Ahmad Rizvi

हज़रत अबूज़र गफारी

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क़ुरान मजीद मे प्रत्येक खुश्क और तर चीज़ का उल्लेख (ज़िक्र) है । अर्थात क़ुरान मजीद मे हर चीज़ का उल्लेख है । इस पर अल्लाह सुभान व तआला के नबी मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथियों के बारे मे जानकारी क़ुरान मजीद से करना चाहा है इस सम्बन्ध मे सूरे फतह की आयत संख्या 39 के कुछ अंश का उल्लेख करता हूँ मोहम्मद (सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम) अल्लाह के रसूल है और जो लोग उन के साथ है काफिरों पर बड़े सख्त और आपस मे बड़े रहम दिल है । इस आयत मे दिये गये अंशों के आधार पर आज सहाबी-ए-रसूल हज़रत अबूज़र गफारी और हज़रत उस्मान मे होने वाले मतभेद के विषय पर रोशनी डालना चाहेंगे और इस पसमंजर मे कुरान मजीद की उपरोक्त आयत को मद्देनज़र रखते हुवे दोनों सहाबीयों को समझने का प्रयास करते है और पाठक (पढ़ने वाले) खुद नतीजे पर पहुंचे – आइये गौर करते है :- 1. मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम अल्लाह के रसूल है । 2. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो काफिरों पर बड़े सख्त है । 3. जो लोग मोहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलैह व आले वसल्लम के साथ है वो आपस मे बड़े रहम दिल है । अबूज़र ग...

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान मे नागरिको को दिया गया है ,अब यह अधिकार नागरिको को तब है जब वह प्रश्न ईरान की न्याय व्यवस्था ,फौज की व्यवस्था, आयतुल्लाह सैय्यद अली खामनेई, पर तनकीद ,कमेन्ट विरोध कर सकते हैं ,बहुत ज्यादा विरोध करना हो तो पाकिस्तान का विरोध करें वहां की न्याय पालिका भृष्ट है फौज भृष्ट हैं ,मानवधिकार का घोर उल्लंघन होता हैं अल्पसंख्यक के साथ अमानवीय कृत्य होता हैं बहुत जुल्म होता हैं, इसको उठाएं दुनिया मे फैलाए़ं,मगर आपकी यह हिम्मत नहीं होना चाहिये कि आप अल्पसंख्यक यानी मुसलमानों पर माब लिंचीग पर अल्पसंख्यक समुदाय पर ज़ुल्म होने पर सवाल उठाना आपको देशद्रोही /लीगी कटुआ और न जाने क्या क्या कहकर ज़लील करने की कोशिश करते रहते है ,राजा भईया पर सरकार द्वारा पोटा prevention of terrorism act से मुकदमा बगैर trial मुक्त कर दिया न हाईकोर्ट ने न सुप्रीम कोर्ट ने suo moto से कोई एक्शन लिया हां अगर ये मसला मुस्लिम से सम्बन्धित हो तो सरकार ने कोई फैसला फेवर मे करती है तो हाईकोर्ट के द्वारा suo moto से एकशन लेकर उस पर रोक लगा देना, पहलू खान के कातिलो को छोड़ देने पर न्याय की जीत होना ,माँब लिंचिंग पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा अभियुक्त को माला पहना कर महिमामंडन किया गया,यही सब पाकिस्तान मे होता तो हम लोग कहते देखा दोगलो को जजेज कैसे बिक गये ,मंत्री को माला पहनाने पर हरामखोर और न जाने किन किन गालियों से नवाज़ चुके होते कुल मिलाकर नतीजा यह है कि दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र है न्यायवादी लोग हैं दूध के धुले है सवाल नहीं उठाया जा सकता हैं ,अल्पसंख्यक पर ज़ुल्म सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम देशों मे होता हैं ,और जो भेदभाव ज़ुल्म अत्याचार पर सवाल उठाए और नज़ीर दे वह मुल्क के खिलाफ देशद्रोही और न जाने क्या क्या कहते है

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