Ahmad Rizvi

POK और COK

POK और COK पाकिस्तान अधिक्रत कश्मीर या पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया कश्मीर को ही पी.ओ.के. कहते है और चीन के द्वारा कब्ज़ा किए गये कश्मीर को सी.ओ.के. कहते है । हाल ही मे दो महत्वपूर्ण घटनाए हुई है । लंदन से भारतीय विदेश मंत्री का POK को वापस लाने का अज़म लेते हुवे बयान देना । इसके साथ ही कारगिल मे भारत के द्वारा पहली बार C-17 ग्लोब मास्टर जैसे विशालकाय विमान की सफलतापूर्ण लैन्डिंग कराना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाया गया है । जिससे रसद, गोला बारूद, आर्म्स और एमूनेशन, सैनिकों को तेज़ी के साथ फ्रन्ट लाइन तक पहुंचाया जा सकता है । जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री ने POK के साथ चीन अधिक्रत कश्मीर, को भारत का हिस्सा बताया और उसे वापस न लाने के लिए कोई बयान नहीं दिया गया, इस पर टिप्पणी की गई जिसका भारतीय जनता पार्टी और उसकी सिस्टर संस्थाये अपने नेता के इशारों पर विरोध परदर्शन करना आरंभ किया जा चुका है । सन 2020 मे गलवान संघर्ष को मद्देनजर रखते हुवे जो अभी तक गतिरोध बना हुआ था हाल ही मे गतिरोध टूटा है। ऐसे मे चीन पर बयान देकर पूर्व के हालात सीमा पर बन जाए । लेकिन ऐसा नहीं है की चीन अधिक्रत कश...

Sure Hamd ke fazail, सूरे हम्द के फज़ाएल,

. मजमाउल बयान की टिप्पणी में यह बताया गया है कि प्यारे पैगंबर (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने इरशाद फरमाया कि; जो कोई भी इस सूरह की तिलाबत करता है, उसे पूरे कुरान के दो तिहाई (2/3) पढ़ने का सवाब मिलेगा, और उसे दुनिया के तमाम मोमिन मर्दों और औरतों को जो सदका देने पर जो सवाब मिलता है उसके बराबर, इस सूरह फातिहा की तिलावत करने पर सवाब मिलेगा। 2. प्यारे पैगंबर (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने एक बार जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी से पूछा, "क्या मुझे आपको एक सूरह सिखाना चाहिए जिसकी पूरे कुरान में कोई अन्य बराबरी नहीं है?" जाबिर ने जबाब दिया, "हाँ, और अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम), मेरे बालिदैन आप पर फिदया दे सकते हैं।" तो अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने उन्हें सूरह अल-फातिहा सिखाया। फिर अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने पूछा, "जाबिर, क्या मैं आपको इस सूरह के बारे में कुछ बताऊं?" जाबिर ने जबाब दिया, "हाँ, और अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम), मेरे बालिदैन आप पर फिदया दे सकते हैं।" अल्लाह के प्यारे नबी (सल्ललाहो अलैह बसल्लम) ने कहा, "यह (सूरह अल-फातिहा) मौत को छोड़कर हर बीमारी का इलाज है।" 3. सूरह फातिहा की नमाज़ में बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है, अगर सूरह फातिहा नही पढ़ी जाए तो नमाज़ अधूरी रहती है।

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