Ahmad Rizvi

मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है

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मौला अली साबिक अम्बिया से अफज़ल है । कुछ मुसलमान अपने इल्म की कमी के कारण या मौला अली से बुगज़ रखने के कारण उनके दिमाग मे सवाल पैदा होते है और सार्वजनिक (public) प्लेटफार्म पर ऐसे सवाल उठाते भी है । आज इन सवालातों के जवाब को तलाश करते है। मौला अली अंबियाओ से अफज़ल है तो इसकी कोई दलील है , जी हाँ, इसकी दलील है । सवाल : क्या नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, अमबीयाओ, रसूलों, मलायका (फरिश्तों) और जिन्नतों के मौला है ? जवाब : जी हाँ , नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम नबीयों, रसूलों, अम्बियाओ, मलाएका, और जिन्नतों से न केवल अफज़ल बल्कि मौला है जब अल्लाह सुभान व तआला ने आदम के पुतले मे जान डाली तो हुक्म दिया मलाइका और जिन्न को सजदा हज़रत आदम का करना । फखरे अम्बिया सबसे अफज़ल है । सवाल : क्या ईसाई यहूदी मुशरिक काफिर के भी आप मौला है ? जवाब : नहीं , जो नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम को मौला नहीं मानता है उसको अख्तियार है कि मौला न माने । सवाल : क्या हज़रत ईसा के भी मौला है नबी करीम मोहम्मद मुस्तफा सलल्लाहों अलैह व आले वसल्लम ? ज...

नागरिकता का प्रमाण

सबसे पहले यह जानते है कि नागरिकता क्या है गुलामी मे क्या नागरिकता थी ? राजाओ के राज्य मे प्रजा की नागरिकता क्या थी ? आज़ाद भारत मे नागरिकता क्या है । नागरिकता का प्रमाण क्या है ? आज़ादी से पहले राजा के राज मे निवास करने वाली उसकी तमाम प्रजा उस राजा की प्रजा कहलाती थी उस प्रजा को नागरिक मान सकते है । गुलाम भारत मे राजाओ के राज्य को छोड़कर जितने भाग पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा था वो सब ब्रिटिश नागरिक थे । गोवा पुर्तगाल के अधीन था इसलिए गोवा मे निवास करने वाले पुर्तगाली नागरिक थे । इंडियन पार्टीशन एक्ट 1947 को ब्रिटिश संसद से पारित करने के पश्चात ब्रिटिश इण्डिया को दो हिस्सों मे बाँट दिया गया एक इण्डिया और दूसरा पाकिस्तान । इन दोनों देशों मे रहने वाले इण्डिया और पाकिस्तान के नागरिक हो गये। दोनों देशों की सीमाये जब तक एक दूसरे के नागरिकों के लिए खुली हुई थी तब तक दोनों तरफ के नागरिक आ जा सकते थे और नागरिकता प्राप्त कर सकते थे । इसके पश्चात 1947-1948 मे जम्मू और कश्मीर के विलय के साथ जम्मू और कश्मीर के लोगों को भी भारत की नागरिकता प्राप्त हो गयी । इसके पश्चात हैदराबाद (दक्खिन) जो निजाम की रियासत भी कहलाती थी को भारत संघ मे मिलाया गया जिसके अन्तर्गत वहां की समस्त प्रजा को भारत का नागरिक माना गया और नागरिकता प्रदान की गयी । अभी तक संविधान नहीं बना था और न लागू हुवा था । इस तरह सन 1961 मे गोवा को भारत संघ मे मिलाने के साथ ही पुर्तगाली नागरिक अब भारतीय नागरिक बन गये । सन 1971 मे सिक्किम के विलय के साथ सिक्किम के राजा की प्रजा अब भारतीय नागरिक हो गये । उत्तर पूर्व मे इसी तरह तमाम राजाओ के भारत मे विलय के साथ भारतीय नागरिक बन गये । सन 1971 मे पूर्वी पाकिस्तान के पाकिस्तान से अलग होने के साथ पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया और पूर्वी पाकिस्तान के समस्त नागरिक अब बांग्लादेशी नागरिक बन गये । तिब्बत मंचूरिया यह कभी आज़ाद देश थे इन पर चीन के कब्जे के साथ इनकी स्वतंत्र पहचान खत्म हो गयी और अब चीनी नागरिक बन गये । कभी सोवियत संघ के भाग रहे युक्रेन, बेलारूस, लातविया , एस्टोनिया आर्मेनिया अज़रबेजान कजाखिस्तान किरगिजस्तान ताजिकिस्तान तुर्कमेनिस्तान उज्बेकिस्तान यह सब कभी सोवियत संघ के नागरिक थे आज अपने देशों के नागरिक है । यूक्रेन के donesk और लुहानस्क के कब्जे के बाद वहां के नागरिकों को रूसी पासपोर्ट जारी (निर्गत) किए जाने लगे जिसका सीधा अर्थ है कि अब यूक्रेन की जनता रशिया की जनता हो गयी रूस की नागरिक बन गयी । किसी भी देश मे रहने वाले समस्त लोगों मे वोट देने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ नागरिकों को प्राप्त होता है । इसलिए नागरिकता का सबसे बड़ा प्रमाण वोटर पहचान पत्र होता है । इसके पश्चात नागरिकता का सबसे बड़ा प्रमाण पासपोर्ट होता है जिसमे जारी किए गये व्यक्ति की nationality या राष्ट्रीयता लिखी होती है ।

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