अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय संविधान मे नागरिको को दिया गया है ,अब यह अधिकार नागरिको को तब है जब वह प्रश्न ईरान की न्याय व्यवस्था ,फौज की व्यवस्था, आयतुल्लाह सैय्यद अली खामनेई, पर तनकीद ,कमेन्ट विरोध कर सकते हैं ,बहुत ज्यादा विरोध करना हो तो पाकिस्तान का विरोध करें वहां की न्याय पालिका भृष्ट है फौज भृष्ट हैं ,मानवधिकार का घोर उल्लंघन होता हैं अल्पसंख्यक के साथ अमानवीय कृत्य होता हैं बहुत जुल्म होता हैं, इसको उठाएं दुनिया मे फैलाए़ं,मगर आपकी यह हिम्मत नहीं होना चाहिये कि आप अल्पसंख्यक यानी मुसलमानों पर माब लिंचीग पर अल्पसंख्यक समुदाय पर ज़ुल्म होने पर सवाल उठाना आपको देशद्रोही /लीगी कटुआ और न जाने क्या क्या कहकर ज़लील करने की कोशिश करते रहते है ,राजा भईया पर सरकार द्वारा पोटा prevention of terrorism act से मुकदमा बगैर trial मुक्त कर दिया न हाईकोर्ट ने न सुप्रीम कोर्ट ने suo moto से कोई एक्शन लिया हां अगर ये मसला मुस्लिम से सम्बन्धित हो तो सरकार ने कोई फैसला फेवर मे करती है तो हाईकोर्ट के द्वारा suo moto से एकशन लेकर उस पर रोक लगा देना, पहलू खान के कातिलो को छोड़ देने पर न्याय की जीत होना ,माँब लिंचिंग पर केन्द्रीय मंत्री द्वारा अभियुक्त को माला पहना कर महिमामंडन किया गया,यही सब पाकिस्तान मे होता तो हम लोग कहते देखा दोगलो को जजेज कैसे बिक गये ,मंत्री को माला पहनाने पर हरामखोर और न जाने किन किन गालियों से नवाज़ चुके होते कुल मिलाकर नतीजा यह है कि दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र है न्यायवादी लोग हैं दूध के धुले है सवाल नहीं उठाया जा सकता हैं ,अल्पसंख्यक पर ज़ुल्म सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम देशों मे होता हैं ,और जो भेदभाव ज़ुल्म अत्याचार पर सवाल उठाए और नज़ीर दे वह मुल्क के खिलाफ देशद्रोही और न जाने क्या क्या कहते है
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