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Showing posts from March, 2025

Ahmad Rizvi

जन्नतुल बक़ी

रसूल उल्लाह सल्लालाहों अलैह व आले वसल्लम ने जब ग़दीर में हज़रत अली को मौला का ऐलान किया कि जिसका मौला मैं उसके मौला अली इस ऐलान के बाद नबी करीम को ज़हर दे दिया गया उसके बाद यजीदीयों ने हज़रत अली को मस्जिद में सजदे के दौरान क़त्ल कर दिया यजीदीयों ने हज़रत अली के बेटे इमाम हसन को ज़हर दिलवाकर क़त्ल करा दिया आगे हज़रत अली के बेटे इमाम हुसैन और उनके समस्त परिवार, दोस्त समेत सबको क़त्ल करा दिया 1932 में एक बार फ़िर मुआविया और यजीद की औलाद को अरब की सत्ता ब्रिटिशों के रहमो करम से मिल गई जो सबसे पहला काम मुआविया और यजीद की औलादो और उनके चाहने वालो ने मोहम्मद मुस्तफा सल्लालाहों अलैह व आले मोहम्मद से दुश्मनी को अंजाम देते हुए अल्लाह के नबी की बेटी के मकबरा को ध्वस्त कर दिया सवाल उठता है कि 632 से बना हुआ 1932 तक कायम रहा अब तक वहां इस्लाम नहीं था ऐसा यजीदीयों का मानना है अब यजीदी अल्लाह के नबी के रोजे को तोड़ने की साज़िश भी यजीदी रचते आ रहे है रसूल उल्लाह सल्लालाहों अलैह व आले वसल्लम ने जब ग़दीर में हज़रत अली को मौला का ऐलान किया कि जिसका मौला मैं उसके मौला अली इस ऐलान के बाद नबी करीम को ज़हर दे दि...

मुस्लिम भारत संघ में और उन पर उठने वाले सवाल

ऐसा बहुत सारे लोगों से सुना होगा कि पाकिस्तान चले जाओ सऊदी चले जाओ एक समाजवादी पार्टी के नेता है जो यह कहते हैं कि हम पाकिस्तान जा सकते थे मगर हमने भारत को चुना यह सारी बातें एक मूर्ख व्यक्ति और अज्ञानी व्यक्ति कर सकता है फिर अक्लमंद इंसान दानिशमंद इंसान की प्रतिक्रिया क्या होगी पाकिस्तान बनने के बाद भारत में बहुत मुस्लिम रियासत थी जैसे भोपाल रियासत, रामपुर, निज़ाम हैदराबाद, महमूदाबाद, जूनागढ़ आदि रियासत जब यूनियन ऑफ इंडिया में मिलाया गया तो उसके साथ उनकी हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध प्रजा को भी भारत संघ में मिलाया गया जैसे जम्मू और कश्मीर हिंदू राजा के अधीन होने के बाद मुस्लिम वहां बहुमत से है अब यह कोई कहे कि मुसलमान को पाकिस्तान जाना चाहिए तो उन्हें इस बात को बता देना कि मुसलमान का भारत में होना पाकिस्तान के बनने से नहीं हैं बल्कि प्रिंसिली स्टेट में पहले से होने और भारत संघ में उनके अस्तित्व के साथ स्वीकार किया गया था

आर एस एस के सदस्य

आर एस एस के सदस्य चोर डाकू अपराधी से लेकर जज पुलिस कमिश्नर मंत्री मुख्य मंत्री प्रधान मंत्री गृह मंत्री स्पीकर सेना के अधिकारी और जवान हो सकते संस्था का पंजीकरण नहीं है और सदस्यों का कोई रजिस्टर नहीं है ऐसे में किसी अपराधी सदस्य को आसानी से कहा जा सकता है कि यह आर एस एस का सदस्य नहीं है इसके सदस्य आला से आला ओहदे पर पहुंचने के बाद और संविधान की शपथ लेने के बाद उसके खिलाफ काम करते हैं और अपने संस्था के प्रति वफादार रहते हैं यह भारत का डीप स्टेट है इसको प्रतिबंधित करने की स्थान पर इसमें प्रधान मंत्री से लेकर मुख्य मंत्री और अन्य सदस्य हिस्सा लेते है

