कायम थे। आज चर्चा का विषय या मौजू दीन ए हनीफ़ है । हनीफ़ एक अल्लाह की इबादत करने वाले को कहते है और मूर्ति पूजा और अल्लाह का शरीक से दूर रहना है, हज़रत इब्राहीम ने अल्लाह की इबादत की और मूर्ति पूजा के खिलाफ संघर्ष किया, इसलिए उन्हे हनीफ़ कहा जाता है । दीन-ए –हनीफ़ उन लोगों का दीन है जो अल्लाह की इबादत करते है । अल्लाह की इबादत तो यहूदी भी करते है और अल्लाह की इबादत ईसाई भी करते है लेकिन यहूदी हज़रत उजैर को अल्लाह का बेटा कहते है और ईसाई हज़रत ईसा को अल्लाह का बेटा कहते है इस शिर्क को अल्लाह ने नकारा है और इरशाद फरमाता सूरे इखलास ...

खतना

 खतना की शुरुवात( आरम्भ) कहाँ से हुआ , क्या खतना कराना सिर्फ मुसलमानो मे है या और मज़हब मानने वालो मे है क्या नस्ल हज़रत इब्राहीम ही खतना कराती है ऐसे ही कुछ सवाल मुसलमानो और गैर मुस्लिम लोगो के ज़ेहन मे आता है कुछ हिन्दू भी ऐसा समझते है कि खतना केवल मुसलमानो मे होता है आइये देखते है आसमानी किताब तौरेत के अध्याय उत्पत्ति (GENESIS) 17:9 से 14 " फिर परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा , तू भी मेरे साथ बांधी हुई वाचा  का पालन करना; तू और तेरे पश्चात तेरा वंश भी अपनी अपनी  पीढ़ी मे उसका पालन करे । मेरे साथ बांधी हुई वाचा , जो तुझे और तेरे पश्चात  तेरे  वंश को  पालनी पड़ेगी , सो यह है ,कि तुम मे से एक एक पुरुष का खतना हो । तुम अपनी अपनी खलड़ी का खतना करा लेना ; जो वाचा मेरे और तुम्हारे बीच मे है ,उसका यही चिन्ह होगा । पीढ़ी पीढ़ी मे केवल तेरे वंश  ही के लोग  नही पर जो तेरे घर मे उत्पन्न हो,वा परदेशियों को रूपा देकर मोल लिए जाएँ, ऐसे सब पुरुष भी जब आठ दिन के हो जाएँ , तब उनका खतना किया जाये । जो तेरे घर मे उत्पन्न हो , अथवा तेरे रुपे  से मोल लिया जाये , उसका खतना अवश्य ही किया जाये ; सो मेरी वाचा जिसका चिन्ह तुम्हारी देह मे होगा वह युग युग रहेगी । जो पुरुष खतना रहित  रहे , अर्थात  जिसकी खलड़ी का खतना  न हो , वह प्राणी अपने लोगो  मे से नाश  किया जाये , क्योंकि उस ने  मेरे साथ बांधी हुई वाचा को तोड़ दिया।।

इस प्रकार सबसे पहले खतना सय्यदना हज़रत इब्राहीम  सलवातुल्लाह व सलामुन अलैहीम अजमईन का खतना हुआ था जो यहूदी/ इसराईल, ईसाई, और मुसलमान तीनों के बाबा यानी दादा है।

यहूदी/ jews/ इसराईल के यहाँ खतना होता है 

ईसाई के यहाँ भी खतना था मगर उन्होने अपनी खलड़ी को कटवाने से बचाने के लिए  एक दर्शन / मंतख  पैदा किया और उन्होने मन का खतना करना शुरू किया जिससे उनकी खलड़ी की खाल कटने से बच गई। अफ्रीका के कुछ ईसाई चर्चों  मे भी खतना किया जाता है  जिसमे कुछ ओरिएंटल आर्थोडॉक्स चर्च भी  खतना  को अंजाम देने  मे शामिल है।


इस्लाम धर्म के मानने वाले  मुसलमान सभी खतना कराते है और उसका पालन भी करते है।

यहूदी और मुसलमान दोनों खतना का पालन करते है। 

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