Ahmad Rizvi

संस्कार विवाह और मुस्लिम निकाह

अक्सर दोस्तों और दुश््मनों के बीच मैं बैठकर वार्तालाप होती रहती है जहां लोग अल्पसंख्यक में विशेेषकर मुसलमान मुसलमान को देखते हैं तो जैसे उनके मन में कटाक्ष करने की या कॉमेट्स करने कीइच्छा प्रबल होतीी है मेरीी भी स्थिति अच्छी नहीं जैसे 32 दातों के बीच एक जवान हो वैसे 32 दांत का कामही चवा डालना है लेकिन जीभ न हो तो इस चबाने का कोई स्वाद/टेस्ट भी नहीं ऐसे ही यहां पर मुसलमान हैं जो टेस्टी अस्वास्थ्य भर देता है अपना धर्म या मजहब है उसके अपने विचार है अपनी आस्था आस्थाा है या बिलीव है मगर रह रह कर लोगों को मसखरापन या मजाक उद्देेेेेलित करता रहता है । अब मैं बैठा हुआ था और एक सज्जन ने सवाल किया, मियां आपके यहाँ शादियां तो एगरीमेन्ट है जब चाहो छोड़ दो, हम लोगो के यहाँ विवाह जो होते हैं वह संस्कार होते हैं जन्म जन्म का साथ होता है। उन सज्जन पुरुष जो काफी पढे लिखे साथी अधिवक्ता है उनसे मैने जवाब में कहा "इस्लाम धर्म "को आप माने या न माने मगर अनुसरण आपको करना ही पडता हैं। उनका सवाल था कैसे। आप का विवाह संस्कार है जन्म जन्मान्तर का साथ है उसमे तलाक या विवाह विच्छेद की कोई गुंजाइश नहीं मगर आपने इस्लाम धर्म से तलाक को अपनाया की नहीं अपनाया। अगर आप हमारी बात न माने तो विवाह विच्छेद एक्ट 1869को और देख सकते हैं चलो यह बात 1869 की है हम लोग अंग्रेजो़ के गुलाम थे ज़बरदस्ती कानून को थोप दिया गया होगा। आज़ादी के बाद, हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 को शामिल किया गया ताकि विवाह का विच्छेद किया जा सके। अब बताइये कि आपने मुस्लिम एग्रीमेन्ट वाले विवाह को अपनाया या नहीं अपनाया। कयोंकि संस्कारी विवाह में तलाक का कोई संकल्पना ही नहीं था।

Comments

Popular posts from this blog

इंजील (बाइबल ) मे मोहम्मद मुस्तफा रसूलउल्लाह का उल्लेख

इमाम मेहदी अलैहिस सलाम और उन पर गलत कयास आराई

बिन्ते रसूल उल्लाह