आर एस एस

आर एस एस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) जो गैर पंजीकृत गैर कानूनी संस्था हैं जिसको भारतीय मीडिया उनके प्रवक्ता को मंच पर बुला रहे हैं इंटरव्यू दे रहे हैं सरकार को मशविरे दे रहे सरकार में दखल भी रखते है अब आर एस एस के लोग पड़ोसी देशों में भी पहुंच चुके हैं और वहां भी हिंसा में भूमिका निभा रहे हैं और भारत के पड़ोसी देशों को अस्थिर करने में लगे हैं यह अस्थिरता इस लिए फैला रहे है ताकि अखंड भारत के अन्दर पाकिस्तान अफगानिस्तान बांग्लादेश नेपाल आदि को अपने अधीन करना और हिन्दुत्व के अधीन लाना है, भारत में भी लोग हिंसा का आरोप अल्पसंख्यकों पर लगाते रहे हैं जबकि हिंसा करने में आर एस एस के लोग महारत हासिल है और गैर भाजपा सरकारों को बदनाम करने में मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं अब तक कोई भी विपक्षी पार्टी आर एस एस के खिलाफ मुंह नहीं खोलती है और न उसके गैर कानूनी होने पर कोई सवाल उठाते हैं और न कोई आपत्ति करते हैं यह सरकार के भीतर सरकार है

हिंसा और हथियार

हिंसा और हथियार से बदलाव नहीं आ सकता..... अमित शाह क्या उनकी इस बात से सहमत हुआ जा सकता है हम लोग इस बात से सहमत नहीं है हिंसा और हथियार से ही बदलाव अमित शाह भी ला रहे है बस अन्तर यह है कि जिन को मिटाया जा रहा है उनकी संख्या और हथियार कम है जो मिटा रहे हैं उनकी संख्या हथियार संसाधन पर्याप्त है इस लिए यह कहना बिल्कुल गलत है कि हिंसा और हथियार से बदलाव नहीं लाया जा सकता पूर्व में बहुत से उदाहरण है जैसे बाबर के पास उन्नत तोप ने जंग के नक्शे को बदल दिया, अंग्रेजों के आधुनिक हथियार, जापान पर परमाणु हथियार गिराना अफगानिस्तान इराक सीरिया और लीबिया को हिंसा और हथियारों के द्वारा लूटा गया इसलिए हम लोग अमित शाह के बयान से सहमत नहीं हैं

भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित है... अमित शाह

भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित है.... अमित शाह उनकी इस बात से हम लोग सहमत नहीं है अल्पसंख्यक में जो गिने जाते है 1. बौद्ध 2. जैन 3. पारसी 4. मुस्लिम 5. ईसाई 6. सिख है इसमें बौद्ध पारसी जैन तो अपने को सुरक्षित कह सकते है मगर मुस्लिम और ईसाई सुरक्षित नहीं है और विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ तो पूरा सिस्टम ही दुश्मन जैसा व्यवहार कर रहा है 1. मस्जिद और मज़ार तोड़े जा रहे हैं नमाज़ सड़क पर पढ़ने या छत पर पढ़ने पर पासपोर्ट और लाइसेंस रद्द करने की धमकी 2. मुस्लिमों के घर को बिना नक्शे का बताकर तोड़ना वैसा हिंदूओ के साथ न करना 3. मुस्लिमों को नजरबंद करना 4. मॉब lynching में अब तक सैकड़ों मुस्लिमों का कत्ल किया जाना 5. मुस्लिमों का नरसंहार करना हाशिमपुरा, भागलपुर, गुजरात muzzafarnagar और न जाने कितने नरसंहार जो सरकार की मंशा के अनुसार या सरकार के संरक्षण में मुस्लिम नरसंहार हुए इन कारणों से हम लोग सहमत नहीं है अमित शाह के बयान से कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित है

दुआ ए मुजीर

*दुआ ए मुजीर हिन्दी मे* बिस्मिल्लाह अर्रहमान निर्रहीम सुब्हानका या अल्लाहो, ताआलैता या रहमानो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या रहीमो, ताआलैता या करीमो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या मालेको, ताआलैता या मालेको, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या क़ुद्दूसो, ताआलैता या सलामो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या मोमिनो, ताआलैता या मोहैमेनो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या अज़ीज़ो, ताआलैता या जब्बारो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या मुतकब्बेरो, ताआलैता या मुतजब्बिरो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या ख़ालिको, ताआलैता या बारेओ, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या मुसव्विरो, ताआलैता या मुक़द्दिरो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या हादी, ताआलैता या बाक़ी, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या वहाबो, ताआलैता या तव्वाबो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या फ़त्ताहो, ताआलैता या मुरताहो, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या सय्यिदी, ताआलैता या मौलाया, अजिरना मिनन नारे या मुजीर सुब्हानका या क़रीबो, ताआलैता या रक़ीबो, अजिरन...

भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति पर होने वाले अपराध crime against SC/ST in India

भारत में महिलाओं पर होने वाले अपराध crime against women in India

भारत में अल्पसंख्यकों पर होने वाले अपराध crime against minorities in India

POK और COK

POK और COK पाकिस्तान अधिक्रत कश्मीर या पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया कश्मीर को ही पी.ओ.के. कहते है और चीन के द्वारा कब्ज़ा किए गये कश्मीर को सी.ओ.के. कहते है । हाल ही मे दो महत्वपूर्ण घटनाए हुई है । लंदन से भारतीय विदेश मंत्री का POK को वापस लाने का अज़म लेते हुवे बयान देना । इसके साथ ही कारगिल मे भारत के द्वारा पहली बार C-17 ग्लोब मास्टर जैसे विशालकाय विमान की सफलतापूर्ण लैन्डिंग कराना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाया गया है । जिससे रसद, गोला बारूद, आर्म्स और एमूनेशन, सैनिकों को तेज़ी के साथ फ्रन्ट लाइन तक पहुंचाया जा सकता है । जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री ने POK के साथ चीन अधिक्रत कश्मीर, को भारत का हिस्सा बताया और उसे वापस न लाने के लिए कोई बयान नहीं दिया गया, इस पर टिप्पणी की गई जिसका भारतीय जनता पार्टी और उसकी सिस्टर संस्थाये अपने नेता के इशारों पर विरोध परदर्शन करना आरंभ किया जा चुका है । सन 2020 मे गलवान संघर्ष को मद्देनजर रखते हुवे जो अभी तक गतिरोध बना हुआ था हाल ही मे गतिरोध टूटा है। ऐसे मे चीन पर बयान देकर पूर्व के हालात सीमा पर बन जाए । लेकिन ऐसा नहीं है की चीन अधिक्रत कश...

तुर्किये

तुर्कीये तुर्की दुनिया भर के मुसलमानों के जज़्बात के अनुसार बयान देता है तुर्की नाटो का सदस्य है इराक और सीरिया में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ मिलकर आइसिस को प्रशिक्षण देने उन्हें रहने खाने और हथियार की सहूलत देने के साथ तुर्की की ज़मीन को इराक और सीरिया में आतंकवादी गतिविधियों के इस्तेमाल की इजाज़त भी दी। इसके साथ 7 अक्टूबर 2023 से फिलिस्तीन पर होने वाले हमले की मजम्मत करने में तुर्की सबसे आगे था और है लेकिन तुर्की की कोई दिलचस्पी इसराइल को रोकने में कभी नहीं रही उसकी दिलचस्पी सीरिया में तख्तापलट की रही सीरिया की सरकार बदल गयी मगर इस सरकार के बदलने में सबसे अहम रोल अदा किया तुर्की ने और सबसे ज़्यादा फायदा हुआ है अमेरिका और इसराइल को फिर भी लोग यह समझते हैं कि तुर्की फिलिस्तीन या अरब का हमदर्द है गलत है ये अमेरिका और इसराइल का एजेंट है और इस एजेंट को ही अमेरिका और अन्य, मुसलमानों का खलीफा कभी हमदर्द और न जाने क्या क्या प्रोजेक्ट करते है

अमेरिका का मुनाफाखोर व्यापारी राष्ट्रपति

दुनिया अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख से अचंभित हो गई है जिस अमेरिका ने यूक्रेन को रूस से जंग करने के लिए हौसला अफज़ाई किया था आज वही अमेरिका रूस के पैरों पर गिरकर जंगबंदी के लिए गिड़गिड़ा रहा है और यूक्रेन को भी ऐसा करने को कह रहा है। अब अमेरिका के कहने पर कौन ज़ेलेंस्की बनने को तैयार होगा? कौन देश अमेरिका के कहने पर चीन से जंग करने को तैयार होगा? अब अगर वर्तमान में ट्रंप के कहने पर चीन से कोई देश जंग को तैयार होता है तो आगे आने वाला अमेरिका का राष्ट्रपति उस देश को यूक्रेन की तरह अकेला तन्हा छोड़ सकता है। इससे वो देश जो अमेरिका को अपना आदर्श मानते है वो देश भयभीत है। एक पत्रकार ने अमेरिका का उपहास उड़ाते हुए कहा कि अगर चीन ताइवान पर कब्ज़ा कर ले और डोनाल्ड ट्रंप को ताइवान में चीप बनाने की फैक्ट्री खोलने को दे दे तो ट्रंप उस पर भी राज़ी हो जायेंगे। ट्रंप को इतना मुनाफाखोर व्यापारी बताया है जिसके लिए सिर्फ और सिर्फ मुनाफा ही सब कुछ है।