Ahmad Rizvi

मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है

Image
मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है । कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है । सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ? जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है । सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ? जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने । सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ? ज...

कुर्बानी

कुर्बानी :  एक मित्र ने लिखा क्या कुर्बानी किसी जानवर की देनी जरूरी है दर्द होता है सभी को 

1. क्या सब्जी की कुर्बानी नहीं दी  जा सकती है ? 

पहले सवाल का जवाब किसी जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है इसमे कुछ शर्ते  है और हलाल जानवर की कुर्बानी दी जा सकती है ऊंट बकरा भैंसा  आदि पर कुर्बानी दी जा सकती है । 

दूसरी बात दूसरे धर्म के लोग मुसलमानों  को निशाना बनाने के लिए ही ऐसी बात करते है । 

1. पशुपति नाथ मंदिर मे बलि  दी जाती है तो वहाँ पर जानवर कटने  पर दर्द नहीं होता । 

2. कामाख्या देवी मंदिर (आसाम ) मे दी जाने वाली बलि  मे दर्द नहीं होता । 

3. तपेश्वरी देवी मंदिर मे  दी जाने वाली बलि  मे क्या दर्द नहीं होता क्या यहाँ पर महिष की बलि  के स्थान पर सब्जी के रूप मे महिष बनाकर बलि  नहीं दी जा सकती लेकिन आप चाहे जिस की बलि  दे हमे कोई एतराज नहीं । 

4. उन्हे भी कुर्बानी से एतराज़  है जिनके यहाँ नर बलि  दी जाती और इंसानों की बलि  देते आए है । 

5. क्या जानवरों की कुर्बानी का विरोध करने वाले बता सकते है कि दुनिया भर मे कुर्बानी का एक दिन है बाकि  दिन दुनिया मे कुर्बानी नहीं है फिर भी लाखों लाख बकरे व अन्य जानवर एक दिन मे काट दिये  जाते है । 

6. मैकडोनाल्ड  और तमाम होटलों मे परोसा जाने वाला मांस  का कोई विरोध नहीं  

7. एयरवेज़  मे होने वाले मांस  आपूर्ति  पर कोई विरोध नहीं । 

जो लोग इस्लाम को मानते है और जो लोग इस्लाम को नहीं  मानते है इन  दोनों मे फ़र्क  है फ़र्क यह है कि मुस्लिम इस्लाम मे दिए तमाम उसूलों  का पालन करना है और इसी पालन करने पर ही मुसलमान  है । 

जो लोग इस्लाम को नहीं मानते उन्हे असहमति  होने का पूरा हक है लेकिन वो मुसलमानों को बाध्य नहीं कर सकते कि मुसलमान कुरान मजीद न पढे, उसको न माने  ,नमाज़  न अदा करे ,, रोज़ा न  रखे ,कुर्बानी न दो ,ज़कात   न दो , हज न  करो  क्योंकि इसी बात से मुसलमान  और गैर  मुसलमान  का फ़र्क है । 

जानवरों की कुर्बानी का विरोध और दर्द होने का एहसास नहीं बल्कि मुससलमनो के रुसूमात और उनके मजहबी अकीदे / विश्वास   या धार्मिक आस्था पर चोट करने की नियत से यह प्रचार किया जाता है वरना  दुनिया भर मे लाखों जानवर , पंछी , मछलियाँ , आदि का शिकार होता है और मांस / गोश्त  खाया जाता है । 

कुर्बानी के द्वारा बांटा जाने वाला गोश्त पूरी दुनिया के गरीबों तक पहुंचता है । 


  

Comments

Popular posts from this blog

इंजील (बाइबल ) मे मोहम्मद मुस्तफा रसूलउल्लाह का उल्लेख

इमाम मेहदी अलैहिस सलाम और उन पर गलत कयास आराई

CAA, NRC,NPR और मुसलमानों का भयभीत होना!