
नमाज़ मे सफ़े ठीक कराई जाती है सफ़े अगर दुरुस्त नही तो नमाज़ नही होगी ,केवल नमाज़ तक ही सीमित रह गयी सफ़े, नमाज़ के बाद अगर सफ़े सही नही होगी तो क्या होगा इसको भी जाने फ़िर बोस्निया के मुसलमान हो चाहे फ़िलिस्तीन के मुसलमान हो ,india के मुसलमान हो चाईना के मुसलमान हो म्यानमार के मुसलमान हो अफ़्गानिस्तान के मुसलमान हो सिरिया के मुसलमान हो ,लिबिया के मुसलमान हो इराक़ के मुसलमान हो गोया कहीं के भी मुसलमान है सफ़े ठीक न होने के कारण और नबी के हुक़्म के खिलाफ अगयार को जब से दोस्त बनाना शुरू किया और उसके जाल मे फ़सते चले गये तब से मुसलमानों का हश्र ऐसा होना शुरू हुआ ,कुस्तुंतुनिया के चर्च को मुसलमानों ने क़ब्ज़ा ज़रूर कर लिया लेकिन उसके नतीजे मे ईसाई मिसनरी ने जो प्लान बनाया उसके बाद अफ़्रीका एशिया europe मे तुम पर wo मज़ालिम ढाये गये ,स्तालिन ने कभी करोडो मुसलमानों को भूखा रख के maar दिया आज भी हम उसी ईसाई हुक़ुमत की तायीद करते हैं बैनुल अक़्वाम मे आज भी फ़िलिस्तीन के पक्ष मे जब करारदाद पास होती है और उस पर कोई भी देश वीटो कर देता है तो जिनको तुम गयुर कह्ते हो वो बेगैरत की तरह वहां बैठे रह्ते है और ईसाई हुकुमतो को मज़बूत कर रहे होते है!सफ़े सही नही है और सफ़े सही होने की उम्मीद भी नही है!
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